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मौलिक भारत संस्था द्वारा नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे वे प्राधिकरणों में अभी भी चल रही व पूर्व की अनियमितताओं व अराजकता के संदर्भ में शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र

                                                                                                  प्रेस विज्ञप्ति
प्रतिष्ठित संस्था मौलिक भारत ने दिनांक 24/ 01/2021 को   प्रतिवेदन  मीडिया को जारी किया जो संस्था ने नोयडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में पिछले दो दशकों से चल रही लूट के खेल को विस्तार से उजागर करते  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को  शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र  भेजी गयीं है।  विस्तृत  प्रतिवेदन पर संस्था की ओर से महासचिव अनुज अग्रवाल व केंद्रीय कार्यकारणी के बरिष्ठ सदस्यों महेश सक्सेना (अध्यक्ष , नोयडा लोक मंच),  संजय शर्मा , अनिल गर्ग,  ने हस्ताक्षर किए।  संस्था का आरोप है कि पिछले लगभग चार वर्षों के कार्यकाल में भी आपकी सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी तीनो  प्राधिकरणों की कार्यशेली में  किंचित बदलाव भी नहीं आया  यद्यपि अनियमितताओं में विस्तार ही हुआ है । आज भी पिछले गड़बड़ी व घोटालों पर कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई  एवं बिल्डरों की मनमानी निरंतर जारी है, निवेशक त्रस्त है व विभिन्न जाँच आयोगों, जाँच शिकायतों व सीएजी आदि की रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। लंबे समय बाद आज भी नोयडा प्राधिकरण का सीएजी  ऑडिट जारी है। कहने को इसका दायरा बढ़ गया है मगर अभी तक बड़ी हेराफेरी सामने आने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई ? उल्टे पिछले वर्ष नोयडा प्राधिकरण में आग लगने से हज़ारों फाइलें जलकर खाक हो गईं या कर दी गई और जिसके साथ ही न जाने कितने घोटाले राख हो गए। प्रश्न यह है कि क्या सीएजी की जांच टीम दबाब व समझौते का शिकार हो गयी ? यह विस्तृत जांच व तीव्रतम कार्यवाही का प्रश्न है।
 जिनमे प्रमुख  शिकायत  निम्न प्रकार हैं –
  1) आपकी सरकार के कार्यकाल में भी अनेको बार प्राधिकरण अधिकारियों द्वारा क्रेडाई, NARDECO बिल्डर नेतृत्व द्वारा की गई सांठगांठ संस्तुति पर बोर्ड मीटिंग़ो के निर्णयों के द्वारा अवांछित लाभ दिया गया व दिया जा रहा है जो कि क़ानून व न्याय  की दृष्टि से  गैर कानूनी एवं अनियमितता का परिचायक है। आपके बार बार आदेश देने व आश्वासन के बाद व अनेक न्यायालयों के निर्णयों के बाबजूद भी क्यों आपकी सरकार, तीनो प्राधिकरण , रेरा घर ख़रीदने वालों द्वारा पूरा पेसा देने के वर्षों बाद भी मकान/ फ़्लैट नहीं दे पा रहे हैं? क्या इतने उत्पीड़न के बाद भी इन निवेशकों से पूरी स्टांप फ़ीस लेना उचित है? क्या यह फ़ीस रू 1000/ मात्र व पंजीकरण शुल्क रू 10000/ मात्र नहीं किया जा सकता? उच्च न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल बनाया जाए जो सीएजी द्वारा की गयी जाँच रिपोर्ट व इन तीनों प्राधिकरणों के विगत २०१७ से आज तक क्रेडाई, NARDECO की सलाह/संस्तुति पर बोर्ड मीटिंग़ो के सभी निर्णयों, अधिग्रहण, आबंटन, ठेकों, आमदनी व भुगतान की जांच व समीक्षा निर्धारित समय में करे व प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दोषियों व अनियमितताओ को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्यवाही करे।
  2) नॉएडा प्राधिकरण द्वारा मुआवज़े के रूप में दिए जाने वाले 5% प्लॉट का आवंटन भारी अनियमितता का शिकार हैं। पिछले 20 वर्षों में जिन किसानो की ज़मीन अधिग्रहीत की गयी उनमें से अधिकांश को अभी तक प्लॉट का आवंटन नहीं किया गया है किंतु पिछले 10_12  वर्षों में अधिग्रहित ज़मीनो के चुनिंदा  राजनीतिक प्रभाव एवं नौकरशाह साथ साठगांठ से वरीयता को दरकिनार कर आवंटित किए गए  एवं 5% प्लॉट देने की योजना में ऐसे बहुत से लोगों को प्लॉट आवंटित किए गए हैं जो मूल कृषक नहीं हैं व सेकेंड बायर हैं।  मात्र मूल कृषक को ही 5% प्लॉट देने का प्रावधान किया जाना चाहिए।
3)  व्यवसायिक एवं औद्योगिक श्रेणी के  अवंटी नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के विकास के आधारभूत स्तंभ रहे हैं.. तदनुसार  वंचित  व्यवसायिक एवं औद्योगिक आवंटी के लिए एक निष्पक्ष व पारदर्शी नीति बनाकर आवासीय भूखंड आवंटन  योजना  एवं उसका अनुपालन अविलंब सुनिशचित किया जाए।
4)पिछले वित्त वर्ष में व वर्तमान  कोरोना काल में जनसुविधा के नाम पर किए गए कार्य घोर अनियमित्तता का उदाहरण हैं। इस काल में लगभग हर विकास कार्य ठेके में मनचाहे रेट पर घोर अनियमितता व मनमानापन किया गया व अनेक अनावश्यक कार्यों को भी किया गया जिसमें बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन की बर्बादी की गयी (उदाहरणार्थ : अनाप शनाप रेट पर  पूरे शहर के खंबों पर तिरंगी चीन निर्मित लाइटों का लगाना, सेक्टरों में किए गए नाली निर्माण- रखरखाव, फुटपाथ व टाइलों के नवीनीकरण अनेकों बार पुनरावृति, पार्कों , सड़कों, चौराहे, प्रमुख स्थलों आदि के सौंदर्यकरण (गमले व वर्टीकल गार्डन)आदि विभिन्न अस्थायी निर्माण कार्य किए गए जिनके चलने की भी कोई अवधि गारंटी भी नहीं बल्कि मृग मरीचिका सम्मत सौंदर्य करण व्यवस्था.. ये सभी वर्तमान समय में गहन जाँच व उचित व कड़ी क़ानूनी कार्यवाही के विषय हैं।
