आशुतोष कुमार सिंह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को स्वास्थ्य की दृष्टि से वैश्विक आपातकाल घोषित किया है। चीन में घातक कोरोना वायरस से अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों लोग इस वायरस के चपेट में हैं। इस वायरस के बढ़ते प्रकोप से स्वास्थ्य की दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। भारत सहित तमाम देश इस वायरस से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर जुटे हैं। चीन में चिकित्सा का बड़ा केन्द्र वुहान इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है। सबसे ज्यादा मौतें इसी शहर में हुई हैं। धीरे-धीरे इस वायरस का विस्तार बढ़ता जा रहा है। भारत में भी इस वायरस से संक्रमित कुछ लोगों की पहचान हुई है।
यहां पर यह जानना जरूरी है कि कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है, लेकिन इनमें से केवल छह विषाणु ही लोगों को संक्रमित करते हैं। इसके सामान्य प्रभावों के चलते सर्दी-जुकाम होता है, लेकिन ‘सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (सार्स) ऐसा कोरोना वायरस है जिसके प्रकोप से 2002-03 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हुई थी।
वैश्विक होता कोरोना
चीन से शुरू होकर, कोरोना वायरस का सफर वैश्विक होता जा रहा है। जापान, थाईलैंड, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, अमेरिका, ताइवान, मलेशिया, वियतनाम, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, भारत, फिलीपीन, रूस, इटली, ब्रिटेन, बेल्जियम, नेपाल, श्रीलंका और फिनलैंड सहित तमाम देशों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है।
राहत भरी खबर
थाईलैंड से कोरोना वायरस को लेकर एक राहत भरी खबर आई है। दरअसल, थाइलैंड ने दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस से पीड़ित अपने एक नागरिक को ठीक किया है। थाईलैंड के पब्लिक हेल्थ मिनिस्टर अनुटिन चरणविराकुल (Anutin Charnvirakul) ने इस बात पर की पुष्टि की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, थाइलैंड का यह नागरिक 50 साल का है, जो कि एक टैक्सी ड्राइवर है। मरीज के ठीक होने के बाद उसे उसके परिवार वालों से मिलाया गया लेकिन उसके परिवार वालों को कोरोना वायरस जैसी कोई शिकायत नहीं हुई। कोरोना वायरस ने टैक्सी ड्राइवर को अपनी चपेट में तब ले लिया जब वो कुछ चाइनीज टूरिस्ट को अपनी टैक्सी में घुमा रहा था।
चीन से आए 645 भारतीय, कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हुई
6, फरवरी, 2020 तक 1265 उड़ानों के 1,38,750 यात्रियों की नोवल कोरोना वायरस बीमारी की जांच की गई है। अब तक किसी नए मामले का पता नहीं चला है। चीन के वुहान से आए सभी 645 यात्रियों की जांच के बाद उनमें कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हुई। इसके अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की प्रयोगशालाओं द्वारा 510 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से पहले से पॉजिटिव पाए गए तीन मामलों को छोड़कर सभी मामलों में जांच के बाद कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हुई है। कोरोना वायरस की पुष्टि वाले तीन मामले नैदानिक तौर पर स्थिर बने हैं। सरकार चीन में फंसे बाकी भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है।
डॉ हर्षवर्धन ने वुहान निकासी दल प्रशंसा पत्र दिया
विविधता में शक्ति ‘सामूहिक प्रयास में अभिव्यक्त होती है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने कुछ इसी तरह 10 डॉक्टरों और अर्द्धचिकित्सा दल के कर्मचारियों की बहादुरी और सराहनीय कार्यों की प्रशंसा की है। यह शब्द है केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के। वे पिछले दिनों डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों की टीम को माननीय प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया प्रशंसा पत्र सौंपे जाने के समारोह के अवसर पर बोल रहे थे। डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों की यह टीम उस दल का हिस्सा थी जिसे चीन के वुहान शहर से 645 भारतीय नागरिकों और साथ ही मालदीव के 7 नागरिकों को निकालने के लिए भेजा गया था।
माननीय प्रधानमंत्री ने बचाव दल द्वारा प्रदर्शित “धैर्य, दृढ़ संकल्प और करुणा” की सराहना करते हुए प्रशंसा पत्र में कहा है “यह साबित करता है कि चरित्र की असली परीक्षा प्रतिकूल परिस्थितियों में ही होती है”। प्रशंसा-पत्र में आगे कहा गया है कि “इस तरह की परिस्थितियों में संकट में भारतीय नागरिकों को निकाले जाने की कार्रवाई ने केवल बचाए गए लोगों को राहत दी है, बल्कि दुनिया भर में बसे भारतीय प्रवासियों को एक बार फिर से आश्वस्त किया है कि संकट के समय में पूरा देश मजबूती से एकजुट होकर खड़ा है। आपका अथक प्रयास प्रत्येक नागरिक को समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है।”
