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नितिन गडकरी और निर्मला सीतारामण की अध्यक्षता में बैंकों के उच्च पदाधिकारियों के साथ बैठक

दिनांक 26.02.2020 को MSME मंत्री श्री नितिन गडकरी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामण जी की अध्यक्षता में बैंकों के उच्च पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई। इस बैठक में MSME मंत्रालय की उन महत्वपूर्ण योजनाओं पर समीक्षा की गई जो कि कम इंवेस्टमेंट के द्वारा ही बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करती हैं। इस दौरान MSME मंत्रालय के तहत आने वाले प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो और स्माल एन्टरप्राइजेज (CGTMSE) पर मुख्य रूप से बात हुई। साथ ही, MSMEs को सपोर्ट करने के लिए स्ट्रेस्ड लोन के रीस्ट्रक्चरिंग के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

  1. PMEGP एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है जोकि सूक्ष्म उद्योगों को खड़ा कर स्वरोजगार को बढ़ावा देता है। इस योजना के जरिए मैनुफैक्चरिंग कंपनी के लिए 25 लाख तक और सर्विस देने वाली कंपनी खोलने के लिए 10 लाख तक के लोन में 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी सरकार के MSME मंत्रालय द्वारा दी जाती है।

3.वित्त मंत्री और MSME मंत्री ने पिछले सालों में PMEGP के जरिए बड़ी संख्या में उद्योंगों को स्थापित करने में मदद करने के लिए बैंकों की सराहना की। पिछले साल 73000 सूक्ष्म उद्योगों की सहायता की गई थी।

4.योजनाओं को गति देने के लिए इस साल 80,000 युनिटों को सहायता देने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान वर्ष में अबतक विभिन्न बैंकों द्वारा 46,000 युनिटों के लिए लोन पहले ही दिया जा चुका है। इसके अलावा लोन के लिए 22,000 लोगों के आवेदनों को पास कर दिया गया है जिनके पैसे वितरण होने को हैं। बैंकों से कहा गया है कि इस तरह के पास हो चुके वाले मामलों में जल्द से जल्द पैसे वितरित कर दें। इसके साथ ही पंक्ति में लगे 1.18 लाख विचाराधीन आवेदनों पर 15 मार्च तक फैसला लेने का आग्रह किया गया जिसमें मुख्य रूप से उत्तर पूर्व क्षेत्र को रखा गया। बैकों के CMDs ने सरकार की योजनाओं को समर्थन देते हुए 15 मार्च तक सभी रुके हुए आवेदनों को क्लियर करने का भरोसा दिलााया।  

  1. डाटा एनालिसिस बताता है कि बैकों ने 11% लोन आवेदनों को खारिज कर दिए हैं क्योंकि PMEGP के तहत लोकल बैंकों को दिए गए टारगेट पूरे हो चुके हैं। इस समस्या को निपटाने के लिए बैंकों से इस योजना के तहत पहले से अधिक लोन देने और मिनिमम टारगेट फिक्स करने की अपनी पॉलिसी पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया गया ताकि सभी पात्र लोगों को लोन मिल सके। इसी तरह, यह भी पाया गया कि 11% आवेदन इस लिए खारिज कर दिए गए हैं क्योंकि बैंकों द्वारा प्राप्त आवेदन उनके सेवा क्षेत्राधिकार से बाहर थे। इस मुद्दे को निपटाने के लिए बैंकों को आग्रह किया गया कि वो एक ऐसा मकैनिज्म तैयार करें जिससे कि इस प्रकार के आवेदन स्वतः ही उचित बैंक में ट्रांसफर हो जाएं। एक साधारण से प्रक्रियागत बदलाव से अब यह सुनिश्चित होगा कि इन आवेदनों को संक्षेप में खारिज किए जाने के बजाय योग्यता पर विचार किया जाएगा। सरकार का प्रयास हर इच्छुक उद्यमी को उचित अवसर प्रदान करना है।

 

6.क्रेडिट गारंटी स्कीम की पहुंच को बढ़ाने पर भी बैंको के साथ चर्चा की गई। सरकार ने इस स्कीम के तहत 50,000 करोड़ की क्रेडिट गारंटी का लक्ष्य तय किया है जोकि पिछले साल की तुलना में 67% ज्यादा है। बैंकों ने बताया कि इस योजना की बहुत डिमांड है और उन्हे भरोसा है कि वे इस लक्ष्य को पूरा कर लेंगे।

7.सेक्टर से जुड़ी समस्याओं या वे जिस बड़ी इंडस्ट्री अपना उत्पाद देते हैं उस इंडस्ट्री की समस्याओं की वजह से उत्पन्न हुए स्ट्रेस्ड लोन्स की रीस्ट्रक्चरिंग भी MSMEs द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों में से एक है। वित्त मंत्री और एमएसएमई मंत्री ने शुरुआती रुप से स्ट्रेस्ड ऋणों की जरूरी रीस्ट्रक्चरिंग करके MSMEs को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। सभी बैंकों के CMDs ने स्ट्रेस्ड ऋणों के रीस्ट्रक्चरिंग में MSMEs की सहायता करने पर सहमति जताई। इसके अलावा उन्होंने दोहराया कि बजट घोषणा के अनुसार MSMEs के ऋणों के रीस्ट्रक्चरिंग की कट-ऑफ तारीख पहले ही 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है।  

8.यह बैठक इस सकारात्मक आशा के साथ संपन्न हुई कि MSME क्षेत्र के लिए की गई ये पहल इस क्षेत्र को सहायता प्रदान करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बैंकर्स के साथ यहा बैठक MSME क्षेत्र यानि अर्थव्यवस्था की रीढ़ को बढ़ावा देने में सरकार का संकल्प और प्रयासों को स्पष्ट करती है।

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