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मोदी सरकार के पांच साल क्या खोया, क्या पाया

फरवरी 12 को सोलहवीं लोकसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होते ही नई यानी 17वीं लोकसभा के चुनावों की आहट सुनाई देने लगी। सियासी फिज़ां में यह सवाल तैरना स्वाभाविक है कि अगले चुनाव के बाद दिल्ली की रायसीना पहाडिय़ों पर स्थित साउथ और नॉर्थ ब्लॉक की चमचमाती कुर्सियों पर किसे बैठने को मिलेगा? सवाल यह भी है कि अपनी लोकप्रियता के दम पर क्या मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दल-बल के साथ फिर से वापस लौट पाएंगे, या फिर कोई नया चेहरा विदेशों में देश की नुमाइंदगी करेगा और अपनी धरती पर अपने लोगों की अगुवाई करेगा? इन सवालों का जवाब तो आने वाले चुनाव के नतीजे देंगे, लेकिन वे नतीजे मौजूदा लोकसभा के प्रति जवाबदेह रही मौजूदा सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों पर कहीं ज्यादा निर्भर करेगा। ऐसे में इसकी पड़ताल स्वाभाविक है कि मौजूदा सरकार ने अपने पौने पांच साल के कार्यकाल में क्या खोया और क्या पाया?

सबसे पहले चर्चा करते हैं, इस सरकार की उपलब्धियों की। मौजूदा सरकार की कौन बड़ी उपलब्धि रही या कौन छोटी, इस पर विवाद हो सकता है। क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी सोच होती है और अपने मानदंड भी। लेकिन यह मानना पड़ेगा कि इस सरकार ने विकास के एजेंडे को खूब आगे बढ़ाया। इस एजेंडे पर सरकार लगातार आगे बढ़ती रही। इस एजेंडे में भारतीय राजनीति के सत्तर साल से चले आ रहे प्रतिमान टूटते रहे। अब तक माना जाता रहा है कि काम होता रहता है और काम करने वाला कमाता है। लेकिन इस सरकार के दौरान ऐसा नहीं रहा। यह मानना आसान नहीं है कि आजादी के पहले से चले आ रहे भ्रष्टाचार को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया गया, लेकिन यह भी सच है कि अब पहले की तरह लूट-खसोट नहीं रही। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी सरकार के दौरान जिस तरह पहले कॉमनवेल्थ और फिर टूजी घोटाला सामने आया, या फिर कोयला घोटाले पर दुनिया का ध्यान गया, वैसा कम से कम इस सरकार के दौरान नजर नहीं आया। इसलिए यह सरकार बधाई की पात्र कही जा सकती है। नौकरशाही, राजनीति और कारपोरेट मिलकर अतीत में जिस तरह मिल-बांटकर कमाई करते रहे हैं, कम से कम इस सरकार के दौरान ऐसा नजर नहीं आया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जरूर राफेल सौदे में घोटाला साबित करने की कोशिश की, लगातार वे अब भी खरीदे गए 36 राफेल विमानों की कीमत पूछ रहे हैं, लेकिन इस सरकार को लेकर जो परसेप्शन बना है, उसकी वजह से ज्यादातर लोग यह मानने को अभी-भी तैयार नहीं हैं कि मौजूदा सरकार ने राफेल सौदे में कोई घोटाला किया है या दलाली खाई। विचारधारा आधारित विरोध को छोड़ दें तो इसे लेकर मीडिया ने भी आक्रामक तेवर उस तरह नहीं दिखाया, जैसा अतीत के घोटालों को लेकर सरकारी रूख को लेकर मीडिया दिखाता रहा है।