5)  स्पोर्ट सिटी के नाम पर बड़ा गड़बड़झाला-खेल किया गया एवं  भूखंड का अधिकतम भाग  छोटे-छोटे बिल्डर भूखंड बनाकर  लाभ नीति के अंतर्गत  अनन्य बिल्डर्स को  पुनर विक्रय  कर  अंतरण किया गया..  उपरोक्त भू माफिया-नौकरशाही मिलीभगत के कारण किसी भी दोषी के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही का प्रयास  नहीं किया गया..  नव षड्यंत्र के अंतर्गत प्राधिकरण द्वारा एक कमेटी बनाकर स्पोर्ट सिटी अवंतीओं का पुनरुद्धार करने के लिए प्राधिकरण बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव लाया गया.
6)  प्राधिकरण अधिकारियों एवं राजनीतिक_भूमाफिया मिलीभगत के कारण पार्किंग माफिया व रेहड़ी पटरी माफिया को लगातार शह दी जा रही. अनियमित कार्यप्रणाली के प्रचलन वर्तमान अधिकारियों के व्यक्तिगत लाभ के अंतर्गत अभी भी जारी है व प्राधिकरण अधिकारियों के संरक्षण के कारण अधिक विकराल रूप नासूर बन गया है। इसको कड़ाई से रोकने व दोषियों की कड़ा दंड देना अत्यंत आवश्यक है। वेंडर को व्यवस्थित करना जिला प्रशासन और पुलिस के कार्य क्षेत्र मे होना चाहिए।
7)  बिल्डरों भू माफिया एवं नौकरशाह द्वारा  नीति अनियमितताओं पर नज़र रखने के लिए स्वायत्त व प्रभावी स्थायी निगरानी तंत्र की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है
8)  तीनो प्राधिकरणों से जुड़े नोकरशाहों के साथ अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी भी भ्रष्ट हैं व अनेक जाँचो में दोषी भी पाए गए हैं। किंतु थोड़े समय के लिए निलंबित या आपस में ट्रांसफ़र आदि करके इनको बनाए रखा गया हुआ है। अधिकांश की भर्ती तत्कालीन सरकारों के द्वारा 2002 से  2017 के मध्य भ्रष्ट राजनीतिक  परिवारों  के सदस्यों  की नियुक्ति  की गयी है व अनेक भ्रष्ट लोगों को रिटायरमेंट के उपरांत सलाहकार बनाकर रखा गया है । ये सभी अपनी दीर्घकालीन निपुणता  से दलाली व भ्रष्टाचार में संलिप्त है व इनके ख़िलाफ़ आवश्यक सख़्त कार्यवाही ज़रूरी है।
  9) नोटिफ़ाइड क्षेत्र के गाँवों के आसपास की भूमि के ई ग्रहण लिए आजतक तीनो प्राधिकरणों व ज़िला प्रशासन ने कोई योजना गंभीर नहीं बनाई। इस कारण ये गाँव अराजकता व अवैध निर्माण का अड्डा बन गए हैं।
10)  चूंकि नोयडा, ग्रेटर नोएडा वे तीनों प्राधिकरण अपनी स्थापना के मूल उद्देश्य से पूर्णतः भटक चुके हैं इसलिए इनको तत्काल प्रभाव से भंग किया जाए एवं  प्राधिकरणों की जगह नगर निगम व्यवस्था को स्थापित किया जाए ताकि  इस क्षेत्र के विकास में  व्यापक जन भागीदारी व पारदर्शिता आ सके।
 11) मकान व फ्लेट की चाह में निवेश करने वाले वाले लाखों  flat buyersबुरी तरह परेशान निवेशकों से  बची हुई धनराशि वसूलने से पहले बिल्डरों, सरकारी कर्मचारियों व राजनेताओं द्वारा  की गई लूट वसूली जाए व उसको लंबित प्रोजेक्ट्स में लगाया जाए। अगर उसके बाद भी प्रोजेक्ट पूरा करने में धन की कमी हो तो निवेशकों  से बच्ची राशि की मांग की जाए।
12) सभी पूरे हो चुके अथवा निर्माणाधीन ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में अनिवार्य रूप से 25% मकान आर्थिक एवं जातिगत  रूप से पिछड़े लोगों के लिए आबंटित/ निर्माण करने के आदेश तुरंत जारी किए जाएं।
13) विभिन्न जांचों में चिन्हित दोषियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कानूनी कार्यवाही की जाए व इस प्रकार के अपराधों को देशद्रोह-राष्ट्रद्रोह  की श्रेणी में रखा जाए। रेरा कानून को कड़ाई से प्रभावी किए जाएं। तीनों प्राधिकरणों के वर्तमान व सेवानिवृत्त कर्मचारियों की व यहाँ पोस्टिंग पर रहे अधिकारियों एवं उनके परिवार  को  पूर्व  30 वर्षों में एक मकान या प्लाट के अतिरिक्त  खरीदे  एवं आबंटित सभी आबंटन रद्द किए जाए व इन सभी की परिवार सहित सम्पत्तियों की जांच हो साथ ही सभी पुराने कर्मचारियों का यहाँ से स्थानांतरण हो। पूर्व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के पश्चात सलाहकार के रूप में नियुक्ति न हो।
14). पूर्व ग्रुप हाउसिंग बिल्डर भूखंड आवंटन द्वारा प्रथम दृष्टया अनियमितता पाए जाने पर काली सूची में डाला जाए एवं उनको उनके परिवार एवं संबंधित कंपनियों को भविष्य में किसी भी आवंटन की वरीयता ना दी जाए और यदि ऐसा पाया जाता है तो उनकी जमा राशि को शासन के  हित में जप्त कर लिया जाए..
  2017 वर्ष में वर्तमान सरकार के कार्यकाल के पदार्पण के समय असहाय बिल्डरफ्लैट बायर के साथ किया गया 100 दिन में  50,000 फ्लैट्स कब्जा का वादा एवं वर्तमान 2021 वर्ष में प्राधिकरण द्वारा मुंगेरीलाल सम्मत Affordable Housing के नाम पर पुनः 50,000 फ्लैट्स बनाने का शगुफा (यद्यपि प्राधिकरण अपने 100 फ्लैट्स का भी विक्रय नहीं कर पाया एवं  500 फ्लैट  किराए पर  देने में असमर्थ रहा) यह मृतिका संवत योजना वर्तमान सरकार के पटाक्षेप का संकेत ना हो जाए. भारत राष्ट्र के  उत्तर प्रदेश राज्य  के इस  अंतरराष्ट्रीय  आर्थिक क्षेत्र जिला गौतम बुध नगर को देश विदेश के बड़े निवेश का हब बनाने, यहाँ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, फ़िल्म सिटी, खेल संस्कृति, उद्योग, व्यापार का प्रमुख केंद्र बनाने का आपका आपकी सरकार व प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना एवं  धरातल पर  क्रियान्वयन हेतु प्रयास केवल सपना ही रह जाएगा।
 
