रामनाथी, गोवा मेंे 4 जून से 7 जून की कालावधि में सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । देश के18 राज्यों से तथा नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका इन देशों से 175 संगठनों के 375 से अधिक प्रतिनिधि इस अधिवेशन में उपस्थित थे । देश–विदेश में कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को एकजुट करनेवाला, हिन्दुत्वनिष्ठों में धर्मबंधुत्व की भावना जागृत करनेवाला, हिन्दुत्व का कार्य भावनावश नहीं, अपितु साधना के स्तर पर करना सिखानेवाला अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन; हिन्दू राष्ट्र स्थापना के मार्ग पर मील का पत्थर ही है । हिन्दुत्वनिष्ठों के अपूर्व उत्साह में संपन्न हुए इस बार के सातवें अधिवेशन के विषय में ऊहापोह करनेवाला लेखप्रपंच….
कुछ वर्ष पूर्व तक हिन्दू समाज एकत्र नहीं हो सकता ऐसी भावना समाज में प्रचलित थी । हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन गोहत्या, मंदिरों का सरकारीकरण, लव जिहाद, धर्मांतरण, इतिहास का विकृतीकरण, गंगा नदी प्रदूषण, हिन्दुआें के आस्थाकेंद्रों का हो रहा अनादर आदि के विरुद्ध अपने–अपने क्षेत्रों में कार्यरत थे । ऐसा होते हुए भी, पूरे देश में कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के संगठन, कार्य का सुसूत्रीकरण, विचारों का आदान–प्रदान, हिन्दुत्व के लिए आवश्यक साधना की नींव, इनकी कमी थी । संघे शक्तिः कलौयुगे इस उक्ति अनुसार अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों के माध्यम से संगठनों को संगठित करने की दृष्टि से प्रयास किए गए और उसे सफलता भी मिली, आज भी मिल रही है ।
इस वर्ष हुए अधिवेशन में गत अधिवेशनों की भांति ही हिन्दुत्व पर हो रहे आघात, उपाययोजना, हिन्दुत्व का कार्य करते समय आनेवाली समस्याएं, कार्य करते समय ली जानेवाली सावधानी इसके विषय में केवल सैद्धांतिक स्तर पर चर्चा न करते हुए अगले पूरे वर्ष में किए जानेवाले उपक्रमों का खाका खींच दिया गया । समाज में हिन्दू राष्ट्र के विषय में जागृति होने के उद्देश्य से ग्रामस्तर से राज्यस्तर तक हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा, हिन्दू राष्ट्र जागृति परिसंवाद, हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान, वर्ष 2019 के प्रयाग कुंभमेले में हिन्दू राष्ट्र जागृति एवं संतसंगठन आदि उपक्रम चलाने का निश्चय किया गया । इसके साथ ही भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक दुष्प्रवत्तियों के विरुद्ध व्यापक संघर्षका निश्चय भी किया गया । 2 और 3 जून को हुए अधिवक्ता अधिवेशन में न्यायव्यवस्था की त्रुटियां दूर करने के लिए, तथा शासन–प्रशासन से लिए जानेवाले हिन्दूविरोधी निर्णयों के विरुद्ध न्यायालयीन संघर्ष करने का अधिवक्ताआें ने निश्चित किया । भारत सहित नेपाल हिन्दू राष्ट्र घोषित हो, देश में गोवंशहत्याबंदी, धर्मांतरबंदी एवं अयोध्या में श्रीराममंदिर के निर्माण के संदर्भ में तत्काल निर्णय लिया जाए, पाकिस्तान,बांग्लादेश और श्रीलंका के हिन्दुआें पर होनेवाले अत्याचारों के विषय में भारत सरकार, तथा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के माध्यम से जांच–पडताल की जाए और वहां के अल्पसंख्य हिन्दुआें को सुरक्षा प्रदान की जाए, विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के लिए कश्मीर घाटी पनून कश्मीर नामक स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश की निर्मिति की जाए, रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजा जाए आदि प्रस्ताव भी इस अधिवेशन मेंे एकमत से पारित किए गए ।
हिन्दुआें पर हो रहे अन्याय और अन्य पंथियों का तुष्टीकरण ये है भारत की धर्मनिरपेक्षता । संसार के सभी देशों में बहुसंख्यकों के धर्म को अधिकृत संविधान प्रदत्त सुरक्षा है; परंतु भारत में सनातन हिन्दू धर्म को वह नहीं है । संसार में हिन्दुआें का एक भी राष्ट्र नहीं है । इसलिए आपातकाल में संविधान में घुसेडा गया और आज तक परिभाषित न किया गया धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाकर उसके स्थान पर हिन्दू राष्ट्र शब्द जोडा जाए, ऐसी आग्रही मांग अधिवेशन में की गई ।
वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव होनेवाले हैं । इस्लाम और ईसाई पंथियों के धर्मगुरुआें ने इस दृष्टि से अभी से संविधान संकट में है इसलिए प्रार्थना करें, ऐसी प्रार्थना करने के फतवे निकाले हैं । अब तक के चुनावों में हिन्दुआें की भावनाआें को भुनाया जाता है; परंतु आश्वासनपूर्ति नहीं की जाती, ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव हिन्दुआें को हुआ है । इस पृष्ठभूमि पर हिन्दुआें का एक सकारात्मक दबाव–गुट निर्माण होने की दृष्टि से वर्ष 2019 के चुनावों के लिए एक प्राथमिक भूमिका अधिवेशन में निश्चित की गई । इसके अंतर्गत पूरे देश के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की ओर से हिन्दुआें का संगठनों की ओर से हिन्दुआें का मांगपत्र तैयार किया जाएगा । जो हिन्दू राष्ट्र का काम करेगा,वही देश पे राज करेगा, ऐसा नारा इस समय लगाया गया ।
हिन्दुत्व का कार्य केवल मानसिक, बौद्धिक स्तर पर नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर पर करना अपेक्षित है । क्षात्रतेज को ब्राह्मतेज से जोडना, यही हिन्दू धर्म की सीख है । इस पृष्ठभूमि पर हिन्दुत्व का कार्य साधना के रूप में कैसे करें, इस विषय में एक दिवसीय शिविर भी लिया गया, तथा चार दिवसीय हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण अधिवेशन भी संपन्न हुआ ।
अधिवेशन की फलोत्पत्ति के रूप में हिन्दू राष्ट्र की मशाल से देश–विदेश में अनेक ज्योति प्रज्वलित हो रही है । इसी से हिन्दू राष्ट्र–स्थापना का मार्ग प्रकाशित हो रहा है और वर्ष 2023 में भारत में, तथा भविष्य में पूरे विश्व में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।