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भाजपा का कांग्रेसमुक्त पूर्वोत्तर अभियान : तेरी गठरी में लागी भाजपा, कांग्रेस जाग जरा

श्री नरेन्द्र मोदी के बारे में मशहूर है कि वह एक साथ 100 से अधिक एजेण्डों पर काम कर रहे हैं। कहा यह भी जाता है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए वह ‘येन-केन-प्रकारेण’ पर विश्वास करते हैं। यही बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में भी कही जाती रही है। इन एजेण्डों में पूर्वोत्तर भारत को कांग्रेस शासन से मुक्त कराना और भाजपा को स्थापित करना एक एजेण्डा है। राहुल गांधी यूपी में उद्धार से ही बेड़ा पार होने की उम्मीद लगाये बैठे हैं और नरेन्द्र मोदी पूर्वोत्तर में कांग्रेस को सत्ताविहीन करने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। औजार के तौर पर केन्द्र का धन, हिंदुत्व का एजेण्डा, जनजातीय तथा दलबदल के लिए तैयार सभी पार्टिंयों में मौजूद राजनैतिक महत्वाकांक्षी व्यक्तियों को इस्तेमाल किया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगाया आरोप और उसका जवाब इसका एक संकेत है।

अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अरुणाचल प्रदेश को हिंदू राज्य बनाना चाहते हैं। जवाब में केन्द्रीय मंत्री किरन रिजीजू ने कहा कि भारत में हिंदुओं की आबादी कम हो रही है, क्योंकि हिंदू लोगों का कभी धर्म परिवर्तन नहीं कराते। किरन रिजीजू अरुणाचल प्रदेश के ही रहने वाले हैं। वह स्वयं बौद्ध हैं, किंतु बयान पार्टी एजेण्डे के अनुसार दे रहे हैं। एक तरह से वह अरुणाचल में कांग्रेस के आरोप को पुष्ट ही कर रहे हैं।

कांग्रेसमुक्त पूर्वोत्तर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नरेन्द्र मोदी के अभियान को समझना हो, तो असम में भारतीय जनता पार्टी की जीत में कांग्रेस से विद्रोह करने वाले हेमन्त बिसवा सर्मा की भूमिका को याद कीजिए। अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू के सितम्बर, 2016 में कांग्रेस से पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल और फिर दिसम्बर, 2016 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर मुख्यमंत्री बने रहने का नाटकीय घटनाक्रम आपको याद ही होगा। पेमा खांडू के रूप में भाजपा ने ऐसा मोहरा चुना है, जो दोरजी खांडू के ऐसे खानदान से हैं, जिसने ज्यादातर चुनाव निर्विरोध ही जीते। पेमा खांडू तिब्बत-भारत सीमा पर स्थित जिला तवांग के हैं। 10 हजार फीट जैसी दुर्गम ऊंचाई पर रेल लाइन पहुंचाने की भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना से चीन परेशान है। हालांकि यह निवेश सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और देश के हित में है, बावजूद इसके बहुत संभव है कि अरुणाचल प्रदेश में केन्द्र के बढ़ते निवेश से अपनी राजनीति को पिछले पायदान पर जाते देख कांग्रेसी भी परेशान हों।

हकीकत यह है कि पूर्वोत्तर को कांग्रेस मुक्त बनाने की अपनी धन योजना की शुरुआत नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में ही कर दी थी। अपने चुनावी भाषण में पूर्वोत्तर वासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था ”आप लोगों के यहां लक्ष्मी नहीं आई, क्योंकि आप लोगों ने यहां कमल नहीं खिलाया।’’ श्री मोदी ने वर्ष 2014-15 के अपने पहले बजट में पूर्वोत्तर के लिए 53,607 करोड़ रुपये का आवंटन सुनिश्चित किया। रेलवे बजट में भी पहले की तुलना में 54 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का दावा पेश करते हुए पूर्वोत्तर हेतु 511 करोड़ का आवंटन किया। पूर्वोत्तर के प्रति नरेन्द्र मोदी सरकार का बजट आवंटन लगातार बढ़ रहा है। सड़क, परिवहन, बिजली और दूरसंचार पर जोर सबसे ज्यादा है। पहले बजट में पूर्वोत्तर के लिए घोषित ‘दूरदर्शन अरुणप्रभा’ के नाम से टीवी चैनल तैयारी में है। कमीशंड श्रेणी में निर्माताओं को पैसा देकर कार्यक्रम बनवाये जाते हैं। दूरदर्शन अरुणप्रभा ने कमीशंड श्रेणी में कार्यक्रम निर्माण का 50 प्रतिशत काम पूवोत्तरवासी निर्माताओं को देना तय किया है।

कांग्रेसियों की परेशानी का कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्री इन्द्रेश कुमार के निर्देश पर पिछले कई वर्षों से शुरु ‘तवांग तीर्थयात्रा’ को मिलता अपार समर्थन भी है। इस यात्रा में देशभर से आये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के कार्यकर्ता शामिल होते हैं। भारत-तिब्बत सहयोग मंच के बैनर तले आयोजित तवांग तीर्थयात्रा का नारा है- ”तिब्बत की आज़ादी, भारत की सुरक्षा, मानसरोवर की मुक्ति’’। वे बॉर्डर तक जाते हैं। भारत-चीन युद्ध के शहीदों को नमन करते हैं। इसका स्थानीय प्रभाव भाजपा के पक्ष में जा रहा है। यह भी ध्यान कीजिए कि सत्ता में आते ही श्री मोदी ने पूवोत्तर के दो सांसद (असम सांसद सर्बानंद सोनोवाल और अरुणाचल प्रदेश सांसद किरन रिजीजू) को मंत्रिमण्डल में जगह दी। आज दोनो पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।

