‘डायलॉग इंडिया’ ने गत 2 मई को दुबई में इतिहास रच दिया। दस साल पहले दिल्ली से शुरू हुई भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और ग्रेडिंग की यात्रा का इस बार पड़ाव बना संयुक्त अरब अमीरात का प्रमुख देश दुबई। इस अवसर पर आयोजित ‘पांचवे डायलॉग इंडिया अकेडिया कॉंकलेव-2019’ में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के सौ से अधिक शिक्षाविदों, उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुुखों, मीडिया दिग्गजों, निवेशकों और भारत में विश्वस्तर की शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक विद्यार्थियों ने एक साथ बैठकर खुला संवाद किया और शिक्षा जगत के समक्ष मौजूदा चुनौतियों तथा उनके संभावित व्यावहारिक समाधान पर भी मंथन किया। साथ ही यह भी गहन चिंतन किया कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान किस प्रकार उद्योग जगत की तेज गति से बदलती जरूरतों तथा प्रशिक्षित मानव संसाधन के बीच एक सेतू की भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर दुबई के करीब एक दर्जन निवेशकों ने भारतीय संस्थानों के माध्यम से संभावित निवेश पर भी चर्चा की। डॉ प्रमोद कुमार एवं डॉ सारिका अग्रवाल की एक रिपोर्ट
संयुक्त अरब अमीरात और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़े सौ से अधिक चोटी के शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं, बिजनेस डेलीगेट्स तथा शिक्षा संस्थान संचालकों की उपस्थिति में पांचवा डायलॉग इंडिया एकेडिया कॉन्कलेव-2019 दो मई को स्थानीय समयानुसार प्रात: 10.00 बजे होटल ताज दुबई में प्रारंभ हुआ। चूंकि पूरे आयोजन की संकल्पना और व्यवस्था बहुत बारीकी से विचारकर एक-एक मिनट के सदुपयोग को ध्यान में रखकर की गयी थी, इसलिए दिनभर भारत और संयुक्त अरब अमीरात की उच्च शिक्षा से जुड़े अनेक विषयों पर गहन चिंतन-मनन हुआ। इस अवसर पर उन उच्च शिक्षा संस्थानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। यह पूरा आयोजन भारत के डिस्कवरी एजुकेशन मीडिया तथा एफ.एम.ए. डिजिटल तथा दुबई के जीटीसी ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के साथ मिलकर किया गया। चर्चा का मुख्य बिन्दू था ‘भारतीय एवं संयुक्त अरब अमीरात के उच्च शिक्षा संस्थानों की वैश्विक दृष्टि’।
कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रगान से हुआ। इसके बाद भारत के राजदूत श्री विपुल, शारजहा चैम्बर ऑफ कॉमर्स के महानिदेशक श्री अब्देलाजीज मोहम्मद शत्ताफ, जीटीसी ट्रेडिंग कॉरपारेशन के अध्यक्ष श्री आर.के. महतो, ‘डायलॉग इंडिया’ के समूह संपादक श्री अनुज अग्रवाल, भारत के सुप्रसिद्ध कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी श्री कमल टावरी सहित एक दर्जन से अधिक विशिष्टजनों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। उद्घाटन सत्र में ही ‘डायलॉग इंडिया’ के भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग एवं ग्रेडिंग को समर्पित विशेषांक का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर जो बड़ी हस्तियां उपस्थित थीं उनमें प्रमुख हैं बीह के प्रबंध निदेशक मोहम्मद अल हौसनी, शारजहा इकॉनोमी से सुश्री आलिया अल हाजरी, एस.ई.एम.एस. से श्री खालंतर, यू.ए.क्यू. कार्यकारी परिषद से श्री हुमैद, जी मीडिया से श्री अनुराग मल्होत्रा, शारजहा इंवेस्टमेंट ऑथोरिटी से श्री राजेश, डी.एम.सी.सी. से श्री विपिन, आई.बी.पी.सी. से श्री निमिश मकवाना, आई.सी.ए.आई. के पूर्व अध्यक्ष एवं सम्प्रति अल शिरावी के निदेशक श्री नवीन शर्मा, आई.सी.ए.आई. के उपाध्यक्ष श्री अनीश मेहता, आई.बी.पी.सी. की पूर्व अध्यक्षा सुश्री बिन्दु चित्तुर, डेल्टा समूह के प्रबंध निदेशक श्री शिराज ओसमान, 7सीज़ समूह के संस्थापक श्री हर्षद मेहता, आई.बी.पी.सी. से सुश्री श्रीप्रिया, बीह की निदेशक सुश्री शमी, ‘एशिया वन’ पत्रिका से सुश्री मीनाक्षी, यू.ए.क्यू. इकॉनोमिक विभाग से श्री अहमद सुरूर, गल्फ महाराष्ट्र बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. सुनील, हाली मैनेजमैंट से श्री फाजिल, आदि।
