सोमवार को राज्य सभा में हैदराबाद में हुई दरिंदगी पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान श्रीमती जया बच्चन ने हैदराबाद की एक नवयुवती डाक्टर की गैंग रेप केबाद हत्या और कम्बल में लपेटकर शव जलाकर फेंकने के जघन्य कांड पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अब तो यही उपाय बचा दिखता है कि रेप केगुनहगारों को बीच शहर में भीड के हवाले कर दिया जाये। यह शायद व्यावहारिक न दिखे लेकिन पिछले सात सालों से निर्भया हत्या कांड के बाद पुलिस, प्रशासनऔर न्यायपालिका का भी जो रवैया रहा है, उसको देखते हुये शायद यह भावना वर्तमान में आम जन की भावना के करीब लगती है।
दिल्ली में करीब सात साल पहले निर्भया रेप केस के कारण देश दहल गया था। तब उसके गुनहगारों को फ़ासी पर लटकाने की देशव्यापी माँग हुई। कोर्ट ने उन्हें फाँसी की सज़ा दे भी दी, पर वे अब भी जेल में सुरक्षित हैं और सरकारी खर्चे पर आराम की जिन्दगी जी रहे हैं। इसी बीच पिछले हफ्ते हैदराबाद में एकनवयुवती डॉक्टर के साथ हुये गैंगरेप, हत्या और जला देने की घटना के बाद उन चार राक्षसों को तुरॅंत फांसी पर लटकाने की माँग हो रही है। पर निर्भया काण्ड केआरोपियों का अब भी जेल में होना ही यह सिद्ध करता है की रेप के गुनहगारों को सज़ा देने में कितना लम्बा वक़्त लगता है। हालाँकि तेलंगाना की राजधानी हैदराबादमें सरकारी डॉक्टर के साथ गैंगरेप, हत्या और जला देने के दिल दहला देने वाले मामले में वकीलों ने चारों आरोपियों का केस न लड़ने का फैसला किया है। शादनगरबार असोसिएशन ने ऐलान किया है कि डॉक्टर से रेप करने वाले चारों आरोपियों को किसी भी तरह की कानूनी मदद नहीं दी जाएगी। तो क्या माना जाए की डाक्टरके साथ कुकर्म करने वालों को फाँसी रोज सुनवाई करके महीने भर में हो जायेगी ?लेकिन, इस तरह की उमीद करना फिलहाल व्यावहारिक लगता तो नही है। फिर तोजया बच्चन की मांग ठीक ही थी। हैवानियत की इंतहा यह थी कि आरोपियों ने डॉक्टर की लाश को जलाकर एक फ्लाईओवर के नीचे फेंक दिया था। दरअसल, महिलाडॉक्टर रात में अपने घर लौट रही थीं, इसी दौरान रास्ते में उनकी बाइक पंक्चर हो गई या जानबूझकर अपराधियों द्वारा कर दी गई और मदद के बहाने कुकर्म कोअंजाम दिया गया।
निर्भया के साथ गैंग रेप करने वाले सभी दोषी भी तो निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक फांसी की सजा पा चुके हैं। तो सबके मन में यह सवाल उठनास्वाभाविक ही है कि इस वीभत्स घटना के 7 साल के बाद भी अभी तक निर्भया के दोषियों को फांसी क्यों नहीं दी गई?
कोर्ट ने निर्भया केस के चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी अपील को भी खारिज कर दिया था । सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के बादइन चारों के पास कोर्ट से राहत लेने का कोई विकल्प भी नहीं है। निर्भया की मां आशा देवी ने भी कहा, ‘मैं निर्भया मामले में दोषियों में से एक दोषी की दया याचिकाखारिज किए जाने के दिल्ली सरकार के सुझाव का स्वागत करती हूं। लेकिन, नतीजा क्या है? ढाक के वही तीन पात!
बहरहाल अब देश के सामने सवाल यह है कि रेप पीड़िताओं को न्याय कब मिलेगा? मतलब उसके साथ कुकर्म करने वालों को सज़ा मिलने में और कितना वक़्तलगेगा? यह दोनों सवाल देश पूछ रहा है। बीते अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब तक कानून में बड़े बदलाव नहीं किये जायेंगे तब तक रेप कीपीड़िताओं को इन्साफ मिलने में देरी होती ही रहेगी। इन घटनाओं के बाद कुछ समय तक तो जागरुक जनमानस का खून खौलता है, कैंडल मार्च निकलते हैं औरप्रदर्शन भी होते हैं और सॅंसद में गर्मागर्म बहस भी होती है। लेकिन कुछ दिनों बाद सब कुछ सामान्य गति से चलने लगता है। निर्भया से लेकर ताज़ा हैदराबाद रेप केसके बीच में सैंकडों रेप के मामले सामने आये और लोग भूल भी गये! कितने दोषियों को सज़ा हुई और कितनों को फाँसी हुई?
विगत सोमवार को राज्यसभा में डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या के मामले पर चर्चा हुई। बहस मेरे ही ध्यानाकर्षण नोटिस पर हुई जिसमें मैंनें भी हिस्सा लिया। मेरा मानना था की किसी स्तर पर कमी अवश्य रह गई है जिसके कारण रेप कीघटनाएं निर्भया काण्ड के बाद भी जारी हैं। हालांकि सभी माननीय सदस्यों का भी यही मत था की रेप काण्ड के दोषियों को कठोर सज़ा मिले। सभी राजनीतिक दलइसपर एकमत थे।वैसे, मैं समाजवादी पार्टी की सदस्या जया बच्चन की इस राय से सहमतनहीं हूँ कि अपराधियों को भीड़ को सौंप दिया जाना चाहिए। माननीया जयाजी खुल कर मौब लिन्चींग शब्द का प्रयोग भी कर रही थीं । लेकिन यह तो सच है कि रेप के गुनहगारों के साथ किसी प्रकार की दया नहीं की जा सकती। लेकिनभारत का लोकतॅंत्र भीडतॅंत्र भी तो नहीं बन सकता। हाँ, यह कोशिश ज़रूर की जानी चाहिये कि इस तरह के मामलों में गुनहगारों को एक दो महीनों में सज़ा जरूर दे दीजाये। सोशल मीडिया में कुछ लोग यह भी मांग कर रहे हैं कि रेप करने वालों को शरीयत कानून केहिसाब से सज़ा दी जाये। इस मांग को भी किसी लोकतॅंत्र मेंइजाजत नहीं दी जा सकती। अब एक बड़ा सवाल यह भी सामने आ रहा है लोगों के बीच से खाकी का डर खत्म क्यों हो रहा है? अपराधियों के दिलोदिमाग से अब यहडर कैसे और क्यों खत्म हो गया? निर्भया काण्ड के बाद बलात्कारियों को मौत की सज़ा देने का प्रावधान किया गया था। तब तो यह लग रहा था की अब रेप कीघटनाएं खत्म हो जायेंगी। पर अफसोस यह नहीं हो सका। इसके साथ यह सवाल भी अहम है कि जिस देश में महिला को देवी समान समझा जाता है वहाँ पर रेपजैसे मामले भी बढ़ते क्यों चले जा रहे हैं। इन सब पर चिन्तन मनन करने की ज़रूरत है। यह काम सरकार और समाज को मिल कर करना होगा। भारत में रेप कीबढ़ती घटनाएं देश पर और भारत की सनातन सॅंस्कृति पर एक कलॅंक हैं।
आर. के. सिन्हा
(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)