सियाटिका: अब इंडोस्कोपी सर्जरी से इलाज हुआ अधिक कारगर
डॉ. आयुष शर्मा
संस्थापक और निदेशक
लेजर स्पाइन क्लिनिक, पटना, लेजरस्पाइनडॉटडइन
सियाटिका के मरीजों में कमर में बेतहाशा दर्द और फिर साथ में सूजन होने की ज्यादातर संभावना होती है। इसका दर्द इतना तेज होता है कि जो अहसनीय हो जाता है। यह पीड़ा हिप ज्वाइंट के पीछे से प्रारंभ होकर, धीरे-धीरे तीव्र होती हुई तंत्रिका तंत्र से होते हुए पैर के अंगूठे तक फैलती है। इसमें घुटने और टखने के पीछे भी काफी दर्द रहता है। कभी-कभी शरीर के इन भागों में शून्यता भी होती है। इससे पैरों में सिकुडन भी हो जाती है जिससे मरीज बिस्तर से उठ नहीं पाता है। आम तौर पर इसमें बिजली के झटके जैसा दर्द होता है। इससे जलन पैदा होती है और कई बार ‘पैरों के सो जाने’ जैसी अनुभूति भी होती है। कभी-कभी एक ही पैर के एक भाग में दर्द होता है और दूसरा भाग सुन्न हो जाने का एहसास देता है.
सियाटिका के कारण-
वास्तव में सियाटिका दर्द का नाम सियाटिका नाम की नस से पड़ा है जो कि कमर से पैर की तरफ जाती है और कई छोटी नसों के समूह से यह एक मोटी रस्सी के रूप में परिवर्तित हो जाती है। सियाटिका के दर्द का सबसे सामान्य कारण हरनिएटेड डिस्क अथवा स्लिप्ड डिस्क होता है। जब हम चलते हैं, झुकते हैं अथवा वजन उठाते हैं तो ये शॉक ऑवजर्वर की तरह काम करते हैं।
अगर डिस्क का ऊपरी सिरा फट जाए तो बीच वाला हिस्सा सियाटिका नस पर दबाव डालता है और फिर सियाटिका का दर्द शुरू हो जाता है।
सियाटिका नसें षरीर की सबसे बड़ी नसें होती हैं और इसकी मोटाई हमारी छोटी उंगली के बराबर होती है।
बहुत से लोग जिन्हें स्पाइन सेनोसिस होता है उनकी पीठ के दोनों ओर सियाटिका का दर्द हुआ करता है।
उम्र बढने के ऑस्टोऑर्थराइटिस जैसे प्रभावों के कारण भी सियाटिका हो सकता है। बहुत सी महिलाएं गर्भावस्था के दौरान भी सियाटिका के दर्द का अनुभव करती हैं। डाक्टर छाबड़ा का कहना है कि सियाटिका कभी-कभी बड़ी उम्र में हड्डियों तथा हड्डियों को जोडने वाली चिकनी सतह के घिस जाने के कारण होता है।
वैसे तो यह बीमारी ज्यादा उम्र के लोगों के साथ देखने को मिलती है। इसके अलावा यह परेषानी ज्यादातर मेहनत करने और भारी वजन उठाने व्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलती है।
सियाटिका मुख्य स्लिप डिस्क है जिसमें कि डिस्क पैर में जाने वाली नसों को दबा कर सियाटिका दर्द उत्पन्न करने लगती है। इस नस पर दबाव पडने के कई कारण भी हैं जैसे कि नस का रीढ़ की हड्डी से बाहर आने के रास्ते का संकरा हो जाना। इसे चिकित्सीय भाशा में लंबर स्टीनोसिस कहा जाता है।
सियाटिका नस में तनाव के कारण होने वाला यह दर्द पीठ के सामान्य दर्द से अलग होता है. भले ही यह पीठ से शुरू होता हो लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता हुआ पैरों तक पहुंच जाता है.
इलाज-
सियाटिका में एमआरआई की सहायता से इलाज किया जाता है जिसमें करीब नब्बे प्रतिशत लोगों को इस परेशानी से निजात मिल जाती है। इसको पूरी तरह ठीक होने में करीब चार से आठ सप्ताह का समय लग जाता है।
इलेक्ट्रोमायोग्राम और नसों की संरचना का अध्ययन ईएमजी और एनसीएस से किया जाता है जिसमें मस्तिश्क और पीठ की संरचना पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.
वास्तव में सियाटिका दर्द के इलाज के लिए बहुत जरूरी है, इसके सही कारण का पता लगना और विस्तष्त डाक्टरीय जांच के बाद ही इलाज की कार्यशैली निर्धारित की जाती है. पुराने जमाने में जो निदान पारंपरिक तरीके से संभव नहीं था, वह आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में एमआरआई, ईएमजी व एनसीपी की जांच के कारण संभव हो गया है. दर्द के कारण मालूम हो जाने पर उससे छुटकारा पाना आसान है.
सियाटिका के दर्द का एक अन्य बड़ा कारण है स्लिप डिस्क. एक जमाना था जब स्लिप डिस्क का नाम सुनते ही लोगों के होश उड़ जाते थे, घबराहट होने लगती थी. लेकिन अब इसका इलाज भी देखते-देखते हो जाता है.
स्लिप डिस्क के इलाज में एंडोस्कोपी सर्जरी सबसे अधिक कारगर साबित हो रही है. यह ऑपरेशन एंडोस्कोप की सहायता से होता है. लोकल एनीस्थिसिया देकर की जाने वाले इस एंडोस्कोपी सर्जरी के अंतर्गत न तो खून बहता है न टांका लगता है और डॉक्टर और खुद मरीज भी टेलीविजन स्क्रीन पर अपनी सर्जरी देख पाता है.
सावधानियां –
सर्जरी के अलावा दवाओं और व्यायामों के माध्यम से भी सियाटिका के दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन सबसे जरूरी है जीवन शैली में बदलाव. खान-पान और रहन-सहन को सुव्यवस्थित किए जाने की जरूरत है जब दर्द हो रहा हो तब कम से कम बैठने की कोशिश करें.
बैठे तभी जब उसमें खड़े रहने से अधिक आराम हो. इसी तरह कुछ समय तक लेटने के बाद थोड़ा चलने का प्रयास करें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अगर कई दिनों के बाद भी दर्द कम नहीं होता, अथवा बढ़ता हुआ प्रतीत होता है. अगर आपकी उम्र 20 साल से कम अथवा 55 वर्श से अधिक हो आपको तत्काल ही विषेशज्ञ डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. गहन जांच के बाद ही विषेशज्ञ चिकित्सक यह तय कर पाएगा कि इलाज की कौन सी प्रक्रिया अपनायी जाए.
एमआरआई, ईएमजी तथा एनसीपी जैसी कई जांच प्रक्रियाएं हैं जिनके माध्यम से दर्द का कारण मालूम किया जा सकता है. कारण मालूम हो जाने पर इलाज में सुविधा हो जाती है. इसका इलाज भी अब सहज सुलभ हो गया है.
सियाटिका का दर्द क्यों हो रहा है, यह जानने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सक ही यह बता सकते हैं कि आपका काम दवाओं, व्यायाम, जीवन शैली में बदलाव, फिजिकल थैरेपी से चलेगा या फिर आपको सर्जरी की जरूरत होगी।