गल्फ मेडिकल यूनिवर्सिटी, आर.ए.के. मेडिकल एंड हैल्थ साइंसेज यूनिवर्सिटी, स्काईलाइन यूनिवर्सिटी कॉलेज, बिट्स पिलानी (दुबई), सिम्बोयसिस, एक्स.एल.आर.आई., एस.पी. जैन स्कूल ऑफ ग्लोबल मैनेजमैंट (दुबई), हमदान बिन मोहम्मद स्मार्ट यूनिवर्सिटी, डी.पी.एस. शारजहा और दुबई, आई.सी.ए.आई. दुबई और जी.ई.एम.एस. एजुकेशन सहित भारत और संयुक्त अरब अमीरात के अनेक बड़े शिक्षा संस्थानों की कॉंकलेव में उपस्थिति दोनों देशों के विशेषज्ञों के लिए एक दूसरे के साथ अपने बेहतरीन प्रयोगों व अनुभवों को साझा का अच्छा अवसर साबित हुई। साथ ही बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक दूसरे के सहयोग पर भी चर्चा हुई।
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कॉंकलेव की शुरूआत करते हुए जी. टी. सी. एस. ग्लोबल के प्रबंध निदेशक श्री राकेश रंजन, जो शारजहा सरकार में एच.एफ.जेड.ए. के मुुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सलाहकार रह चुके हैं, ने कहा कि भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच अनेक मसलों पर मिलकर काम करने की संभावनाएं हैं। दोनों ही दुनिया की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाएं हैं। अमीरात में जहां दुनिया का बेहतरीन विकास ढांचा है वहीं भारत उच्च शिक्षा जगत मेंं दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी है। इसलिए यह दोस्ती दोनों ही देशों के नागरिकों की शांति एवं समृद्धि में बढ़ोतरी करेगी। भारत ने तकनीक के क्षेत्र में काफी तरक्की की है लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वहां अभी बहुत संभावनाएं हैं। इसलिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत में एक क्रंाति की जरूरत है ताकि पूरे विश्व के लिए अधिक से अधिक अब्दुल कलाम तैयार किये जा सकें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कॉंकलेव दोनों ही देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों में आपसी सहयोग को बढ़ाने के साथ-साथ उच्च शिक्षा जगत के समक्ष चुनौतियों का समाधान खोजने में सफल होगा।
उद्घाटन सत्र
अपने स्वागत भाषण में जी.टी.सी. ग्लोबल ग्रुप ऑफ कंपनीज के अध्यक्ष व इस संपूर्ण आयोजन की प्रमुख धुरी श्री आर.के. महतो ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात ने प्रत्येक क्षेत्र में आश्चर्यजनक तरक्की की है। साथ ही यहां के दूरदर्शी शासकों ने शिक्षा में शोध और तकनीक को सर्वाधिक महत्व दिया है। इस संबंध में अमीरात की गंभीरता का पता इस बात से चलता है कि यहां कुल बजट का 22 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता है। वर्ष 2022 तक शिक्षा क्षेत्र में काफी विस्तार की संभावनाएं हैं। अमीरात आर्टीफिशल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भी अग्रणी है। यह संभवत: दुनिया का ऐसा पहला देश है जहां आर्टीफिशल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने के लिए अलग से मंत्रालय है। दूसरी तरफ भारत तेजी से शिक्षा क्षेत्र में विश्वशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। इस समय शिक्षा क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बाद तीसरा स्थान भारत का ही है। संयुक्त अरब अमीरात द्वारा अपना सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को प्रदान करने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और अधिक प्रगाढ़ होने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सहयोग भी बढऩे की संभावना है।
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उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ए.आई.ओ के अध्यक्ष एवं एस.आर.