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गौ माता : उद्धार करो शिवराज

सब जानते हैं, मध्यप्रदेश देश के उन २४ राज्यों में है जहाँ गौहत्या पर प्रतिबंध है, लेकिन सिर्फ प्रतिबन्ध पर्याप्त नहीं है |शायद इससे कुछ आगे का विचार मध्यप्रदेश सरकार का है, मध्यप्रदेश में कल १८ नवम्बर को गौ केबिनेट बन गई है |२२ नवम्बर को होने वाली गौ कैबिनेट की पहली बैठक गौ संरक्षण का ब्ल्यू प्रिंट तय करेगी,बढिया | गौ रक्षण और संवर्धन सारे भारत का विषय है, और इसके लिए हुंकार तो यहाँ से भरी ही जा सकती है |
कितना दर्दनाक महसूस होता है जब झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में प्रतिबंध के बावजूद गाय की हत्या होती है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान में गायों की हत्या के मामले तो सामने नहीं आए हैं, लेकिन यहां गौ-तस्करी होती रहती है। बिहार में गौवंश हत्या प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन वहां गैर-लाइसेंसी बूचड़खानों में अवैध गौहत्या होती है। पाकिस्तान के एक प्रतिनिधिमंडल के अनुसार पाकिस्तान में कटने वाले ७० प्रतिशत पशुओं की तस्करी भारत से ही होती हैं।आकंडे कहते हैं कि बीते सालों  में भारत में बीफ यानी गौ वंश और भैंस के मीट की खपत में करीब१० प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत ने पिछले वर्ष १९.५ लाख टन बीफ का निर्यात किया। भारत बीफ निर्यात में विश्व में नंबर २  पर है। पिछले छह महीने में बीफ निर्यात में १५.५८ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
राज्यसभा की कमेटी ऑन पिटिशन्स में जैनाचार्य संत विजय रत्नसुंदर सूरीश्वर महाराज ने बीफ निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करते हुए मीट एक्सपोर्ट पॉलिसी के खिलाफ रिव्यू पिटीशन लगाई थी। उन्होंने तर्क रखा था कि भारतीय कानून के मुताबिक जवान और स्वस्थ पशुओं को बूचड़खाने में कत्ल नहीं किया जा सकता है। भारत से जिन देशों को बीफ निर्यात किया जाता है, वहां जवान और स्वस्थ पशुओं का आयात ही मंजूर होता है। ऐसे में या तो भारत में कानून का उल्लंघन हो रहा है या दूसरे देशों में। जैन संत के अनुसार, सिर्फ बांग्लादेश सीमा पर ही २०  हजार गौवंश की प्रतिदिन तस्करी होती है।
विश्व हिंदू परिषद का दावा है कि देश में प्रतिदिन २० से २५  हजार गाय या गौवंश पकड़ा जा रहा है सैकड़ों गायों की रोजाना हत्या की जा रही है। दूध उत्पादन पर इसका विपरीत असर दिख  रहा है। नेशनल कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि देश में वर्ष २०१३-१४ में 13.75 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ, इसे आधार मानकर वर्ष २०२१-२२ तक इसे २० करोड़ टन प्रतिवर्ष पहुंचाना है। दुधारू पशुओं की हत्या के कारण यह लक्ष्य हासिल करना कठिन हो रहा है। दुधारू पशुओं की हत्या से देश में प्रतिदिन८० से ८५ लाख लीटर दूध की क्षति हो रही है। इसमें ३०  से ५ प्रतिशत हिस्सेदारी गाय के दूध की होती है।

सरकारें इस मामले में भी पर्दा रखती हैं |जैसे सरकार ने संसद में बताया है, भारत का मांस निर्यात वर्ष २०१६-१७ में बढ़कर १३.५३ लाख टन हो गया जो पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में १३.३६ लाख टन था संसद में दी गई इस जानकारी में गौ वंश इस निर्यात में कितना रहा | जैसी जानकारी छिपा ली गई |मूल्य का हिसाब बता मुख्य बात पटल पर नहीं आने दी गई |
गौरतलब है कि २०१४  में केंद्र में भाजपा सरकार के बनने के बाद से देश भर में गौ वंश तस्करी और गो हत्या  और गौ मांस को लेकर कई अशोभनीय दृश्य देखने को मिले |गुजरात हरियाणा और उत्तर प्रदेश  में सरकारों ने कुछ विधान भी बनाये |सम्पूर्ण देश में इस विषयक कुछ करने में सरकार को जो समर्थन चाहिए उसकी दरकार है |
मध्यप्रदेश में गौ कैबिनेट जो भी निर्णय करे, सरकार फ़िलहाल मध्यप्रदेश में गौ वंश की तस्करी पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा सकती है | मध्यप्रदेश में इतनी लम्बी पारी खेलने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह गाय की पुकार को हुँकार में बदल सकते हैं | ये हुँकार सम्पूर्ण देश में गौ रक्षा का माहौल बना सकता है | प्रयास सफल हो, गौ कैबिनेट  से शुभ  परिणाम निकले, चिंता इस बात की जरुर करें की यह मुद्दा  “गायगोठ” की बात बनकर न रह जाये |

-राकेश दुबे

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