डॉ. हर्षवर्धन ने 1 और 2 फरवरी, 2020 को चीन के वुहान शहर भेजी गई टीम के प्रत्येक सदस्य को बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि एक चिकित्सा पेशेवरों के लिए उनके ये प्रयास केवल एक ड्यूटी निभाना भर नहीं था बल्कि संकट में फंसे अपने देशवासियों की मदद करना भी था। हमारी टीम ने इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया है।’
उन्होंने मेडिकल टीम के निम्नलिखित सदस्यों को प्रशस्ति पत्र दिया :-
- डॉ. आनंद विशाल, एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन, डॉक्टर राममनोहर लोहिया अस्पताल।
- डॉ. पुलिन गुप्ता, प्रोफेसर इंटरनल मेडिसिन, डॉक्टर राममनोहर लोहिया अस्पताल।
- डॉ. योगेश चंद्र पोरवाल, प्रोफेसर और कन्सलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, सफदरजंग अस्पताल।
- डॉ. रूपाली मलिक, एसोसिएट प्रोफेसर, इंटरनल मेडिसिन, सफदरजंग अस्पताल।
- डॉ. सुजाता आर्य, लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, एयरपोर्ट हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, नई दिल्ली।
- डॉ. संजीत पानेसर, असिसटेंट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन, डॉक्टर राममनोहर अस्पताल।
- श्री मनु जोसेफ, नर्सिंग अधिकारी, सफदरजंग अस्पताल।
- श्री रजनीश कुमार, नर्सिंग अधिकारी, सफदरजंग अस्पताल।
- श्री एजो जोस, नर्सिंग अधिकारी, डॉक्टर राममनोहर लोहिया अस्पताल।
- श्री सारथ प्रेम, नर्सिंग अधिकारी, डॉक्टर राममनोहर लोहिया अस्पताल।
डॉ. हर्षवर्धन ने वुहान से लाए गये लोगों के साथ बातचीत की। इन लोगों को आईटीबीपी शिविर में रखा गया है और उनमें से अनेक लोगों को घर जाने के लिए छुट्टी दी जा रही है। इन सभी में सीओवीआईडी 19 नगेटिव पाया गया है और चरणबद्ध तरीके से अपने घर जाएंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वास्तव में हम सभी के लिए यह गर्व और संतोष का क्षण है कि वुहान से वापस आए हमारे नागरिक स्वस्थ पाये गये हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि अभी तक 2,996 उड़ानों के 3,21,375 यात्री तथा 125 जहाजों के 6,387 यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई है। देश की 15 प्रयोगशालाओं में 2571 नमूनों की जांच की गई है और केरल में केवल तीन नमूने पॉजिटिव पाये गये हैं। उन्होंने बताया कि पॉजिटिव मामलों में दो रोगियों की छुट्टी कर दी गई है और तीसरे की स्थिति स्थिर है। केन्द्रीय स्तर पर बनाये गये कॉल सेन्टर में 4,400 कॉलें प्राप्त हुईं। इनमें से 390 अन्तर्राष्ट्रीय कॉल प्राप्त हुई। 360 से अधिक ई-मेल प्राप्त हुई हैं और सीओवीआईडी 19 के बारे में उत्तर दिये गये हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव सुश्री प्रीति सूदन, विशेष सचिव (स्वास्थ्य) श्री संजीव कुमार, संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्य अधिकारी अभिनन्दन समारोह के दौरान उपस्थित थे। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के आईटीबीपी शिविर का दौरा करने के समय विशेष सचिव (स्वास्थ्य) श्री संजीव कुमार और आईटीबीपी के चिकित्सा निदेशक डॉ. टी.एन. मिश्रा उपस्थित थे।
भारत सरकार मुस्तैद
सभी 32 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में 6558 लोगों के लिए आईडीएसपी द्वारा सामुदायिक निगरानी तथा सम्पर्क जारी है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के तहत संयुक्त निगरानी समूह (जेएमडी) की चौथी बैठक 6 फरवरी, 2020 को आयोजित की गई, जिसमें चीन से भारत आने वाले यात्रियों के लिए जांच व समीक्षा की अवधि सहित विभिन्न तकनीकी मुद्दों पर चर्चा की गई।
केन्द्रीय मंत्रालयों तथा सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ समन्वय कायम रखते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत में नोवल कोरोना वायरस के प्रबन्धन के लिए पर्याप्त उपाय करने में जुटा है। बुखार, खांसी एवं न्युमोनिया के मामले में शीघ्र ही स्वास्थ्य की जांच कराने की एडवाजरी जारी की गई है।
चीन जाने-आने वालों के लिए नई एडवाइजरी
मंत्रिमंडल सचिव ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विदेश मंत्रालय, नागर विमानन, फार्मा, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, सदस्य सचिव (एनडीएमए) के सचिवों और गृह मंत्रालय, वाणिज्य, सेना तथा रक्षा क्षेत्र से जुड़े अन्य अधिकारियों के साथ नोवल कोरोनावायरस के प्रबंधन और राज्यों की तैयारियों के संबंध में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की है। इस बैठक को बाद सरकार ने निम्नलिखित संशोधित यात्रा परामर्श जारी किया हैः
- चीन से आने वाले किसी भी विदेशी नागरिक के लिए वर्तमान वीजा ( पहले से जारी ई-वीजा सहित ) वैध नहीं माना जाएगा।
