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हिन्दू कौन

हिन्दू कौन

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डॉ शशांक शर्मा(शारदा विश्विद्यालय, ग्रेटर नोएडा) विश्व के सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म के मानने वालों हिन्दू कहा जाता है । किंतु इस शब्द "हिंदू" नाम की उत्पत्ति, इतिहास और प्रयोग के बारे में बहुत अधिक स्पष्टता नहीं है । हिंदू होना क्या है? क्या सिर्फ देवी देवताओं की पूजा करने वाले, होली दीवाली मनाने वाले, व्रत रखने वाले ही हिंदू हैं या फिर इसका अर्थ कुछ और भी है । बहुत सारे लोगों का मानना है कि हिंदुत्व कोई पंथ नहीं है , यह एक जीवन शैली है जो संस्कृतियों के पार जा सकती है । भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में अपने एक वक्तव्य में हिंदुत्व को कोई पंथ नहीं माना है । एक दूसरा वर्ग भी है जो मानता है कि जब यूनानी भारत आये तो उन्होंने सिंधु नदी को हिन्दू कहा क्योंकि वे "स" को "ह" से उच्चारण करते थे । वैदिक व्याकरण की दृष्टि से सिंधु से हिंदू होना अनुकूल प्रतीत होता है क्योंकि वैदिक व्याकरण...
<strong>वर्तमान जीवन शैली पृथ्वी को अस्थिर कर रही हैं</strong>

वर्तमान जीवन शैली पृथ्वी को अस्थिर कर रही हैं

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विश्व पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल को हर साल मनाया जाता है। भारत समेत लगभग 195 से ज्यादा देश पृथ्वी दिवस को मनाते हैं। इस साल 2023 में विश्व पृथ्वी दिवस (Earth Day) का 53वां आयोजन होगा। 2023 में पृथ्वी दिवस की थीम “ हमारे ग्रह में निवेश करें ” रखी गई है। प्रो. सुनील गोयल हम अपने जीवन के दौरान सैकड़ों हजारों निर्णय लेते हैं। हम जो चुनाव करते हैं और हम जो जीवन शैली जीते हैं उसका हमारे ग्रह पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तव में, हमारी जीवन शैली वैश्विक उत्सर्जन के अनुमानित दो तिहाई के लिए जिम्मेदार है। सबसे बड़ी जिम्मेदारी सबसे धनी लोगों की है: वैश्विक आबादी के सबसे अमीर एक प्रतिशत का संयुक्त उत्सर्जन सबसे गरीब 50 प्रतिशत के संयुक्त उत्सर्जन से बड़ा है। सही नीतियों, बुनियादी ढाँचे और प्रोत्साहनों को लागू करके जीवन शैली में आवश्यक परिवर्तनों का समर्थन करने में सरकारों और व्यवसायों की महत्वप...
<strong>तारिक फतेह क्यों चुभते थे कठमुल्लों को</strong>

तारिक फतेह क्यों चुभते थे कठमुल्लों को

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आर.के. सिन्हा  तारिक फतेह को उनके चाहने वाले एक बेखौफ लेखक के रूप में याद रखेंगे। वे सच का साथ देते रहे। वे भारत के परम मित्र थे। उन्हें इस बात का गर्व रहा कि उनके पूर्वज हिंदू राजपूत थे। वे बार-बार कहते- लिखते थे कि भारत,पाकिस्तान और बांग्लादेश के तमाम मुसलमानों के पुऱखे हिंदू ही थे और उन्हें जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया था । उनकी इस तरह की साफगोई कठमुल्लों को नागवार गुजरती थी। तारिक फ़तेह हिंदी पट्टी के मुसलमानों के दिल में चुभते हैं। उनकी तारीफ़ यह थी कि वह डंके की चोट पर अपने पूर्वजों को हिंदू बताते रहे। बहुत कम मुसलमान यह हिम्मत दिखा पाते हैं। वह मुस्लिम सांप्रदायिकता पर लगातार चोट करते रहे। तारिक फतेह पहली बार 2013 में भारत दौरे पर आए थे तब उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'पाकिस्तान को तो अब भूल जाइए। इसको एक न एक दिन कई टुकड़ों में टूटना ही है। वो दिन भी दूर नहीं जब बलूचि...
<strong>NEED TO STRENGTHEN OCCUPATIONAL HEALTH AND SAFETY IN INDIA</strong>

