Shadow

TOP STORIES

विपक्षी एकता योजना सिरे चढ़ेगी?

विपक्षी एकता योजना सिरे चढ़ेगी?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
देश का राजनीतिक माहौल भाजपा के ख़िलाफ़ एकजुट होने की दिशा में यात्रा कर रहा है।राहुल प्रकरण ने विपक्षी दलों को असुरक्षाबोध से भर दिया और यह निष्कर्ष समझ में आने लगा कि यदि एकजुट न हुए तो तंत्र के निरंकुश व्यवहार का शिकार होना पड़ सकता है। जिसके चलते कई राजनीतिक दल, जो पहले विपक्षी एकता में कांग्रेस की भूमिका के प्रति किंतु-परंतु करते थे, वे भी अब एकता के प्रयासों को नई उम्मीद से देख रहे हैं।यह तो पहले से ही तय था कि आगामी वर्ष आम चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की कोशिशें तेज होंगी। लेकिन कर्नाटक चुनाव से पहले ही एकजुटता की कवायद शुरू हो जाएगी, ऐसी उम्मीद कम ही थी। मानहानि मामले में राहुल गांधी की सांसद के रूप में सदस्यता समाप्त किये जाने और फिर उनसे सरकारी आवास खाली कराये जाने के घटनाक्रम ने विपक्षी दलों को एकजुट होने के लिये भी प्रेरित किया है । बीते बुधवार को बिहार के म...
त्योहार और परम्पराएँ

त्योहार और परम्पराएँ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
परम्पराएं पढ़ना भी सिखाती हैं। एक ख़ास आयातित विचारधारा के प्रभाव से शिक्षा का अच्छा ख़ासा नुकसान हुआ है। अभिभावकों को ये अच्छी तरह पता होता है कि स्कूल का पाठ्यक्रम उनके बच्चों को रट्टू तोता बना रहा है। जैसे रबी और खरीफ की फसलों का ही सोचिये, कौन सी कब उपजती-कटती है इसे याद क्यों करना पड़ता है? 14 जनवरी के आसपास मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने कि परम्परा है, नए धान की फसल उस वक्त आती है तो चूड़ा। अप्रैल की शुरुआत का समय बिहार के लिए सतुआनी और मिथिलांचल में जूड़ शीतल नाम के पर्व का होता है। लिट्टी के अन्दर भरे होने, या घर से लौटते बिहारियों के पास होने के कारण जिस सत्तू को पहचाना जाता है, इस पर्व में उसे खाने की परम्परा है। अप्रैल दलहन की फसलों और गेहूं का समय होता है, इसलिए ये त्यौहार उससे जुड़ा है। परम्पराओं को पोंगापंथी बताने वालों को फसलों का समय रटना पड़ता है। ऐसे त्योहारों को मना...
खालिस्तान के विचार की जड़ पर हो प्रहार

खालिस्तान के विचार की जड़ पर हो प्रहार

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
-बलबीर पुंज भगोड़े अमृतपाल सिंह की वजह से खालिस्तान का मुद्दा एक बार फिर सतह पर है। यह मुद्दा किसी न किसी रूप में प्रकट हो ही जाता है। आखिर खालिस्तान का रक्तबीज जड़ से खत्म क्यों नहीं होता? यह प्रश्न अमृतपाल और उसके समर्थकों पर हुई हालिया कार्रवाई के कारण प्रासंगिक है। यूं तो सभी राष्ट्रीय दलों ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से कार्रवाई का समर्थन किया, किंतु अकाली दल दबे स्वर में इसका विरोध कर रहा है। वहीं सिखों के पांच तख्तों में सबसे पुराने और अमृतसर स्थित श्री अकाल तख्त साहिब के साथ ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भी सरकार को चेतावनी दी है कि यदि गिरफ्तार युवा रिहा नहीं हुए, तो वे आगे की योजना पर काम करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर दो बातें स्पष्ट हैं। पहली-खालिस्तान विरोधी अभियान से पंजाब लगभग अप्रभावित और शांत है। अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया आदि देशों में बसे चरमपंथियों द्...
किसान सम्मान निधि में भी घोटाला, जाँच ज़रूरी

