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विश्व शान्ति यात्रा 2 अक्तूबर से शुरू

जय जगत द्वारा आयोजित की गयी प्रेस वार्ता में गांधीवादी विचारक श्री पी वी राजगोपाल ने बताया की वैश्वीकरण को गांधीवादी नज़रिए से देखने की ज़रुरत वर्तमान काल से अधिक कभी नहीं रही | श्री राजगोपाल ने आज से 62 साल पहले विनोबा भावे के सन्देश संपूर्ण मानवता के लिए धरतीऔर धरती के लिए संपूर्णमानवता का उल्लेख करते हुए कहा की वर्त्तमान पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक समस्या को देखते हुए यह और भी यथार्थवादी विचार है | गांधी जी के तलिस्मान में उन्होंने कहा था हर योजना से पहले यह सोचोकी वह सबसे गरीब व्यक्ति को क्या लाभ देगी | अंगर इस तलिस्मान को संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों के ध्येय कोई पीछे  छूटे का ही दूसरा रूप कहा जाये तो यह गलत नहीं होगा |

2 अक्तूबर 2019 को राजघाट से शुरू होकर विश्व शान्ति यात्रा भारत के 6 राज्यों से होते हुए सेवाग्राम पहुंचेगी | राजघाट से ही महात्मा गांधी के प्रतीक, “गांधी ज्योति” को जौरा ले जाया जायेगा जहां लोक नायक जय प्रकाश नारायण के प्रयासों के  परिणाम स्वरुप बाघियों द्वारा महात्मा गांधी के तस्वीर के सामने आत्मा समर्पण किया गया था | श्री जय प्रकाश नारायण को याद करते हुए राजगोपाल ने चम्बल घाटी में संवाद के माध्म से हिंसा को समाप्त करने के साथ एक नए समतामूलक राजनीती की नींव डाली | उन्होंने बताया की गांधी ज्योति को जौरा से पौनार आश्रम, वर्धा ले जाया जायेगा जहां विनोबा भावे कई लाख लोगों के जीवन को मजदूरी आधारित काम और एवं भूमि सुधार के माध्यम से बदल दिया |

जय जगत की अंतर्राष्ट्रीय संयोजिका सुश्री जिल कार हैरिस ने बा कस्तूरबा गांधी को बा- बापू के 150 वर्षों के तारतम्य में याद करते हुए कहा की गांधी जी के जीवन में कस्तूरबा को कई बार अनदेखा कर दिया जाता है | परन्तु वास्तविकता में बा के दैनिक सहयोग और गांधीवादी जीवन को जीने ने ही समाज और पारिवारिक स्तर पर बदलाव को बल दिया |

जिल आगे बताती हैं कि कैसे गांधी ने पर्यावरणीय विकास के अवधारणा को आगे रखा जो आज के जलवायु परिवर्तन और ग्रह संकट के संदर्भ में प्रासंगिक है। जलवायु परिवर्तन के केवल “कार्बन उत्सर्जन की कमी”  के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि हमें पृथ्वी के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए अपने कार्यों के मूल्यों की जांच करने की आवश्यकता है”। यह भी महत्वपूर्ण है कि जलवायु संकट को अन्य संकटों के साथ समग्र रूप से देखने आवश्यकता है ।

एकता परिषद के श्री रमेश शर्मा ने बताया कि विश्व शान्ति यात्रा ईरान के शिराज से शुरू होकर 26 सितंबर 2020 को जिनेवा 245 दिन का सफ़र तय करके पहुंचेंगी । साथ ही साथ समानांतर रूप से  फ्रांस, जर्मनी, और यूनाइटेड किंगडम से भी यात्राएं इसी समय जिनेवा पहुंचेंगी |

जिनेवा में मुख्य रूप से यात्रा संयुक्त राष्ट्र एवं सम्बन्धी संस्थाओं के साथ संवाद की एक शुरुआत करने की पहल है | राजगोपाल ने कहा की समय आगया है की हम स्थानीय , राष्ट्रीय और वैश्विक की ओर अग्रसर हों | यही एक तरीका है ऐसे समाज के निर्माण का जहां सभी के लिए सामान न्याय और शान्ति के अवसर हों |

यात्रा से जुडी मुख्य जानकारी:

  • भारत में यात्रा के कुल दिन : 121 दिन
  • अंतर्राष्ट्रीय यात्रा : 244 दिन
  • कुल यात्रा दिवस : 365
  • कुल पदयात्री : भारत में 200 , अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में 50
  • कुल लोग जिनसे यात्रा मिलेगी : 10000
  • 2019 में अहिंसा पर प्रशिक्षित होने वाले लोग : 2500
  • या

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