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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जलवायु परिवर्तन के विषम प्रभाव स्‍वीकारने, उत्सर्जन में असमानता, दुनिया भर में ऊर्जा और संसाधन खपत का आकलन करने के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड-क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर शुरू

वैश्विक जलवायु नीति पर “क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर” वेबसाइट शुरू होने का स्वागत करते हुए केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेन्‍द्र यादव ने एक ट्वीट में कहा, कि क्‍लाइमेट इक्विटी मॉनिटर, डेटा और साक्ष्य-आधारित दृष्टि से जलवायु परिवर्तन के विषम प्रभाव पर ध्‍यान केन्द्रित करते हुए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जोरदार चर्चा को प्रोत्साहित करेगा और सभी देशों के विशेषज्ञों को शामिल करेगा। पर्यावरण मंत्री ने इस परियोजना पर काम करने वाली टीम को भी बधाई दी।

क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जलवायु परिवर्तन के विषम प्रभाव स्‍वीकारने, उत्सर्जन में असमानता, दुनिया भर में ऊर्जा और संसाधन खपत और अनेक देशों की वर्तमान जलवायु नीतियों का आकलन करने के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड प्रदान करता है। वेबसाइट तक पहुँचने के लिए यूआरएल है https://climateequitymonitor.in.

वेबसाइट की संकल्‍पना और इसका विकास भारत के स्वतंत्र शोधकर्ताओं – एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ), चेन्नई में जलवायु परिवर्तन समूह और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज (एनआईएएस) बेंगलुरु में प्राकृतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग ने अन्‍य स्‍वतंत्र शोधकर्ताओं के साथ किया है। एमएसएसआरएफ टीम का नेतृत्व जलवायु परिवर्तन और एनआईएएस टीम में सीनीयर फैलो प्रो. टी. जयरामन  और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तेजल कानिटकर ने किया।

क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर का उद्देश्य पर्यावरण संबंधी खतरों से रक्षा करने के साथ सभी के लिए पर्यावरण के लाभों तथा साझा सरोकारों लेकिन विभिन्‍न देशों की अलग-अलग क्षमताओं और जिम्‍मेदारियों (सीबीडीआर-आरसी) के आधार पर यूएनएफसीसीसी (विकसित देशों) के अंतर्गत परिशिष्‍ट-I पक्षों के कामकाज की निगरानी करना है। तुलना के लिए गैर-परिशिष्‍ट-I पक्षों (विकासशील देशों) के कामकाज और नीतियों को भी तैयार किया जाएगा।

संचयी उत्सर्जन और कार्बन बजट के महत्व को रेखांकित करने वाले इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के नवीनतम वैज्ञानिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए,  विश्लेषण इन दो अवधारणाओं को सहारा देगा। वैश्विक कार्बन बजट का समान बंटवारा मौलिक इक्विटी सिद्धांत है जो उन आकलनों को मजबूती प्रदान करेगा जो उत्तरोत्तर वेबसाइट पर दिखाई देंगे। जलवायु नीतियों पर मौजूदा “ट्रैकिंग” वेबसाइटें वैश्विक उत्तर में आधारित हैं और नियमित रूप से इक्विटी और भेदभाव के महत्वपूर्ण पहलुओं का समाधान नहीं करती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अन्य वेबसाइटें, प्रमुख मुद्दों को उन जटिलताओं में दबा देती हैं जिनसे पारदर्शी तरीके से निपटा नहीं जाता है।

इस डैशबोर्ड को तैयार करने वालों ने विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण की जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए यह पहल की है कि जलवायु परिवर्तन की समस्‍या सामूहिक रूप से कार्य करने की दिशा में एक समस्या है। वेबसाइट का उद्देश्य कई विकसित देशों और वैश्विक गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए गए वर्णन को खारिज करना है, जो लगातार विकासशील देशों को क्या करना चाहिए, इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लगातार उनसे अधिक प्रतिबद्धता और कार्रवाई की मांग करते हैं।

उम्मीद है कि यह वेबसाइट नीति निर्माताओं, सार्वजनिक संस्थानों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, छात्रों और विकासशील देशों की आम जनता की दृष्टि में इक्विटी और जलवायु न्याय के विचारों को स्पष्ट रूप से ध्यान में रखने के लिए एक मूल्यवान अस्‍त्र साबित होगी। वेबसाइट अतिरिक्त नई सामग्री के साथ निरंतर उन्नयन की प्रक्रिया से गुजरेगी, जिसमें जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अनुकूलन जैसे नए क्षेत्रों को शामिल करना शामिल है।

 

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