किसान सम्मान निधि में भी घोटाला, जाँच ज़रूरी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, घोटाला
यह विडंबना ही है कि चौतरफा चुनौतियां झेल रहे किसानों को राहत देने के लिये दी जाने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के आवंटन में चतुर-चालाकों ने फर्जीवाड़ा कर डाला। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक यानी कैग की वह रिपोर्ट चौंकाती है, जिसमें उल्लेख है कि एक राज्य में ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना में करीब 38 हजार 105 अयोग्य किसानों ने सरकार के करीब चालीस करोड़ से अधिक रुपये डकार लिये। वैसे यह जानकारी प्रधानमंत्री किसान पोर्टल पर उपलब्ध है। जमीनी स्तर पर यदि मामले की पड़ताल हो तो फर्जीवाड़े के दायरे में निश्चित रूप से विस्तार पाया जायेगा। यदि देश के सभी राज्यों में इस दिशा में गंभीर जांच-पड़ताल हो तो फर्जीवाड़े का आकार बड़ा हो सकता है। यह विडंबना रही है कि देश का असली किसान ऑनलाइन व्यवस्था व नई आर्थिकी को लेकर ज्यादा जानकार व जागरूक नहीं रहा है। कभी वह सूदखोरों, बिचौलियों तथा आढ़तियो...
दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर

दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
( अम्बेडकर जी ने कांग्रेस के पूर्ण स्वतंत्रता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने दलितों के उत्थान हेतु उच्च वर्गीय हिन्दुओं से ज़्यादा अंग्रेज़ों को सहायक माना। देश व दलितों के हितो के बीच टकराव की स्थिति में उन्होंने दलितों के हितों को वरीयता देने की बात कही। ) -प्रियंका 'सौरभ' देश बी आर अंबेडकर की 132वीं जयंती मना रहा है। एक समाज सुधारक, भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष और देश के पहले कानून मंत्री के रूप में उनकी भूमिका प्रसिद्ध है।वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, सक्रिय राजनेता, प्रख्यात वकील, श्रमिक नेता, महान सांसद, अच्छे विद्वान, मानवविज्ञानी, वक्ता थे। आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश ने आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की है। अम्बेडकर के विचारों की गंभीरता, राष्ट्र-निर्माता के रूप में उनकी भूमिका और उन पर किए गए कार्यों को समझने के लिए, सामाजिक ताने-बाने क...
अमेरिका में निर्मला – निकाली भारत के प्रति प्रायोजित दुष्प्रचार की हवा

अमेरिका में निर्मला – निकाली भारत के प्रति प्रायोजित दुष्प्रचार की हवा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
मृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार झूठी खबरों के आधार पर विदेशों में भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाली ताकतों को वहीं जाकर मुंहतोड़ जवाब दे रही है जहाँ ये एजेंडा चलाया जा रहा है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान कई कार्यक्रमों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और वहां उन्होंने भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा व गलत व्यवहार पर पश्चिमी मीडिया में बनाई जा रही झूठ पर आधारित अवधारणा को करारा व तीखा जवाब दिया है । स्वाभाविक है इससे भारत विरोधी सभी ताकतों तथा भारत के छद्म धर्मनिरपेक्षों पर घड़ों पानी पड़ गया है और वे एक बार फिर अपने प्रदूषित विचारों का प्रदूषण फैलाने में लग गये हैं। भारत में बैठै छद्म धर्म निरपेक्ष दलों के नेता इतना सफेद झूठ बोल रहे हैं केवल उन विदेशी ताकतों जो, भारत को अपने निहित स्वार्थों के लिए भारत को कमजोर देखना चाहती हैं के ...
शेयर बाज़ार में नई संहिता, इसे और व्यवस्थित करना होगा

शेयर बाज़ार में नई संहिता, इसे और व्यवस्थित करना होगा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
अगले पखवाड़े यानि 1 मई, 2023 से एक नयी आचार संहिता लागू होने जा रही है जो गलत, भ्रामक, पूर्वग्रस्त अथवा झूठे दावों के बल पर निवेशकों को भ्रमित करने की संभावना को कम करेगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों ने इस नई विज्ञापन संहिता का प्रस्ताव रखा है। इसे निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों के लिए मौजूदा आचार संहिता का एक अन्य परिशिष्ट माना जा सकता है। यह नई संहिता आगामी 1 मई, 2023 से अस्तित्व में आएगी। इरादा ऐसे वक्तव्यों को खत्म करने का है जो अनुभव या ज्ञान की कमी का लाभ लेना चाहते हैं। ऐसे मेंसलाह है, निवेश सलाहकार या शोध विश्लेषकों को तकनीकी या विधिक भाषा अथवा जटिल भाषा के अतिशय इस्तेमाल से बचना चाहिए।उन्हें अतिशय विस्तार में जाने से बचना चाहिए और निवेशकों से तयशुदा प्रतिफल का वादा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा म्युचुअल फंड की तरह, निवेश सलाहक...
देश का सर्वसम्मत इतिहास पाठ्यक्रम का अंग बने

देश का सर्वसम्मत इतिहास पाठ्यक्रम का अंग बने

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
देश में बहस जारी है,मुद्दा पाठ्यक्रम में घटाना -जोड़ना है।कमोबेशमुगलों के इतिहास से जुड़े ‘द मुगल कोर्ट’ और ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स’ नामक दो पाठ हटाये गये हैं। वहीं राजनीति शास्त्र की किताब से आजादी के बाद एक दल के प्रभुत्व वाले पाठ को हटाया गया है। ग्यारहवीं की किताब से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड’ और ‘कान्फ्रन्टेशन ऑफ कल्चर्स’ पाठ हटाये गये हैं। वहीं ‘जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ पाठ भी हटाया गया है।भारत में यह परिपाटी बनती जा रही है कि सत्ताधीशों द्वारा अपनी सुविधा के हिसाब से इतिहास की व्याख्या की जाए । वैसे देश-दुनिया में हर राजनीतिक दल द्वारा कोशिश की जाती रही है कि इतिहास के पन्नों में उसका राजनीतिक विमर्श प्रभावी हो। जबकि यह भी एक हकीकत है कि ऐसी कोशिशें तात्कालिक लाभ भले ही दे जाएं, लेकिन ऐसे प्रयास न दीर्घकालिक होते हैं और न उन्हें सर्व-स्वीकार्यता ही मिलती है। क्या...
विनाशपर्व जालियांवाला बाग

विनाशपर्व जालियांवाला बाग

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
१३ अप्रैल १९१९.* आज ही के दिन, जालियांवाला बाग, अमृतसर मे अंग्रेजोंने सैंकडों निरीह, निरपराध, निर्दोष भारतीयोंको किडे-मकौडों जैसा मारा... विनाशपर्व- प्रशांत पोळ १९१९ की १३ अप्रैल को बैसाखी थी. रविवार का दिन था. रौलेट एक्ट के विरोध में सारे देश में प्रदर्शन हो रहे थे. उसी शृंखला मे, जालियांवाला बाग में एक सभा आयोजित की गई थी. बैसाखी और छुट्टी के कारण, अमृतसर के आजू-बाजू के लोग भी जालियांवाला बाग पहुंच रहे थे. धीरे – धीरे यह संख्या पांच हजार तक पहुंच गई. मैदान में भाषण चल रहे थे, और लोग शांति से बैठ कर उन्हे सुन रहे थे. लोगों में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं... सभी थे. वातावरण में कही कोई उत्तेजना या असंतोष नहीं था. तभी अचानक ब्रिटिश सेना का एक अधिकारी, ब्रिगेडियर जनरल एडवर्ड डायर (मूलतः वह कर्नल था. किन्तु अस्थायी रूप से उसे ब्रिगेडियर का पद दिया गया था), हथियारों से सुसज्जित अपनी फौज ले...
बेमौसम बारिश से फसलों का खराबा !

बेमौसम बारिश से फसलों का खराबा !

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
पिछले कुछ समय से बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने कई राज्यों में किसानों के समक्ष बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। आंकड़़ें बताते हैं कि बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि व तेज हवाओं से क्रमशः मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 5.23 लाख हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल को प्रभावित किया है। इससे उपज का नुकसान तो हुआ ही है साथ ही साथ किसानों के समक्ष कटाई व फसलों के भंडारण की समस्या भी पैदा हो गई है। इस समय बेमौसम बारिश की मार से आधा भारत बेहाल है और रह-रहकर हो रही बारिश से फसलों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। ओलों व बर्फबारी से किसानों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इस बार मौसम किसानों का साथ नहीं दे रहा है। फसलों के खराबे से करोड़ों का नुकसान हुआ है। गेहूँ की पकी फसलें तो अधिक बारिश से जमीन पर गिर गई और गेहूँ का दाना बारिश से काला पड़ गया। सरसों की फसलों को भी बहुत नुकसान हुआ ...