राजस्थान, सीकर, अलग अलग जगह से 5-10 असंतुष्ट कार्यकर्ता नजऱ आ रहे हैं जिनमें कॉलेज के वो लड़के भी हैं जो एबीवीपी अध्यक्ष का पत्ता साफ़ कर चुके थे। सांसद का चुनाव राज्य का चुनाव नहीं होता, प्रधानमंत्री के चयन का चुनाव होता है मगर सांसद सीट पर दावेदारी को मजबूत करने के लिए वर्तमान उम्मीदवार का हार जाना जरुरी है जिसके चलते अगले चुनाव में उम्मीदवारी का समीकरण बदलने लगेगा।
सीकर जिले में 8 -0 की करारी हार झेल चुकी भाजपा, इल्जाम सांसद पर
सीकर में भाजपा पूरी तरह साफ़ हो गई। 8 सीटों में से एक भी नहीं आना कोई हल्की बात नहीं है। दरअसल यहां किसी भी विधायक ने जनता के साथ ऐसा कोई कनेक्ट ही नहीं बनाया जिससे वह उन्हें अपना पसंदीदा उम्मीदवार समझने लगते। केवल अपने कार्यकर्ताओं का काम करवाकर जहां बाकि जनता को तो नाराज़ किया ही वहीं कार्यकर्ताओं में भी सौ फीसदी संतुष्टि नहीं हैँ। एंटी इनकम्बेंसी भी होती ही है। पूरे पांच साल तक यही चला और नतीजा यह रहा कि भाजपा का कोई भी कार्ड चला ही नहीं।
स्वामी सुमेधानंद हैं असली खिलाड़ी
अपने आप को राजनेता मानने से ही इंकार करने वाले सुमेधानंद असली खिलाड़ी राजनेता हैं जिन्होंने विरोधी पार्टी के वोटरों में भी अपने लिए सद्भावना विकसित की। वहीं उन्होंने ऐसा कोई दृश्य भी उत्पन्न नहीं होने दिया कि वो किसी प्रभाव में कार्य कर रहे हैं। इसके चलते जब जब सर्वे हुए तब तब उनके बराबर कोई उम्मीदवार जिले में दिखा ही नहीं। दिल्ली के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि विधानसभा हार का मुख्य कारण यहां के विधायकों की कार्यशैली थी जो भेदभाव वाला वातावरण बना रही थी।
मोदी ने सीट दे दी तो बदली जानी है ही नहीं
चुनाव प्रधानमंत्री का है न कि राज्य का। ऐसे में जो भी सीट फाइनल हुई है उसपर मोदी-शाह की मुहर है, ऐसे में दस पांच कार्यकर्ताओं के जरिये जो माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं उनपर भी कड़ी नजऱ रखी जा रही होगी और सही समय पर उनको लाइन हाजिऱ किया जा सकता है। मोदी की कार्यशैली यही है जिसको लोकल ही नहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी सब जानते हैं तो फिर सीट बदलने के अपरिपक्व हंगामे के मुख्य उद्देश्य ढूंढ कर लाने में किसी भी विश्लेषक को परेशानी नहीं होगी।
डॉ. यशवंत चौधरी