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<strong>क्या कांग्रेस को लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिले</strong>

क्या कांग्रेस को लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिले

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आर.के. सिन्हा लोकसभा चुनाव का सारे देश में माहौल बन चुका है और इस दौरान एक बात पर राजनीति की गहरी समझ रखने वाले ज्ञानियों को गौर करना होगा कि कांग्रेस लगभग 330 सीटों पर ही क्यों चुनाव लड़ रही है। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में सरकार बनाने का ख्वाब देखनी वाली कांग्रेस के इतने कम सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ी करने की क्या वजह है? क्या उसे कायदे के उम्मीदवार नहीं मिले ?  कांग्रेस ने 1999 के लोकसभा चुनाव में 529 उम्मीदवार उतारे थे। उसके बाद  1998 में 477,1999 में 453, 2004 में 417, 2009 में 440, 2014 में 464 और 2029 में 421 उम्मीद उतारे। इस बार कांग्रेस के उम्मीदवारों की तादाद में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में भारी गिरावट होने जा रही है। कांग्रेस के नेता लाख तर्क दें कि उनकी पार्टी क्यों कम सीटों पर उम्मीदवारों को उतार रही है, पर सच यही है कि सन...
<strong>वित्तीयवर्ष 2023-24 मेंभारतकाव्यापारघाटा 36 प्रतिशतकमहुआ</strong>

वित्तीयवर्ष 2023-24 मेंभारतकाव्यापारघाटा 36 प्रतिशतकमहुआ

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विदेशी व्यापार के क्षेत्र में भारत के लिए एक बहुत अच्छी खबर आई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान  भारत के व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। यह विशेष रूप से भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं में की गई कमी के चलते सम्भव हो सका है। केंद्र सरकार लगातार पिछले 10 वर्षों से यह प्रयास करती रही है कि भारत न केवल विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने बल्कि विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन भी भारत में ही प्रारम्भ हो। अब यह सब होता दिखाई दे रहा है क्योंकि भारत के आयात तेजी से कम हो रहे हैं एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराईल-हम्मास युद्ध, लाल सागर व्यवधान, पनामा रूट पर दिक्कत के साथ ही वैश्विक स्तर पर मंदी के बावजूद एवं विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के हिचकोले खाने के बावजूद भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में मामूली बढ़ौतरी...
इस चुनाव में मुद्दे और माहौल क्या हैं?

इस चुनाव में मुद्दे और माहौल क्या हैं?

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विनीत नारायणइस बार का चुनाव बिलकुल फीका है। एक तरफ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा हिंदू, मुसलमान, कांग्रेस कीनाकामियों को ही चुनावी मुद्दा बनाए हुए हैं। वहीं चार दशक में बढ़ी सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी, किसान कोफसल के उचित दाम न मिलना, बेइंतहा महंगाई और तमाम उन वायदों को पूरा न करना जो मोदी जी2014 व 2019 में किए थे - ऐसे मुद्दे हैं जिन पर भाजपा का नेतृत्व चुनावी सभाओं में कोई बात ही नहीं कररहा। ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे के बावजूद समाज में जो खाई पैदा हुई है, वो चिंताजनक है। रोचकबात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव को मोदी जी ने गुजरात मॉडल, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकासके मुद्दे पर लड़ा था। पता नहीं 2019 में और इस बार क्यों वे इनमें से किसी भी मुद्दों पर बात नहीं कर रहेहैं? इसलिए देश के किसान, मजदूर, करोड़ों बेरोजगार युवाओं, छोटे व्यापारियों यहां तक कि उद्योगपतियोंको भी मोदी जी के भाषणों ...
<strong>लोकसभा चुनाव में एक नये अध्याय की शुरुआत हो</strong>

