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विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

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रजनीश कपूरहमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है। विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्याकाफ़ी है। परंतु जैसे-जैसे समय बदला नए-नए शैक्षणिक संस्थान व विश्वविद्यालय दुनिया के कई देशों में भी खुलते गये। इधरभारत में भी जनसंख्या बढ़ने के कारण यहाँ के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िला नहीं मिल पाता। इसीके चलते देश के कई हिस्सों से विद्यार्थियों में पढ़ाई के लिए विदेश जाने की होड़ सी लग गई। परंतु क्या सभी विद्यार्थियों केहिस्से अच्छे संस्थान और उपयोगी डिग्री ही आती है? क्या देश छोड़ कर जाने वाले विद्यार्थियों के साथ कुछ एजेंट धोखा तोनहीं करते? आजकल के माहौल में विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले विद्यार्थियों को कई तरह सावधानी बरतने की भी ज़रूरतहै।विदेशों में उच्च शिक्षा पाने के लिए भारत से छात्र दुनिया के कोने कोने में जाते हैं। इनमें सबसे...
भ्रष्टता निवारण है सशक्त लोकतंत्र का आधार

भ्रष्टता निवारण है सशक्त लोकतंत्र का आधार

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 -ः ललित गर्ग :- झारखंड राज्य में जमीन खरीद में गड़बड़ी, अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग के कथित पुराने मामलों की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्रवाई से झारखंड की सरकार संकट में आ गयी और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ केन्द्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का बुगल बजाय हुए है, जिससे राजनीति में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण का नया सूरज उदित होता हुआ दिखाई दे रहा है, जो दुनिया के सबसे बड़े भारत लोकतंत्र के आदर्श एवं सशक्त होने की बड़ी अपेक्षा है। आजादी के अमृत काल में राजनीति का शु़िद्धकरण एवं अपराध मुक्ति ही भारत को सशक्त एवं विकसित राष्ट्र बना सकेगा। हेमंत सोरेन के बाद अब अगला नम्बर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का है। स्पष्ट है कि अब भ्रष्टाचारियों की नैया पार होने वाली नहीं ह...
<em>कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग</em>

कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग

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राकेश दुबे *कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग* भारत के सामने इससे बड़ा विरोधाभास नहीं हो सकता।जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में देश के करोड़ों छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व अभिभावकों से दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम व वर्चुअल संवाद के जरिये परीक्षा भय से मुक्त होने की बात कर रहे थे, देश के कई भागों से छात्रों के आत्महत्या करने की खबरें आ रही थीं। जाहिर है अभिभावक व शिक्षक इन बच्चों के मानसिक द्वंद्व व वास्तविक दिक्कतों को नहीं समझ पा रहे हैं, जिसके चलते इन बच्चों को मौत को गले लगाना अंतिम विकल्प नजर आ रहा है। निश्चित रूप से परीक्षा का भय इस कदर बच्चों पर हावी है कि उन्हें लगने लगता है कि परीक्षा में असफलता के बाद जीवन में कुछ शेष नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इन तमाम चुनौतियों को संबोधित किया। उन्होंने गहरी बात कही कि– ‘बच्चों के रिप...
निठारी काण्ड: सीबीआई पर फिर उठे सवाल

निठारी काण्ड: सीबीआई पर फिर उठे सवाल

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*रजनीश कपूरजब भी कभी कोई न सुलझने वाला अपराध होता है तो मामला देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) को सौंप दिया जाता है। इसी उम्मीद से कि यह एजेंसी देश की सबसे काबिल और श्रेष्ठ जाँच एजेंसी है। परंतु क्यासीबीआई में कार्य करने वाले अधिकारी हर अपराध की तह तक आसानी से पहुँच पाते हैं? क्या इन जाँच अधिकारियों कोअपराध के सभी प्रमाण व अन्य जानकारियाँ आसानी से मिल जाती है? क्या अपराध के सीन पर सबसे पहले पहुँची स्थानीयपुलिस अपना काम पूरी तत्पर्ता से करती है और क्राइम सीन पर किसी भी तरह के सुबूत को मिटाती नहीं है? क्या दोषी कोसज़ा दिलवाने के लिए पुलिस और सीबीआई एक ठोस केस बना पाते हैं जो अदालत में टिका रहे और आरोपी को सज़ा मिलजाए? अफ़सोस की बात है कि ऐसे सवालों का जवाब प्रायः हमें ‘नहीं’ में मिलता है। ऐसे अनेकों उदाहरण मिल जाएँगे जहांअपराध के कई चर्चित मामलों सीबीआई को कोर्ट ...
नरेश गोयल की गिरफ़्तारी से उठे सवाल

