आवासीय भवनों के लिए अधिक कुशल और जलवायु के अनुकूल कूलिंग समाधान विकसित करने के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों के इनोवेटर्स की आठ टीमों को एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुना गया है।
प्रतियोगिता का आयोजन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, अमेरिका के रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट और 24 देशों एवं यूरोपीय संघ की एक अंतरराष्ट्रीय पहल ‘मिशन इनोवेशन’ के तहत किया जा रहा है। इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान को तेज करना है।
प्रतियोगिता में 95 देशों से कुल 2,100 पंजीकरण प्राप्त हुए थे, जिनमें से 445 टीमों ने प्रारंभिक आइडिया प्रस्तुत किए थे। उनमें से, 31 देशों की 139 टीमों ने विस्तृत तकनीकी प्रस्तावों का पालन किया और अंततः आठ टीमों को प्रतियोगिता के अंतिम दौर में जाने के लिए चुना गया। चयनित टीमें अपने प्रस्तावों के आधार पर प्रोटोटाइप विकसित करेंगी, जिनका परीक्षण अगले वर्ष भारत में किया जाएगा।
अंतिम दौर के लिए चयनित टीमों को अपने प्रौद्योगिकी आइडिया के प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए दो लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार दिया जाएगा। नवंबर 2020 में ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें एक मिलियन अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
निर्णायक चरण में पहुंची टीमों में दुनिया के कुछ सबसे बड़े एयर कंडीशनर निर्माताओं के नाम हैं। इनमें भारत की गोदरेज एवं एस ऐंड एस डिजाइन स्टार्ट-अप सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड, जापान की डाइकिन, अमेरिका की क्रेटॉन कॉरपोरेशन, एम स्क्वायर थर्मल सॉल्यूशन एवं ट्रांसएअरा, चीन की ग्री इलेक्ट्रिक अप्लाइअन्सेज और ब्रिटेन की बैरोकॉल शामिल हैं।
प्रतियोगिता के अंतर्गत विविध प्रौद्योगिकी से जुड़े आइडिया सामने आए हैं, जिनमें वेपोर कम्प्रेशन प्रौद्योगिकी, एवोपोरेटिव कूलिंग और सॉलिड-स्टेट कूलिंग प्रौद्योगिकियों के स्मार्ट एवं हाइब्रिड डिजाइन पर आधारित आइडिया शामिल हैं।
अंतिम दौर में पहुंची टीमों को पुरस्कृत करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि “यह पहल भारत के कूलिंग एक्शन प्लान से मेल खाती है, जिसे औपचारिक तौर पर वैश्विक जलवायु लीडरशिप में हमारे शोध एवं विकास के प्रयासों को मजबूत करने के लिए इस वर्ष शुरू किया गया है। कूलिंग इंडस्ट्री में नवाचार और नई प्रौद्योगिकियां भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अध्ययनों से पता चला है कि देश में वर्ष 2050 तक एयर कंडीशनर की मांग में 40 गुना तक वृद्धि हो सकती है।”
घरेलू, औद्योगिक, कोल्डचेन, मोबाइल एयर-कंडीशनिंग और भवनों को ठंडा रखने के साथ-साथ कूलिंग उपकरणों की भूमिका अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण है। हालांकि, एयर कंडीशनर के बढ़ते उपयोग और जलवायु परिवर्तन के खतरों को देखते हुए उन्नत तकनीक से लैस ऊर्जा दक्षता वाले कूलिंग उपकरणों की मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए पिछले वर्ष नवंबर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मिशन इनोवेशन कार्यक्रम के अंतर्गत ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार की शुरुआत की गई थी।
इस मौके पर मौजूद भारत में युनाइटेड किंगडम के उच्चायुक्त डोमिनिक अक्विथ, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के महानिदेशक अभय बाकरे और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव गीता मेनन ने उम्मीद व्यक्त की है कि ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार कुशल कूलिंग उपकरणों के विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक ताप की चुनौती से निपटने में मददगार हो सकता है। (इंडिया साइंस वायर)
उमाशंकर मिश्र