विज्ञान संबंधी विषयों के प्रचार-प्रसार और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी बाधा गुणवत्तापूर्ण विज्ञान साहित्य की भारतीय भाषाओं में कमी है। विकीपीडिया पर भी विज्ञान आधारित अधिकतर सामग्री अंग्रेजी में ही उपलब्ध है। विकीपीडिया पर हिंदी आलेखों की इस कमी को दूर करने के लिए अब एक नई परियोजना शुरू की जा रही है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित सॉफ्टवेयर, कुशल अनुवादकों और वैज्ञानिक विशेषज्ञों को मिलाकर एक ऐसी पहल करने जा रहा है, जिससे विकीपीडिया पर हिंदी में उच्च गुणवत्ता की विज्ञान सामग्री बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य किया जाएगा। अंग्रेजी विज्ञान लेखों के अनुवाद के साथ-साथ हिंदी में लिखे गए नए आलेख भी विकीपीडिया पर अपलोड किए जाएंगे।
विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “अंग्रेजी में लगभग 50 लाख विकिपीडिया लेख हैं। इसकी तुलना में हिंदी में केवल 1.25 लाख लेख विकीपीडिया पर मौजूद हैं। हम मशीन लर्निंग, कुशल अनुवादकों और वैज्ञानिकों का उपयोग करते हुए इस संख्या को बड़े पैमाने पर बढ़ाना चाहते हैं ताकि इसका लाभ देश की बहुसंख्य आबादी को मिल सके।”
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि “विकिपीडिया परियोजना में पहली बार बड़ी संख्या में विज्ञान आधारित लेखों का अनुवाद शामिल होगा। लेकिन, हमें अंततः भारतीय भाषाओं में मूल सामग्री तैयार करने के लिए आगे बढ़ना ही होगा। इस परियोजना की शुरुआत हिंदी से की जा रही है और इसका विस्तार दूसरी भाषाओं में विकिपीडिया लेख तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है।”
विकीपीडिया पर अंग्रेजी में उपलब्ध विस्तृत विज्ञान लेखों का तेजी से अनुवाद करके उन्हें सरल हिंदी आलेखों में बदलने के लिए मशीन लर्निंग के उपयोग से अनुवादक सॉफ्टवेयर को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही, वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया जाएगा ताकि तथ्यात्मक गलतियों से बचा जा सके।
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद की प्रमुख निशा मेंदीरत्ता ने बताया कि “इस परियोजना के पहले चरण में शुरुआती तीन वर्षों के लिए करीब दस करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया जाएगा। परियोजना में लेखों का चयन लोकप्रियता के आधार पर किया जाएगा।”
प्रोफेसर शर्मा ने कहा-“विकिपीडिया की प्रकृति ऐसी है कि उसमें लेखों का संपादन किया जा सकता है। हालांकि, इस पर बहुत सारे ऐसे आलेख भी हैं, जिनमें विषयों की बुनियादी जानकारी तक नहीं होती। हिंदी में विज्ञान लेखों के सटीक अनुवाद के साथ-साथ उद्धरण दिए जाने पर भी जोर दिया जाएगा। ऐसा करने से आलेखों की विश्वसनीयता कायम करने में मदद मिल सकती है।” (इंडिया साइंस वायर)
उमाशंकर मिश्र