भवदीय
अनुज अग्रवाल
महासचिव
मौलिक भारत
9811424443

प्रतिष्ठा में,

योगी आदित्यनाथ जी
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार
लखनऊ

बिषय: नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे वे प्राधिकरणों में अभी भी चल रही व पूर्व की अनियमितताओं व अराजकता के संदर्भ में शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र

परम आदरणीय,
मौलिक भारत संस्था विगत 8 बर्षों से अधिक समय से देश मे सुशासन, पारदर्शिता को लाने व भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्य कर रही है।उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचारी यादव सिंह सिंडिकेट व डीएनडी टोल पर चल रही लूट का खुलासा करने व यादव सिंह को जेल में डलवाने एवं डीएनडी ब्रिज को टोलमुक्त करवाने एवं गौतम बुध नगर जिला में प्राधिकरण में नियुक्त अधिकारी एवं नौकरशाह के साथ भू माफिया बिल्डर्स गतिविधियों का खुलासा करने में संस्था की सतर्कता पूर्वक प्रमुख भूमिका रही।
जिला गौतम बुद्ध नगर के नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे तीनों प्राधिकरणों में चलती रही अनियमितताओं , भ्रष्टाचार व लूट के विरुद्ध हमारी संस्था ने निरंतर संघर्ष किया व अनेक अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही भी करायी। सुशासन, पारदर्शिता व चुनाव सुधारों पर हमारी संस्था के प्रयास व विश्वसनीयता असंदिग्ध है।
नोएडा, ग्रेटर नोयडा व यमुना एकप्रेसवे प्राधिकरण अपनी मूल भूमिका व उद्देश्यों से भटक गये व एक प्रॉपर्टी डीलर व भू माफिया के Gangsters रूप में बदल चूके है व नौकरशाह-राजनीतिज्ञ द्वारा व्यक्तिगत लाभ हेतु संरक्षित बिल्डर माफिया के द्वारा नियंत्रित हो गए । आपके नेतृत्व में पिछले लगभग चार वर्षों के कार्यकाल में भी आपकी सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी तीनो  प्राधिकरणों की कार्यशेली में  किंचित बदलाव भी नहीं आया  यद्यपि अनियमितताओं में विस्तार ही हुआ है । आज भी पिछले गड़बड़ी व घोटालों पर कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई  एवं बिल्डरों की मनमानी निरंतर जारी है, निवेशक त्रस्त है व विभिन्न जाँच आयोगों, जाँच शिकायतों व सीएजी आदि की रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। लंबे समय बाद आज भी नोयडा प्राधिकरण का सीएजी  ऑडिट जारी है। कहने को इसका दायरा बढ़ गया है मगर अभी तक बड़ी हेराफेरी सामने आने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई ? उल्टे पिछले वर्ष नोयडा प्राधिकरण में आग लगने से हज़ारों फाइलें जलकर खाक हो गईं या कर दी गई और जिसके साथ ही न जाने कितने घोटाले राख हो गए। प्रश्न यह है कि क्या सीएजी की जांच टीम दबाब व समझौते का शिकार हो गयी ? यह विस्तृत जांच व तीव्रतम कार्यवाही का प्रश्न है।
ग्रुप हाउसिंग घोटाले के कारण तीनों प्राधिकरणों में सैकड़ों बिल्डरों द्वारा लाखो लोगो से फ्लैट आवंटन/ खरौद के नाम पर अरबों रुपए (लाखों करोड़)  की लूट  हुई  व आज भी अधिकांश आवंटी सिर पर बैंकों का कर्ज लेकर बिना मकान दर- दर की ठोकर खा रहे व प्रदेश सरकार तमाम बड़ी बड़ी बातों के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रही है। बिल्डर, प्राधिकरणों के अधिकारियों, नौकरशाह व नेताओं के व्यक्तिगत स्वार्थ एवं लाभ के अंतर्गत सांठगांठ गठजोड़ के कारण आम जनता रोज मूर्ख बनाई जा रही।  सर्वविदित हैं कि अधिकांश प्रोजेक्ट्स नोकरशाह व नेताओं के हिस्सेदारी में  काले धन – हवाला सम्मत गुप्त-बेनामी निवेश है और अभी तक कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका..  क्या इस सांठगांठ गठजोड़ के खिलाफ आपकी सरकार से कोई कड़ी कार्यवाही  किए जाने की अपेक्षा की जा सकती है ?

