हिमाचल भाजपा को सत्ता के करीब खड़ा करने की मशक्कत में जुटे हुए भाजपा के ऊर्जावान अध्यक्ष सतपाल सîाी के लिए राजनीतिक शुचिताका पालन बहुत महत्वपूर्ण है। अभी हाल ही में भाजपा को शिमला में हुए स्थानीय निकायों के चुनावों में भारी जीत प्राप्त हुई है। वे इन्हीं चुनावों की सफलता के तराजू पर आगामी विधानसभा की रणनीति को तौल रहे हैं और यकीनन ही उनके सफल अभियान की छाप हर तरफ दिख भी रही है। अपनी रणनीति के विषय में उन्होंने हमारे संवाददाताओं नवीन कांगो और संजीव वर्मा को बताया:
आगामे विधान सभा चुनावों को लेकर हिमाचल भाजपा बहुत ही सरगर्म दिख रही है। क्या यह घबराहट है?
सत्ती: घबराहट नहीं, उत्साह कहिये। पार्टी तय रूपरेखा के अनुसार जनता से संपर्क बढ़ा रही है और हमें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। हम मार्च से तैयारी में जुटे हुए हैं। हालांकि इसी बीच अन्य कार्यक्रम भी चालू रहे पर हमने अपना ध्यान बंटने नहीं दिया।
शिमला नगर चुनाव में प्रदर्शन से आप कितना संतुष्ट हैं?
सत्ती:हम जीते हैं, लिहाजा पूरी संतुष्टि है। प्रदेश सरकार तो चुनाव कराने के मूड में नहीं थी, इसीलिए हमें कोर्ट जाना पड़ा। कोंग्रेस मोदी से घबराई हुई थी। हमारी जीत हुई। उनके पार्टी के लोग टूटकर भाजपा में आए, कोंग्रेस और सरकार के सभी प्रयास विफल किए। अंतत:नगर निगम हमारा हुआ।
आपको क्या लगता है,विधान सभा चुनावों की घोषणा कब तक होगी? आपकी तैयारी कैसी है?
सत्ती:चुनाव चाहे मानसून के तुरंत बाद हों या दिसम्बर में, हिमाचल भाजपा पूरी तरह से तैयार है। मानसूस में पार्टी कार्यकत्र्ता घर घर जाकर मतदाताओं को पत्रक बाटेंगे। दलित समुदाय से बैठकें कर उनकी समस्याएं समझी जाएँगी। हजारों नए सदस्य इस बार जुड़े हैं। प्रत्येक व्यक्ति से संपर्क किया जा रहा है।
चुनावों के लिए टिकट बांटने का क्या आधार रहेगा?
सत्ती:कर्मठता, सेवा भावना और छवि परम्परागत रूप से उम्मीदवारी का आधार होती है। जीतने की संभावना भी मायने रखती है। बेशक नए चेहरे आएँगे, मगर परफोर्मेंस ऑफ पोलिटिक्स का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। सियासत में ऐसे धनाढ्यों का दखल पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी, जो तथाकथित सेवा के बदले सिर्फ टिकट के चाहत रखते हैं। कर्मठ तथा नौजवान चेहरे प्राथमिकता रहेंगे।
प्रदेश के कई युवा भाजपा नेता टिकट पाने को उत्साहित हैं। इस संबंध में कोई फार्मूला बनाया गया है?
सत्ती:भाजपा हमेशा युवा प्रतिभाओं को मौका देती आई है। इस बार भी युवा उम्मीदवार मैदान में उतारे जाएंगे। हमारे पास बड़े और दिग्गज नेता है।मंथन जारी है। अबकी बार कांगड़ा भी हमारा होगा और जीत भी अपनी ही होगी।
पिछली बार कांगड़ा की हार ने भाजपा का मिशन रिपीट सफल नहीं होने दिया था। इस बार जिला को लेकर क्या रणनीति रहेगी?
सत्ती:हिमाचल की राजनीति में कांगड़ा जिला का अहम स्थान है। पार्टी यह बात बखूबी जानती है। इसलिए विस्तृत मंथन के बाद सर्वसम्मति से उम्मीदवार तय किए जाएंगे। बेशक टिकट आवंटन और रणनीति दोनों ही मायने रखते हैं। जो भी कमजोरियां रही हैं, उन पर मंथन किया जाएगा।
कॉंग्रेस का कहना है कि भाजपा महज़ आरोपों की सियासत कर जनता को बरगला रही है, जबकि हिमाचल में सब ठीक है। आपकी राय?
सत्ती:कॉंग्रेस जानते है कि उसके कुशासन के दिन खत्म हो गए हैं। इसीलिए लोगों का ध्यान बंटाना चाहती है। मेडिकल कॉलेज खोलने को फैकल्टी नहीं है। कॉलेजों में शिक्षक नहीं हैं, रूसा के रिज़ल्ट चार चार सेमेस्टर तक लटके रहते हैं। अपराध का बोलबाला है। जनता सब समझती है। अभी तीन दर्जन से अधिक औद्योगिक प्लाट खाली हैं। कॉंग्रेस के उद्योग मंत्री चंडीगढ़ में उद्योग बसाने जा रहे हैं। यह सरासर मज़ाक है। पुराने उद्योग उजड़ रहे हैं, पहले कॉंग्रेस उन्हें सम्हाले।
अनुशासनहीनता पर बाहर किए गए नेताओं की घर वापसी कब होगी?
सत्ती:काफी लोग वापस लिए भी गए हैं, बाकियों पर भी विचार जारी है। काडर जितना मजबूत होगा, उतना ही फायदा होगा।
दूसरी पार्टी के नेताओं के लिए भी क्या भाजपा चुनावों से पहले अपने दरवाजे खोलेगी?
सती:भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर अगर स्वच्छ छवि वाले नेता हमारे परिवार में बिना शर्त शामिल होना चाहेंगे तो विचार किया जा सकता है। मैं फिर कहता हूँ कि जैसे हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश हैं, परफोर्मेंस की रणनीति होनी चाहिए। हमारे पास सभी का पुराना रिपोर्ट कार्ड है। देखते है, शीर्ष नेतृत्व के पैमाने पर कौन खरा उतरेगा?
विधानसभा चुनावों के लिए टिकट तय करने की दिशा में कुछ प्रगति हुई है क्या?
सत्ती:भाजपा अपने उम्मीदवारों को जनता एके बीच अपना पक्ष रखने का समुचित समय देना चाहते है। इस संबंध में कुछ चर्चा हुई है।
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पार्टी नेताओं से कैसा सहयोग मिल रहा है?
सत्ती:प्रदेश के तीनों वरिष्ठतम नेतागण हर संभव योगदान देकर पार्टी को मजबूत बना रहे हैं। उनके सहयोग का ही प्रतिफल है कि भाजपा को प्रदेश भर में व्यापक स्नेह हासिल हो रहा है।
अब आखिऱी और प्रदेश में पूछा जाने वाला सवाल, मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा?
सत्ती:मुख्यमंत्री पद का दायित्व किसे सौंपा जाए, यह निर्णय केन्द्रीय नेतृत्व लेगा। यह तय है कि पार्टी के कर्मठ व निष्ठावान सिपाही को ही यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। फिलहाल पार्टी इस चिंता से मुक्त होकर कॉंग्रेस को हिमाचल की सत्ता से बेदखल करने में जुटी हुई है।