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<em>चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?</em>

चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?

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*चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?* इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि विश्व को ज्ञान देने वाली भारत की प्रतिभाएं तथा अभिभावक मौजूदा दौर में शिक्षा को लेकर दुश्वारियों के दौर से गुजर रहे हैं। देश की हजारों प्रतिभाएं पढ़ाई के नाम पर प्रतिवर्ष विदेशी शिक्षण संस्थानों का रुख कर रही हैं, बल्कि कई छात्र भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। भले ही भारत की करोड़ों आबादी गरीबी रेखा से नीचे बसर करने को मजबूर है, मगर विदेशों में शिक्षा हासिल करने वाले हजारों भारतीय छात्रों के अभिभावक हर वर्ष करोड़ों रुपए की महंगी फीस अदा करके अमरीका, कनाडा, ऑस्टे्रलिया, ब्रिटेन व न्यूजीलैंड सहित कई अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। अमरीका, कनाडा व ब्रिटेन शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों के लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन चुके हैं। ‘शिक्षा एक राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है। यदि आप किसी देश के उन्नयन एवं अवनयन का काल जानना चाहत...
स्कूली शिक्षा की चुनौतियों को गंभीरता से लेना होगा

स्कूली शिक्षा की चुनौतियों को गंभीरता से लेना होगा

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-ललित गर्ग- नया भारत एवं विकसित भारत को निर्मित करने का मुख्य आधार शिक्षा है, लेकिन भारत की ग्रामीण शिक्षा को लेकर आयी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण) 2023 चिन्ताजनक एवं चुनौतीपूर्ण है। इस सर्वे में ग्रामीण भारत में छात्रों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति की तस्वीर बयां की गई है, ग्रामीण शिक्षा की इन निराशाजनक स्थितियों पर गौर करना जरूरी है। यह सर्वे 26 राज्यों के 28 जिलों में किया गया और 34,745 युवाओं तक इस सर्वे की पहुंच रही। ग्रामीण छात्रों ने जो तथ्य एवं सच्चाई व्यक्त की है, उसके अनुसार 14 से 18 आयु वर्ग के बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा में दूसरी कक्षा के स्तर तक का पाठ नहीं पढ़ पाते। इस उम्र के तीसरी-चौथी क्लास के गणित के सामान्य से प्रश्नों को हल न कर सकें तो यह कोई अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती। ग्रामीण युवाओं की पसंद विज्ञान एवं तकनीकी विषयों की बजाय आर्ट्स विषय ही हो...
भारत को भारत बनाएं – चलें गांव की ओर

भारत को भारत बनाएं – चलें गांव की ओर

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भारतकोभारतबनाएं - चलेंगांवकीओर प्राचीन काल में भारत का पूरे विश्व में साम्राज्य था। आज ऐसे कई प्रमाण मिल रहे हैं, जिससे सिद्ध हो रहा है कि सनातन संस्कृति का अनुपालन करने वाले लोग इंडोनेशिया तक फैले थे। यह तो हम सब जानते ही हैं कि अफगनिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश अखंड भारत का ही हिस्सा रहे हैं। आज एक बार पुनः वैश्विक स्तर पर कई देशों का भारत की सनातन संस्कृति की ओर विश्वास बढ़ रहा है क्योंकि ये देश विभिन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त हैं और उनकी इन समस्याओं का हल ये देश निकाल नहीं पा रहे हैं। प्रत्येक भारतीय वसुद्धैव कुटुम्बकम की भावना पर भरोसा करता है अतः पूरे विश्व को ही अपने कुटुंब का हिस्सा मानते हुए चलता है। और, यह भावना हाल ही में पूरे विश्व ने देखी भी है। कोरोना महामारी के दौरान भारत में भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के कर्मचारियों के अति...
<strong>“एनिमल” सिर्फ पर्दों तक नहीं होगा सीमित?</strong>

“एनिमल” सिर्फ पर्दों तक नहीं होगा सीमित?

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डॉ अजय कुमार मिश्रा परम्परागत मान्यता हमारे समाज की यही रही है की फ़िल्में हमारें समाज का आइना है और उन्ही बातों और तथ्यों को उजागर करती है जिसकी हमें सच्चे रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता है जिससे सामाजिक एकता के साथ – साथ मानवीय गुणों का विकास सभी वर्गो में हो सकें | एक समय ऐसा भी था जब लगातार ऐसी फिल्मों का निर्माण होता रहा जिससे समाज को नई दिशा मिल सकी कई ऐसी कुरीतियों और पाखंडों सहित अनावश्यक नियमों को तोड़ने का काम हमारी फिल्मों ने किया भी | समय के चक्र ने कब क्षेत्रीय से राष्ट्रीय और अब अंतर्राष्ट्रीय चोला ओढ़ लिया यह पता ही नहीं चला | हम और हमारा समाज अभी भी वर्तमान परिवेश से कही न कही दशकों पीछे है फिर चाहे सुख-सुविधायों, मेडिकल सुविधायों या फिर रोजगार की बात हो | हाँ पर हम अपराध में और रिश्तों के प्रति अपनी संजीदगी और लगाव में भी आत्मा मुग्धता को प्राथमिकता देने लगे है |...
क्या Animal अनैतिक फिल्म है?

क्या Animal अनैतिक फिल्म है?

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 जब से Animal रिलीज़ हुई है तब से सोशल मीडिया पर इससे जुड़े काफी रिव्यूज़ पढ़ चुका हूं। बहुत से लोगों ने इसमें रणबीर कपूर के किरदार पर खासी आपत्ति दर्ज की है। लोग रणबीर के Male Chauvinist किरदार से काफी खफा हैं। वो इस बात से नाराज़ हैं कि एक मर्द औरत पर अपनी मर्ज़ी कैसे थोप सकता है? एक मर्द खुद बीवी से धोखा करते हुए उसे खुलेआम ऐसा न करने को कैसे कह सकता है? वो अपनी बहनों पर इतना रौब कैसे मार सकता है? वो खुद अपने जीजा को कैसे मार सकता है?वो बार-बार इस बात को कैसे अंडरलाइन कर सकता है कि मैं एक अल्फा मेल हूं और होगा वही, जो मैं चाहूंगा। इसके अलावा जिस तरह वो खुलेआम अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बोलता है वो भी लोगों को हज़म नहीं होता। फिल्म में जिस लेवल की हिंसा दिखाई गई उससे भी बहुतों को प्रॉब्लम है। इसके अलावा भी नैतिकता के बहुत सारे मापदंड है जिस पर फिल्म को कसा गया है और ये भी कहा ...
वो गुरु जिसने तराशा अमिताभ बच्चन

वो गुरु जिसने तराशा अमिताभ बच्चन

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(11 अक्टूबर, जन्मदिन पर खास) अथवा क्यों अमिताभ बच्चन कृतज्ञ हैं अपने उस अनाम गुरु के आर.के. सिन्हा अमिताभ बच्चन ने जब अपने फिल्मी करियर का श्रीगणेश किया तब 1970 के दशक का आरंभ हो रहा था। तब भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे। वो आधी सदी पहले की दुनिया आज से हर मायने में अलग थी। पर इन पचास सालों में बहुत कुछ बदला, पर अमिताभ बच्चन अब भी करोडों सिने प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं। उन्होंने इस दौरान ना जाने कितनी सुपर हिट फिल्में दीं, टीवी पर अपनी धाक जमाई और विज्ञापन के संसार के शिखर पर रहे। कुछ समय तक राजनीति करने के बाद उसे इस तरह से छोड़ा कि फिर मुड़कर नहीं देखा। उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वकालिक महानतम अभिनेता माना जा सकता है। अमिताभ ने अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पु...
आपसी सहयोग व गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली द्वारा तनाव से बचाव संभव है: डॉ मनोज तिवारी

आपसी सहयोग व गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली द्वारा तनाव से बचाव संभव है: डॉ मनोज तिवारी

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रेलवे सुरक्षा बल, पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर मंडल के जवानों के तनाव प्रबंधन हेतु वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त, पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर मंडल श्री ऋषि पांडेय के निर्देशन में एक दिवसीय तनाव प्रबंधन व योग कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें जवानों को तनाव से बचाव के उपाय से अवगत कराते हुए मुख्य अतिथि डॉ मनोज कुमार तिवारी, वरिष्ठ परामर्शदाता, ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी ने जवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि धनात्मक सोच रखकर, कार्य को बोझ नहीं उत्तरदायित्व समझकर करने, नियमित दिनचर्या रखने, उचित आहार लेने, नशा न करके, 7 घंटे गुणवत्तापूर्ण नींद लेकर व नियमित व्यायाम करने से जवान तनाव मुक्त रहकर राष्ट्र सेवा करने में अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकते हैं। डॉ तिवारी ने बताया कि शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के साथ-साथ नियमित अंतराल पर मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण भी कराते रहना चाहिए त...
Is Shah Rukh Khan movie ‘Jawaan’ a ruse for regime change operation

Is Shah Rukh Khan movie ‘Jawaan’ a ruse for regime change operation

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By Shree Dr Ram Squirrel - This is not a routine forwarded message. One of my friend in Europe shared the following comments with me after watching the movie Jawan! For the past few weeks various Social Media like Facebook & WhatsApp and various Media be it print or news have been trying to create a special frenzy by promoting Shah Rukh Khan's newly released film "Jawaan" which has attracted even a movie freak like me. I have no shame in admitting it. However, unfortunately the chance to watch the movie also came today. After watching the movie very seriously, call this my special report or REVIEW. The entire movie is quite a spectacle but before the upcoming Lok Sabha elections a political message has been delivered across the country in a unique and very clever...
जीवन की आपाधापी में क्या जी रहे हैं हम?

जीवन की आपाधापी में क्या जी रहे हैं हम?

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जब हम अपने जीवन की शुरुआत करते हैं तो हमारा मन सब कुछ पाने को लालायित रहता है। हमें पैसे के साथ-साथ नाम कमाने की भी चाह होती है। ये चाहत काफी हद तक सही भी है। पर, इसके चक्कर में परिवार और अपनी खुशियों को अहमियत न देना गलत है। अपनी जिम्मेदारियों और अपनी खुशियों के साथ समझौता किसी भी हाल में सही नहीं हो सकता। जीवन में आपका पैसा और नाम कमाना या कामयाब इंसान बनना जितना जरुरी है उतना ही जरुरी छोटी- छोटी खुशियों को महसूस करना भी है। अगर आप इन पलों को भूलकर बस आगे बढ़ने में लगे हैं तो आपको एक दिन इस बात का दुःख जरूर होगा की मैंने क्या कुछ खोया थोड़ा-सा पाने के चक्कर में? हम सब के हित में यही है कि हम चैन से रहें और दूसरों को भी चैन से रहने दे। जीवन की आपाधापी में हम ये जान लें कि हमारा कोई भी पल आखिरी हो सकता है इसलिए हर पल को बिना किसी अहंकार के सच्चे मन से सर्वे भवन्तु सुखिन: के भाव से जिए...
मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

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खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं   ललित गर्ग  उतार-चढ़ाव, हर्ष-विषाद, सुख-दुःख हर इंसान के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन फिर भी इन जटिलताओं के बीच एक सपना एवं जिजीविषा जरूर होनी चाहिए जो आपको हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहे। जीवन ऐसेे जीना चाहिए जैसे जिंदगी का आखिरी दिन हो। भले ही हमारी जिंदगी उतार-चढ़ावों से भरी हो फिर भी हमें बढ़िया और नेक काम करते हुए जीवन के पल-पल को उत्साह एवं उमंग से जीना चाहिए। लेकिन हमारी बढ़िया या नेक काम करने की इच्छा अधूरी ही रहती है क्योंकि अक्सर जब हम जिंदगी के बुरे दौर से गुजरते हैं, तब उससे निकलने और जब अच्छे दौर में होते हैं, तब उस स्थिति को बरकरार रखने में जिन्दगी बिता देते है। हर इंसान के जीवन में निराशा एवं असंतुष्टि पसरी है। आंकड़े बताते हैं कि करीब 70 फीसदी लोग अपनी मौजूदा नौकरी या काम से संतुष्ट नहीं हैं और क...