राजस्थान की आकाश में उड़ रहा कांग्रेस का तैयारा क्रैश लैंडिंग से बच गया. बुआ की सक्रियता और कोझिकोड हादसे से पायलट में ऐसी हदस बैठी कि लैंडिंग से इंकार कर दिया.इस करतब से गाजियाबाद के राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी के छोरे ने 1981की हिट फ़िल्म का रोमांटिक गाना याद दिला दी.
चित्रपट :-एक दूजे के लिए .
गीतकार : आनंद बक्षी,
सुर : लता – एस्. पी. बालसुब्रमण्यम,
संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,
बोल…
तुम हो बुद्धू मान लो, you are handsome जान लो
सब बातों को छोड़ के, आँखों को पहचान लो
आँखों ने आँखों से वादे यही किए
उसको क़सम लगे
जो बिछड़ के इक पल भी जिए
हम बने, तुम बने, एक दूजे के लिए……
कांग्रेस की सियासत में आज राहुल -प्रियंका के आगे सचिन पायलट नाच झूमकर यही गा रहे हैं. सचिन संग गहलोत की कुर्सी पलटने में लगा हर बंदा फिलहाल इसे गाने में लग गया है. मुख्यमंत्री गहलोत तुतलाती जुबान से कह रहे हैं -सुबह का भुला, शाम को घर आ जाए, तो उसे भुला नहीं कहते हैं.बाबू, यही सियासत है.
फिलहाल हवाइयाँ उनकी उड़ी है जो ऐन मौके पर पायलट को नेता मानने से इंकार कर गए थे.फूटकर गहलोत की सरकारी मलाई के लिए लुढ़क लिए थे.पासा पलटने के साथ एडजस्ट करने में मुश्किल आ रही है.उनका जो होना है सो होकर रहेगा.
कहने को फिर जादूगर अंकल का जादू चल गया है.बागी पायलट को शांत होकर “माया मिली न राम”. वापस प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिल रही. केंद्र की पॉलिटिक्स में लगाया जा रहा है.अब डूबती कांग्रेस को बचाने के लिए एड़ी रगड़ना होगा.
पायलट की पतली हुई हालत से इतर मेवाड़ के सियासी सिक्के का दूसरा पहलू भी चमकदार है.सब कुछ “सौ दिन में चले ढाई कोस” वाली चाल से हो रहा था.आजादी के दिन से एक दिन पहले यानी 14अगस्त को गहलोत सरकार का वारे न्यारे होना मुकर्रर था. लेकिन सुस्त रफ़्तार वसुंधरा की फुर्तीली चाल से मात खा गई.गहलोत की डोलती कुर्सी भूचाल में बच गई. क्रेडिट राणी को गया. चुस्ती से पासा पलट दिया.
सियासी ड्रामे के बीच घर बैठी थी तो भरम का बादल घना था. बादल को छांटने एक्टिव क्या हुई. पायलट को दिन में चाँद तारे दिखने लगे. साफ लग गया कि दोस्त की बुआ दाल गलने नहीं देगी. समझ आ गया कि सारा किया कराया बेकार चला जाएगा.लिहाजा लौट के घर को आ गए.
गहलोत संग गडमड के भरम को तोड़ती हुई राणी ने भरतपुर के किले से बाहर कदम रखा.कोरोना का रोना बंद किया.दिल्ली आई.शीर्ष नेताओं से जमकर मुलाक़ात की.
राणी के दमखम के प्रदर्शन पर सत्ता के खिलाड़ी गहलोत ने अफवाह उड़ा दी कि बीजेपी फूट मच गई.राखी से पहले गुजरात भेजे गए बीजेपी विधायक नाराज हैं.बीजेपी ने जैसे ही पायलट को मुख्यमंत्री बनवाया, उधर राणी पल्टन लेकर फुर्र हो जाएगी.
काट में राणी यकीन दिलाती रही कि गहलोत से कोई संपर्क नहीं है.कोई गडमड नहीं है.फिर भी पायलट का डोलता आत्मविश्वास हिलने से बच नहीं पाया. वैसे अतीत में बगावत से वापसी के इस चाल का प्रदर्शन सचिन के पिता स्व. राजेश पायलट भी कर चुके थे.
– अथ सियासी कथा