एम यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के उपकुलपति डा संदीप संचेती ने कहा कि भारत में ‘ग्रोस एनरोलमेंट रेशो’ 26 प्रतिशत हो गया है। गत सात-आठ वर्षों में इसमें दोगुनी वृद्धि हुई है। शिक्षा संस्थानों की संख्या, शिक्षकों की संख्या, विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की संख्या तथा विभिन्न विषयों में विद्यार्थियों की संख्या भारत में तीव्र गति से बढ़ी है। भारत के अनेक अग्रणी शिक्षा संस्थानों ने संयुक्त अरब अमीरात में अपने कैम्पस खोल दिये हैं। इस समय भारत में उच्च शिक्षा को लेकर उपयुक्त माहौल है। भारत सरकार ने उन शिक्षा संस्थानों को काफी स्वायत्तता प्रदान की है जो इस क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं। इसलिए इस क्षेत्र में विस्तार की अभी बहुत संभावनाएं हैं। बहुत से शिक्षा संस्थानों को ‘इंस्टीट्यूशन ऑफ एमीनेंस’ का दर्जा प्रदान किया गया है। ऐेसे दो संस्थान अब दुबई में भी उपस्थित हैं। इस समय भारत में सरकार और संस्थान दोनों का ध्यान शिक्षा की गुणवत्ता पर है। यही कारण है कि विदेशों में पढऩे वाले भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी छात्र भी अब पढ़ाई के लिए भारत आ रहे हैं। श्री संचेती ने ‘नेशनल एकेडमिक क्रेडिट बैंक’ को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया।
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संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत श्री विपुल ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात दोनों ही इस समय तकनीक एवं आर्टीफिशल इंटेलीजेंस के विकास एवं उपयोग को लेकर काफी गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को विद्यार्थियों के कौशल विकास के साथ-साथ कामकाजी लोगों के कौशल विकास हेतु और अधिक प्रयास करने चाहिए। इससे प्रशिक्षित लोगों को रोजगार मिलने की संभावनांए और बढ़ जाएंगी। इससे भारत के बाहर भी बेहतर काम की संभावनाएं बढ़ेंगी। उन्होंने बताया कि भारत का नेशनल स्क्लि डवलेपमेंट कॉरपोरेशन संयुक्त अरब अमीरात सरकार के साथ बातचीत कर इस दिशा में प्रयासरत है कि भारतीय प्रमाणपत्र अमीरात में भी मान्य हों। श्री विपुल ने भारतीय युवाओं में बढ़ती उद्यमशीलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इसे और बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय शिक्षा संस्थानों का आह्वान किया कि वे भारत से बाहर भी अपने कैम्पस खोलकर विश्वभर से विद्यार्थियों को आकर्षित करें।
‘डायलॉग इंडिया’ रैंकिंग विशेषांक का विमोचन
उद्घाटन सत्र में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और ग्रेडिंग को समर्पित ‘डायलॉग इंडिया’ के विशेषांक का विमोचन हुआ। विमोचन के बाद ‘डायलॉग इंडिया’ के समूह संपादक श्री अनुज अग्रवाल ने बताया कि भारतीय शिक्षा संस्थानों की राष्ट्रीय रैंकिंग की शुरूआत पिछले साल ही की गयी थी, इससे पूर्व उत्तर भारत के संस्थानों की गत दस वर्षों से रैंकिंग की जा रही है। इस रैंकिंग का प्रमुख उद्देश्य सभी संस्थानों को और बेहतर ढंग से काम करने के लिए प्रेरित करना है। प्राइवेट यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों, प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट मैनेजमैंट कॉलेजों, प्राइवेट डेंटल कॉलेजों, सरकारी स्वायत्त संस्थानों, फार्मेसी कॉलेजों, लॉ कॉलेजों, जनसंचार संस्थानों, होटल मैनेजमेंट कॉलेजों तथा एपलाइड आर्ट कॉलेजों आदि का गहरायी से अध्ययन कर रैंकिंग की जाती है। उत्तर भारत के शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग के बाद शुरू हुई राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग, पुरस्कार वितरण तथा एकेडिया कॉंकलेव अब एक अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन बन चुका है। इस सर्वे में भारतीय शिक्षा जगत के सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। इतनी गहन और विस्तृत जानकारी अन्य प्रकाशन उपलब्ध नहीं कराते। अन्य प्रकाशन महज उन्हीं संस्थानों की रैंकिंग करते हैं जो उस रैंकिंग में भाग लेते हैं जबकि ‘डॉयलॉग इंडिया’ सभी संस्थानों की रैंकिंग करता है। भारतीय शिक्षा जगत में आ रहे कुछ महत्वपूर्ण बदलावों का स्वागत करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दिये जाने के कारण अब उच्च शिक्षा संस्थानों को गुणवत्तायुक्त विद्यार्थी मिलने लगे हैं। दाखिलों में यदि और अधिक पारदर्शिता बरती जाए तो शिक्षा की गुणवत्ता में और बढ़ोतरी होगी। उन्होंने भारत में मौजूद विशाल ढांचे का बड़े पैमाने पर उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया। इस संवाद का प्रमुुख उद्देश्य भी यही है कि किस प्रकार भारत और संयुक्त अरब अमीरात के संस्थान मिलकर काम कर सकते हैं।