- लोगों को सलाह दी जा चुकी है कि पूर्व के परामर्श के मुताबिक वे चीन की यात्रा पर जाने से बचें। चीन जाने वाले लोगों को वापस आने पर क्वारेनटाइन में रखा जाएगा।
- यात्रा का इरादा रखने वाले भारतीय वीजा के लिए नये सिरे से आवेदन करने के लिए बीजिंग स्थित दूतावास(visa.beijing@mea.gov.in) या शंघाई स्थित वाणिज्य दूतावास (Ccons.shanghai@mea.gov.in) और ग्वांगछू (Visa.guangzhou@mea.gov.in) में सम्पर्क कर सकते हैं।
- चीन स्थित भारतीय दूतावास में दो हॉटलाइन नम्बरों+8618610952903 और +8618612083629 और समर्पित ई-मेल beijing@mea.gov.in. पर 24 घंटे सम्पर्क किया जा सकता है।
- स्वास्थ्य से जुड़ी किसी प्रकार की पूछताछ के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के हेल्पलाइन नम्बर+91-11-23978046 अथवा ई-मेल ncov2019@gmail.com पर 24 घंटे सम्पर्क किया जा सकता है।
- कोरोना वायरस के बारे में किसी प्रकार की तकनीकी जानकारी के लिए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की हेल्पलाइन+91-11-23978046 अथवा ईमेल- ncov2019@gmail.com पर सम्पर्क करें।
कोरोनो वायरस क्या है
वायरसों का एक बड़ा समूह है कोरोना जो जानवरों में आम है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीएस) के अनुसार, कोरोना वायरस जानवरों से मनुष्यों तक पहुंच जाता है। अब एक नया चीनी कोरोनो वायरस, सार्स वायरस की तरह है जिसने सैकड़ों को संक्रमित किया है। हांगकांग विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वायरोलॉजिस्ट लियो पून, जिन्होंने पहले इस वायरस को डिकोड किया था, उन्हें लगता है कि यह संभवतः एक जानवर में शुरू हुआ और मनुष्यों में फैल गया।
चीन के वुहान से निकला वायरस सार्स जैसा खतरनाक
वैज्ञानिक लियो पून के मुताबिक, “हमें पता है कि यह निमोनिया का कारण बनता है और फिर एंटीबायोटिक उपचार का जवाब नहीं देता है, जो आश्चर्यजनक नहीं है। फिर मृत्यु दर के मामले में SARS 10 फीसदी व्यक्तियों को मारता है, यह स्पष्ट नहीं है कि कोरोना वायरस कितना घातक होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि वे कैसे इससे निपटने की तैयारी कर सकते हैं, जिसमें बीमार लोगों की निगरानी कैसे की जाए और मरीजों का इलाज कैसे किया जाए। कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आपको एक कोरोनो वायरस के बारे में पता होनी चाहिए –
कोरोना वायरस के असर के लक्षण
वायरस लोगों को बीमार कर सकते हैं, आम तौर पर श्वसन तंत्र की बीमारी के साथ या एक आम सर्दी के समान। कोरोना वायरस के लक्षणों में नाक बहना, खांसी, गले में खराश, कभी-कभी सिरदर्द और शायद बुखार शामिल है, जो कुछ दिनों तक रह सकता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों यानी जिनकी रोगों से लड़ने की ताकत कम है ऐसे लोगों के लिए यह घातक है। बुजुर्ग और बच्चे इसके आसान शिकार हैं।
MERS और SARS कोरोना वायरस के रूप
मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम, जिसे एमईआरएस (MERS) वायरस के रूप में भी जाना जाता है का हमला पहली बार 2012 में मध्य पूर्व देशों में देखा गया था। इससे श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं, लेकिन लक्षण बहुत अधिक गंभीर होते हैं। MERS से संक्रमित हर 10 में से तीन से चार रोगियों की मृत्यु हो गई थी। गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम, जिसे सार्स (Severe Acute Respiratory Syndrome या SARS) के रूप में भी जाना जाता है, एक अन्य किस्म का कोरोना वायरस है जो अधिक गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दक्षिणी चीन के गुआंगडोंग प्रांत में पहली बार इसकी पहचान की गई थी। यह भी सांस संबंधी समस्याओं का कारण बनता है, लेकिन इसके कारण दस्त, थकान, सांस की तकलीफ, श्वसन संकट और गुर्दे की विफलता भी हो सकती है। रोगी की उम्र के आधार पर, सार्स के साथ मृत्यु दर 0-50% मामलों में थी।
कोरोना वायरस कैसे फैलता है
कोरोना वायरस जानवरों के साथ मानव संपर्क से फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैज्ञानिकों को लगता है कि MERS ने ऊंटों से निकल कर संक्रमित किया था, जबकि सार्स के प्रसार के लिए सिवेट बिल्लियों को दोषी ठहराया गया था। जब वायरस के मानव-से-मानव संचरण की बात आती है, तो अक्सर ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के स्राव के संपर्क में आता है। वायरस कितना वायरल है, इसके आधार पर खांसी, छींक या हाथ मिलाना जोखिम का कारण बन सकता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के छूने और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने से भी वायरस का संक्रमण हो सकता है।
कोरोना वायरस के संक्रमण का उपचार
इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। ज्यादातर समय, लक्षण अपने आप ही चले जाएंगे। डॉक्टर दर्द या बुखार की दवा से लक्षणों में राहत दे सकते हैं। कमरे में ह्यूमिडिफायर या गर्म पानी से नहाना गले में खराश या खांसी के साथ मदद कर सकता है। मरीजों को सलाह दी जाती है कि खूब सारे तरल पदार्थ पिएं, आराम करें और जितना हो सके सोएं। यदि लक्षण आम सर्दी से बदतर महसूस होते हैं, तो अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
आप इसे कैसे रोक सकते हैं
कोरोना वायरस से बचने के लिए कम से कम अभी तक कोई टीका नहीं है। MERS वैक्सीन के लिए परीक्षण चल रहे हैं। आप बीमार लोगों से दूरी रह कर संक्रमण के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं। अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचने की कोशिश करें। अपने हाथों को अक्सर साबुन और पानी से अच्छी तरह कम से कम 20 सेकंड तक धोएं। यदि आप बीमार हैं, तो घर पर रहें और भीड़ से बचें व दूसरों से संपर्क न करें। जब आप खांसते या छींकते हैं, तो अपने मुंह और नाक को ढक लें और आपके द्वारा स्पर्श की जाने वाली वस्तुओं और सतहों को कीटाणुरहित कर दें। 2014 के एक अध्ययन से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं में, MERS और SARS या कोरोना वायरस का अधिक गंभीर असर हो सकता है
होमियोपैथी में कोरोना का है इलाज, आयुष मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
आयुष मंत्रालय ने एहतियात के तौर पर कोरोना वायरस से बचने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) के वैज्ञानिक सलाह बोर्ड ने होम्योपैथी के माध्यम से इस वायरस की रोकथाम के उपायों पर चर्चा की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि इस वायरस से से बचाव के लिए एहतियात के तौर पर आर्सेनिकम एलबम 30 को रोजाना खाली पेट तीन दिनों तक लिया जा सकता है। संक्रमण कायम रहने पर एक महीने बाद इसकी खुराक को दोबारा लिया जा सकता है। इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी की रोकथाम के लिए भी इस दवा की खुराक ली जा सकती है। इसमें आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं तथा घरेलू उपायों का भी जिक्र किया जा गया है। अगस्त्य हरितकी, शेषमणि वटी, त्रिकटु और तुलसी की पत्तियां और तिल के तेल जैसी दवाओं को उपयोगी बताया गया है। इस वायरस के इलाज में यूनानी दवाओं को भी उपयोगी बताया गया है। इसके लिए शरबतउन्नााब, तिर्यकअर्बा, तिर्यक नजला, खमीरा मार्वारिद जैसी दवाओं को लेने की सलाह दी गई है। एडवाइजरी में सामान्य साफ-सफाई की भी सलाह दी गई है। वायुजनित संक्रमण की रोकथाम के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए। इनमें हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोना, आंखों, नाक और मुंह को अनधुले हाथों से नहीं छूना चाहिए। इस वायरस से पीड़ित लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस बावत दिल्ली के जाने माने होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. पंकज अग्रवाल ने कहा कि किसी भी तरह का इंफ्लूएंजा को रोकने की दवा होमियोपैथी में है। उन्होंने कहा कि सरकार को होमियोपैथी चिकित्सकों की टीम बनाकर रखनी चाहिए और अगर किसी भी क्षेत्र में कोराना वायरस से संबंधित लक्षण दिखने पर उसका परीक्षण कराएं। उसके बाद क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखकर दवा एवं दवा की डोज दिया जाए। इससे इस खतरा से निपटने में सहुलियत होगी।
अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी
चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भीषण नुकसान हो सकता है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2003 की सार्स महामारी से भी बड़ा नुकसान अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को हो सकता है। एक अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रकोप से अकेले चीन की अर्थव्यवस्था को 136 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि 2003 में सार्स महामारी के कारण पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया के जीडीपी को करीब 18 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। यह इस क्षेत्र की जीडीपी के करीब 0.6 फीसदी के बराबर था। सार्स महामारी से यात्रा, पर्यटन और रिटेल उद्योग को सर्वाधिक नुकसान हुआ था। इन उद्योगों को पूर्वी व दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ माना जाता है।
कोरोना वायरस का संक्रमण सार्स से भी ज्यादा तेजी से फैल रहा है