नरेश गोयल की गिरफ़्तारी से उठे सवाल

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*रजनीश कपूरकिसी समय देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन जेट एयरवेज़ एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार चर्चा काकारण जेट के स्वामी नरेश गोयल हैं जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक से धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार किया।परंतु नरेश गोयल द्वारा चलाई जाने वाली जेट एयरवेज़ केवल बैंक के साथ ही धोखाधड़ी नहीं कर रही थी। बैंक केसाथ धोखा तो नरेश गोयल द्वारा की गड़बड़ियों में से एक है। असल में तो उनके द्वारा कि गई धाँधलियों कि सूचीबहुत बड़ी है। सवाल उठता है कि क्या सरकारी एजेंसियों द्वारा नरेश गोयल की हर गड़बड़ियों की जाँच होगी?जब भी कभी हम किसी बड़े उद्योगपति द्वारा किसी घोटाले के बारे में सुनते हैं तो यह अंदाज़ा लगा लेते हैं कि वोभी विजय माल्या, नीरव मोदी या मेहूल चौकसी जैसों की तरह अपने रसूख़ के चलते सज़ा से बच जाएगा या देशछोड़ कर भाग जाएगा। परंतु नरेश गोयल के मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए सरकारी एजे...
क्या अमेरिका की मून-लैंडिंग फेक थी?

क्या अमेरिका की मून-लैंडिंग फेक थी?

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21 जुलाई, 1969: अपोलो 11 की सफल चन्द्र लैंडिंग के बाद घर वापस आते हुए नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने यादगार के तौर पर अमेरिकी झंडा चाँद की सतह पर अपनी लैंडिंग साईट से 8 मीटर दूर गाड़ दिया था। घर की उड़ान भरते वक़्त लूनर लैंडिंग मोड्यूल के रॉकेट इंजन से निकली गैसों के प्रचंड वेग से यह झंडा उखड कर जमीन पर जा गिरा था। इस कारण भविष्य में गये अपोलो मिशन में यह ख्याल रखा गया कि झंडा लैंडिंग साईट से दूर लगाया जाए। . चाँद पर चूंकि हवा नहीं है, इसलिए इस झंडे के फैब्रिक के भीतर विशेष रूप से बनाई गईं हल्की तारों की संरचना मौजूद थी जिससे कि झंडा सीधा रहे। उसके अलावा झंडा निकाल कर लगाने के दौरान ट्रांसफर हुए मोमेंटम से पैदा हुई सिकुडनों के कारण भी झंडा लहराने का आभास देता है। कंजरवेशन ऑफ़ मोमेंटम नाम के कारण स्पेस में लहराने अथवा किसी भी प्रकार की गति कर रहे ऑब्जेक्ट की गति लम्बे समय तक संरक्षित रहती...
विभाजन विभीषिका : षड्यंत्र और संदिग्ध भूमिकाएं

विभाजन विभीषिका : षड्यंत्र और संदिग्ध भूमिकाएं

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~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलद्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए भारत की जनता आर- पार की लड़ाई में आ चुकी थी। राष्ट्रीयता के मन्त्र से दीक्षित स्वातन्त्र्य वीर-वीराङ्गनाएँ राष्ट्र की स्वतन्त्रता प्राप्त कर लेने के लिए उद्यत हो चुके थे। स्वातन्त्र्य वीर सावरकर - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आदि की विचार भूमि पर आधारित सशस्त्र क्रान्ति के आन्दोलन से अंग्रेज भयभीत हो चुके थे। इसी बीच जब अंग्रेजों को यह स्पष्टता हो गई कि वे अधिक दिन भारत में शासन नहीं कर सकते हैं। तो वे ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के रूप में भारत में हिन्दुस्तानी सरकार की घोषणा के लिए अंग्रेज बाध्य हो गए। इस सम्बन्ध में ध्यातव्य है कि “द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की कमजोर स्थिति ने भारत में स्वतंत्रता की राह सरल कर दी थी। जल्दी ही भारत के स्टेट सेक्रेटरी, पैथिक लारेंस ने 19 फरवरी 1946 को स्वशासन की ...
क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?

