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हम झारखण्ड की संस्कृति को देश के कोने कोने में पहुंचा रहे हैं – अमर दावरी

झारखण्ड अब देश की मुख्य धारा में आने को बेचैन है और यहाँ की जनता के ऊँचा उडऩे के सपनों को पंख लगाने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार कमरतोड़ मेहनत कर रही है। राज्य के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार, पर्यटन,कला, संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य मंत्री प्रदेश के प्रभावशाली मंत्रियों में हैं। स्वाभाव से धीर गंभीर और विनम्र अमर दावरी के पास कई मंत्रालयों का कार्यभार है और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उनकी क्षमताओं को ठीक से पहचाना भी और खासी जिम्मेदारियां भी दी हुई हैं। बोकारो में उनके निवास पर हुई भेंट में उन्होंने अपने विभिन्न मंत्रालयों के कार्यो और किये जा रहे अभिनव प्रयोगों और उनके परिणामो पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रस्तुत है हमारे संपादक अनुज अग्रवाल से हुई उनकी बातचीत के प्रमुख अंश :

औधोगिकीकरण हो, पर्यटन हो, खेलकूद हो या निवेश झारखण्ड अभी देश के नक्शे पर प्रमुखता से नहीँ आ पा रहा। क्यों?
नहीँ ऐसा नहीँ है। हाल ही में हुई ‘इन्वेस्टर समिट’ को अपार सफलता मिली है और निवेश के बड़े प्रस्ताव हेतु बड़ी मात्रा में समझौते हुए हैं। मेरा मंत्रालय प्राथमिकता के आधार पर निवेशकों को जमीन उपलब्ध करा रहा है। झारखंड खनिज क्षेत्र होने के कारण प्रचुर संभावनाओं वाला क्षेत्र है। यहॉ उद्योगों के लिए पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल है।
झारखंड सरकार इस दिशा में क्या क्या कदम उठा रही है?
हमारे मुख्यमंत्री रघुवरदास जी की प्राथमिकता सुशासन के साथ संतुलित विकास है। उनका जोर आधारभूत ढांचा विकसित करने पर है। प्रदेश में सड़कों , पुलों का जाल बिछाया जा रहा है। हर विभाग की दूरगामी नीतियां बना उन पर काम शुरू हो चूका है। बिजली, पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। ताकि प्रदेश में बड़ा निवेश आ सके और यहां के खनिज संसाधनों का भरपूर उपयोग हो पाए। इससे बड़ी मात्रा में रोजगार भी पैदा होने जा रहे हैं।
झारखंड में पर्यटन की पर्याप्त संभावनाएं हैं, किंतू पर्यटन के नक्शे से यह प्रदेश गायब सा ही है। इस दिशा में आप का मंत्रालय क्या कर रहा है?
आप की बात किसी हद तक सही है, किंतु अब इस दिशा में बड़ी तीव्रता से काम हो रहा है। अगर आप गौर से देखें तो पाएंगे कि पर्यटन स्थलों की इस प्रदेश में निरंतरता है। इसे उभारने के लिए हम हर जिले के पर्यटन स्थलों का सर्वे करा रहे हैं और वहां सुविधाएं जुटा रहे हैं, ताकि लोग वहॉ आएं। हिंदू और जैनियों के प्रमुख तीर्थ हमारे प्रदेश में हैं, जहाँ पुरे देश ही नहीँ दुनिया से लोग आते हैं। रांची के चारों और प्राकृतिक झरनों का जाल है। जगह जगह झीले हैं। सोरदा, तिलगुर, इत्तखोरी जहां बुद्ध का प्रादुर्भाव हुआ, पाकुड़, रजरप्पा, आदिवासी संस्कृति के अनेक केंद्रों आदि पर हम लोग ध्यान दे रहे हैं। यहां के ऐतिहासिक भवनों का भी जीर्णोद्धार चल रहा है।
और क्या क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
