हमारे देश के संविधान को ‘सेक्युलर’ बताया जाता है; परंतु इसी संविधान की धारा 370 के आधार पर जम्मू–कश्मीर राज्य के संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द डालने का विरोध किया जा रहा है । यद्यपि हमारा देश सेक्युलर है; किंतु उसका जम्मू–कश्मीर राज्य सेक्युलर नहीं है, ऐसी विचित्र स्थिति उत्पन्न हुई है । यदि भारत में प्रत्येक को संविधान ने विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता दी है, तो हिन्दू राष्ट्र की मांग असंवैधानिक कैसे ? इस तुलना में, जब वर्ष 1976 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित किया, तब उसका विरोध करने पर विरोधी दलों के लोगों को कारागार में डाल दिया था । इसी प्रकार, सर्वोच्च न्यायालय और प्रसारमाध्यमों के अधिकार सीमित कर संविधान में 42 वें संशोधन के माध्यम से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द डाल दिए गए । यह कार्य असंवैधानिक था । इसके विपरीत, ‘हिन्दू राष्ट्र’ की अवधारणा विश्वव्यापक और विश्वकल्याणकारी है; जो प्राचीन काल से चली आ रही है । ‘विकास की आत्मा धर्म है’, यह स्वामी विवेकानंद ने कहा था । इसलिए भारत को आज भौतिक नहीं, अपितु धर्माधारित विकासवाद की आवश्यकता है, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वे 27 मई को श्री रामनाथ देवस्थान के श्री विद्याधिराज सभागृह में आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय अधिवक्ता अधिवेशन’ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे । संविधान की चौखट में रहकर हिन्दुत्व के लिए लडनेवाले तथा हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय सचिव अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर को अन्यायपूर्ण बंदी बनाए जाने के विरुद्ध निंदाप्रस्ताव इस अधिवेशन में रखा गया ।
‘अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के अंतर्गत जारी अधिवक्ताआें के इस अधिवेशन का उद्घाटन सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे,लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष एवं ज्येष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य निवृत्त न्यायाधीश सुधाकर चपळगावकर तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजेंद्र वर्मा के हाथों दीपप्रज्वलन से हुआ । इस अधिवेशन के लिए पूरे देश से तथा बांग्लादेश से 100 से अधिक धर्मप्रेमी अधिवक्ता उपस्थित हैं । इस समय हिन्दू जनजागृति समिति समर्थित ‘हिंदु राष्ट्र आक्षेप आणि खंडण’ इस मराठी ग्रंथ का प्रकाशन किया गया ।
इस समय ज्येष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा, ‘‘आज ‘सेक्युलर’ शब्द का दुरुपयोग कर केवल अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाया जा रहा है । ‘सेक्युलर’ राष्ट्र से आज जनता ऊब चुकी है । हिन्दू मतों पर चुनाव जीतनेवाली भाजपा को हिन्दुआें के हित का निर्णय लेना चाहिए । हिन्दू अधिवक्ता अभिमान से कहें कि ‘‘हम हिन्दुत्व का कार्य करते हैं ।’’ हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संगठनकर्ता अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर ने ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में अधिवक्ताआें का कार्यकर्ता के रूप में योगदान’ तथा बेंगळूरु के अधिवक्ता विजय शेखरजी ने ‘भ्रष्ट न्यायाधिशों के विरोध में कार्य करते समय किया न्यायालयीन संघर्ष’, इस विषय पर मार्गदर्शन किया । अधिवेशन के प्रारंभ में शंखनाद किया गया । दीपप्रज्वलन के उपरांत सनातन पुरोहित पाठशाला के पुरोहितों ने वेदमंत्रों का पठन किया । हिन्दू जनजागृति समिति के प्रेरणास्थान परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने अधिवेशन निमित्त दिए संदेश का वाचन हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी ने किया । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुमित सागवेकर ने किया ।
अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय अधिवक्ता अधिवेशन’ !
हिन्दू राष्ट्र की मांग संवैधानिक; संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द ही
असंवैधानिक रूप से डाला गया है ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति