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अखिलेश सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण यूपी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधलियां

यूपी में अखिलेश यादव सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण था यूपी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधलियां और उसमें व्याप्त घोर अहीरवाद!!

कुल 86 एसडीएम में 54 एसडीएम यादव थे ये जानकारी आग की तरह पूरे देश मे फैल गयी, अहीरवाद का सबसे बड़ा ठप्पा लगने का प्रमुख कारण यही था और यही उनके पतन का सबसे बड़ा कारण बना!!

अब यूपी लोकसेवा आयोग में बदस्तूर जारी गड़बड़ियों को रोका नही गया तो यही बदनामी योगी सरकार की भी  होनी शुरू हो चुकी है, शुक्र मनाइए कि पेपर लीक की घटना चुनाव के बाद सामने आई नही तो बड़ा मुद्दा बन जाती!!

योगी आदित्यनाथ यूपी लोकसेवा आयोग की धांधलियां रोकने के लिए कटिबद्ध थे पर खुद उन्ही की पार्टी के भृष्ट तत्व उन घोटालेबाजो से साज खाए हुए हैं।

2017 में सरकार बनते ही योगी जी ने सपा सरकार में लोकसेवा आयोग के चेयरमैन नियुक्त हुए अनिरुद्ध यादव को हटाने का प्रयास किया पर उसे एक ताकतवर भाजपा नेता (BNSL) ने ऊपर से दबाव डलवाकर अभयदान दे दिया!!

परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार, सचिव जगदीश उपाध्याय सपा सरकार के समय से वहां जड़े जमाए बैठे हैं, सपा सरकार में जहां अहीरों का वर्चस्व था वहीं भाजपा सरकार में यूपी लोकसेवा आयोग में प्रबुद्ध समाज की लॉबी का वर्चस्व हो गया, अधिकांश सेक्शन ऑफिसर इसी समाज से हो गए, उन्होंने भी अनिरुद्ध यादव को पूरी शह दी और धांधली का खेल खुद खेलते रहे।

विवश होकर योगी आदित्यनाथ ने इस रैकेट को तोड़ने के लिए 2012 से 2017 तक अखिलेश सरकार में हुई लोकसेवा आयोग की सभी 600 भर्तियों की जांच के लिए सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी।

यूपीपीएससी में व्याप्त धांधली और भ्रष्टाचार के खिलाफ अखिलेश यादव की सपा सरकार और तब के लोकसेवा आयोग अध्यक्ष अनिल यादव के ख़िलाफ़ छात्रों में भारी आक्रोश था। ऐसा लग रहा था कि मानो अब घोटालेबाज और उनका आका अक्ललेश बच नही पाएंगे।।

पर यहां झटका दिया देश के गृहमंत्रालय ने!!!

नवम्बर 2018 में इन भर्तियों की जाँच कर रहे सीबीआई एसपी राकेश रंजन का एकाएक सिक्किम तबादला कर दिया!!
इस आकस्मिक तबादले से संदेह की सुई भाजपा पर भी जाना लाज़मी है।
युवा-हल्लाबोला आंदोलन का राष्ट्रीय नेतृत्व कर रहे छात्रों ने सवाल उठाया कि क्या उत्तर प्रदेश चयन आयोग के भ्रष्टाचार में बीजेपी के क़रीबियों का भी हाथ था?
अगर नहीं तो आख़िर किसको बचाया जा रहा है?

सीबीआई एसपी राकेश रंजन का ट्रांसफर उस समय हुआ जब जांच लगभग पूरी होने वाली थी, ट्रांसफर न हुआ होता तो अखिलेश, अनिल यादव और तमाम घोटालेबाज आज उसी तरह जेल में होते जैसे हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला जेल की हवा खा रहे हैं!!

क्या गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सिर्फ अपने दम पर ही मुलायम सिंह यादव परिवार से व्यक्तिगत सम्बन्धो की लिहाज में एसपी का ट्रांसफर कर दिया या इसके लिए ऊपर की सहमति भी थी??

लोकसभा मे मुलायम सिंह यादव ने खुलेआम कहा कि वो दोबारा मोदी सरकार बनते देखना चाहते हैं!!!

पहले सपा सरकार में तैनात हुए चेयरमैन अनिरुद्ध यादव को हटाने में रोड़ा अटकाना और फिर सीबीआई जांच अधिकारी का एकाएक ट्रांसफर कर देना शक की सुईं सीधे भाजपा के उच्च नेताओ की ओर भी घुमाने को पर्याप्त है।
क्या इसलिये कि केंद्र में बहुमत न आने की दशा में सपा के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन की उम्मीद बाकी थी??

सीबीआई जांच तभी से लंबित पड़ी हुई है किसी एसपी की तैनाती तक नही हुई, कौन है जो घोटालेबाजो को बचा रहा है??

यूपी में अखिलेश सरकार में लोकसेवा आयोग और अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की लाखों भर्तियों में हुई धांधली मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले से कम नही है, इसी अन्याय के विरुद्ध सपा सरकार की विदाई हुई और भाजपा सरकार आई।
किंतु लोकसेवा आयोग में वर्षों से जड़े जमाए बैठे अधिकारियों/दलालों के सिंडिकेट अपनी पैठ केंद्र और राज्यसरकार में बनाए हुए हैं और न सिर्फ पिछले घोटालों पर पर्दा डालने में कामयाब है बल्कि नए नए घोटाले करने में भी उसका हौसला बुलंद है।

सीबीआई जांच से निराशा मिलते ही अब योगी जी ने विवश होकर यूपी एसटीएफ को कार्यवाही के लिए फ्री हैंड दे दिया, इसी का नतीजा है कि पीसीएस मेंस का पेपर आउट कराने के आरोप में लोकसेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार गिरफ्तार की गई, और कोई व्यवधान न हुआ तो जल्द ही सभी आरोपी जेल के भीतर होंगे।।

इस भृष्ट तंत्र से मुकाबले को आखिरी उम्मीद भी बेचारे योगी जी ही हैं, जो लाखो छात्रों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकना चाहते हैं पर उन्ही के दल के कुछ मीरजाफर ऐसा नही होने देना चाहते।

Dheer Singh Pundir

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