केंद्र सरकार के मंत्रियों में सबसे ज्यादा किसी की छवि आम लोगों में बनी है तो वे हैं सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी। उनके कार्यकाल में गंगा में हल्दिया से लेकर वाराणसी तक जल परिवहन शुरू हो गया। देशभर में सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है। यूपीए सरकार के 2011 से 2014 के दौरान रोजाना 13 किलोमीटर सड़क बन रही थी, जो मौजूदा सरकार के बनते ही यह दर बढ़कर पहले 17 फिर बाद में 27 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई। अब तो क्रिसिल का आंकड़ा है कि अगर यह सरकार रही तो यह दर कुछ दिनों में रोजाना 32 किलोमीटर प्रतिदिन हो जाएगी। भारतमाला प्रोजेक्ट के चलते देशभर में हाईवे का जाल जिस तरह बिछाया जा रहा है, उसका असर देश की र तार पर पड़ा है। इससे देश में ढुलाई बढ़ी है और आर्थिक तरक्की की र तार भी तेज हुई है। देशभर में घूमने के बाद पता चलता है कि आज हाईवे बनाने में कितनी तेजी आई है और किस तरह भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण ने काम किया है।

मौजूदा सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि आयुष्मान भारत योजना है। अपने आखिरी पूर्ण बजट प्रस्ताव में भारत सरकार ने इस योजना को पेश किया था, जिसे लागू किया जाना शुरू हो गया है। इसके तहत देश के दस करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा के तहत पांच लाख रूपए का कवर दिया जा रहा है। एक अध्ययन के मुताबिक उदारीकरण के दौर में महंगी होती स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते हर साल हजारों परिवार गरीबी रेखा से नीचे गुजर करने को मजबूर हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें अपने सगे-संबंधियों और घर के गंभीर रोग ग्रस्त सदस्य के इलाज पर अपनी पूरी जमा-रकम खर्च करनी पड़ती है। इसके बाद कई परिवारों के समक्ष अस्तित्व तक का संकट आता रहा है, आयुष्मान भारत योजना ऐसे परिवारों और लोगों के लिए राहत का सबब बन सकती है, बशर्तें इसे सही तरीके से लागू किया जाये।

देश की आजादी के लिए काम करने आने से पहले कांग्रेस के एक अधिवेशन में शामिल होने जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से आए थे तो उस अधिवेशन में गंदगी देख उनका मन भर आया और उन्होंने सफाई व्यवस्था का काम संभाल लिया था। गांधी जी कहा करते थे कि आजादी से पहले जरूरी है देश की सफाई। उन्होंने अपनी राजनीति में इसे जगह दी थी। लेकिन आजादी के बाद किसी भी सरकार ने सफाई व्यवस्था को अभियान के तौर पर नहीं लिया। लेकिन नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के दिन अपने हाथ में झाड़ू थाम लिया और स्वच्छ भारत अभियान शुरू कर दिया। इसका असर भी दिखता है। स्वच्छता के प्रति खासकर नई पीढ़ी में जागरूकता बढ़ी है। हालांकि भारत में सब चलता है कि मानसिकता चूंकि लंबे समय से रही है, इसलिए अब भी कई लोग ऐसे हैं, जिनके लिए स्वच्छता कोई बहुत महत्वपूर्ण बात नहीं है। लेकिन इस अभियान का असर जरूर हुआ है कि लोग स्वच्छता और सफाई के प्रति जागरूक हो रहे हैं। हालांकि इस अभियान के तहत भारत का करीब 98 फीसद हिस्सा खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। करीब साठ लाख से ज्यादा घरेलू शौचालय बनाए जा चुके हैं।

