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दिल्ली में जुटे मीडिया चौपाली, जनहित एवं राष्ट्रहित में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर हुआ विचार

दिल्ली में जुटे मीडिया चौपाली, जनहित एवं राष्ट्रहित में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर हुआ विचार-मंथन
• जनहित से इतर हो रही पत्रकारिता को कमजोर करने एवं राष्ट्रवादी पत्रकारिता को पुनर्स्थापित करने पर दिया गया जोर
• बेहतर एवं सकारात्मक कंटेट प्रोवाइडरों के लिए राजस्व मॉडल पर सरकार विचार करें
• 2019 में प्रयागराज में मीडिया चौपाल एवं भोपाल में होगा मीडिया महोत्सव
• फैंस, स्पंदन, एनयूजे (आई), इस्वा एवं स्वस्थ भारत (न्यास) के संयुक्त तत्वाधान में हुआ आयोजन
आशुतोष कुमार सिंह
मीडिया के बदलते स्वरूप एवं पत्रकारिता की वर्तमान चुनौतियों को लेकर दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में मीडिया चौपालियों ने आज गहन विचार-मंथन किया। ‘जनहित एवं देशहित में पत्रकारिता की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित परिसंवाद में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में जनहित एवं देशहित में पत्रकारिता करने की बजाय देश एवं राष्ट्र को अहित करने वाली पत्रकारिता की जा रही है। वक्ताओं ने इस बात को रेखांकित किया न्यूज रूम मैं बैठकर देश-विरोधी या जनविरोधी एजेंडा सेट किए जा रहे हैं, उससे सावधान रहने के साथ-साथ मुखालफत करने की भी जरूरत है।
फैंस, स्पंदन, एनयूजे (आई), इस्वा एवं स्वस्थ भारत (न्यास) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस परिसंवाद को शुरू करते हुए वरिष्ठ पत्रकार उदय माहुरकर ने मीडिया घरानों द्वारा जनहित से इतर नैरेटिव सेट करने की चलन को खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि आज भी न्यूज रूम में या संपादकीय टीम की बैठक में जनहित एवं राष्ट्रहित से इतर की कहानियों पर ज्यादा जोर रहता है। नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि साढ़े चार वर्षों में राष्ट्रवादी पत्रकारों को तो और मुखर और तथ्यों के साथ सामने आना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। इसका मतलब यह हुआ कि अभी राष्ट्र एवं जनहित में सोचने एवं लिखने वाले पत्रकार विगत् कई दशकों में कम्यूनिस्ट पत्रकारों या भ्रमकारों द्वारा फैलाएं गए भ्रम से निकल नहीं पाए हैं। पॉर्न साइटों के दुष्परिणामों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि देश में चल रही तमाम तरह की पॉर्न कंटेंट को बंद करे। चीन एवं सिंगापुर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ये देश जब जनहित में इन साइटों को बंद कर सकते हैं तो भारत सरकार को क्यों नहीं करना चाहिए?
इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता में कोई वाद नहीं है, यह निर्विवाद है। उन्होंने इस बात को जोर देकर कहा कि मीडिया की साख में सुराख है। उनका इशारा उन कथित नव-पत्रकारों की ओर था जो मीडिया की मूल-भूत कायदे कानून को जाने बिना माइक एवं की-बोर्ड पकड़ रहे हैं। साथ ही श्री शंकर ने उन नव-पत्रकारों एवं वेब-पोर्टल चलाने वालों का पक्ष भी रखा जो सकारात्मक रिपोर्टिंग कर रहे हैं, जिनकी रपट तथ्यपरक हैं और समाज के लिए उनकी खबर उपयोगी हैं। उनका कहना था कि जो लोग बेहतर काम कर रहे हैं क्या उनके लिए सरकार के पास कोई राजस्व मॉडल है। उन्हें सपोर्ट किए जाने की जरूरत है। वेब-पोर्टल के संपादकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह भी समझना जरूरी है कि पोर्टल का सर्वर किसके पास है? उसका स्वामित्व किसका है! उनका इशारा साइबर थ्रेट की ओर था। उदय शंकर माहुरकर की चिंताओं को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्र की पत्रकारिता करनी है तो हमें अपने राष्ट्र के इतिहास को समझना भी होगा। उसे भारतीय दृष्टि से पढ़ना भी होगा। जब  हमारे पास तथ्य होंगे तो हम गलत नैरेटिव सेट करने वालों का जवाब ठीक से दे पाएंगे।
इस अवसर पर निस्केयर के निदेशक मनोज पटेरिया ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि खबर लिखते समय उसमें छूपे वैज्ञानिक दृष्टिकोण को उभारने की जरूरत है। इससे उस खबर की मारक क्षमता एवं ग्राह्यता दोनों बढ़ेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पोखरण क्षेत्र में शूटिंग रेंज में कई बार बच्चे कारतूस चुनते समय घायल हो जाते हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि इस क्षेत्र में अर्ध-जिंदा कारतूस भी है। उन्होंने सेहत के क्षेत्र में हो रहे वैज्ञानिक खोजों की तथ्यात्मक रिपोर्टिंग के साथ-साथ सेहत से संबंधित जो भ्रम है अथवा लूट है उसकी रिपोर्टिंग किए जाने पर भी बल दिया। हिन्दू रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाए जाने का मसला उठाते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुओं की जो भी परंपराएं हैं उसके पीछे एक विज्ञान छूपा हुआ है, उसे तथ्यों के साथ उजागर किए जाने की जरूरत है।
इसके पूर्व मीडिया चौपालियों की बैठक हुई, जिसमें अगला मीडिया चौपाल प्रयागराज एवं मीडिया महोत्सव भोपाल में किए जाने पर सहमति बनी। इस अवसर पर स्वस्थ भारत (न्यास) द्वारा चलाए जा रहे स्वस्थ भारत अभियान को और आगे बढ़ाने पर बातचीत हुई और मीडिया चौपाल के सभी सदस्यों ने एक स्वर में इस अभियान को सपोर्ट करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के महासचिव वरिष्ठ पत्रकार मनोज वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी, दिल्ली जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार अशोक अग्रोही, विस्फोट डॉट कॉम के संपादक संजय तिवारी, स्वस्थ भारत डॉट इन के संपादक आशुतोष कुमार सिंह, सूर्या टीवी के विशेष संवाददाता अमिताभ भूषण, पत्रकार केशक कुमार, डॉ. प्रवीण कुमार झा, मेहेरबान  राठौर, नेहा बग्गा, अंकुर विजयर्गीय, श्रीराम शर्मा, नीरज चौधरी, लोकेश राठौर, कात्यायनी चतुर्वेदी, राहुल संपाल, संभू राज शिंदे, सिद्धार्थ झा, ऐश्वर्या  सिंह, मुनीशंकर पांडेय, विशाल तिवारी, संतोष कुमार सिंह, डॉ. वर्णिका शर्मा, प्रियंका सिंह, धीप्रज्ञ द्विवेदी, मनिशंकर कुमार, एम.ए.निशांत, अंबूज भारद्वाज, विरेन्द्र चौधरी एवं प्रदीप श्रीवास्तव सहित सैकड़ों पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। मंच संचालन टीवी पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी एवं आयोजन समन्वय अनिल सौमित्र ने किया।

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