हमने पर्यटन को लेकर अपने बजट को काफी बढ़ाया है। बड़ी मात्रा में प्रचार प्रसार किया जा रहा है। सांस्कृतिक महोत्सवों का आयोजन किया जा रहा है।अभी पतराचू महोत्सव में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत 65 करोड़ रुपयों का बजट रखा गया था।
मैं जहाँ भी जाता हूं , लोग नक्सलियों का नाम लेकर डराते हैं। इस समस्या का क्या उपाय है आपके पास?
यह मात्र कुछ अराजक लोगों द्वारा फैलायी गयी अफवाह और नकारात्मक प्रचार मात्र है। आप बतायें कभी आपने सुना कि नक्सलियों ने किसी पर्यटक पर आक्रमण किया? अब नक्सली समस्या पर भी खासा नियंत्रण होता जा रहा है।
कुछ और विशेष उपाय जो आप लोग कर रहे हों?
हम झारखण्ड की संस्कृति को देश के कोने कोने में पहुंचा रहे हैं। 77 बर्षों में पहली बार सूरजकुंड मेले में हम लोगॉ ने भाग लिया। प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के नारे को चरितार्थ करने की दिशा में गोवा सहित अनेक राज़्यों के साथ सांस्कृतिक आदान प्रदान के समझौते किये है। नये नये कलाकारों की भर्ती की जा रही है और उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। सारी प्रक्रिया पारदर्शी रहे इसके लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। हमारे लोक कलाकार मुकेश नायक को हाल ही में पदम् श्री पुरूस्कार मिला है जिससे हमारा उत्साह बढ़ा है।
खेलों की खासी प्रतिभाएं हैं इस प्रदेश में किंतु आम मान्यता है कि टाटा समूह ही उन्हें संरक्षण देता है और राज्य सरकार ढीली है?
आपका यह आरोप सरासर गलत है। टाटा समूह दो चार खिलाडिय़ों का ही संरक्षण करता होगा मगर हमारी सरकार इस दिशा में समग्र नीति बना कर काम कर रही है। हम मात्र क्रिकेट पर ध्यान नहीँ दे रहे बल्कि फ़ुटबाल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स आदि सहित 8-10 क्षेत्रो में नई नई प्रतिभाओं को आगे लाने में लगे हुए हैं। हमारी रणनीति सन 2024 के ओलंपिक को केंद्र में रखकर बनायी जा रही है।
क्या खास बिंदु हैं इस रणनीति के?
हमने झारखण्ड के पहले खेल विश्वविद्यालय का गठन किया है जिसमें 10 से ज्यादा खेलों के 1400 बच्चो को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें 700 बच्चे झारखंड और शेष 700 पूरे भारत से होंगे। हमने प्रदेश स्तर पर इसके लिए आवेदन मांगे जिसमें 8 से 11 बर्ष की उम्र के 50 हज़ार से अधिक बच्चो ने भाग लिया। इनमें से हमने पहले चरण में 5000 और फिर 200 बच्चे छांटे हैं। अब अंतिम रूप से इनमें से 78 बच्चो के पहले बैच का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। हम हर प्रखंड में ग्रामीण स्टेडियम स्थापित करने जा रहे हैं और सभी 4402 पंचायतो में खेल क्लब का गठन अंतिम प्रक्रिया में है। पंचायत का 18 से 40 बर्ष के बीच की उम्र का प्रत्येक युवा इसका सदस्य है। यह प्रयास प्रदेश में खेलो के विकास में क्रांति ला देगा।
सच में आपके प्रयास सही दिशा में हैं। देखते हैं निकट भविष्य में क्या रंग लाते हैं। आपके कीमती समय देने का हमारे प्रकाशन और पाठकों की और से हार्दिक धन्यवाद।
आपका भी आभार। आपकी पत्रिका स्तरीय और विश्लेषण काफी गहन है और देश के लिए सार्थक भी। आपको और आपके पाठकों को शुभकामनाएं।

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