भारतीय खासकर उत्तर भारतीय समाज में बेटे का महत्व कुछ ज्यादा रहा है। इसका असर यह हुआ कि हिंदी भाषी राज्यों, खासकर हरियाणा और पंजाब में कई जगह बच्चियों को कोख में मार दिया जाता रहा। लेकिन साल 2015 में सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की। इसका भी असर यह हुआ है कि जिन इलाकों में लिंग अनुपात असंतुलित था, उन इलाकों में अब बच्चियों की जन्मदर बढ़ी है। बेटियों के प्रति समाज में लगाव बढ़ा है। मोदी सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए इंद्रधनुष योजना शुरू की, जिसके तहत अब बच्चों को सरकारी अस्पतालों में डिप्थीरिया, पोलियो, टेटनस जैसे कई गंभीर रोगों के टीके मु त में लगाए जाते हैं। इस सरकार ने मातृसुरक्षा पर भी बहुत ध्यान दिया। इसी सरकार ने मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक की कुप्रथा के खिलाफ निर्णय लिया। हालांकि इसके खिलाफ अभियान की शुरूआत खुद इस कुप्रथा से पीडि़त मुस्लिम महिलाओं ने की थी। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को गलत घोषित किया। इसके बाद सरकार के सामने कानून बनाने का रास्ता खुला। हालांकि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर किसी सरकार ने सकारात्मक कदम उठाने की कोशिश नहीं की थी। अल्पसं यक तुष्टिकरण के नाम पर इस मसले को टाला जाता रहा। लेकिन इस सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया। पहले अध्यादेश के जरिए तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की प्रथा को अपराध घोषित किया। फिर इस पर विधेयक बनाकर इसे लोकसभा की मंजूरी दिलवाई। लेकिन राज्यसभा में विपक्षी विरोध की वजह से यह विधेयक लंबित रहा। चूंकि सोलहवीं लोकसभा का कार्यकाल अब खत्म होने को है और उसका आखिरी सत्र भी स्थगित हो चुका है, लिहाजा यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया। लेकिन सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को हक दिलाने के लिए तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाले अध्यादेश को एक बार फिर जारी कर दिया है।

मई 2015 में उत्तर प्रदेश के बलिया से मोदी सरकार ने गरीब महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना की शुरूआत की थी। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे गुजर करने वाली महिलाओं को रसोई गैस कनेक्शन दिए गए। अब तक ऐसे परिवारों की महिलाएं चूल्हा फूंकने और उसके चलते फेफड़ों और आंख की बीमारियां झेलने को मजबूर थीं। स्वतंत्र भारत में यह पहली ऐसी योजना थी, जिसे बिना किसी भ्रष्टाचार के लागू किया जा सका। इसके तहत अब तक छह करोड़ कनेक्शन दिए जा चुके हैं।

मोदी सरकार ने जाते-जाते जिस तरह किसान स मान योजना का ऐलान किया है, वह भी एक अच्छी योजना है। इसके तहत दो हेक्टेयर से कम की जमीन वाले किसानों को सीधे कृषि सब्सिडी के तहत छह हजार रूपए सीधे उनके खाते में देने जा रही है। इसमें करीब 12 हजार करोड़ के खर्च का अनुमान है। इतनी रकम अगर गांवों में पहुंची तो निश्चित तौर पर वह सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप करेगी और इससे देश की आर्थिक गति को तेजी मिलेगी। इससे किसानों के मुरझा रहे चेहरों पर थोड़ी ही सही रौनक जरूर आएगी।

मोदी सरकार ने विदेशों में भारत की साख बढ़ाने में भी कामयाबी हासिल की है। यही वजह है कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद भारत को ईरान से तेल खरीदने की मंजूरी मिली और भारत लगातार तेल खरीद भी रहा है। ईरान के चाबहार बंदरगाह का संचालन भी अपने हाथ में ले लिया है। उत्तर पूर्व और पाकिस्तान में दो-दो बार सर्जिकल स्ट्राइक भी की। हालांकि उत्तर पूर्व में इसका असर दिखा तो पाकिस्तानी सर्जिकल स्ट्राइक का खास फायदा नहीं हुआ। अलबत्ता बीती 14 फरवरी को बारूद से भरी गाड़ी को टकराकर चालीस जवानों को ज मू-श्रीनगर मार्ग पर मार डाला। जिसे लेकर देश में भारी गुस्सा है।

महंगाई के मोर्चे पर मौजूदा सरकार राहत महसूस कर सकती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य पदार्थो की कीमतों में नरमी से देश के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर सितंबर में घटकर 2.6 फीसद रही। जिसका उद्योग जगत ने स्वागत किया और कहा कि इससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ हो गया है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2011-12 के संशोधित आधार वर्ष के हिसाब से डब्ल्यूपीआई अगस्त 2018 में घटकर 3.24 फीसद रही थी। वहीं, साल 2016 के सितंबर में डब्ल्यूपीआई की दर 1.36 फीसद थी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है, ”डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर, जिसमें प्राथमिक सामग्री समूह से ‘खाद्य सामग्री’ और विनिर्मित उत्पाद समूह के ‘खाद्य उत्पाद’, अगस्त में 4.41 प्रतिशत थी, जो सितंबर में घटकर 1.99 रही। भारत में मोदी सरकार के दौरान कुल 35 एयरपोर्ट बने।

मोदी सरकार की एक और उपलब्धि जनधन योजना भी रही। इसके तहत प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2014 में जन-धन योजना की घोषणा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की थी। इसका मकसद देश के हर नागरिक को बैंकिंग सुविधा से जोडऩा है और इसके तहत 31.31 करोड़ लोगों को फायदा भी मिला। माना जाता है कि अर्थ जगत के क्षेत्र में ये दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। इसी सरकार ने बरसों से लटकी वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी को एक जुलाई 2017 की आधी रात को लागू किया। इसी तरह केंद्र सरकार ने मुद्रा योजना भी लागू की। 8 अप्रैल 2015 को लागू इस योजना के तहत गैर कारपोरेट, गैर कृषि लघु उद्योगों के लिए दस लाख रूपए तक की रकम दी जाती है। जिसे सहकारी बैंक, लघु वित्तीय बैंक और दूसरे संस्थानों से दिया जाता है। मोदी सरकार ने इसके साथ ही मेक इन इंडिया, स्टार्टअप आदि योजनाएं शुरू की। योग को वैश्विक मान्यता दिलाने और 21 जून को विश्व योग दिवस शुरू कराने का श्रेय भी मोदी सरकार को ही जाता है। मोदी सरकार की ही वजह से देश में डिजिटलाइजेशन को गति मिली। हालांकि नौकरशाही की रोड़ेबाजी से इसका भी पूरा फायदा नहीं मिल पाया। सरकार ने न्यायिक नियुक्ति आयोग को लेकर संसद से विधेयक पारित कराया। जिससे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की मौजूदा कोलेजियम व्यवस्था की बजाय प्रतियोगिता आधारित व्यवस्था लागू होती। लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट ने आमसहमति से खारिज कर दिया और सरकार की एक अच्छी योजना लागू होते-होते रह गई। अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई तो मोदी सरकार ने इसे कानून बनाकर पलट दिया। इससे सवर्ण तबका नाराज हो गया तो सरकार ने हारकर आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पारित कर दिया।

बहरहाल मोदी सरकार की कुछ नाकामियां भी हैं। जिस पर विपक्षी दल सवाल उठाते रहे हैं। 8 नवंबर 2016 को लागू नोटबंदी अच्छे उद्देश्य से शुरू की गई थी। लेकिन बैंकिंग सेक्टर ने इसके पूरे लाभ को उठाने नहीं दिया। इसी तरह मोदी सरकार की एक और बढिय़ा योजना रही स्किल इंडिया, इसके तहत देश के युवाओं का कौशल विकास करना था। लेकिन इसे भी सही तरीके से लागू नहीं किया जा सका। मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का भी पूरा फायदा नहीं उठाया जा सका। इस सरकार से लोगों को उ मीद थी कि वह कश्मीर से धारा 370 हटाने में कामयाब होगी या अनुच्छेद 35 ए के प्रावधान को खत्म करेगी। लेकिन यह भी संभव नहीं हो पाया। वैसे राज्यसभा में बहुमत ना होने की वजह से इस सरकार के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है। इसी तरह राममंदिर बनाने की दिशा में ठोस पहल किए जाने की भी उ मीद लोगों ने लगा रखी थी। लेकिन यह भी संभव नहीं हो पाया।

उमेश चतुर्वेदी

 

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