2003 में सार्स वायरस से करीब 8,000 लोग संक्रमित हुए थे और 774 मौतें हुई थीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मार्च 2003 में सार्स संक्रमण को पैनडेमिक घोषित किया था। सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमण का मामला सार्स के आंकड़े को पार कर चुका है। सार्स संक्रमण को चीन में 5,000 का आंकड़ा पार करने में छह महीने लगे थे। दूसरी ओर महज 2 महीने में कोरोना वायरस के कारण 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है हजारों लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस का पहला मामला चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में 31 दिसंबर 2019 को दर्ज किया गया था।
आर्थिक असर सार्स मामले से ज्यादा भीषण होने की आशंका
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री टॉमी वू ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सार्स के मुकाबले कोरोना वायरस का प्रसार अधिक चिंताजनक है, क्योंकि आज दुनिया परिवहन और आर्थिक तौर पर पहले से अधिक जुड़ी हुई है। विश्लेषण और परामर्श कंपनी नोमुरा ने भी बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस का आर्थिक असर 2003 के सार्स से ज्यादा भीषण होगा। सार्स महामारी से चीन की जीडीपी को दो फीसदी का नुकसान हुआ था। नोमुरा के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण मामले में चीन की अर्थव्यव्सथा को इससे भी बड़ा नुकसान हो सकता है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। चीन की जीडीपी में कोई भी कमी वैश्विक जीडीपी को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रकोप से चीन की विकास दर 0.5-1.0 फीसदी तक घट सकती है। यदि चीन की विकास दर एक फीसदी घटती है, तो इसका मतलब यह होगा कि चीन की इकोनॉमी को 136 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान होगा।
टुअर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री पर बेहद बुरा असर
लूनर न्यू इयर हॉलीडे में चीन में बड़ी संख्या में लोग पर्यटन और यात्रा करते हैं। इस बार करीब 70 लाख लोगों ने विदेश भ्रमण की योजना बना कर रखी थी। पर वास्तविक भ्रमण पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी कम रहा। वायरस संक्रमण को रोकने के लिए चीन में व्यापक ट्रांसपोर्ट बंदी के कारण पर्यटन एवं यात्रा उद्योग तो प्रभावित हुआ ही, आयात व निर्यात पर भी बुरा असर पड़ा है। दुनियाभर की विमानन कंपनियां चीन की उड़ानें रद्द कर रही हैं, ताकि चीन से अन्य देशों में मानवों के जरिये वायरस संक्रमण की संभावना को कम किया जा सके। इसके कारण दुनियाभर में विमानन, पर्यटन व यात्रा कारोबार प्रभावित हुआ है।
मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां चीन में कारोबारी संचालन घटा रही हैं
कई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां चीन में अपना कारोबारी संचालन बंद कर चुकी हैं। जापान की वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन ने कहा है कि वह कम से कम नौ फरवरी तक चीन में अपने प्लांट बंद रखेगी। एप्पल को आपूर्ति करने वाली ताईवान की कंपनी हॉन हई प्रिसीजन इंडस्ट्रीज के शेयरों में नौ फीसदी से अधिक गिरावट दर्ज की गई। कंपनी ने कहा है कि वह चीन में स्थित उसके मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट 10 फरवरी तक बंद रहेंगे। हॉन हई प्रिसीजन इंडस्ट्रीज को ज्यादातर फॉक्सकॉन के नाम से जाना जाता है। यह दुनिया की सबसे बड़ी कांट्रैक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी है। यह आईफोन की असेंबलिंग करती है। इसके साथ ही यह फ्लैट-स्क्रीन टीवी व लैपटॉप व कई अन्य अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के गैजेट्स की भी असेंबलिंग करती है। फॉक्सकॉन द्वारा चीन के प्लांट को अस्थायी तौर पर बंद किए जाने से टेक्नॉलॉजी कंपनियों का ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हो सकता है। चीन में फॉक्सकॉन के 10 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। वायरस संक्रमण के मुख्य केंद्र चीन के हुबेई प्रांत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में वॉल्यूम के लिहाज से फॉक्सकॉन का सर्वाधिक योगदान है।
वही दूसरी तरफ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के भाव में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। अभी तक 15 फीसदी के आसपास गिरावट आई है। दुनियाभर के शेयर बाजारों में हाल में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण गिरावट देखी गई। एजेंसी की खबरों के मुताबिक हांगकांग के शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई। भारत में भी शेयर बाजार इससे प्रभावित होने लगा है।
कहीं भारत में भी न हो जाए दवाइयों का संकट
चीन में कोरोना वायरस के कहर का चीन के अलावा भारत सहित दुनिया के कई अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर भली ही पड़ रहा है। कारोना वायरस की वजह से दवा मैन्यूफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले चीन से आयतित जरूरी फॉर्म्युलेशन अचानक से ठप पड़ गया है।