अब मणिपुर में चुनाव है। मणिपुर में मुस्लिमों की आबादी करीब छह प्रतिशत है। भाजपा, यहां भी हिंदू छवि को आगे बढ़ाती दिख रही है। मणिपुर में 60 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें से 18 पर मुस्लिम वोट नतीजे को प्रभावित करते रहे हैं। बावजूद इसके लिलोंग सीट पर मोहम्मद अनवर हुसैन को छोड़ दें, तो भाजपा ने केयरो, वाबगई, वांगखेम जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में भी मुस्लिमों को टिकट नहीं दिया है।

ताजा घटनाक्रम देखिए। एक तरफ भाजपा नेता मणिपुर में जीत का दावा कर रहे हैं, दूसरी तरफ ‘आयरन लेडी’ भाजपा पर आरोप लगा रही हैं। आयरन लेडी के रूप में मशहूर 44 वर्षीय इरोम चानू शर्मिला एक साहसिक अनशनकारी हैं। सेना को विशेषाधिकार देने वाले कानून के खिलाफ वह 16 साल तक अनशन पर रही और अब अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए पीपुल्स रिसर्जेन्स एण्ड जस्टिस एलायंस ‘प्रजा’ पार्टी गठित कर मणिपुर के चुनाव मैदान में कूद पड़ी हैं। सुश्री इरोम चानू शर्मिला ने आरोप लगाया है कि भाजपा के व्यक्ति ने उनसे संपर्क कर उन्हें मणिपुर मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह के खिलाफ भाजपा टिकट पर चुनाव लडऩे सलाह दी और इंतजाम न कर पाने की स्थिति में चुनाव खर्च के लिए 36 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव भी दिया। सुश्री इरोम ने पेशकश करने वाले व्यक्ति सुर्बीनोद के नाम का खुलासा भी कर दिया है। भाजपा महासचिव राम माधव ने इसे पूर्णतया झूठ करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के पूरे मणिपुर चुनाव अभियान का बजट इतना नहीं है। उन्हें जीतने का कोई सम्मानित तरीका खोजना चाहिए। सच क्या है, कहना मुश्किल है। लेकिन इससे यह संकेत स्पष्ट है कि मणिपुर में भाजपा अनुपस्थित नहीं है।

पूर्वोत्तर के सात राज्यों का उल्लेख सात बहनों के रूप में किया जाता है। सगाई कहना अनुचित होगा। हम कह सकते हैं कि नरेन्द्र मोदी, दो बहनों के हाथों से राखी बंधवा चुके हैं। शेष को साधने की कवायद जारी है। निकाय चुनावों की आहट के चलते भाजपा ने नगालैण्ड में भी अपना पासा फेंक दिया है। गौर कीजिए कि नगालैण्ड में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने की घोषणा के विरोध का आधार क्या है? परंपरा और नगा संस्कृति। परंपरा और नगा संस्कृति के आधार पर ही नगालैण्ड में महिलाओं को भूमि और पारंपरिक ग्राम परिषद में प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित रखा गया है। कहा जा रहा है कि इससे नगा संस्कृति और परंपरा पर प्रहार होगा। अनुच्छेद (ए) के तहत नगा संस्कृति की रक्षा का दिया वादा टूट जायेगा। विरोधी इसे भाजपा की पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश मान रहे हैं। विरोध प्रदर्शन करने वाले कौन हैं? स्थानीय पारंपरिक जनजातीय संगठन। समर्थन करने वाले कौन हैं? नगालैण्ड मदर्स ऐसोसिएशन और ज्वाइंट एक्शन कमिटी फॉर वीमेन रिजर्वेशन संगठन। गौर कीजिए कि मदर्स एसोसिएशन का नेतृत्व निओदोनुओ अंगामी के हाथ है। वर्ष 2000 में नोबल शांति पुरस्कार के लिए छांटी गई एक हजार महिलाओं में से एक हैं। वर्ष 2000 में ही श्री अटल बिहारी बाजपेई के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने ही उन्हें पद्मश्री से नवाजा था।

ताजा खबर के अनुसार, मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग ने इस्तीफा दे दिया है। नगा पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष शुर्होजेली लीजीत्सु को सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। इसी के साथ नगालैण्ड की विधानसभा अब बिना विपक्ष की विधानसभा हो गई है। हो सकता है कि यह आपको एक राजनीतिक ड्रामे का अंत लगे, लेकिन भाजपा की असल कठपुतली नाच अभी बाकी है। कांग्रेस को 25 लोकसभा सांसद वाले पूर्वोत्तर में अपने अस्तित्व के बारे में चिंता करनी शुरु कर देनी चाहिए।

 

अरूण तिवारी

 

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