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ग्रीष्म लहर से बढ़ा ओजोन प्रदूषण

हवा में ओजोन का उच्च स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच गर्मी के महीनों में जब पारा लगातार बढ़ रहा है तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ओजोन का स्तर भी पिछले वर्ष की तुलना में निर्धारित मात्रा से अधिक पाया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों के साथ ओजोन की जुगलबंदी स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक हो सकती है।

इस साल 1 अप्रैल से 15 जून के गर्मी के मौसम में ऐसे दिनों की संख्या ज्यादा रही है जब ओजोन का स्तर निर्धारित मानकों से अधिक दर्ज किया गया है। पिछले साल इस अवधि में पांच प्रतिशत दिन ऐसे थे जब ओजोन की मात्रा निर्धारित मानकों से अधिक पायी गई थी जो इस साल बढ़कर 16 प्रतिशत हो गई है। इस वर्ष 28 दिन ऐसे रहे हैं जब ओजोन का स्तर अधिक दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष 17 दिनों का था।

सेंटर फॉर साइंस ऐंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के शोधकर्ता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निगरानी केंद्रों से प्राप्त वर्ष 2018 और 2019 के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।  

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने बताया कि “ओजोन अत्यधिक सक्रिय गैस है जिसका सांस की बीमारियों से ग्रस्त लोगों के स्वास्थ्य पर तत्काल बुरा असर पड़ सकता है। गर्मी में ओजोन स्तर का मूल्यांकन खास कारणों से किया गया है क्योंकि ओजोन किसी स्रोत से सीधे उत्सर्जित नहीं होती, बल्कि यह गैस वाहनों, उद्योगों या बिजली संयंत्रों से उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के हवा में सूर्य के प्रकाश और तापमान के संपर्क में आने से बनती है।”

कई आवासीय और औद्योगिक क्षेत्रों में ओजोन की निर्धारित सीमा पार करने वाले दिनों की संख्या बहुत अधिक (53 से 92 प्रतिशत) दर्ज की गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी ओजोन का उच्च स्तर पाया गया है। फरीदाबाद में सर्वाधिक 80 प्रतिशत दिनों में ओजोन का स्तर सामान्य से अधिक दर्ज किया गया है। गाजियाबाद में 67 प्रतिशत और गुरुग्राम में 21 प्रतिशत गर्मी के दिनों में ओजोन का स्तर अधिक दर्ज किया गया है।

ओजोन जोखिम का औसत मानक आठ घंटे में 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होता है। इस वर्ष अब तक गर्मी के मौसम में ओजोन का घनत्व 122 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया है जो निर्धारित मापदंड से 1.22 गुना अधिक है। पिछले वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा 106 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया था। (इंडिया साइंस वायर)

उमाशंकर मिश्र

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