इससे फार्मा इंडस्ट्री की लागत बढ़ गई है लेकिन, इसके बावजूद देश में दवाओं के दाम अभी तो नहीं बढ़े हैं लेकिन आने वाले समय में बढ़ने की आशंका है।
भारत में चीन से सप्लाई चेन ब्रेक करने को लेकर घर-घर में इस्तेमाल होने वाली दवा पैरासिटामॉल की कीमतों में 70 फीसदी तक इजाफा को लेकर मीडिया में चल रही खबरों की पुष्टि को लेकर इंडियन ड्रग्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (IDM) के राष्ट्रीय महासचिव दारा बी पटेल ने बताया कि कुछ दवाओं के दाम बढ़ने की खबर मीडिया में भले ही चल रही है। लेकिन, आईडीएम इसकी पुष्टि नहीं करता है क्योंकि, दवाओं में इस्तेमाल होने वाला चीन से आयातित कच्चा माल भले ही कोरोना वायरस की कहर से महंगा हो गया है, लेकिन भारत में किसी भी दवा के दाम नहीं बढ़े है। वहीं दवा बाजार को नजदीक से जानने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकार को दवाईयों के आपूर्ति करने वाले मैन्यूफैक्चरर बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। उनकी माने तो इससे जो पिछले टेंडर हैं उसके अनुरूप दवा की आपूर्ति करना मैन्यूफैक्चरर के लिए बहुत महंगा सौदा होता जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारत को मेक इन इंडिया पर जोर देना चाहिए। और दवाइयों का कच्चा माल भारत में ही तैयार किया जा सके, इस दिशा में भारत सरकार को युद्ध स्तर पर काम करना चाहिए।
भारत में दवाइयों की किल्लत नहीं होगीः मनसुख भाई मांडविया
दवाओं में प्रयुक्त होने वाली प्रमुख सामग्रियों- एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रिडिंयट्स (एपीआई) के आयात पर देश की निर्भरता को देखते हुए भारत सरकार ने केन्द्रीय जहाजरानी (स्वतंत्र प्रभार) तथा रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठन किया है। इस कार्यबल का उद्देश्य देश में एपीआई का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार करना है। कार्यबल की पांचवी बैठक नयी दिल्ली में पिछले दिनों आयोजित की गई जिसमें छोटी, मझौली और बड़ी एपीआई इकाइयों के लिए नीतिगत रियायतों तथा दवाओं के उत्पादन और उपलब्धता के लिए पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बनाने सें संबधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई ।
बैठक में श्री मांडविया ने देश में दवाओं और औषधियों की उपलब्धता की स्थिति का जायजा लिया। फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों ने उन्हें इस बात की जानकारी दी कि कोरोनावायरस से उत्पन्न होने वाले किसी भी आकस्मिक संकट से निपटने के लिए उनके पास पर्याप्त मात्रा में दवाएं और औषधियां हैं। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि देश में आने वाले दिनों में किसी भी दवा या उसके लिए एपीआई की किल्लत नहीं होगी।
बैठक में पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने में फार्मा उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधि ने बताया कि पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया तेज करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और इसके लिए मंत्रालय ने संबंधित दिशानिर्देशों में बदलाव किए हैं ताकि यदि किसी फार्मा इकाई के उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हो तो उसे अलग से पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता न पड़े ।
कोरोना वायरस के प्रभाव पर क्या कहते हैं डॉ. भरत झुनझुनवाला
आर्थिक मामलो के जानकार डॉ. भरत झुनझुनवाला ने अपने एक लेख में लिखा है कि, ‘कोरोना वायरस का भारत में भी प्रभाव पड़ रहा है। हमारा 14 प्रतिशत आयात और पांच प्रतिशत निर्यात चीन के साथ है। खासतौर से हम हीरों, मसालों, रबर और मछली का निर्यात करते हैं। इन निर्यातकों को परेशानी होगी। इसके अलावा कई उद्योगों द्वारा कच्चे माल जैसे कार के लिए कलपुर्जों का हमारे निर्माता चीन से आयात करते हैं। इन पुर्जों का आयात न हो पाने से हमारे देश में कार उत्पादन मुश्किल में पड़ेगा। कोरोना वायरस का प्रभाव उन क्षेत्रों पर ज्यादा पड़ा है जिनका विश्व व्यापार से कहीं अधिक जुड़ाव है।’ डॉ. झुनझुनवाला ने चिंता जाहिर करते हुए लिखा है कि, ‘हमें इस पर विचार करना चाहिए कि ये वायरस तीव्र आर्थिक विकास की होड़ का नतीजा तो नहीं हैं? यदि ऐसा है तो हमें अपनी चाल को थोड़ा धीमा करना चाहिए जिससे हम भविष्य में इस प्रकार के संकटों से मुक्त रहें। कोरोना वायरस के संक्रमण से हमें दो सीख मिलती हैं। पहली यह कि विश्व व्यापार से जुड़ाव की एक उचित सीमा है और दूसरी यह कि मनुष्य को पर्यावरण से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।’
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एटम-बम से ज्यादा खतरनाक है कोरोना-वायरस-बम
- नगालैंड के मिमी गांव में क्या चल रहा था ‘गुप्त-मिशन’..?