हमारे बिंदुबार आरोप आपके संज्ञान एवं समय रहते निवारण हेतू निम्न प्रकार हैं :

1) तीनो प्राधिकरणों द्वारा  विभिन्न प्रख्यात एवं डिफॉल्टर बिल्डर्स : यूनिटेक, आम्रपाली, बेब, लोजिकस, थ्रीसी-lotus , बीपीटीपी, जेपी, गौड़ संस, सुपरटेक, AIMS_Gardenia, पंचशील व  अनन्य सभी बिल्डरों को बिल्डर भूखंड आवंटित किए गए  या लाभकारी नीति के अंतर्गत सैकड़ों एकड़ आवंटित भूखंडों का टुकड़ों में विभाजन  करने की अनुमति देकर अनधिकृत लाभ पहुंचाया गया। आबँटी बिल्डर्स द्वारा प्राधिकरण की मिलीभगत से नियमो में निजी हित व निवेशकों को लूटने के लिए मनमर्ज़ी से बदलाव करवाए गए व उल्लेखित नियमों व देयता का निरंतर उल्लंघन करते हुए रिशेडुलमेंट की अनावश्यक पुनरवृत्ति कर बिना देयता भुगतान के अनेकों अनेक समय विस्तार सहायता की गयी जिसका आपकी सरकार के कार्यकाल में भी अनेको बार प्राधिकरण अधिकारियों द्वारा क्रेडाई, NARDECO बिल्डर नेतृत्व द्वारा की गई सांठगांठ संस्तुति पर बोर्ड मीटिंग़ो के निर्णयों के द्वारा अवांछित लाभ दिया गया व दिया जा रहा है जो कि क़ानून व न्याय  की दृष्टि से  गैर कानूनी एवं अनियमितता का परिचायक है। आपके बार बार आदेश देने व आश्वासन के बाद व अनेक न्यायालयों के निर्णयों के बाबजूद भी क्यों आपकी सरकार, तीनो प्राधिकरण , रेरा घर ख़रीदने वालों द्वारा पूरा पेसा देने के वर्षों बाद भी मकान/ फ़्लैट नहीं दे पा रहे हैं? क्या इतने उत्पीड़न के बाद भी इन निवेशकों से पूरी स्टांप फ़ीस लेना उचित है? क्या यह फ़ीस रू 1000/ मात्र व पंजीकरण शुल्क रू 10000/ मात्र नहीं किया जा सकता?

2) नॉएडा प्राधिकरण द्वारा मुआवज़े के रूप में दिए जाने वाले 5% प्लॉट का आवंटन भारी अनियमितता का शिकार हैं। पिछले 20 वर्षों में जिन किसानो की ज़मीन अधिग्रहीत की गयी उनमें से अधिकांश को अभी तक प्लॉट का आवंटन नहीं किया गया है किंतु पिछले 10_12  वर्षों में अधिग्रहित ज़मीनो के चुनिंदा  राजनीतिक प्रभाव एवं नौकरशाह साथ साठगांठ से वरीयता को दरकिनार कर आवंटित किए गए  एवं 5% प्लॉट देने की योजना में ऐसे बहुत से लोगों को प्लॉट आवंटित किए गए हैं जो मूल कृषक नहीं हैं व सेकेंड बायर हैं।  यह सब बंदर बांट लूट का बड़ा खेल है। मात्र मूल कृषक को ही 5% प्लॉट देने का प्रावधान किया जाना चाहिए। यह एक बड़ा घोटाला है जिसमें बड़ी मात्रा में रिश्वत एवं पुनः खरीद-फरोख्त द्वारा भू माफिया-राजनीतिज्ञों-नौकरशाह की तूती  बोल रही है। वरीयता नियम विरुद्ध इस ज़मीन की आवंटन के साथ ही बाज़ार में बिक्री की जा रही व अवैध निर्माण व अनियंत्रित वाणिज्यिक कार्यों में उपयोग किया जा रहा जो पूर्णत गैर क़ानूनी है जिसको बोर्ड मीटिंग में  अवंटी मांग बनाकर मान्यता देने का षड्यंत्र चल रहा है । संबंधित  अनियमितताओं एवं  षड्यंत्र को रोककर उचित क़ानूनी कार्यवाही की जाए व नई पारदर्शी व्यवस्था बनाई जानी  वर्तमान आवश्यकता जिससे यह कहीं नासूर बनकर ना  उभर जाए.

  3) प्राधिकरणों द्वारा उद्योग, व्यावसायिक, ग्रामीण व प्राधिकरण कर्मचारियों के लिए वरीयता स्तर पर आवासीय भूखंड आरक्षित श्रेणी में आवंटन हेतु योजना सन 2004 व 2006 में निकाली गयी थी उसके बाद से व्यावसायिक व उद्योग के वंचित आवेदकों को आज तक कोई आवंटन योजना नहीं किया गया यद्यपि गोपनीय रूप से नोयडा प्राधिकरण के समस्त कर्मचारियों को ग्रेटर नोयडा प्राधिकरण में आरक्षित भूखंड आवंटित किए गए। इसी क्रम में सन 2011 में कृषक वर्ग के लिए आवासीय भूखंड योजना का प्रावधान किया गया जिसका अनुपालन अभी भी लंबित है व वर्तमान वर्ष में होने की संभावना है परंतु शेष दो वर्गों  के वंचित आवेदकों (व्यवसायिक एवं उद्योग) के लिए आज तक भी कोई योजना  प्रावधान नहीं किया गया। यह प्राधिकरण की तुग़लकी कार्यशेली का नमूना है व्यवसायिक एवं औद्योगिक श्रेणी के  अवंटी नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के विकास के आधारभूत स्तंभ रहे हैं.. तदनुसार  वंचित  व्यवसायिक एवं औद्योगिक आवंटी के लिए एक निष्पक्ष व पारदर्शी नीति बनाकर आवासीय भूखंड आवंटन  योजना  एवं उसका अनुपालन अविलंब सुनिशचित किया जाए।

4) वर्तमान सरकार के वर्तमान कार्यकाल प्रारंभ 2017-18 अंतर्गत नोयडा प्राधिकरण द्वारा 2018 से नोएडा आवासीय भूखंड योजना निविदा प्रक्रिया के अंतर्गत जारी की गयी है । जो  निरंतर सन 2018, 2019, 2020 एवं 2021 में लायी गयी  आवासीय भूखंड योजना.. आवंटन निविदा प्रक्रिया के नियमो एवं वरीयता का खुला उल्लंघन , मनमर्ज़ी, जातिगत एवं व्यक्तिगत व व्यक्ति विशेष  हित में लिया गया दिखता है। यद्यपि ऐसी किसी प्रणाली के अंतर्गत ग्रेटर नोयडा व यमुना एकप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा कोई आवासीय भूखंडों का आवंटन नहीं किया गया। इसकी न्यायिक जाँच व समय अनुसार उचित कार्यवाही आवश्यक है।

