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EXCLUSIVE NEWS

Tablighi, a radical outfit that deserved to be banned….

Tablighi, a radical outfit that deserved to be banned….

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The Tablighi Jamaat, that indulges in teaching to  non-Muslims to convert into Islam and to make Muslims fundamentalists and militants in the name of being true Muslims, has caused huge incalculable  damage to India's ongoing war against the corona virus.They  have put the entire nation  in a big health crisis. How the nation  comes  out of this difficult situation is a moot  question now. When the Kaaba, Mecca, Medina were closed due to Corona, Vatican City was shut down, shrines, mosque gurudwaras were closed, Tablighi Jamaat held meeting in the Nizamuddin area of Delhi where  thousands of natives  and foreign Maulanas participated.This begs a question , Why the Prime Minister's appeal was ignored? Will the people advocating their cause tell  how they justify their shameless act of h...
संयम और समझदारी ही ईलाज है इस महामारी का

संयम और समझदारी ही ईलाज है इस महामारी का

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
आज आप सबों ने टेलीविज़न पर और दैनिक समाचार पत्रों में वे फोटोग्राफस देखे ही होंगे, जिनमें पटना और कलकत्ता में यात्री बसों में ठसाठस भरकर और छतों  पर चढ़कर अपने गाँव को जाने के लिए आतुर दिख रहे थे। अब इनकों कौन समझाये कि इनकी इस लापरवाही से कितनों की जान जा सकती है । एक बस यात्री को जब कोई चेतावनी दे रहा है तो वह बड़ी  ढीठाईपूर्वक कह भी रहा है कि मज़बूरी का नाम ही महात्मा गाँधी है । लेकिन, वह जिसे अपनी मज़बूरी बता रहा है, उससे वह न केवल अपने पूरे गाँव वालों को खतरे में डाल रहा है, बल्कि उन तमाम गावों की पूरी आबादी को भी, जिसके नागरिक उस बस में ठूंसकर भरे हैं । अपनी लापरवाही को मज़बूरी का नाम देने वाले ऐसे वेबकूफों को तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि वे अपने साथ यदि इस जानलेवा बीमारी को लेकर अपने गाँव जा रहे हैं तो भगवान ही उनका रक्षक बन सकता है । आज इस सम्बन्ध में भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर...
वैदिक जीवन पद्धति की ओर ढकेलेगा ‘करोना’

वैदिक जीवन पद्धति की ओर ढकेलेगा ‘करोना’

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
-विनीत नारायण जब प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को थाली या ताली बजाने का आवाह्न किया, तो मैंने सोशल मीडिया पर अपील जारी की कि ‘‘जिन घरों, मंदिरों, आश्रमों और संस्थाओं के पास शंख है वे 22 मार्च की शाम 5 बजे से, 5 मिनट तक, घर के बाहर आकर लगातार जोर से शंख ध्वनि करें। ऐसा वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि शंख ध्वनि करने से वातावरण में उपस्थित नकरात्मक ऊर्जा और बैक्टीरिया का नाश होता है। इसीलिए वैदिक संस्कृति में हर घर में सुबह शाम, पवित्रता के साथ, शंख ध्वनि करने की व्यवस्था हजारों वर्षों से चली आ रही है। जिसका हम, अपने घर में, आज भी पालन करते हैं। अगर देश की कुछ मेडिकल रीसर्च यूनिट्स चाहें तो तय्यारी कर लें। इस प्रस्तावित शंख ध्वनि के पहले और बाद में ये संस्थान अपने क्षेत्र में ‘करोना’ वाइरस पर इस ध्वनि के प्रभाव का अध्ययन भी कर सकते हैं। जिस तरह विश्व समुदाय ने मोदी जी की अपील पर योग द...
कोरोना वायरस के पीछे चीनी फंडा

कोरोना वायरस के पीछे चीनी फंडा

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 दुनिया पर हावी होने का तरीका ??  चीनी रणनीति:-  1. सबसे पहले एक वायरस और उसकी दवा बनाई।  2. फिर वायरस फैलाया।  3. अपनी दक्षता का प्रदर्शन करते हुए रातों- रात अस्पतालों का निर्माण करवा लिया (आखिरकार वे पहले से ही तैयार थे) परियोजनाओं के साथ साथ उपकरण का आदेश देना, श्रम, पानी और सीवेज नेटवर्क को किराए पर लेना, पूर्वनिर्मित निर्माण सामग्री और एक प्रभावशाली मात्रा में स्टॉक.. यह सब उस रणनीति का हिस्सा थे।  4. परिणामस्वरूप दुनिया में वायरस के साथ साथ अराजकता फैलने लगी, खास कर के यूरोप में।  5. दर्जनों देशों की अर्थव्यवस्था त्वरित रूप से प्रभावित हुई।  6. अन्य देशों के कारखानों में उत्पादन लाइनें बंद हो गई।  7. फलस्वरूप शेयर बाजार में ज़बरदस्त गिरावट।  8. चीन ने अपने देश में महामारी को जल्दी से नियंत्रित कर लिया। रातों रात वुहान से कोरोना के नए मरीज मिलना बन्द ही हो...
कौन खा रहा हैं बैंकों को नोच-नोच कर

कौन खा रहा हैं बैंकों को नोच-नोच कर

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यस बैंक में जिस तरह की लोन देने के नाम पर लूट मची हुई थी उससे यह साफ हो गया है कि देश के बैंकिंग सेक्टर में नए सिरे से पुनर्समीक्षा कर प्राण फूंकने की जरूरत हैं। बैंकिंग सेक्टर अब ऐसा लगता है कि जंगग्रस्त हो चुकी है। अब यस बैंक के देशभर में फैले लाखों खातेदार अपना पैसा निकालने के लिए मारे-मारे घूम रहे है। आपको याद ही होगा कि पिछले साल के अंतिम महीनों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक पर अलग-अलग तरह की कई पाबंदियां लगा दीं थी। जिसके बाद इसके खातेदारों को अपने ही बैंक से अपना पैसा निकालना मुश्किल हो गया था। यकीन मानिए कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों के हर माह करीब 90 मुलाजिमों को चोरी-चकारी, भ्रस्टाचार और अकर्मण्यता के पुख्ता कारणों से नौकरी से बर्खास्त किया जा रहा है। इनमें से ज्यादातर पर भ्रष्टाचार में फंसे होने के पुख्ता साक्ष्य हैं। ये काम करने की बजाय काली क...
नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा देने वाली पहल

नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा देने वाली पहल

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सम्पूर्ण मानवता के सम्मुख खडे़ कोरोना वायरस की महामारी के संकट से सार्क देश आपस में मिलकर लडे़, दुनिया के सामने मानवता की रक्षा की एक अनूठी मिसाल कायम करें और विश्व को सेहतमंद बनाने में अपनी भूमिका अदा करें, ऐसी भारत की पहल एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सकारात्मक भूमिका का जहां दुनिया में स्वागत हो रहा है, वही इन संकट के निवारण की चर्चा के दौरान पाकिस्तान का कश्मीर राग अलापना विडम्बपापूूर्ण है, दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोेना वायरस जैसे महासंकट के समय सार्क देशों के बीच भारत एक नई उम्मीद एवं रोशनी का कारण बना है। इन उजालों को निर्मित करने में नरेन्द्र मोदी की मानवतावादी सोच, दूरदृष्टिता एवं सूझबूझ की महत्वपूर्ण भूमिका है। मनुष्य के अविनाशी जीवन के भाव को ग्रसने के लिये कोरोना वायरस का राहू मुंह बाये खड़ा है, हरेक मनुष्य के सामने यह गंभीर चुनौती है। लेकिन कुछ स्वार्थी देश इन क्षणों में भी अप...
कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई है

कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई है

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कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई हैकोरोना से विश्व पर क्या असर हुआ है इसकी बानगी अमरीकी राष्ट्रपति का यह बयान है कि, "विश्व कोरोना वायरस की एक अदृश्य सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।" चीन के वुहान से शुरू होने वाली कोरोना नामक यह बीमारी जो अब महामारी का रूप ले चुकी है आज अकेले चीन ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिएपरेशानी का सबब बन गई है। लेकिन इसका सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है किवैश्वीकरण की वर्तमान परिस्थितियों में यह बीमारी समूची दुनिया केसामने केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आर्थिक चुनौतियाँ भी लेकर आई है। सबसे पहले 31 दिसंबर को चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को वुहान में न्यूमोनिया जैसी किसी बीमारी के पाए जाने की जानकारी दी। देखते ही देखते यह चीन से दूसरे देशों में फैलने लगी और परिस्थितियों को देखते हुए एक माह के भीतर यानी 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे विश्व के लिए एक महामा...
क्या केवल यस बैंक पर ही आ सकता है ऐसा संकट ?

क्या केवल यस बैंक पर ही आ सकता है ऐसा संकट ?

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यस बैंक से धन निकासी की सीमा तय करने के बाद खाताधारकों में दहशत का माहौल है। देशभर में इस बैंक की हर शाखा पर खाताधारकों की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। लोग हड़बड़ाहट में हंै। किसी को बीमार बेटे के इलाज के लिए पैसे की जरूरत पड़ी, लेकिन उसे पैसा नहीं मिल सका। किसी का बैंक में करोड़ों रुपया है, ऐसे में उन्हें पैसों के सुरक्षित रहने की चिंता सता रही है। घबराए ग्राहकों गुस्से में हैं, बैंक में हंगामा होने लगा है। इसको लेकर पुलिस बुलानी पड़ रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से ब्रांचों में हंगामे की खबरें आ रही हैं। 14 नवंबर 2016 को हमने बैंकों की असलियत पर एक लेख लिखा था। जो आईआईटी दिल्ली के मेधावी छात्र रवि कोहाड़ के गहन शोध के बाद प्रकाशित एक सरल हिंदी पुस्तक ‘बैंकों का मायाजाल’ पर आधारित था। उस समय जो प्रश्न हमने उठाये थे, उन पर फिर से गौर करने की जरूरत है। इस पुस्तक में बड़े रोचक और तार्किक तरीके से ...
यस बैंक क्राइसिस की समस्या का समाधान कैसे होगा?*

यस बैंक क्राइसिस की समस्या का समाधान कैसे होगा?*

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जो लोग yes bank पर ज्ञान पेल रहें हैं । उनकी जानकरी के लिए बता दूं कि अगर मुझे किसी भी बैंक का central statutory auditor बना दिया जाए तो 7 दिन में इतने npa निकाल दूँ कि सारे बैंक दिवालिया हो जाएं । एक बार मैंने एक बैंक की ब्रांच का statutory audit किया था उस बैंक ब्रांच को loss में ला कर खड़ा कर दिया था । अगले तीन वर्षों तक बैंक ने मुझे ऐसी ब्रांच allot की ,जिनमें जा तो कोई loan ही नही था ,या सर्विस ब्रांच थी ,या नई खुली ब्रांच थी । अगर बैंक्स का सही ऑडिट हो तो सारे बैंक्स की capital negative हैं । सारे बड़े loan बिना security के केवल share गिरवीं रखकर दिए जाते हैं ,consumer loan ,vehicle loan , सबमें बहुत npa है लेकिन बैंक के parmoter पागल थोड़ी हैं कि उनको पता नहीं की loan वापिस नही आएगा लेकिन बैंक में उनका पैसा ना मात्र का लगा होता है और जनता का पैसा बहुत अधिक । जैसे y bank में r kapoor का...
शुरुआती पहचान से हो सकती है 90 फीसदी कैंसर मामलों की रोकथाम  

शुरुआती पहचान से हो सकती है 90 फीसदी कैंसर मामलों की रोकथाम  

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 70 वर्ष की उम्र से पहले होने वाली मौतों के लिए कैंसर एक प्रमुख वजह बनकर उभरा है। हालाँकि, बीमारी के बारे में जागरूकता और इसकी शुरुआती पहचान से तो कैंसर के 90 प्रतिशत मामलों की रोकथाम की जा सकती है। नोएडा स्थित राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइसीपीआर) की निदेशक डॉ शालिनी सिंह ने ये बातें कही हैं।  डब्ल्यूएचओ की एक ताजा रिपोर्ट में दस में से एक भारतीय को उसके जीवनकाल में कैंसर की चपेट में आने और पंद्रह भारतीयों में से एक की इस बीमारी से मौत होने की आशंका व्यक्त की गई है। ‘वर्ल्ड कैंसर रिपोर्ट’ के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में कैंसर के 11.6 लाख नये मामले सामने आए थे, जिसके कारण 7.84 लाख से अधिक लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी। डब्ल्यूएचओ ने गरीब देशों में वर्ष 2040 तक कैंसर के मामले 81 फीसदी तक बढ़ने की आशंका जतायी है। डॉ शा...