दिनांक- 31/12/2018
जा.क्र.भ्रविज- 45/2018-19
प्रति,
मा. अध्यक्ष महोदय,
लोकसभा, भारत सरकार,
नई दिल्ली.
विषय- लोकपाल लोकायुक्त कानून पर अंमल के लिए 30 जनवरी 2019 से मेरे गाँव रालेगणसिद्धी में आंदोलन शुरू करने के बारे में…
महोदय,
हमारे देश में लोकसभा और राज्यसभा यह लोकतंत्र के पवित्र मंदिर हैं। देश के सभी मतदाताओं को अपना पवित्र मत दे कर अपने चरित्रवान जनप्रतिनिधी लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में भेजने का अधिकार होता हैं। ऐसे जनप्रतिनिधीयों से संसद बनी हैं। संसद नाम के इस जनतंत्र के मंदिर में समाज और देश के हित में कानून बनते हैं। और ऐसे कानून पर अंमल करना यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती हैं। क्यों कि, हमारा देश कानून के आधार पर चलता हैं।
यह बड़ी गर्व की बात हैं की, हमारा देश दुनिका का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। विभिन्न जाति तथा संप्रदाय के लोग यहां रहते हैं। विभिन्न प्रांत, अलग अलग भाषा, अलग अलग संप्रदाय, अलग अलग पोशाक और विभिन्न संस्कृति होते हुए 72 साल बाद भी सव्वासौ करोड़ देशवासिय बड़े सद्भाव के साथ यहां रहते हैं। इसका महत्त्वपूर्ण कारण है कि, हमारे देश का संविधान बहुत ही सुन्दर हैं। संसद नाम के लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में संविधान के आधार पर समाज और देश के हित में कानून बनते रहें। और ऐसे कानून पर अच्छी तरह से अंमल होता रहा। ऐसे कानून के आधार पर देश चलता रहा, ऐसा मुझे लगता हैं।
लेकिन पिछले कुछ सालों से इस पवित्र परम्परा को केन्द्र सरकार के नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रभावित किया जा रहा हैं। आदरणीय महोदय जी, आप लोकसभा जैसे लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में अध्यक्ष के रूप में जम्मेदारी सम्भाल रहे हैं। देश हित में अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। आप वहां लोकसभा के अध्यक्ष होते हुए बड़े दुर्भाग्य से कहना पड़ रहा हैं कि, केंद्र सरकार लोकतंत्र की पवित्र परम्परा को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे स्थिती में कुछ गम्भीर बातों के प्रति आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए यह पत्र लिख रहां हूँ।
हमारे देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल लोकायुक्त कानून की माँग को ले कर देश की जनता कई सालों से कोशिश कर रही हैं। 1966 से 2010 तक 45 साल लोकपाल लोकायुक्त कानून के लिए कोशिश हो रही हैं। संसद में 8 बार बिल रखा गया। लेकिन, संसद में बैठे हुए राजनैतिक दल देश में लोकपाल लोकायुक्त जैसी व्यवस्था नहीं चाहते। इसलिए आठ बार बिल रखने के बाद भी पारित नहीं हो सका। लेकिन अप्रैल 2011 से देश की जनता रास्ते पर उतर आई। अगस्त 2011 में देश के लाखो लोगों नें शान्तिपूर्ण आन्दोलन दिल्ली के रामलिला और पुरे देश में किया। शायद, स्वतंत्रता के बाद यह सबसे बड़ा शान्तिपूर्ण आन्दोलन रहा होगा। इस आंदोलन की कई देशों ने सराहना भी की है। क्योंकी लाखो लोग रास्तेपर उतर गए थे लेकिन किसी ने एक पत्थर तक नहीं उठाया।
