सोनाली मिश्रा
से जैसे 30 जून का दिन नजदीक आ रहा है वैसे वैसे जीएसटी पर बहस और तेज होती जा रही है। जीएसटी अर्थात गुड्स एंड सर्विस टैक्स बिल (वस्तु एवं सेवा कर विधेयक) एक बहु चर्चित विधेयक है, जो 1 जुलाई 2017 से प्रभावी हो जाएगा। इसमें पूरे देश में एक समान मूल्य वर्धित कर लगाने का प्रावधान है। जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है। सरल शब्दों में कहा जाए तो यह देश की अखंडता को मजबूत करने वाला कर है। यह एक देश और एक कर अर्थात समान कर को व्यञ्चत करता है। उत्पादों पर विभिन्न प्रकार के करों से छुटकारा मिलेगा। हर उत्पाद पर हर राज्य में कई प्रकार के कर लगाए जाते हैं, और यही संभवतया राज्यों में वस्तुओं के मूल्यों में अंतरों का सबसे बड़ा कारण है। जीएसटी एक ऐसी औषधि के रूप में सामने आ रहा है, जो भारत की कर रूपी बीमारी का सही इलाज करेगी। जीएसटी संशोधन भारत के संविधान का 122 वां संशोधन है। जीएसटी को कर सुधार की दिशा में सबसे क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। इस कर की ऐतिहासिक शुरूआत 30 जून की आधी रात को संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में होगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौड़ा मंच पर होंगे।
इस कर के विषय में तमाम तरह की भ्रांतियों को समय समय पर सरकार द्वारा विभिन्न मंचों पर संबोधित किया जा चुका है। और इसके विषय में जानकारी देने के लिए, भ्रमित न होने के तमाम प्रयास अभी तक जारी हैं। कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आएँगे, और यह हमारी जेब को भी प्रभावित करेगा। जीएसटी लागू होने के बाद भारत एक ही कर वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा, अर्थात देश में वस्तुओं और सेवाओं पर जितने भी अलग अलग कर लगते हैं, वे सब समाप्त हो जाएंगे और भारत के सभी नागरिक एक ही दर पर कर देंगे। और इसके साथ ही जीएसटी के लागू होते ही अधिकतर राज्य अपने हिसाब से कई तरीके से तमाम तरह के कर लगाते हैं, मगर अब हर राज्य को सभी तरह के सामानों पर एक जैसा कर देना होगा। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि अभी जिन वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है उन पर लगने वाले लगभग 18 से अधिक करों से मुक्ति मिलेगी। वर्तमान स्थिति यह है कि हमें इस समय किसी भी सामान पर 30 से 35 प्रतिशत तक कर देना होता है। कुछ वस्तुओं पर तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से लगाया जाने वाला कर पचास प्रतिशत तक पहुँच जाता है। जीएसटी के आने से करों की आधारभूत संरचना में सरलता आएगी, इससे विनिर्माण क्षेत्र में भी लागत और समय में कमी आएगी।
जीएसटी के लागू होने से एक तरफ जहां उद्योग जगत में प्रसन्नता का माहौल है, वहीं आम जनों में उत्सुकता है। व्यापारियों को उम्मीद है कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएँगे और उन्हें तमाम तरह की कागज़ी कार्यवाही से छुटकारा मिलेगा। जीएसटी के लागू होने से न केवल उद्योग और उपभोक्ताओं को तमाम तरह के फायदे होंगे बल्कि माल ढुलाई भी बीस प्रतिशत तक सस्ती हो जाएगी। जीएसटी के लागू होने का इंतज़ार उपभोक्ता भी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी लग रहा है कि यदि कर कम होंगे तो महंगाई कम होगी जिससे वाकई में ही उनके अच्छे दिन आएँगे।
जब हम लोग कुछ भी सामान खरीदते हैं, तो उस पर लगने वाले करों को देखते नहीं हैं, हमें यह भी नहीं पता होता कि हम कितनी तरह के करों को भरते हैं। हम तक माल बनने से पहले कारखाने में बनता है, और वहां से बाहर निकलने पर उस पर एक्साईस ड्यूटी लगती है, और उसके बाद तो करों का अंतहीन सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी प्रकार जब हम कहीं बाहर खाना खाते हैं तो हमें सेवा कर देना होता है, मोबाइल बिल में, क्रेडिट कार्ड के बिल में, सभी जगह हमें 14.5 प्रतिशत का सेवा कर देना होता है।
इसी प्रकार जब कोई सामान जैसे ही एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है, तो सबसे पहले उसे प्रवेश कर देना होता है, जो राज्य के अनुसार अलग अलग है। इसी प्रकार सामानों पर राज्यों में वैट लगता है, जो हर राज्य में अलग अलग है और वस्तुओं के मूल्य में अनावश्यक वृद्धि करता है। इसके अलावा भी कई कर हैं, जैसे मनोरंजन कर, लग्जऱी कर आदि। विशेषज्ञों के अनुसार जैसे ही जीएसटी लागू होगा, ये सभी कर एक ही झटके में समाप्त हो जाएँगे और इसकी जगह केवल एक ही कर लगेगा। और अभी एयरकंडिशनर, माइक्रोवेव ओवन और वाशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरण खरीदने पर जो 12.5 प्रतिशत एक्साइज़ और 14.5 प्रतिशत वैट देना होता है, वह जीएसटी के अंतर्गत घटकर केवल 18 प्रतिशत तक हो जाएगा।