लोकसभा चुनाव में एक नये अध्याय की शुरुआत हो

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- ललित गर्ग-लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान सज गया है, सभी राजनीतिक दलों में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला हमेशा की तरह परवान चढ़ने लगा है। राजनीति में स्वच्छता, नैतिकता एवं मूल्यों की स्थापना के तमाम दावों के अनैतिकता, दल-बदल, आरोप-प्रत्यारोप की हिंसक मानसिकता पसरी है। राजनेता दलबदल की ताल ठोक रहे हैं। दलबदलुओं को टिकट देने में कोई दल पीछे नहीं रहा, क्योंकि सवाल, येन-केन-प्रकारेण चुनाव जीतने तक जो सीमित रह गया है। सिद्धांतों और राजनीतिक मूल्यों की परवाह कम ही लोगों को रह गई है। चुनावी राजनीति देश के माहौल में कड़वाहट घोलने का काम भी कर रही है। स्वस्थ एवं मूल्यपरक राजनीति को किनारे किया जा रहा है। राजनीति पूरी तरह से जातिवाद, बाहुबल और धनबल तक सिमट गई है। हालत यह है कि अब तक राजनीति दलों ने जिन प्रत्याशियों को उतारा है, उनमें आधे से अधिक दलबदलू, अपराधी अथवा दागी हैं। ऐसे में राजन...
भारत में वर्ष प्रतिपदा हिंदू काल गणना के वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मनाई जाती है

भारत में वर्ष प्रतिपदा हिंदू काल गणना के वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मनाई जाती है

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भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के अनुसार नए वर्ष का प्रारम्भ वर्षप्रतिपदा के दिन होता है। वर्षप्रतिपदा की तिथि निर्धारित करने के पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य छिपे हुए हैं। ब्रह्मपुराण पर आधारित ग्रन्थ ‘कथा कल्पतरु’ में कहा गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय के समय ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और उसी दिन से सृष्टि संवत की गणना आरम्भ हुई। समस्त पापों को नष्ट करने वाली महाशांति उसी दिन सूर्योदय के साथ आती है।  वर्षप्रतिपदा का स्वागत किस प्रकार करना चाहिए इसका वर्णन भी हमारे शास्त्रों में मिलता है। सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की पूजा ‘ॐ’ का सामूहिक उच्चारण, नए पुष्पों, फलों, मिष्ठानों से युग पूजा और सृष्टि की पूजा करनी चाहिए। सूर्य दर्शन, सुर्यध्र्य प्रणाम, जयजयकार, देव आराधना आदि करना चाहिए। परस्पर मित्रों, सम्बन्धियों, सज्जनों का सम्मान, उपहार, गीत, वाध्य, ...
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लोकतंत्र को कमजोर करती है अवसरवादी राजनीति-ललित गर्ग- कांग्रेस में लगातार वफादार नेताओं का पलायन जारी है, नये नामों में कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, महाराष्ट्र के जिम्मेदार एवं पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा,  निशाना साधने वाले मुक्केबाज विजेंदर, आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, जिन्होंने कांग्रेस को बाय-बाय कर दी है। इन सभी ने कांग्रेस के मुद्दाविहीन होने, मोदी के विकसित भारत के एजेंडे, राहुल गांधी की अपरिपक्व राजनीति एवं कांग्रेस की सनातन-विरोधी होने को पार्टी से पलायन का कारण बताया है। कुछ भी कहे, यह राजनीति में अवसरवाद का उदाहरण है, इस तरह का बढ़ता दौर चिंताजनक है। भारत की राजनीति में दलबदल की विसंगति एवं विडम्बना आजादी के बाद से लगातार देखने को मिलती रही है। पिछले साढ़े सात दशक के भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक पराभव के अक्स गा...
यह संकट किसानी का नहीं सबका है