5)पिछले वित्त वर्ष में व वर्तमान  कोरोना काल में जनसुविधा के नाम पर किए गए कार्य घोर अनियमित्तता का उदाहरण हैं। इस काल में लगभग हर विकास कार्य ठेके में मनचाहे रेट पर घोर अनियमितता व मनमानापन किया गया व अनेक अनावश्यक कार्यों को भी किया गया जिसमें बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन की बर्बादी की गयी (उदाहरणार्थ : अनाप शनाप रेट पर  पूरे शहर के खंबों पर तिरंगी चीन निर्मित लाइटों का लगाना, सेक्टरों में किए गए नाली निर्माण- रखरखाव, फुटपाथ व टाइलों के नवीनीकरण अनेकों बार पुनरावृति, पार्कों , सड़कों, चौराहे, प्रमुख स्थलों आदि के सौंदर्यकरण (गमले व वर्टीकल गार्डन)आदि विभिन्न अस्थायी निर्माण कार्य किए गए जिनके चलने की भी कोई अवधि गारंटी भी नहीं बल्कि मृग मरीचिका सम्मत सौंदर्य करण व्यवस्था.. ये सभी वर्तमान समय में गहन जाँच व उचित व कड़ी क़ानूनी कार्यवाही के विषय हैं।

6) बिना किसी पूर्व आँकलन व तकनीकी और वित्तीय समर्थता के स्पोर्ट सिटी के नाम पर नोयडा प्राधिकरण द्वारा फ़र्ज़ी योजना बनाकर भू माफिया के हित में साँठगाँठ कर बड़ी मात्रा में ज़मीन का आवंटन किया गया यद्यपि प्राधिकरण द्वारा पूर्व में विकसित अपने स्टेडियम का चालीस वर्षों से विकसित करने के नाम पर  लगभग 1000 करोड़ रुपया लगाने के उपरांत भी तकनीकी स्तर पर अपेक्षित समय अनुसार उपयोग नही किया जा सका व खेल व संबंधित गतिविधियाँ सामान्य रूप से नहीं चल पाई.. यह स्वतः उदाहरण है कि कैसे प्राधिकरण के अधिकारी  असमर्थ बिल्डर्स को सपोर्ट सिटी प्लॉट आवंटित व विकसित करने की आड़ में भू माफिया से मिलकर बिल्डर हाउसिंग प्रोजेक्ट खड़े कर मोटा मुनाफ़ा कमाने में ज़्यादा इच्छुक  रहे.. इसी कारण स्पोर्ट सिटी के नाम पर बड़ा गड़बड़झाला-खेल किया गया एवं  भूखंड का अधिकतम भाग  छोटे-छोटे बिल्डर भूखंड बनाकर  लाभ नीति के अंतर्गत  अनन्य बिल्डर्स को  पुनर विक्रय  कर  अंतरण किया गया..  उपरोक्त भू माफिया-नौकरशाही मिलीभगत के कारण किसी भी दोषी के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही का प्रयास  नहीं किया गया..  नव षड्यंत्र के अंतर्गत प्राधिकरण द्वारा एक कमेटी बनाकर स्पोर्ट सिटी अवंतीओं का पुनरुद्धार करने के लिए प्राधिकरण बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव लाया गया..

7) प्राधिकरण अधिकारियों एवं राजनीतिक_भूमाफिया मिलीभगत के कारण पार्किंग माफिया व रेहड़ी पटरी माफिया को लगातार शह दी जा रही.. जिसके कारण पूरा शहर निवासी त्रस्त है। प्राधिकरण के ‘पूर्व पुलिस अधिकारी-एचवीएस भदोरिया’ के कार्यकाल में 20बी शताब्दी के प्रारंभ से निरंतर 2 दशकों से से अधिक समय से व्यक्तिगत धनशोधन-उगाही लाभ व्यवस्था का विस्तार किया गया संबंधित अधिकारी वर्तमान सरकार के आते ही  सेवानिवृत्ति पत्र  अंतर्गत  निवृत्त  हो गया  जिसकी  जाँच भी चल रही है लेकिन अनियमित कार्यप्रणाली के प्रचलन वर्तमान अधिकारियों के व्यक्तिगत लाभ के अंतर्गत अभी भी जारी है व प्राधिकरण अधिकारियों के संरक्षण के कारण अधिक विकराल रूप नासूर बन गया है। इसको कड़ाई से रोकने व दोषियों की कड़ा दंड देना अत्यंत आवश्यक है। वेंडर को व्यवस्थित करना जिला प्रशासन और पुलिस के कार्य क्षेत्र मे होना चाहिए। पहली बार इन गरीब मेहनती लोगों को भारत के सरकार ने अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना है इसके लिए सरकार का बहुत बहुत आभार। लेकिन जैसा कि नोएडा मे आये दिन समाचार पत्रों के माध्यम से देखने को मिलता है कि इस अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग के साथ प्राधिकरण के कर्मचारी और आफिसर किस प्रकार से इनका उत्पीड़न करते है। ऐसे में  नोएडा मे वेंडर व्यवस्थित करने की कार्य को जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र मे रखी जानी चाहिए।

8) आदरणीय, बिल्डरों भू माफिया एवं नौकरशाह द्वारा  नीति अनियमितताओं पर नज़र रखने के लिए स्वायत्त व प्रभावी स्थायी निगरानी तंत्र की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है। आइटी/आइटीस प्रोजेक्ट की ज़मीन प्राधिकरण बिल्डर गठजोड़ की भेंट चढ़ चुकी है । रेक्रिएशन पार्क , इंटेरटेनमेंट पार्क , स्पोर्ट सिटी व आइटी पार्क आदि सभी के लिए आवंटित ज़मीने सन 2002 से 2017 के बीच ग़लत लोगों को अलॉट की जा चुकी हैं जो वर्तमान में भी नियमित है। ये सभी अलॉटी आर्थिक रूप से सक्षम  नहीं हैं, नियमो पर खरे नहीं उतरते व निविदा की शर्तों का खुल्लम खूल्ला उल्लंघन कर और Flat  ख़रीदने वालों व निवेशकों को खुलेआम लूट रहे हैं मगर आपके सख़्त निर्देशो के बाद भी तीनो प्राधिकरणों का योजना व वित्त एवं प्रशासनिक विभाग इनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं करता? दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख्त कदम उठाए जाना एवं प्राधिकरण को हो रही वित्त एवं विकास हानि को लगाम लगाना बहुत ज़रूरी है।