लखनऊ में डिफेंस एक्सपो-2020 बड़े धूमधाम से हो रहा है। अमेरिका इजराइल समेत सैन्य उपकरण बनाने वाले तमाम देश के रक्षा मंत्रियों, सेनाध्यक्षों, राजदूतों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों का लखनऊ में जमावड़ा लगा हुआ है। सैन्य उपकरण बनाने और बेचने वाला देश चीन इस जमावड़े में शामिल क्यों नहीं है..? क्या चीन को इस मेले में शामिल होने का न्यौता नहीं भेजा गया था..? आप भी सोचेंगे कि क्या बेमतलब का सवाल मैं उठा रहा हूं… क्योंकि सबको यही पता है कि डिफेंस एक्सपो-2020 में शामिल होने के लिए चीन को न्यौता दिया गया था, लेकिन चीन में कोरोना वायरस फैलने की वजह से चीन डिफेंस एक्सपो-2020 में शामिल नहीं हो सका। …आपकी यह जानकारी गलत है। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि आपको गलत जानकारी दी गई है। कोरोना वायरस से मुकाबला करने के कारण नहीं बल्कि भारत को कोरोना वायरस का ‘प्रयोग-स्थल’ बनाने के कुचक्र से पर्दा हट जाने की वजह से चीन डिफेंस एक्सपो में हिस्सा लेने से कन्नी काट गया। डिफेंस एक्सपो में प्रधानमंत्री शरीक हुए। रक्षा मंत्री लगातार मौजूद हैं और मुख्यमंत्री तो मेजबान ही हैं… लेकिन किसी ने भी देश को असली बात नहीं बताई।
सुदूर पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में बड़े गोपनीय तरीके से एक शोध और परीक्षण चल रहा था। इस शोध-परीक्षण में अमेरिका, चीन, भारत और सिंगापुर के वैज्ञानिक शामिल थे। इस गुप्त शोध-परीक्षण की फंडिंग अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली ‘डिफेंस थ्रेट रिडक्शन एजेंसी’ (डीटीआरए) कर रही थी। आप हैरत करेंगे कि वह गुप्त शोध-परीक्षण कोरोना वायरस के मनुष्य पर इस्तेमाल का असर देखने के लिए किया जा रहा था। इसके लिए भारत को चुना गया था। परीक्षण यह जांचने के लिए किया जा रहा था कि क्या मनुष्य भी चमगादड़ की तरह कोरोना, इबोला, सार्स या ऐसे खतरनाक वायरस अपने शरीर में लंबे अर्से तक वहन (carry) कर सकता है..! अगर मनुष्य को इसके लिए immune या resistant बना दिया जाए तो..! आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना खतरनाक शोध-परीक्षण अपने ही देश की धरती पर चल रहा था। इस गुप्त शोध-परीक्षण में जो दर्जन भर वैज्ञानिक लगे थे, उनमें चीन के उसी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के दो वैज्ञानिक शामिल थे, जहां से कोरोना वायरस लीक हुआ और वुहान कुछ ही मिनटों में दुनिया भर में कुख्यात हो गया। आप हैरत करेंगे कि वैज्ञानिकों की टीम में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंस (NCBS) के वैज्ञानिक भी शरीक थे। इनके अलावा इस गोपनीय ‘शोध-अभियान’ में अमेरिका के ‘यूनिफॉर्म्ड सर्विसेज़ युनिवर्सिटी ऑफ द हेल्थ साइंसेज़’ और सिंगापुर के ‘ड्यूक नेशनल युनिवर्सिटी’ के वैज्ञानिक शामिल थे। खूबी और विडंबना यह है कि इस गोपनीय शोध-परीक्षण कार्यक्रम के लिए भारत सरकार से कोई औपचारिक इजाजत नहीं ली गई थी और शोध-परीक्षण के परिणामों पर ‘पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस’ के ‘नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़ जनरल’ में बाकायदा रिपोर्ट ‘Filo-virus-reactive antibodies in humans and bats in Northeast India imply Zoonotic spill-over’ भी छप रही थी। यह पत्रिका ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ के पैसे से चलती है। रिपोर्ट् के आधार पर बिल गेट्स ने कहा था कि कोरोना वायरस एक बार फैला तो इस महामारी से कम से कम तीन करोड़ लोग मारे जाएंगे।