उस वक्त मनमोहन सिंग सरकार थी। मेरा दिल्ली के रामलिला मैदान पर अनशन जारी था। मनमोहन सिंग सरकारने जनता को सक्षम लोकपाल लोकायुक्त कानून पारित करने का लिखित आश्वासन दे दिया। सरकार धोखाधड़ी करेगी ऐसी आशंका ना होने के कारण उनके अनुरोध पर हमने 28 अगस्त 2011 को मेरा आन्दोलन वापस ले लिया। लेकिन सरकारन ने लिखित आश्वासन का पालन नहीं किया। लगभग ढाई साल तक सरकार लोकपाल लोकायुक्त कानून बनाना टालती रही। लेकिन मैंने मेरा प्रयास नहीं छोडा। मजबूर हो कर मैने मेरे गाँव राळेगणसिद्धी में 10 दिसम्बर 2013 को ‘करेंगे या मरेंगे’ इस इरादे से आन्दोलन शुरू किया। फिर से देश की जनता आंदोलन में उतर गयी। सरकारने फिर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया। रातदिन संसद चली। बहस हुई। उसके बाद 17 और 18 दिसम्बर को लोकसभा और राज्यसभा में लोकपाल लोकायुक्त विधेयक पारित हो गया। उसके बाद 1 जनवरी 2014 को महामहिम राष्ट्रपती जी के हस्ताक्षर के साथ लोकपाल लोकायुक्त अधिनियम 2013 कानून बन गया। 16 जनवरी 2014 को इस कानून का राजपत्र (Gazette) जारी किया गया। इस प्रकार एक ऐतिहासिक आन्दोलन के कारण व्यवस्था परिवर्तन के लिए और देश के भ्रष्टाचार को रोकथाम लगाने के लिए एक अच्छा कानून बन गया। इस इतिहास के आप भी एक गवाह हो। इस आन्दोलन के बाद देश में सत्ता परिवर्तन हो कर मोदी सरकार सत्ता में आ गयी। लग रहा ता की, अब इस कानून का पालन होगा और देश भ्रष्टाचार को रोकथाम लगेगी। जनता को न्याय मिलेगा।
भ्रष्टाचार को रोकनेवाला लोकपाल लोकायुक्त कानून तो बन गया। अब सिर्फ कानून पर अंमल करना हैं। लेकिन मोदी सरकार को सत्ता में आ कर साढ़ेचार साल हो गये, अब तक लोकपाल लोकायुक्त कानून पर अंमल नहीं किया गया हैं। मैंने 32 बार मोदी सरकार को पत्र लिखा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। सर्वोच्च न्यायालयने भी केंद्र सरकार को इस विषय पर कई बार फटकार लगाई हैं। फिर भी नेता विपक्ष नहीं हैं, वरिष्ठ कानूनविध नहीं हैं, ऐसी बहानेबाजी कर के कानून का अमल करना सरकार टालती गई। लोकपाल कानून पर अंमल करने से बच रहीं हैं। इसका मन ही मन बहुत दुख हो रहा हैं। समाज और देश हित के लिए लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में जनता की माँग पर जो कानून बन गया उस पर अंमल न करना यह लोकतंत्र के पवित्र मंदिर का अपमान हैं ऐसे मैं मानता हूँ। संसद के दोनों सदनों में बहुमत से यह कानून बना और सरकार इसका पालन नहीं कर रही है। ऐसे स्थिती में अध्यक्ष होने के नाते लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी निश्चित रूप से आप पर हैं, ऐसा मुझे लगता हैं। इसलिए लोकपाल लोकायुक्त कानून का अमल करने के बारें में आपको यह पत्र लिख राहं हूँ। आशा हैं कि, आप इस बारे में उचित कदम उठाएंगे। लोकपाल लोकायुक्त कानून बबने के बाद एक साल में हर राज्योंने लोकायुक्त कानून बनाना है। लेकिन पांच साल हो गए राज्यों में लोकायुक्त कानून नहीं बने।
देश में लोकपाल जो 01 जनवरी 2014 को राष्ट्रपतीजी के हस्ताक्षर हो गए है उसका अमल हों। लोकपाल लोकायुक्त कानून बनने के बाद एक साल के अंदर हर राज्योंने लोकायुक्त कानून बनाना है। ऐसा कानून कह रहा है। लेकिन लोकपाल कानून बनकर अब पांच साल हुए है। लेकिन अभी तक राज्योंने लोकायुक्त कानून नहीं बनाया वह कानून हर राज्य बनाऐ इसलिए मैं 30 जनवरी 2019 से मेरे गाँव राळेगणसिद्धी में आंदोलन शुरू कर रहां हूँ। धन्यवाद। जयहिंद।
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे