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विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं

विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं

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विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं विश्व के कुछ विकसित देश, विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन, भारत को समय समय पर आर्थिक क्षेत्र में अपना ज्ञान प्रदान करते रहे हैं। परंतु, अब विश्व के आर्थिक धरातल पर परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं और भारत की स्थिति इस संदर्भ में बहुत सुदृढ़ होती जा रही है वहीं विकसित देशों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। अमरीका स्थित निवेश बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान भारत के कुल कर्ज की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहते रहे हैं कि भारत का कर्ज, सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में, तेजी से बढ़ता जा रहा है। जबकि, इसी मापदंड के आधार पर अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की स्थिति देखी जाय तो भारत की तुलना में इन देशों की स्थिति बहुत अधिक दयनीय स्थिति में पहुंच गई है, परंतु यह देश भारत को आज भी ज्ञान देते नहीं चूकते हैं कि...
<strong>भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है</strong>

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है वर्ष 1991 में भारत के पास केवल 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बच गया था जो केवल 15 दिनों के आयात के लिए ही पर्याप्त था। वहीं, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है एवं यह पूरे एक वर्ष भर के आयात के लिए पर्याप्त है। आज भारत विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चीन, जापान, स्विजरलैंड के बाद विश्व का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है। कोरोना महामारी के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7,100 करोड़ अमेरिकी डॉलर से कम हुआ था, परंतु वर्ष 2022 के बाद से यह अब लगातार उतनी ही तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है। और, अब तो यह उम्मीद की जा रही है कि आगे आने वाले समय में यह एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को भी पार कर जाएगा। भारत में वित्तीय एवं बैंकिंग क्षेत्र में लागू किए गए...
क्या कांग्रेस का घोषणापत्र बनेगा उसके ताबूत की आखिरी कील ?

क्या कांग्रेस का घोषणापत्र बनेगा उसके ताबूत की आखिरी कील ?

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ये इंडियन नेशनल कांग्रेस है या इंडियन इस्लामिक कांग्रेस?मृत्युंजय दीक्षितलोकसभा चुनाव 2024 की अन्य तैयारियों कांग्रेस में भले ही पिछड़ गयी हो किंतु 48 पृष्ठों, 10 न्याय, 25 गारंटी के बड़े वादों के साथ उसने अपना चुनावी घोषणापत्र लगभग समय से जारी कर दिया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा जारी इस घोषणापत्र ने कांग्रेस को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। विपक्ष के रूप में कांग्रेस का दस वर्ष का कार्यकाल सनातन विरोधी रहा और घोषणापत्र ने पार्टी के सनातन विरोधी होने पर अंतिम मोहर लगा दी । वर्तमान कांग्रेस जिसके नेता मोहब्बत की दुकान खोलते हैं वस्तुतः भगवान राम व सनातन हिंदू समाज के प्रति नफरत से भरे हुए हैं। अदालत में भगवान राम को काल्पनिक कहने वाली पार्टी ने स्वाभाविक रूप से अयोध्या में दिव्य भव्य एवं नव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया और लगातार या तो स्वयं सनातन वि...
जल संकट के बढ़ते ख़तरे

जल संकट के बढ़ते ख़तरे

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विनीत नारायणबेंगलुरु में भीषण पेयजल संकट पिछले कुछ दिनों से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बन रहा है। हाल ही में कर्नाटक केमुख्य मंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बेंगलुरु को हर दिन 500 मिलियन लीटर पानी की कमी का सामनाकरना पड़ रहा है, जो शहर की दैनिक कुल मांग का लगभग पांचवां हिस्सा है। सीएम ने कहा कि बेंगलुरु केलिए अतिरिक्त आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है।हालाँकि, पानी की कमी केवल बेंगलुरु तक ही सीमित नहीं है, और न ही यह केवल पीने के पानी की समस्याहै। संपूर्ण कर्नाटक राज्य, साथ ही तेलंगाना और महाराष्ट्र के निकटवर्ती क्षेत्र भी पानी की कमी का सामनाकर रहे हैं। इसका अधिकांश संबंध पिछले एक वर्ष में इस क्षेत्र में सामान्य से कम वर्षा और इस क्षेत्र मेंभूमिगत जलभृतों की प्रकृति से है। अरबों-खरबों रूपया जल संसाधन के संरक्षण एवं प्रबंधन पर आजादी के बाद खर्च किया जा चुका है। उसकेबावजूद हालत ये है कि भारत के स...
<strong>बंद हो किसी भी भारतवासी को ‘बाहरी’ उम्मीदवार बताना</strong>

बंद हो किसी भी भारतवासी को ‘बाहरी’ उम्मीदवार बताना

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आर.के. सिन्हा आगामी लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन पत्र भरने और चुनाव प्रचार का काम प्रतिदिन गति पकड़ता जा रहा है। इसके साथ ही सभी दल अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी करते जा रहे हैं। संयोग से अभी तक किसी प्रत्याशी पर ‘बाहरी’ उम्मीदवार होने का आरोप अभी तक नहीं लगा है। हालांकि, हमारे यहां किसी को भी बिना किसी कारण के बाहरी उम्मीदवार बता दिया जाता है। याद करें 2014 के लोकसभा चुनाव के समय जब नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया था तो कांग्रेस के नेता उन्हें ‘बाहरी’ बताने में लगे थे। इसी तरह अरुण जेटली के 2014 में   अमृतसर से चुनाव लड़ने पर विवाद खड़ा हो गया था। उन्हें भी कांग्रेस ने बाहरी उम्मीदवार कहा था। यह आरोप उस कांग्रेस   के नेताओं ने लगाए थे जिस पार्टी ने देश के 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में बाहरी दिल्ली सीट से म...
<strong>बांग्लादेश में भारत के दुश्मन कौन ?</strong>

बांग्लादेश में भारत के दुश्मन कौन ?

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आर.के. सिन्हा कोई चाहे तो बांग्लादेश के विपक्ष से एहसान फरामोशी  सीख सकता है। जिस भारत ने बांग्लादेश को , या यूँ कहें कि 1970 तक के पूर्वी पाकिस्तान, की प्रताड़ित और पीड़ित आम  जनता के हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान से युद्ध मोल लिया, उस बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) लगातार भारत के खिलाफ जहर उगलती रहती है। उसके जहरीले अभियान से पड़ोसी मुल्क के कठमुल्लों को भी भारत और अपने ही बांग्लादेश के हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा करने का मौका मिल जाता है। बांग्लादेश में बीएनपी ने हाल ही में भारत के उत्पादों के बॉयकाट का  आहवान भी किया हुआ है। इसके चलते वहां प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना कोई नई बात नहीं है। पिछले साल क्रिकेट विश्व कप में भार...
<strong>क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के</strong>

क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के

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-ललित गर्ग- देश की सबसे पुरानी एवं मजबूत कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है, पार्टी के कद्दावर, निष्ठाशील एवं मजबूत जमीनी नेता पार्टी छोड़कर अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव सन्निकट है। कांग्रेस नेताओं का यह दलबदल आश्चर्य की बात हैं, पार्टी छोड़ने का जैसा सिलसिला चल रहा है, वह देश के इस सबसे पुराने दल की दयनीय दशा और स्याह भविष्य को ही रेखांकित करता है। हालांकि भाजपा और कुछ अन्य दलों के चंद नेता कांग्रेस की शरण में भी गए हैं, लेकिन इसकी तुलना में उसके नेताओं के पार्टी छोड़ने की संख्या कहीं अधिक है। प्रश्न है एक लोकतांत्रिक संगठन की यह दुर्दशा एवं रसातल में जाने की स्थितियां क्यों बनी? इसके कारणों की समीक्षा एवं आत्म-मंथन जरूरी है। कांग्रेस पार्टी लगातार न केवल हार रही है, बल्कि टूट एवं बिखर रही है, जनाधार कमजोर हो रहा है, इ...
सोशल मीडिया की लत पर नियंत्रण ज़रूरी