जीएसटी में तीन तरह के कर शामिल होंगे, जिनमें पहला होगा सीजीएसटी अर्थात केंद्रीय वस्तु और सेवा कर, जिसे केंद्र सरकार लेगी। दूसरा होगा राज्य वस्तु एवं सेवा कर जो राज्य के अधीन होगा और तीसरा होगा आईजीएसटी अर्थात एकीकृत वस्तु और सेवा कर, जो दो राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर लगेगा और इसे दोनों ही राज्यों को बराबर अनुपात में बांटा जाएगा।
संदेह के बादल
जीएसटी लागू होने के कुछ वर्षों तक महंगाई के भी दिन आने की आशंका है। क्योंकि पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट पर अभी तक राज्यों में कोई ड्यूटी नहीं लगती है, और यदि कहीं लगती भी है मामूली चार से छ प्रतिशत तक, मगर जीएसटी के लागू होने के बाद यह बढ़कर 18 प्रतिशत तक हो सकती है। इसी प्रकार आभूषण पर जो 3 प्रतिशत की ड्यूटी और रेडीमेड गारमेंट पर 4 से 5 प्रतिशत तक राज्य का वैट लगता है, वह बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगा। जीएसटी लागू होने के बाद डिस्काउंट भी महंगा होगा।
इसे लागू करने को लेकर जहां एक तरफ सरकार कदम बढ़ा चुकी है और हर कीमत पर लागू करना चाहती है वहीं एसोचैम के हालिया अनुरोध ने कई आशंकाओं को बल दे दिया है। एसोचैम के अनुसार जीएसटी लागू करने के लिए अभी तैयारी पूरी नहीं हैं तो इसके क्रियान्वयन को कुछ दिनों के लिए टाल दिया जाए। वित्त मंत्री को लिखे गए अपने पत्र में एसोचैम ने लिखा है कि आईटी नेटवर्क के तैयार न होने की वजह से करदाताओं को जीएसटी से जुडऩे में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
एसोचैम के मुताबिक वर्तमान कर व्यवस्था से जुड़े बहुत से लोग अभी तक आईटी टूल्स और पंजीकरण प्रक्रिया से परिचित न होने के कारण जीएसटी नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए हैं। इसके अलावा उद्योग संगठन ने कहा है कि पंजीकरण प्रक्रिया के पहले चरण में करदाताओं के जीएसटी नेटवर्क से जुडऩे के दौरान सिस्टम-सर्वर लगातार मरम्मत से गुजरता रहा। एसोचैम के सचिव जनरल डी.एस. रावत ने कहा कि इससे कई बड़े सवाल खड़े होते हैं, जैसे कि क्या आईटी ढांचे को सही तरीके से जांचा गया था? इसके अलावा यह सवाल भी उठता है कि क्या यह सिस्टम आगामी समय में सुचारू रूप से काम कर पाएगा?
मगर हर तरह की आशंका को परे करते हुए सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जीएसटी 1 जुलाई से ही लागू होगा। सरकार की तरफ से हर उस आशंका खंडन किया गया है जिसमें बार बार जीएसटी को टाले जाने की बात कही जा रही थी। सरकार की तरफ से हर उस अफवाह से सावधान रहने के लिए कहा गया है।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने अपने ट्वीट में कहा, जीएसटी लागू करने में देरी की अफवाहें पूरी तरह गलत हैं। कृपया, इन अफवाहों से भ्रमित न हों। वित्त मंत्रालय ने कहा कि 1 जुलाई से इस ऐतिहासिक व्यवस्था को लागू करने के लिए तैयारी जोरों पर हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल ने बीते तीन सप्ताहों में 1,200 सामानों और 500 सेवाओं पर कर की दरें तय कर दी हैं। काउंसिल ने सभी सेवाओं और वस्तुओं को 5, 12, 18 और 28 पर्सेंट के कर स्लैब में रखा है।
कुछ राज्यों से भी असहयोग के स्वर उठ रहे हैं और हाल ही में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भी जीएसटी को कुछ दिनों के लिए टालने का का प्रस्ताव दिया था। मंगलवार को वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘भारत सरकार यह स्पष्ट करती है कि जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 से ही लागू किया जाएगा। राज्य सरकारों के साथ मिलकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज ऐंड कस्टम्स ने हर ट्रेडर तक पहुंचने की अपनी कोशिशें बढ़ा दी हैं।
जुलाई से देश एक नए आर्थिक युग में प्रवेश करने जा रहा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि यह कदम देश की प्रगति की दिशा में एक नया कदम हो। ठ्ठ