गुप्त शोध-परीक्षण की रिपोर्ट उजागर होने के बाद चौकन्ना हुई भारत सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के जरिए इस मामले की जांच कराई। आईसीएमआर की पांच सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि नगालैंड के चीन से सटे किफिरे जिले के मिमी गांव में यह गुप्त शोध-परीक्षण चल रहा था। इसमें क्षेत्र के 18 से 50 साल के बीच के 85 लोगों पर शोध-परीक्षण किया गया जो चमगादड़ों का शिकार करते हैं। ये सभी नगालैंड के जंगलों में रहने वाले आदिवासी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईसीएमआर की जांच रिपोर्ट को लॉकर में बंद कर दिया और सरकार ने भी अपना मुंह सील कर लिया।
कोरोना वायरस को जैविक-युद्ध-हथियार (बायोलॉजिकल-वार-फेयर) बनाने के चीन के कुचक्र का आधिकारिक खुलासा होने के बावजूद भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय या केंद्रीय जांच एजेंसी के जरिए इस संवेदनशील प्रकरण की सूक्ष्मता से जांच कराने की जरूरत नहीं समझी। इस खतरनाक शोध-परीक्षण के लिए भारत को प्रयोगस्थल क्यों बनाया गया… क्या यह जानने का हक देश के लोगों को नहीं हैं..? अमेरिका का ‘बायोलॉजिकल वीपन्स एंटी टेररिज़्म एक्ट ऑफ 1989’ कानून ड्राफ्ट करने वाले प्रख्यात वैज्ञानिक एवं कानूनविद् डॉ. फ्रांसिस बॉयले आधिकारिक तौर पर यह दर्ज करा चुके हैं कि कोरोना वायरस जैविक-युद्ध-हथियार है। जबकि चीन में कोरोना वायरस ‘लीक’ होने के बाद दुनिया भर में यह झूठ प्रसारित किया गया कि चमगादड़ का सूप पीने से कोरोना वायरस फैला।
चीन के वैज्ञानिकों (Biological Espionage Agents) ने कोरोना वायरस का पैथोजेन सबसे पहले कनाडा के विन्नीपेग स्थित नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लेबोरेट्री से चुराया था। इसकी आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। इसके बाद चीन के वैज्ञानिक वेशधारी Biological Espionage Agents ने अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से कई खतरनाक वायरस के पैथोजेन चुराए और उसे चीन पहुंचाया। खतरनाक वायरस और संवेदनशील सूचनाओं की तस्करी के आरोप में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री एवं केमिकल बायोलॉजी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. चार्ल्स लीबर को पिछले महीने 20 जनवरी को गिरफ्तार किया गया। डॉ. लीबर चीन को संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के एवज में भारी रकम पाता था। यहां तक कि चीन ने डॉ. लीबर को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का ‘रणनीतिक वैज्ञानिक’ (स्ट्रैटेजिक साइंटिस्ट) के मानद पद पर भी नियुक्त कर रखा था। 29 साल की युवा वैज्ञानिक यांकिंग ये भी गिरफ्तार की गई थी। यांकिंग ये की गिरफ्तारी के लिए अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) को बाकायदा लुक-आउट नोटिस जारी करनी पड़ी थी। बाद में पता चला कि यांकिंग ये वैज्ञानिक के वेश में काम कर रही थी, जबकि असलियत में वह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की लेफ्टिनेंट थी। चीन ने अपने सारे कूटनीतिक दांव आजमा कर लेफ्टिनेंट यांकिंग ये को अमेरिकी गिरफ्त से छुड़ा लिया। 10 दिसम्बर 2019 को बॉस्टन के लोगान इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर चीनी वैज्ञानिक झाओसोंग झेंग को खतरनाक वायरस की 21 वायल्स के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। वह ये खतरनाक वायरस चीन ले जा रहा था। बाद में यह भी पाया गय़ा कि झाओसोंग जाली पासपोर्ट और फर्जी दस्तावेज लेकर अमेरिका आया था।
(फेसबुक पर प्रभात रंजन दीन की पोस्ट)