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दिल्ली विधान सभा भंग की ओर?

एम.सी.डी. चुनाव में पराजय ,भ्रष्टïाचार के आरोप में करीब पच्चीस विधायकों की सदस्यता रद्द होने के करीब चुनाव आयोग में लटकता तलवार, कई तरह के आरोप -प्रत्यारोप और अनेको कुकुराहट के बीच कपिल मिश्रा का घूस लेने का केजरीवाल पर सीधे आरोप -केजरीवाल सरकार और आप पार्टी को तार -तार कर दिया है। निकटतम सहयोगी द्वारा लगाया गया आरोप विश्वसनीयता एवं साख को नंगा कर दिया है । जिस तरह की समस्याये आज खड़ी हो गई है वह निश्चय ही दिल्ली विधान सभा भंग होने और मध्यवर्तीय चुनाव की ओर अग्रसर हो रही है इतिहास साक्षी है कि भ्रष्टाचार से आरोपित सरकारो के कारण गुजरात एवं बिहार की विधान सभा भंग हो चुकी है। गुजरात में चिमन भाई पटेल की सरकार और बिहार में कांग्रेस की सरकार का पतन विधान सभा भंग के मूल्य के रूप में जनआंदोलनों ने प्राप्त किया था।
दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को प्रबल बहुमत आना निश्चय ही नरेन्द्र मोदी की जन-मानस में आई विश्वसनीयता का द््योतक है। यह विश्वसनीयता मोदी नेतृृत्व का राष्ट्र-व्यपक स्वीकृृति का परिणाम है। दिल्ली में विभिन्न प्रदेशों के लोग पर्याप्त संख्या में बस गए हैं इसके बाद भी वे अपने प्रदेशों की जन भावना से जुड़े रहते हैं। अपने प्रदेश की जन भावनाओं से जुड़ कर मतदान किए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि मोदी नेतृृत्व के प्रति विश्वसनीयता पूरे देश में एक समान है। निश्चय ही आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट मोदी की पार्टी होने के कारण ही मिलेगा। लम्बे समय तक कांग्रेस को वोट गांधी और नेहरू की पार्टी होने के कारण मिलती थी। नेहरू के बाद मोदी दूसरे प्रधान मंत्री है जिनकी पार्टी को उनके कारण वोट मिलेगी।
इस देश की परम्परा सबसे पहले नेता के आचरण को परखने की रही है इसके बाद ही लोग उसके विचार और संगठन से जुड़ते हैं। गौतम बुद्ध ने कहा कि ” बुद्ध शरणम गच्छामि, धम्र्म शरणम गच्छाामि, संघम शरणम, गच्छामि। बुद्ध के पास आवो, विचार के पास आवो तब संगठन के पास आवो। लोग बुद्ध के पास यह देख कर गए कि उनका आचरण लोक जीवन के लिए समर्पित है जो नेता या समाज सुधारक का होना चाहिए। गांधी के प्रति लोगों के जुड़ाव का कारण भी यही था।
लोगों ने तीन वर्षों के शासन काल में मोदी के लोक मानस के प्रति समर्पित प्रतिबद्धता को देख लिया है तथा विश्वास कर जुड़ रहे हैं। यह विश्वसनीयता ही अच्छे भविष्य के लिए पुरानी गलतियों को नजर अंदाज कर दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए प्रेरित किया है। लम्बे समय से भाजपा दिल्ली नगर निगम में काबिज थी, जिसका अनुभव बद से बदतर रहा है। पानी, सीवर, गंदगी, साफ-सफाई और कूड़े के पहाड़ से जूझता दिल्ली पिछले दिनों की याद है। दिल्ली की बदहाली का कुछ जिक्र अपेक्षित है। दिल्ली विकास प्राधिकरण के नेहरू प्लेस को ले; नेहरू प्लेस मार्केट की स्थापना 1970 में इस उद्देश्य से हुई कि यह मार्केट लोगों के काम करने, खरीद बिक्री करने के साथ-साथ मनोरंजन का भी एक अच्छी जगह होगी। लेकिन अब यही नेहरू प्लेस अव्यवस्था और दिक्कतों का मार्केट बन गया है। पुराने भवनों की टूटती दीवारें और उखड़ती सीढिय़ॉं, इधर-उधर उलझे बिखरे बिजली के तार, बजबजाती सीवर लाइनें और चप्पे-चप्पे पर खोमचे- ठेले वालों का अतिक्रमण यही दृश्य है इस बाजार का। देह से देह टकरा कर चलते लोगों को न तो पीने का पानी मिल पाता है और न ही शौच आदि के लिए उचित स्थान। एक अंदाज के अनुसार नेहरू प्लेस में रोजाना लगभग तीन लाख लोग रोज आते हैं। मल-मूत्र विसर्जन तथा शौचादि की जरूरतों को पूरा करने में तमाम कठिनाइयों से परेशान होते हैं।
पानी, सीवर, गंदगी और साफ-सफाई की समस्या सिर्फ नेहरू प्लेस की ही नहीं, अपितु दिल्ली के अन्य प्रमुख बाजार एवं रिहायशी इलाकों की भी है- यथा सरोजनी नगर, लाजपत नगर, साउथ एक्सटेंशन, कोटला मुबारकपुर, राजेन्द्र नगर, पहाडग़ंज, बुराड़ी आदि इलाकों की भी है। कैपिटल एरिया को छोड़ दिया जाये तो पूरा दिल्ली बदहाल है।
डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बिमारियॉं दिल्ली की गंदगी का ज्वलंत उदाहरण है। दिल्ली देश की राजधानी होने एवं सरकार को पर्याप्त राजस्व उपलब्ध कराने के कारण विशेष सुविधा का हकदार है। इन बदहालियों से मुक्ति मिलेगी, इस आशा के साथ दिया गया वोट निश्चय मोदी नेतृत्व की विश्वसनीयता का परिणाम है।
मोदी नेतृत्व की लोकप्रियता एवं विश्वसनीयता से खड़े हुए वोट को भाजपा के पक्ष में लाने के काम को अमितशाह और श्याम जाजू ने अपने कुशल राजनैतिक समझ से अंजाम दिया है जो उनके कार्यक्षमता का परिचायक है। एम.सी.डी. चुनावों में भगवा लहराया। कांग्रेस ने दिल्ली में वापसी की है और आम आदमी पार्टी को मुॅंह की खानी पड़ी है। भारतीय जनता पार्टी की जीत के समक्ष वैकल्पिक राजनीति का वहम पाले आम आदमी पार्टी की बुरी पराजय है। इस चुनाव का एक पक्ष यह भी है कि लोगों ने अरविन्द केजरीवाल की हरकतों के प्रति गुस्से का इजहार किया है। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से दिल्ली का चुनाव जीतते ही हिटलरशाही का परिचय देना आरंभ किया और जिस तरह से हर नियम और कायदे तोड़ते हुए केवल अपने अपने लोगों को मलाईदार पदों पर बैठाया और अपने नेताओं के हर गलत कार्यों को प्रश्रय देते हुए अनैतिक समर्थन किया उससे जनता में बहुत गुस्सा था। भ्रष्टाचार मिटाने को लेकर आया कोई दल यदि भ्रष्टाचार में पुराने दलों से भी आगे चला जाए तो उसके प्रति जनता का गुस्सा आना स्वाभाविक है और यही गुस्सा एम.सी.डी. के चुनावों के नतीजों में परिलक्षित हुआ है। तमाम तरह की जनाकांक्षाओं पर सवार होकर आई पार्टी ने जिस तरह से हर प्रकार की धूर्तता का परिचय दिया उससे समाज का हर वर्ग आहत हुआ और उसके भरोसे को चोट पहुॅंची।

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