कन्हैया कुमार अब बिहार की बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहा है। वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का उम्मीदवार है। यह वही कन्हैया कुमार है, भारतीय सेना को बलात्कारी कहने से भी पीछे नहीं हटता। वो बार-बार कहता रहा है कि भारतीय सेना कश्मीर में बलात्कारों में लिप्त है। जरा सोचिए कि कन्हैया कुमार को अगर राष्ट्रकवि “दिनकर” की धरती बेगूसराय लोकसभा में निर्वाचित करके भेजती है तो राष्ट्र कवि रामधारी सिंह “दिनकर” की आत्मा पर क्या गुजरेगी। बाकी किसी को जिताओ, एतराज नहीं, पर वतन के रखवालों के खिलाफ़ शर्मनाक बयानबाजी करने वाले कन्हैया को जिताना तो लोकतान्त्रिक अपराध होगा।
भारतीय सेना पर कश्मीर में रेप जैसा जघन्य आरोप लगाने वाले कन्हैया कुमार के आरोप को देखने के लिए आप यू ट्यूब का सहारा भी ले सकते हैं। यानी वो यह तो कह ही नहीं कह सकता कि उसने भारतीय सेना पर कभी इतना गंभीर आरोप नहीं लगाया। उससे यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर वह किस आधार पर सरहदों की निगाहबानी करने वाली भारतीय सेना पर आरोप लगा रहा है? उसके पास अपने आरोपों को साबित करने के किस तरह के पुख्ता प्रमाण हैं? अब कन्हैया से बेगूसराय के मतदाताओं को पूछना चाहिए कि उसने भारतीय सेना पर कश्मीर में बलात्कार संबंधी आरोप किस आधार पर लगाए थे? इस सवाल का संतोषजनक उत्तर मिले बिना बेगूसराय के जागरूक मतदाताओं को कन्हैया का पीछा छोड़ना नहीं चाहिए। भारतीय सेना पर मिथ्या आरोप लगाने वाले कन्हैया कुमार ने सेना पर आरोप तो लगा दिए, पर उसे तब सेना का अदम्य साहस और कर्तव्य परायणता दिखाई नहीं दी, जब सेना कश्मीर से लेकर केरल में बाढ़ से त्राहि-त्राहि करती जनता को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही थी। कन्हैया कुमार को ये भी याद नहीं रहा जब भारतीय वायुसेना केदारनाथ में भीषण प्राकृतिक आपदा के वक्त लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहंचा रही थी। उस दौरानगौरीकुड में एयर फोर्स का एक हेलीकाप्टर गिर भी गया था। उस दुर्घटना के शिकार लोगों में वायुसेना के चार अधिकारी समेत पांच कर्मी शामिल थे। वह हेलीकॉप्टर पहाड़ों में फंसे लोगों को निकालने के लिए आठ दिनों से राहत कार्य में जुटा था, जो मौसम खराब होने की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। क्या कन्हैया कुमार ने उन मृतकों के परिजनों से किसी तरह की संवेदना जताई थी? कन्हैया कुमार को कभी सेना यासीआरपीएफ के जवानों की शहादत की प्रशस्ति करने का वक्त नहीं मिलता। उसने पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिवार वालों के प्रति भी अभी तक कोई सहानुभूति नहीं जताई।
कन्हैया कुमार जब ऐसे आपत्तिजनक बयान देते हैं तो वह किन मंचों का इस्तेमाल करते हैं? देशविरोधी अलगाववादियॊं और माओवादी तथाकथित प्रगतिशीलों का ही न ? फिर उसके बयान का जहरीला इस्तेमाल करने वाली ताकतें कौन सी हैं? कन्हैया कुमार अपने को उस विचारधारा से जुड़ा हुआ बताता है,जो जाति पर यकीन नहीं करती।वहां पर जातिहीन समाज का सपना दिखाया जाता है। तो फिर भूमिहार कन्हैया भूमिहार बहुल बेगूसराय से ही क्यों खड़े हैं? इसलिए न कि उन्हें भूमिहार मत पाने की लालसा हैं।
कन्हैया कुमार कीराजनीति की बानगी “भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह” वाली ही तो है। याद रखिए कि कन्हैया पर अभी देश विरोधी नारेबाजी के मामले में केस चल रहा है। दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रद्रोह के केस की अनुमति मांगी है, जिसे केजरीवाल जी ने लटका कर रखा हुआ है। यह हरेक सच्चे देशवासी की चाहत है कि अगली लोकसभा में पढ़े-लिखे शिक्षित लोग ही लोकसभा में निर्वाचित होकर आएं। वे प्रगतिशील विचारधारा से हों, पर देश यह भी चाहता है कि वे कन्हैया कुमार जैसे राष्ट्रद्रोही तो न हों जो देश को तोड़ने का आहवान करते हैं। कन्हैया कुमार देश विरोधी ताकतों के हाथों में खेलने लगे हैं।
याद रखिए कि कन्हैया कुमार ने 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में भड़के दिल-दहलाने वाले सिख विरोधी दंगों के लिए कांग्रेस को क्लीन चिट दे दी थी। एक बार राहुल गांधी से मिलने के बाद कन्हैया कुमार तो यह कहने लगे थे कि 1984 के दंगे भीड़ के उन्माद के कारण भड़के। वे एक तरह से कांग्रेस को प्रमाणपत्र दे रहे हैं कि उसकी 1984 के दंगों में कोई भूमिका नहीं थी। क्या कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के दंगों को भड़काने में उम्र कैद होने के बाद भी वे यही कहेंगे कि उस भयावह दंगों में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं थी? सज्जन कुमार के अलावा और भी कई कांग्रेसियों पर 1984 के दंगे भड़काने के आरोप सिद्ध हो चुके हैं। ये सभी दिल्ली की मंडोली जेल में जीवनभर में रहने वाले हैं। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद भड़के दंगों के समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। उसके मुखिया राजीव गांधी ही थे। क्या कन्हैया इन सारे तथ्यों से अनभिज्ञ हैं?
दरअसलकन्हैया कुमार उन लोगों में से हैं, जिन्हें विशुद्ध रूप से सोशल मीडिया ने क्रिएट किया है। उन्होंने कभी जनता के बीच कभी कोई काम नहीं किया है। उनकी सारी क्रांति जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी कैंपस से शुरू होकर जंतर मंतर या किसी खबरिया टीवी चैनल पर आकर जाकर खत्म हो जाती है। फिर भी उन्हें महान बताने का सिलसिला चलता रहा है। कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने तो कन्हैया कुमार में भगत सिंह का अक्स ही देख लिया था। क्या कभी कन्हैया ने अपनी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों कोदेखा है? बहुत अच्छा होगा कि उनके हक में “भारत तेरे टुकड़े होंगे…”गैंग के बाकी सदस्य जैसे उमर ख़ालिद, शेहला राशिद, अनिर्बान भी बेगसराय में आकर प्रचार करें। बेगुसराय की देशभक्त जनता उनका पर्याप्त सत्कार करेगी।
यही नहीं, बेगूसराय में चुनाव की तिथि नजदीक आते ही कन्हैया ने भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह पर एक बेहद बचकाना आरोप लगान चालू कर दिया है। वे कह रहे हैं कि गिरिराज सिंह मंदिर में जाकर वोट मांग रहे हैं। वे मानते हैं कि इससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है। तो क्या भारत में चुनाव प्रचार के दौरान मंदिर- मस्जिद जाना भी अपराध माना जाएगा? अगर ऐसा है तो वे राहुल-प्रियंका के मंदिर-मस्जिद प्रवासों पर क्यों चुप हैं?
आर.के.सिन्हा
(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)