और मध्यप्रदेश में पन्द्रह महीने बाद फिर भाजपा सरकार बन गई | ३ मिनिट के समारोह में शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ ली | यह एक रिकार्ड है | आज एक दूसरा भी रिकार्ड बना, नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने वाले इस विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव अपने इस्तीफे में चूक कर गये और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के स्थान पर प्रमुख सचिव विधानसभा को त्यागपत्र भेज दिया, वायरल हुआ यह त्यागपत्र प्रमुख सचिव विधानसभा को ही सम्बोधित है | भाजपा ने सरकार तो बना ली है, पर उसे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा| गत वर्ष महाराष्ट्र, २०१८ में कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट जैसी कवायद हुई थी, इसी तरह मध्यप्रदेश में भाजपा को भी फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा| इस समय भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे के दोष खोजने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है | कल गोपाल भार्गव के त्यागपत्र की तकनीकी त्रुटि बहस का विषय हो सकती है | भाजपा गोपाल भार्गव को विधानसभा अध्यक्ष बनाना चाहती है | सदा सुहागन दलाल कम्पनी भी सक्रिय हो गई है,मुख्य सचिव के नाम सुझाने में |
शिवराज सिंह चौहान के अलावा अब तक अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं| इस बार शिवराज के साथ-साथ नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा के नाम की भी चर्चा थी, जातिगत समीकरण को मद्देनजर रखकर भाजपा आलाकमान ने शिवराज सिंह चौहान के नाम पर ही मुहर लगा दी | दौड़ में शामिल नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा इसी समीकरण के कारण पिछड़ गये | बी डी शर्मा के अध्यक्ष पद पर होने से ओ बी सी फैक्टर ने जोर मारा और निर्णय शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में हुआ | कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने शिवराज सिंह ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की थी| तय फार्मूले के तहत नेता पद का यह चुनाव् औपचारिकता भर था | होने वाले उप-चुनावों में पार्टी की जीत फिर नये समीकरण बनाएगी | नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा का टेस्ट ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में होने वाले उप-चुनाव होंगे |कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले २२ में से १५ विधायक इसी क्षेत्र से आते हैं |
ये चुनाव कांग्रेस के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे | कांग्रेस को कुछ ज्यादा भरोसा है |मध्य प्रदेश कांग्रेस ने एक ट्वीट किया है| जिससे लगता है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में आगे चलकर फिर उठापटक हो सकती है| मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा, “इस ट्वीट को संभाल कर रखना- १५ अगस्त २०२० को कमलनाथ जी मप्र के मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे. ये बेहद अल्प विश्राम है|” ट्विट कुछ भी कहे| कमलनाथ सरकार मार्च महीने की शुरुआत से ही मुश्किलों के दौर में थी , जब कांग्रेस के कुछ विधायक गुरुग्राम के एक होटल में पहुंच गए थे| दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह समेत अन्य भाजपा नेताओं पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था| कांग्रेस की मुश्किलें उस समय और बढ़ गईं जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए| इधर कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं ने फूलसिंह बरैया के पक्ष में हाईकमान को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने मप्र के राज्यसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी फूलसिंह बरैया को प्राथमिकता क्रम में पहले नंबर पर रखकर उन्हें राज्यसभा में भेजने की मांग की है।पत्र में दलील दी गई है कि बरैया के राज्यसभा में जाने से कांग्रेस को उपचुनाव में अजा-जजा वोट बैंक का लाभ मिलेगा। वहीं, दूसरी तरफ सरकार गिरने के बाद कमल नाथ समर्थक कांग्रेस नेताओं तथा दिग्विजय से नाखुश नेताओं के भी विरोधी स्वर तेज होते नजर आ रहे हैं। कमल नाथ सरकार के गिरने में दिग्विजय सिंह की भूमिका को लेकर भी कांग्रेस नेताओं के विरोध के स्वर उठ रहे हैं।
दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे एक नेता ने तो खुलकर कहा है कि दिग्विजय सिंह ने अपने परिवारजन-रिश्तेदारों के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं, गुजरात-उत्तरप्रदेश में राजनीतिक जमावट कर ली है और खुद के लिए भी राज्यसभा सीट पर रास्ता आसान कर लिया।मध्यप्रदेश में बेटे जयवर्धन सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह और निकट रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह तो गुजरात-उत्तरप्रदेश में अपने रिश्तेदारों को एमएलए बना लिया है।इन्ही नेता का आरोप है कि कमल नाथ ने दिग्विजय को संकट मोचक समझा और उन्होंने ही धोखा दिया। दो घंटे पहले तक शक्ति परीक्षण में जीतने की बातें कहते रहे और फिर अचानक अल्प मत में होने का बोलकर सरकार गिरवा दी।
मध्यप्रदेश की राजनीति रोचक दौर में आ गई है, नई सरकार को सबसे पहले नये मुख्य सचिव की तलाश है | भोपाल से दिल्ली तक के लोग जुट गये हैं | खास बात यह है की ये वे ही लोग है जिन्होंने कमलनाथ सरकार को मुख्य सचिव तलाश के दिए थे |