यह संकट किसानी का नहीं सबका है

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स्पष्ट दिखने लगा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग ने हमारे खेत-खलिहानों में दस्तक दे दी है। जिस गति से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, वह आम आदमी के लिये तो कष्टकारी है ही, किसान के लिये ती यह संकट ज्यादा बढ़ा है। इसका सीधा असर खेतों की उत्पादकता पर पड़ रहा है। जिसके मुकाबले के लिये सुनियोजित तैयारी की जरूरत है। किसानों को उन वैकल्पिक फसलों के बारे में सोचना होगा, जो कम पानी व अधिक ताप के बावजूद बेहतर उत्पादन दे सकें। अन्न उत्पादकों को धरती के तापमान से उत्पन्न खतरों के प्रति सचेत करने की जरूरत है, यदि समय रहते ऐसा नहीं होता तो मान लीजिए कि हम आसन्न संकट की अनदेखी कर रहे हैं। यह मसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मुद्दा दुनिया की सबसे बड़ी आबादी की खाद्य शृंखला से भी जुड़ा है। इसमें कोई शक नहीं कि गाहे-बगाहे इस संकट की जद में देश का हर नागरिक आएगा। दरअसल, दुनिया के तापमान पर निगाह रखने वाली...
कंगना बनाम कांग्रेस 

कंगना बनाम कांग्रेस 

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कंगना बनाम कांग्रेस  उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश भी छोटा सा खूबसूरत राज्य है । संयोग है कि दोनों राज्यों में इतने बड़े बड़े धर्मस्थल हैं कि दोनों राज्यों को देवभूमि कहा जाता है । प्रकृति ने इन हिमालयी आभा वाले राज्यों को अपार सौंदर्य से नवाजा है । ये राज्य अध्यात्म , चिंतन , संस्कृति एवम सभ्यता के महान केंद्र हैं । सच कहें तो भारत को ऑक्सीजन देने का बड़ा जिम्मा इन्हीं हिमालयी राज्यों का है । वेद उपनिषद पुराण आदि धर्मग्रंथों के जनक ये दो राज्य कश्मीर , असम और पूर्वोत्तर से मिलकर ज्ञान , तप और साधना के केंद्र हैं । साथ साथ तीर्थाटन एवं पर्यटन के मुख्य आधार रहे हैं । ऐसे में यदि हिमाचल में मंदिरों के गढ़ खूबसूरत मंडी नगर को भाव पूछकर अपमानित किया जाए तो घाव गहरा हो जाता है । इसी क्षेत्र से देश की जानी मानी अभिनेत्री कंगना को उम्मीदवार बनाते ही यदि कोई उनका चित्र डालकर " मंडी मे...
<strong>CLIMATE CHALLENGE – </strong>IS  GLOBAL ZERO EMISSION TARGET

CLIMATE CHALLENGE – IS  GLOBAL ZERO EMISSION TARGET

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N.S.Venkataraman                                                                         ACHIEVABLE ? The State of the Global Climate report by the World Meteorological Organization (WMO) confirmed that the year 2023 was the warmest year on record., with the  global temperature of 1.4 deg.Celsius above pre industrial 1850 -1900 baseline. In a subsequent report  published in March,2024, the World Meteorological Organization said that while the year 2023  capped off the warmest 10-year period on record ,   even hotter temperatures are expected  in the year 2024. It confirmed its fear   that there is a high probability that 2024 will again break the record of 2023. Global temperature rise would inevitably lead to several adverse consequences ...
<strong>पाक से क्यों खफा हैं इस्लामिक मुल्क</strong>

पाक से क्यों खफा हैं इस्लामिक मुल्क

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 आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में आजकल सिर्फ अंदरूनी हालात ही खराब नहीं हैं, उसके सामने कई गंभीर  संकट और भी हैं। उसे उसके दो पड़ोसी देश , जो उसकी तरह से ही इस्लामिक देश हैं, उससे सख़्त नाराज हैं। पहले ईरान और अब अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फिलहाल अफगानिस्तान और पाकिस्तान आमने-सामने हैं। दोनों मुल्कों क बीच सरहद पर झड़प भी  हुई है। झड़प की शुरूआत पाकिस्तान की तरफ से विगत सोमवार को हुई थी। इसके जवाब में, अफगान तालिबान ने भी सीमा पर पाकिस्तानी चौकियों पर गोलीबारी की। ऐसे में सवाल है कि क्या दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? पाकिस्तान के हमलों के बाद तालिबान  ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता पर किसी भी तरह के उल्लंघन के गंभीर परिणाम होंगे। इसके साथ ही तालिबान ने पाकिस्तान की नव...