क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?

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वर्तमान में, 1000 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार से भरी हुई हैं। वर्तमान योजनाओं में लीकेज का स्तर अत्यधिक उच्च है और ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन भी ख़राब है। बेसिक आय इस ढेर सारे कार्यक्रमों की जगह ले सकता है, जिससे इससे जुड़ी भ्रष्टता दूर हो सकती है। बेसिक आय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े नागरिकों की गरीबी और असुरक्षा को दूर करने में मदद करेगा। यह एक गारंटीकृत आय है, जो विषम परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है एवं आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा बनाए रखती है। -प्रियंका सौरभ बेसिक आय किसी देश के सभी नागरिकों को उनकी आय, संसाधनों या रोजगार की स्थिति की परवाह किए बिना एक निश्चित धनराशि प्रदान करने का एक मॉडल है। बेसिक आय का उद्देश्य गरीबी को रोकना या कम करना और नागरिकों के बीच समानता बढ़ाना है। आज बेसिक ...
आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?

आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?

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देश का जूडिशरी सिस्टम अभी भी तेज गति से काम नहीं कर रहा है जिसका रिज्लट अपराधियों के बरी हो जाने के तौर पर सामने आता है। अदालत में जो केस जितना अधिक लंबा चलता है उससे लोगों की रूचि खत्म होती जाती है। यदि कोई बड़ा मामला होता है और उस केस में अदालत से फैसले के लिए सिर्फ तारीख ही तारीख मिलती रहती है तो उस केस से लोगों का दिलोदिमाग हट जाता है। कई बार मुद्द्ई टूट जाते हैं। इसमें कई बार पुलिस की टीमें भी दोषी होती है, वो देर से चार्जशीट फाइल करती है, इस वजह से कोर्ट में तारीख मिलती रहती है। वकील भी मामलों में देरी से फैसला करवाने के लिए जिम्मेदार होते हैं वो केस को लंबित करते चले जाते हैं। यदि पुलिस पर्याप्त सबूतों के साथ केस फाइल करे और अदालत जल्द फैसला सुनाने पर आमदा हो तो आरोपी छूटने नहीं पाएंगे। *-प्रियंका सौरभ* देश में जूडिशरी और पुलिसिंग की लचर व्यवस्था के चलते ही कई गंभीर से गं...
क्या भाजपा को “भ्रष्टाचार” पर कुछ कहने का अधिकार है?

क्या भाजपा को “भ्रष्टाचार” पर कुछ कहने का अधिकार है?

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जब आप किसी की ओर एक उँगली दिखाते ते है, तो तीन उँगलियाँ आपकी और होती है यह उक्ति मौजूदा हालात में भाजपा पर काफी सटीक बैठती है। विपक्षी नेताओं पर सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई किसी से छिपी नहीं है। भ्रष्टाचार में संलिप्त कई नेता भाजपा में शामिल हुए और उनसे जुड़े मामलों पर ताला लग गया। अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि भाजपा उस वाशिंग मशीन की तरह है, उसमें जो भी जाता है उसके सारे दाग धुल जाते हैं। जिन पर घोटाले के कई बड़े आरोप हैं और उसके बावजूद जांच एजेंसियों की ओर से उन्हें क्लीन चिट मिली हुई है। महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार समेत कई नेताओं के शामिल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है। भाजपा ने भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे अजित पवार और दूसरे विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करवा कर पक्षपात करने और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करने का मौका विपक्षी दलों को दे दिया। विपक्षी नेताओं द्व...