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मोदी मंत्रिमंडल के मायने

नियति और कर्मो ने नरेंद्र मोदी को दूसरी बार भारत सरकार की कमान दी है। जिस प्रकार पिछले पांच बर्षों में मोदी मंत्रिमंडल बना व काम किया उसमें अनेक जगह समझौतों, मजबूरियों व असफल प्रयोगों से मोदी जी दो चार हुए। पुरानी भाजपा के धुरंधरों व संघ के चाबुकों के बीच काम करना उनकी मजबूरी थी। उस पर “लुटियंस ज़ोन के गैंग” का दबाब भी। किंतू इन सब चुनोतियाँ के बीच भी अथक कार्यों, ईमानदार छवि और साहसिक फैसलों और संघ के दर्शन के साथ देश व दुनिया की सभी राजनीतिक विचारधाराओ व नीतियों के समावेश से बनाई गई ” मोदीत्व” की विचारधारा को राष्ट्र के पटल पर स्थापित कर दिया। अपनी शर्तों, सोच व शैली में काम करने वाले मोदी असीम धैर्य रखते हैं और समय मिलते ही दुश्मन और पथ भटके टीम के सदस्यो को हाशिए पर पटक देते हैं या अपने रंग में रंग लेते हैं। मोदी सरकार का नया मंत्रिमंडल वास्तव में  “गवर्मेंट ऑफ इंडिया इनकॉरपोरेट” के सीईओ प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी के मैनेजरों की टीम है जो उनकी सोच, नीतियों व कार्यो को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकती है। यह पूरी तरह टीम मोदी है जो एक स्वर में वैसे ही काम करेगी जैसे बैंड मास्टर के इशारे पर पूरा बैंड करता है। अब संघ, पार्टी, नोकरशाही, मीडिया, उम्मीद है यह धुन भारत के द्रुत विकास की होगी और देश को विश्व गुरु बनाने वाली होगी। इस टीम में पुरानी टीम के दर्जनों चेहरे नहीं हैं। जिनमे से कुछ काल की गति का शिकार हो गए ( मनोहर पर्रिकर, अनंत कुमार, गोपीनाथ मुंडे) , कुछ बीमारी का(अरुण जेटली, सुषमा स्वराज), कुछ अकर्मण्यता, घमंड, भ्रष्टाचार व दिशाहीनता की शिकायतों का( राधामोहन सिंह, सत्यपाल सिंह, महेश शर्मा, जयंत सिन्हा,  )तो कुछ को सरकार,  पार्टी में या राज्यों की राजनीति में नई व बड़ी भूमिका के लिए (मेनका गांधी, जेपी नड्डा, मनोज सिन्हा,राज्यवर्धन राठौर,) सुरक्षित रखा गया है, कुछ चेहरे अगले विस्तार में भी शामिल किए जा सकते हैं। कुल मिलाकर ग्रैंडमास्टर मोदी शतरंज के मोहरों को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप इस्तेमाल करेंगे। जो उनके अनुरूप कार्य करेगा बना रहेगा , नहीं करेगा निबटा दिया जाएगा। “एक भारत श्रेष्ठ, श्रेष्ठ भारत” और “सबका साथ – सबका विकास – सबका विश्वास” के नारे के साथ नयी भाजपा के नया मंत्रिमंडल द्वारा “न्यू इंडिया” की संकल्पना को मूर्तरूप देने की अथक कोशिश की जाएगी। एनडीए के सहयोगियों को भाजपा के पूर्ण बहुमत होने के बाद भी मंत्रिमंडल में सांकेतिक जगह दी गयी है मगर किसी के दबाब को स्वीकार नहीं किया गया। उनको बड़े व महत्वपूर्णमंत्रालय भी नहीं मिलने वाले। सरकार में मुख्य भूमिका में राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण व एस जयशंकर की रहेगी। गृह मंत्री के रूप में अमित शाह को नियुक्ति व रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह की नियुक्ति बताती है कि अब राजनाथ सिंह की भूमिका मुख्य धारा की राजनीति से अलग कर दी गयी है । अरुण जेटली की खास, कम अनुभवी मगर इशारों पर काम करने वाली वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी मंत्रालयों व राज्य सरकारों पर परोक्ष नियंत्रण रख सकेंगेऔर भ्रष्टाचार के मामलों में लंबित कार्यवाही भी अब बहुत तेजी से निबटने की उम्मीद है। मगर प्रकाश जावड़ेकर, रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, सदानंद गौड़ा, थावर चंद गहलोत, रमेश पोखरियाल निशंक, डॉ हर्षवर्धन,पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी, नरेंद्र सिंह तोमर, जैसे केबिनेट मंत्रियों पर बड़ी जिम्मेदारी रहेगी। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार में संतोष गंगवार, किरन रिजिजू, हरदीप सिंह पूरी, आरके सिंह व जितेंद्र सिंह को भी भूमिका महत्वपूर्ण रहनी तय है। राज्य मंत्रियों की भूमिका में कोई खास काम होता नहीं सिवाय सैर सपाटे व उद्घाटन के, तो वो इस बार भी जारी रहेगी। देश के आधारभूत ढांचे का द्रुत विकास, हर मंत्रालय में भारत परक दृष्टिकोण व नीति,  अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में बड़ी भूमिका, महाशक्ति के रूप में भारत का उदय और तीव्र आर्थिक विकास इस सरकार के प्रमुख लक्ष्य रहेंगे।
अनुज अग्रवाल
संपादक, डायलॉग इंडिया

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