9) तीनो प्राधिकरणों से जुड़े नोकरशाहों के साथ अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी भी भ्रष्ट हैं व अनेक जाँचो में दोषी भी पाए गए हैं। किंतु थोड़े समय के लिए निलंबित या आपस में ट्रांसफ़र आदि करके इनको बनाए रखा गया हुआ है। अधिकांश की भर्ती तत्कालीन सरकारों के द्वारा 2002 से  2017 के मध्य भ्रष्ट राजनीतिक  परिवारों  के सदस्यों  की नियुक्ति  की गयी है व अनेक भ्रष्ट लोगों को रिटायरमेंट के उपरांत सलाहकार बनाकर रखा गया है । ये सभी अपनी दीर्घकालीन निपुणता  से दलाली व भ्रष्टाचार में संलिप्त है व इनके ख़िलाफ़ आवश्यक सख़्त कार्यवाही ज़रूरी है। इनकी व इनके परिवार की सन 2000 से अब तक अर्जित धन व संपत्ति की जाँच अनिवार्य होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि पूर्व 20 – 22 वर्षो बेनामी संपत्तियों का खरीद-फरोख्त वृहत्तर रही.. वर्तमान आवंटित 5% आवासीय पुनर्स्थापना भूखंड की आवंटन के उपरांत खरीद फरोख्त एवं हस्तांतरण जीता जागता उदाहरण है..

10)  बिल्डरों से अतिरिक्त कमाई के नाम पर प्राधिकरण अतिरिक्त FAR बेचते हैं तभी भी बिल्डर अपनी देनदारी, बढ़े FAR का मूल्य व स्टाम्प डयूटी कुछ भी नहीं चुकाते और अनजान ग्राहकों को झूठ बोलकर फ़्लैट बेच देते हैं इस गैर क़ानूनी खेल व स्टाम्प डयूटी की चोरी पर ज़िला प्रशासन का भी मौन रहना सांठगांठ एवं मिलीभगत होने का परिचायक है.. यह भी शासन स्तर पर त्वरित निर्णय लेकर गहन जाँच का विषय है।

11) नोटिफ़ाइड क्षेत्र के गाँवों के आसपास की भूमि के ई ग्रहण लिए आजतक तीनो प्राधिकरणों व ज़िला प्रशासन ने कोई योजना गंभीर नहीं बनाई। इस कारण ये गाँव अराजकता व अवैध निर्माण का अड्डा बन गए हैं। बिना नक़्शे के कई कई मंज़िले हज़ारों घर व कोमर्शियल भवन, अवैध बिजली, पानी, सीवर आदि के कनेक्शन योजनावद्ध लूट, भ्रष्टाचार व घोटालों की कहानी बता रहे हैं व किसी भी समय बड़ी महामारी एवं दुर्घटनाओं के शिकार होने की संभावना भी बता रहे हैं। इस पर विस्तृत जाँच व कार्यवाही अपेक्षित है।

12) एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के स्पष्ट निर्देश कि “हर हालात में कुल आवासीय इकाइयों का 20 से 25% आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए होना चाहिए” के बाद भी किसी भी  बिल्डर्स ग्रुप  हाउसिंग में एक भी मकान इस वर्ग के लिए नहीं बनाया गया.. इस कारण जिले के सैकड़ों गांव इस वर्ग की आबादी के बोझ के कारण स्लम में बदल गए एवं पर्यावरण की दृष्टि से भी गंभीर  दुर्दशा  का परिचायक है.. सामाजिक संस्था राइट इनिशिएटिव ने “जहां उच्च न्यायालय के आदेश dt.21 Oct2011 के अनुपालन में जांच रिपोर्ट है” के संबंध में मामला उठाया।लेकिन कोई जवाब नहीं। और किसी भी भ्रष्ट अधिकारी अधिकारियों और राजनेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है,  “माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में जांच रिपोर्ट कहां है dt.21 Oct2011 के बारे में मामला उठाया.14.12.2018 को, RISE ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के माननीय मुख्य न्यायाधीश को एक ज्ञापन / प्रतिवेदन भेजा।लेकिन कोई कार्यवाही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की एक खबर एनबीटी में प्रकाशित हुई थी २३.०२.२०१ ९ को कि  उच्च न्यायालय इलाहाबाद के दो न्यायाधीश इस मामले की जाँच करेंगे।. अब तक, इंक्वायरी रिपोर्ट नहीं आयी?

13) उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा सन 2016 से नोयडा प्राधिकरण के खातों की जांच चल रही है किंतू आज तक इस जांच जांच की आंशिक बातें तो सामने आयीं हैं पर पूर्ण रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है और न ही किसी के विरुद्ध कोई कार्यवाही की गई।

14) पिछले एक दशक में समय समय पर केंद्र सरकार, केंद्रीय जांच एजेंसियों, उच्चतम न्यायालय,उत्तर प्रदेश सरकार,उच्च न्यायालय, लोकायुक्त व अन्य सभी उपलब्ध फोरम पर इन तीनों प्राधिकरणों में चल रहे घपलों, लूट, अराजकता, घोटालों आदि के विरुद्ध हजारों शिकायतें दर्ज कराई गईं मगर कुछ एक फौरी व दिखाबटी मृग मरीचिका सम्मत कार्यवाही के अतिरिक्त आज तक कुछ भी नहीं हुआ।

ऐसे में हम आपके माध्यम से प्रदेश सरकार से निम्नलिखित मांग करते हैं –1) चूंकि नोयडा, ग्रेटर नोएडा वे तीनों प्राधिकरण अपनी स्थापना के मूल उद्देश्य से पूर्णतः भटक चुके हैं इसलिए इनको तत्काल प्रभाव से भंग किया जाए एवं  प्राधिकरणों की जगह नगर निगम व्यवस्था को स्थापित किया जाए ताकि  इस क्षेत्र के विकास में  व्यापक जन भागीदारी व पारदर्शिता आ सके।