NEED TO STRENGTHEN OCCUPATIONAL HEALTH AND SAFETY IN INDIA

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Prof. Sunil Goyal Organizations such as the International Labour Organization (ILO) and the United Nations (UN) actively promote the World Day for Safety and Health at Work on April 28 every year. The International Labour Organization (ILO) started observing the World Day for Safety and Health at Work on April 28, 2003. The ILO is devoted to advancing opportunities for people to obtain decent and productive work in conditions of freedom, equity, security and human dignity. It aims to promote rights at work, encourage decent employment opportunities, boost social protection, and strengthen dialogue in work-related issues. HISTORY OF OCCUPATIONAL SAFETY & HEALTH DAY Regulation and research in occupational safety and health are relatively recent developments. In response...
अतीक के अतीत होने पर भविष्य की राजनीति

अतीक के अतीत होने पर भविष्य की राजनीति

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यूपी में नो दंगा, नो कर्फ्यू यहां सब चंगा !!मृत्युंजय दीक्षितउत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया अतीक अहमद अपने पीछे अपराध की दिल दहलाने वाली कहानियां, करोड़ों की संपत्ति और बिखरा साम्राज्य छोड़कर अतीत हो चुका है किन्तु प्रदेश का दुर्भाग्य है कि उसके राजनैतिक हमदर्द आज भी जीवित हैं और एक खतरनाक माफिया की मौत पर अपनी राजनीति चमकाने के लिए उसे शहीद और मासूम बता रहे हैं ।माफिया अतीक अहमद के समर्थन में बिहार की राजधानी पटना में अलविदा की नमाज के बाद नारेबाजी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नारे लगाये गये और बदला लेने की बात तक कही गई। अतीक के नाम पर बिहार में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति अपनी सारी सीमाओं को लांघ रही है क्योंकि नारेबाजी के समय वहां की पुलिस घटनास्थल पर झांकने तक नहीं पहुंची । बिहार में नारेबाजी के पीछे सबसे बड़ी ताकत मुख्यमंत्री और उप म...
भारतीय संस्कारों को अपनाकर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हर क्षेत्र में हो रहे हैं सफल

भारतीय संस्कारों को अपनाकर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हर क्षेत्र में हो रहे हैं सफल

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अमेरिकी जनगणना ब्यूरो (यूएस सेंसस ब्यूरो) द्वारा अमेरिका में निवास कर रहे विभिन्न देशों के मूल के अमेरिकी नागरिकों की औसत आय एवं अन्य कई मानदंडो पर जारी की गई जानकारी के अनुसार अमेरिका में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की वार्षिक औसत आय 119,858 अमेरिकी डॉलर है, जो अमेरिका में निवासरत समस्त अन्य देशों के मूल के अमेरिकी नागरिकों की औसत आय में सबसे अधिक है। दूसरे क्रमांक पर ताईवान मूल के अमेरिकी नागरिक आते हैं जिनकी वार्षिक औसत आय 95,736 अमेरिकी डॉलर आंकी गई है। इसी प्रकार चीनी मूल के अमेरिकी नागरिकों की वार्षिक औसत आय 81,497 डॉलर, जापानी मूल के अमेरिकी नागरिकों की वार्षिक औसत आय 80,036 एवं अमेरिकी मूल के गोरे नागरिकों की वार्षिक औसत आय 65,902 आंकी गई है। इसी प्रकार, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे अमेरिकी मूल के नागरिकों की संख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या का 13 प्रतिशत है, एशिया के स...
राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता में आदि शंकराचार्य का योगदान

राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता में आदि शंकराचार्य का योगदान