सोशल मीडिया की लत पर नियंत्रण ज़रूरी

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रजनीश कपूरकुछ समय पहले तक एक आम धारणा थी कि जब भी कभी घर की बेटी समझदार हो जाए तो उसके विवाह के लिये विचारशुरू हो जाता था। उसी तरह यदि घर का बेटा बिगड़ने लग जाए तो उसे ठीक करने की मंशा से भी उसके विवाह के बारे मेंसोचा जाता था। परंतु आजकल के दौर में ऐसा नहीं है। आजकल का युवा जिस कदर सोशल मीडिया के साथ घंटों बिताता हैउसे लेकर भी माँ-बाप में चिंता बढ़ती जाती है। पिछले दिनों आपने सोशल मीडिया पर होली के उपलक्ष्य में ऐसे कई वायरलवीडियो देखे होंगे जहां लड़के लड़कियाँ खुलेआम ऐसी हरकतें करते दिखाई दिए कि सभी शर्मसार हुए। आख़िर इस समस्याका क्या कारण है और इससे कैसे निपटा जाए?दिल्ली मेट्रो में दो लड़कियों द्वारा अश्लील वीडियो रील बनाने को लेकर काफ़ी बवाल मचा। जैसे ही इस वीडियो को लेकरदिल्ली वालों ने मेट्रो प्रशासन से सवाल पूछे तो दिल्ली मेट्रो ने इसे ‘डीप फ़ेक’ कह कर इससे पल्ला झाड़ने का प्रयास ...
विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

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रजनीश कपूरहमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है। विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्याकाफ़ी है। परंतु जैसे-जैसे समय बदला नए-नए शैक्षणिक संस्थान व विश्वविद्यालय दुनिया के कई देशों में भी खुलते गये। इधरभारत में भी जनसंख्या बढ़ने के कारण यहाँ के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िला नहीं मिल पाता। इसीके चलते देश के कई हिस्सों से विद्यार्थियों में पढ़ाई के लिए विदेश जाने की होड़ सी लग गई। परंतु क्या सभी विद्यार्थियों केहिस्से अच्छे संस्थान और उपयोगी डिग्री ही आती है? क्या देश छोड़ कर जाने वाले विद्यार्थियों के साथ कुछ एजेंट धोखा तोनहीं करते? आजकल के माहौल में विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले विद्यार्थियों को कई तरह सावधानी बरतने की भी ज़रूरतहै।विदेशों में उच्च शिक्षा पाने के लिए भारत से छात्र दुनिया के कोने कोने में जाते हैं। इनमें सबसे...
लोकसभा चुनावों में नारी शक्ति वंदन

लोकसभा चुनावों में नारी शक्ति वंदन

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राहुल का एक और बयान या फिर एक और सेल्फ गोल ?मृत्युंजय दीक्षितलोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है, सभी राजनैतिक दलों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना प्रारम्भ कर दिया है । नेता मतदाताओं को रिझाने के लिए गर्मागर्म बयानबाजियां कर रहे हैं। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों और “अबकी बार 400 पार” के नारे के साथ एनडीए गठबंधन ने मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन भी मैदान में उतर चुका है। इंडी गठबंधन जैसे ही ताकत लगाकर खड़ा होता है वैसे ही उसके नेता राहुल गाँधी ही उसकी टांग खींचने वाला काम कर देते हैं । मुंबई में राहुल गांधी की “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” पार्ट -2 का समापन हुआ जिसमें कई महत्वपूर्ण नेता शामिल हुए लेकिन समापन कार्यक्रम में राहुल के अति उत्साह से भरे बयान ने कांग्रेस और इंडी गठबंधन को एक बार फिर बैकफुट पर धकेल दिया।राहुल ज...