2) तीनों प्राधिकरणों के सैकड़ों हाउसिंग व कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स में लाखों लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता के आधार पर ही सरकार द्वारा सूचीबद्ध बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स में निवेश किया था। ऐसे में अगर बिल्डर पैसा लेकर भागे या समय पर फ्लैट आदि नहीं दे रहे हैं तो इसमें सीधा सीधा दोष उत्तर प्रदेश सरकार का है जिसके मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश
पर तीनों प्राधिकरण बिल्डरों को निर्धारित शर्तों को बदलकर व मास्टर प्लान के विरुद्ध प्लाट आबंटित  करतेरहे। ऐसे में तत्कालीन मुख्यमंत्री,अधिकारियों व बिल्डरों से हुए नुकसान की वसूली कर अधूरे प्रोजेक्ट्स पूरे करवाए जाएं न की निवेशकों को शेष राशि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा करवाने के लिए कहा जाए। अगर वसूली में देरी हो रही हो तो . आवश्यक वित्त व्यवस्था  वित्त व्यवस्था उत्तर प्रदेश  सरकार उपलब्ध करवाए व निवेशकों से प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद उसको हुए नुकसान की रकम कम कर शेष राशि ही वसूली जाए।

२) मकान व फ्लेट की चाह में निवेश करने वाले वाले लाखों  flat buyersबुरी तरह परेशान निवेशकों से  बची हुई धनराशि वसूलने से पहले बिल्डरों, सरकारी कर्मचारियों व राजनेताओं द्वारा  की गई लूट वसूली जाए व उसको लंबित प्रोजेक्ट्स में लगाया जाए। अगर उसके बाद भी प्रोजेक्ट पूरा करने में धन की कमी हो तो निवेशकों  से बच्ची राशि की मांग की जाए।

3) उच्च न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल बनाया जाए जो सीएजी द्वारा की गयी जाँच रिपोर्ट व इन तीनों प्राधिकरणों के विगत २०१७ से आज तक क्रेडाई, NARDECO की सलाह/संस्तुति पर बोर्ड मीटिंग़ो के सभी निर्णयों, अधिग्रहण, आबंटन, ठेकों, आमदनी व भुगतान की जांच व समीक्षा निर्धारित समय में करे व प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दोषियों व अनियमितताओ को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्यवाही करे।

4) तीनों प्राधिकरणों के वर्तमान व सेवानिवृत्त कर्मचारियों की व यहाँ पोस्टिंग पर रहे अधिकारियों एवं उनके परिवार  को  पूर्व  30 वर्षों में एक मकान या प्लाट के अतिरिक्त  खरीदे  एवं
आबंटित सभी आबंटन रद्द किए जाए व इन सभी की परिवार सहित सम्पत्तियों की जांच हो साथ ही सभी पुराने कर्मचारियों का यहाँ से स्थानांतरण हो। पूर्व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के पश्चात सलाहकार के रूप में नियुक्ति न हो। पूर्व की सभी भर्तियों की जाँच की जाए। प्रतिनियुक्ति  पर आए कर्मचारी एवं अधिकारियों  को  निश्चित अवधि  के पश्चात  वापस उनके  मूल  विभाग में  भेजा जाए एवं नए कार्यकुशल IIM-IIT  शिक्षित निपुण व ईमानदार कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए।

5) सभी पूरे हो चुके अथवा निर्माणाधीन ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में अनिवार्य रूप से 25% मकान आर्थिक एवं जातिगत  रूप से पिछड़े लोगों के लिए आबंटित/ निर्माण करने के आदेश तुरंत जारी किए जाएं।

6) विभिन्न जांचों में चिन्हित दोषियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कानूनी कार्यवाही की जाए व इस प्रकार के अपराधों को देशद्रोह-राष्ट्रद्रोह  की श्रेणी में रखा जाए। रेरा कानून को कड़ाई से प्रभावी किए जाएं।

7). पूर्व ग्रुप हाउसिंग बिल्डर भूखंड आवंटन द्वारा प्रथम दृष्टया अनियमितता पाए जाने पर काली सूची में डाला जाए एवं उनको उनके परिवार एवं संबंधित कंपनियों को भविष्य में किसी भी आवंटन की वरीयता ना दी जाए और यदि ऐसा पाया जाता है तो उनकी जमा राशि को शासन के  हित में जप्त कर लिया जाए..

8).  नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र के गांव में अनधिकृत निर्माण के अंतर्गत बहुमंजिला Builder Flats  बनाया जाना प्राधिकरण की कबूतर नीति का परिणाम है  प्राधिकरण द्वारा बनाया गया NTPC मार्ग पर ऊपर गामी मार्ग  के दोनों ओर ग्रामीण क्षेत्र में किए गए अतिक्रमण को प्राधिकरण अधिकारियों द्वारा गोपनीय व्यक्तिगत लाभ नीति के अंतर्गत अनदेखा किया गया जिस की पुनरावृति दादरी रोड पर बन रहे Elevated Road_ ऊपरगामी पथ के दोनों और अगापुर से लेकर बरोला-भंगेल -सलारपुर  ग्रामीण क्षेत्र में निरंतर वृहद स्तर पर अतिक्रमण कर अनियमित निर्माण किया जा रहा है जिसमें प्राधिकरण एवं शासकीय स्तर पर अधिकारियों की व्यक्तिगत धन लाभ के अंतर्गत मिलीभगत-साठगांठ है..हाजीपुर (सेक्टर 104) एवं बहलोलपुर (सेक्टर 62) एवं होशियारपुर (सेक्टर 51) एवं सरफाबाद (सेक्टर 72-73) छलेरा-सदरपुर (सेक्टर 44-45) एवं नयाबास हरौला अट्टा क्षेत्र में पूर्ववत अनधिकृत व्यवसायिक भवन निर्माण अतिक्रमण का विकराल रूप धारण किए हुए है..  जिसका नाजायज फायदा वर्ग विशेष द्वारा नोएडा फेस 2 होजरी कंपलेक्स दादरी मुख्य मार्ग पर विकराल मस्जिद इमारतें विस्तारीकरण गतिमान है..  जोकि उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सर्वदा उल्लंघन है.

9)  पूरे जिले में नए प्रोजेक्ट्स के निर्माण पर रोक लगे, पुराने अधूरे प्रोजेक्ट्स सरकार अपनी जिम्मेदारी पर पूर्ण करवाए। निवेशकों से पूरे पैसे लेकर समय पर आबंटन नहीं देने से हुए
नुकसान की भरपाई की प्रक्रिया निर्धारित हो।

10) जो भी दोषी पाए जाएं उनको उचित सजा के साथ ही उनसे लुटे हुए धन की वापसी/वसूली की प्रक्रिया भी निर्धारित हो व एक विशेष कोष बनाकर वसूला धन उसमें जमा हो व उससे अधूरे प्रोजेक्ट पूरे कराए जाएं।

11) तीनो प्राधिकरणों के अंतर्गत आने वाले ग्रामो के अवैध निर्माण गिराए जाएं व इनमें रह रही अतिरिक्त आबादी जो अधिकांशतः उधोगों में काम करने वाले कर्मचारी है को विकसित व
व्यवस्थित स्थानों पर बसाया जाए।साथ ही आगे के लिए ज़रूरी दिशा निर्देश जारी किए जायें।

12) इन प्राधिकरणों में काम करने वाले बड़े बिल्डरों विशेष रूप से आम्रपाली, गौड़, सुपरटेक, गार्डेनिया, थ्री सी, लोजिक्स, बेब, बीपीटीपी, जेपी, व यूनीटेक जिनकी धांधलियों
की लगातार शिकायतें आ रही के विरुद्ध विशेष जांच की गयी हैं  व उच्चतम न्यायालय द्वारा भी  समय समय पर दिशा निर्देश दिए गए है। क़िंतु अभी तक भी निवेशकों को कुछ ख़ास लाभ नहीं मिल पाया है। ऐसे में इनके सभी आबंटन रद्द किए जाएं व इनके व अन्य सभी घपलेबाज बिल्डरों, सरकारी कर्मचारियों, ठेकेदारों व राजनेताओं के विरुद्ध देशद्रोह के मुकदमे दर्ज कर कार्यवाही की जाए व यूपी सरकार इन प्रोजेक्ट को अपने हाथों में लेकर पूरा करे।
13. ओधोगिक सेक्टरों (सेक्टर 2,3,4,5,6,7,8 व अन्य सेक्टर के आवासीय भूखंडों पर भी  त्वरित दुरुपयोग वाणिज्यिक गतिविधियों को रोकने के लिए आज तक कोई नीति नहीं बनाई गयी। यूपी इंडस्ट्रीयल ऐक्ट 1976 के अंतर्गत ओधोगिक इकाइयों को लगाने के लिए आवंटित यह भूमि अधिकारियों, नोकरशाह व व्यापारियों की मिलीभगत, लूट व उगाही का ज्वलंत उदाहरण है।इनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए व एनईए और उधोग विभाग की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
की लगातार शिकायतें आ रही के विरुद्ध विशेष जांच की गयी हैं  व उच्च एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा भी  समय समय पूर्व दो दशकों में अनन्या वादों के अंतर्गत पर दिशा निर्देश दिए गए.. क़िंतु अभी तक भी संबंधित दिशा निर्देशों एवं निर्णय पर शासन प्रशासन द्वारा अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया.. ऐसे में इनके सभी आबंटन रद्द किए जाएं व इनके व अन्य सभी गड़बड़झाला षड्यंत्र अंतर्गत भू माफिया बिल्डरों, सरकारी कर्मचारियों, ठेकेदारों व राजनेताओं के कृतियों के विरुद्ध देशद्रोह  मुकदमे दर्ज कर कार्यवाही की जाए व यूपी सरकार इन प्रोजेक्ट को अपने हाथों में लेकर पूरा करे।

भारत राष्ट्र के  उत्तर प्रदेश राज्य  के इस  अंतरराष्ट्रीय  आर्थिक क्षेत्र जिला गौतम बुध नगर को देश विदेश के बड़े निवेश का हब बनाने, यहाँ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, फ़िल्म सिटी, खेल संस्कृति, उद्योग, व्यापार का प्रमुख केंद्र बनाने का आपका आपकी सरकार व प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना एवं  धरातल पर  क्रियान्वयन हेतु प्रयास केवल सपना ही रह जाएगा।
आपसे अपेक्षा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि जनहित के इस अत्यंत संवेदनशील मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही हेतू यथोचित दिशानिर्देश जारी करेंगे। इस संदर्भ में किसी भी स्पष्टीकरण व
सलाह के लिए हमारी संस्था सदैव उपलब्ध है।

आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस दिशा में ठोस व निर्णयकारी कदम उठाएंगे।

भवदीय

अनुज अग्रवाल, महासचिव, मौलिक भारत

महेश सक्सेना (अध्यक्ष , नोयडा लोक मंच)  सदस्य, केंद्रीय कार्यकारिणी, मौलिक भारत

Adv.अनिल गर्ग, सदस्य, केंद्रीय कार्यकारणी, मौलिक भारत

Adv.संजय शर्मा, सदस्य, केंद्रीय कार्यकारिणी, मौलिक भारत

9811424443

www.maulikbharat.co.in

Date: 24/ 01/2021

प्रति प्रेषित –
1) प्रधानमंत्री, भारत सरकार

2) चेयरमेन, नॉएडा, ग्रेटर नोयडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण

3) ओधोगिक अवस्थापन मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार

4) मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, प्रयागराज  – की लगातार शिकायतें आ रही के विरुद्ध विशेष जांच की गयी हैं  व उच्चतम न्यायालय द्वारा भी  समय समय पर दिशा निर्देश दिए गए है। क़िंतु अभी तक भी निवेशकों को कुछ ख़ास लाभ नहीं मिल पाया है। ऐ से में इनके सभी आबंटन रद्द किए जाएं व इनके व अन्य सभी घपलेबाज बिल्डरों, सरकारी कर्मचारियों, ठेकेदारों व राजनेताओं के विरुद्ध देशद्रोह के मुकदमे दर्ज कर कार्यवाही की जाए व यूपी सरकार इन प्रोजेक्ट को अपने हाथों में लेकर पूरा करे।
आपसे अपेक्षा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि जनहित के इस अत्यंत संवेदनशील मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही हेतू यथोचित दिशानिर्देश जारी करेंगे। इस संदर्भ में किसी भी स्पष्टीकरण व
सलाह के लिए हमारी संस्था सदैव उपलब्ध है।
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस दिशा में ठोस व निर्णयकारी कदम उठाएंगे।

भवदीय

, मौलिक भारत

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