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भारत की विविधता पश्चिमी जगत के लिए तो सदैव से आकर्षण, आश्चर्य एवं शोध की विषयवस्तु रही ही है, अनेक भारतीय विद्वान भी इसे लेकर मतिभ्रम एवं सतही-सरलीकृत निष्कर्ष के शिकार रहे हैं। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि स्थूल, भेदकारी एवं कोरी राजनीतिक बुद्धि एवं दृष्टि से संपूर्ण भारतवर्ष में व्याप्त राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का अनुभव-आकलन किया ही नहीं जा सकता। उसके लिए तो बड़ी गहरी-सूक्ष्म-समग्रतावादी-सांस्कृतिक दृष्टि चाहिए। जो लोग पश्चिमी राष्ट्र-राज्य की कसौटी पर भारत को कसते हैं, उन्हें अंततः निराशा ही हाथ लगती है। वस्तुतः भारत की सत्ता-संप्रभुता तंत्र में न होकर जन में है, राज्य(स्टेट) में न होकर धर्म, समाज और संस्कृति में है। ध्यान रहे कि भारत के लिए धर्म कर्त्तव्य-बोध या आचरणगत सदाचार है, पूजा-पद्धत्ति या निश्चित मत-पंथ का अनुसरण नहीं। हमने एक जन, एक तंत्र(स्टेट), एक भाषा, एक मत-पंथ-संप्रदाय, ...
चीन से आगे होंगे तो आगे सोचना भी होगा।

चीन से आगे होंगे तो आगे सोचना भी होगा।

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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 19 अप्रैल को 142।86 करोड़ की आबादी के साथ भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो गया है। चीन अब 142।57 करोड़ की जनसंख्या के साथ दूसरे नंबर है। भारत की आबादी चीन से अधिक होने की बात की है, उसी दिन से हम फूल रहे हैं। सोच रहे हैं कि आबादी के बूते हम चीन को मात दे देंगे। लेकिन सिर्फ आबादी ही सब कुछ नहीं है। हेडकाउंट और क्वालिटी वाली आबादी में अंतर होता है। - *डॉ प्रियंका सौरभ* स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनकर चीन को पीछे छोड़ चुका है। इसके अलावा, भारत में करीब 50% आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है और इसलिए पूरी तरह से महसूस करने के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश की संभावना, युवा लोगों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण नौकरियों में निवेश किया जान...
चीन से आगे होंगे तो आगे सोचना भी होगा।

चीन से आगे होंगे तो आगे सोचना भी होगा।

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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 19 अप्रैल को 142.86 करोड़ की आबादी के साथ भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो गया है. चीन अब 142.57 करोड़ की जनसंख्या के साथ दूसरे नंबर है.भारत की आबादी चीन से अधिक होने की बात की है, उसी दिन से हम फूल रहे हैं। सोच रहे हैं कि आबादी के बूते हम चीन को मात दे देंगे। लेकिन सिर्फ आबादी ही सब कुछ नहीं है। हेडकाउंट और क्वालिटी वाली आबादी में अंतर होता है। ​ - *डॉ प्रियंका सौरभ* जनसांख्यिकीय लाभांश आर्थिक विकास क्षमता को संदर्भित करता है जो जनसंख्या की आयु संरचना में बदलाव के परिणामस्वरूप हो सकता है, मुख्य रूप से जब कामकाजी आयु की आबादी (15 से 64) का हिस्सा आबादी के गैर-कार्य-आयु के हिस्से से बड़ा होता है। स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनकर चीन को पी...
Amritpal Singh in legal trouble

Amritpal Singh in legal trouble

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कानूनी शिकंजे में अमृतपाल सिंह -ः ललित गर्ग :- वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को पुलिस ने मोगा जिले से गिरफ्तार कर लिया है जो 18 मार्च से फरार चल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद पंजाब पुलिस उन्हें बठिंडा के एयरफोर्स स्टेशन लेकर गई, जहां से उन्हें असम के डिबरूगढ़ जेल भेज दिया गया है। खालिस्तान की मांग का समर्थन करने वाले अमृतपाल सिंह के गिरफ्तार होने के बाद अब अलग-अलग प्रतिक्रयाएं आ रही हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पूरे घटनाक्रम पर कहा कि पिछले कुछ दिनों से पंजाब के अमन-शांति को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। अगर चाहते तो उस दिन ही सभी को पकड़ लिया जाता लेकिन पंजाब सरकार कोई खून-खराबा नहीं चाहती थी। उन्होंने कहा, पंजाब में पिछले कुछ महीनों से कानून-व्यवस्था और अमन-शांति को तोड़ने की कोशिश हो रही थी, जैसे ही हमें इसकी जानकारी मिली हमने एक्शन ...