पहला पैनल डिस्कशन
डायलॉग इंडिया एकेडिया कॉंकलेव में तीन विषयों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। प्रथम परिचर्चा का विषय था भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में शिक्षा किस प्रकार एक माध्यम हो सकती है। इसका संचालन एजु एलाएंस लिमिटेड के सहसंस्थापक एवं प्रबंध निदेशक तथा संयुक्त अरब अमीरात के हायर कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के पूर्व उपकुलपति डा सेंथिल नाथन ने किया। इस परिचर्चा में उनके साथ शामिल हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी डा कमल टावरी, बिट्स पिलानी (यूएई) के निदेशक डा आर.एन. शाह, गल्फ मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थित कॉलेज ऑफ मेडिसिन के डीन डा मंडा वेंकटरामन, आर.ए.के. मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज यूनिविर्सिटी के अध्यक्ष डा एस. गुरूमाधव राव तथा पुणे स्थित ए.एस.एम ग्रुप और इंस्टीट्यूशन्स के अध्यक्ष डा संदीप पचपंडे।
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चर्चा की शुरूआत करते हुए डा सेंथिल नाथन ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात व्यापार में एक दूसरे के प्रमुुख भागीदार हैं। भारत के लिए संयुक्त अरब अमीरात अब अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इसलिए भारत और अमीरात दोनों की अहमियत एक दूसरे को बखूबी पता है। इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देश काफी कुछ एक दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं और शिक्षा क्षेत्र में विस्तार एवं विकास की अभी बहुत अधिक संभावनाएं हैं। भारत के शिक्षा क्षेत्र में मौजूद विश्व स्तरीय ढांचा विश्वभर के विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा बहुत ही कम मूल्य पर ग्रहण करने का बेहतरीन अवसर प्रदान कर रहा है।
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डा एस. गुरूमाधव राव ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा शोध पर मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया, क्योंकि शोध और विकास से दोनों ही देशों को लाभ होगा। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के संस्थानों से जो डिग्रियां अथवा प्रमाणपत्र विद्यार्थियों को प्रदान किये जाते हैं दोनों ही देश उन्हें बराबरी की मान्यता प्रदान करें। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अनेक भारतीय संस्थान इस समय विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ शिक्षा प्रदान करने की स्थिति में हैं और इससे भारत का पूरी दुनिया में गौरव बढ़ा है। उन्होंने विदेशी विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे भारतीय संस्थानों में प्रेवश लेकर विश्वस्तरीय व गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त करें।
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डा संदीप पचपंडे ने कहा कि आज युवाओं के मस्तिष्क में नये-नये विचार आ रहे हैं। यही कारण है कि नौकरी की खोज में लगे अनेक युवा अब नौकरी का विचार त्यागकर उद्यमशीलता की तरफ रूख कर रहे हैं। उन्होंने इस सोच को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने शिक्षा से जुड़े एक अन्य अहम बिन्दू की ओर ध्यान आकर्षित किया। वह बिन्दू है एक दूसरे देश की संस्कृति तथा सांस्कृतिक मूल्यों का आदान-प्रदान।
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डा कमल टावरी ने लक्ष्य निर्धारण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें यह तय करना पड़ेगा कि हम शिक्षा किसलिए प्रदान अथवा ग्रहण करना चाहते हैं या फिर अपने लोगों को कैसा शासन प्रदान करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी नीति का आखिरकार उद्देश्य है लोगों की खुशी में बढ़ोतरी करना होता है। इसके लिए हमें शान्ति, रोजगार तथा पर्यावरण के अनुकूल काम-ध्ंाधे खड़े करने पड़ेंगे। इसलिए हमें लक्ष्य के प्रति स्पष्टता पैदा करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना होना चाहिए। साथ ही हमें अपने मौजूदा तंत्र यानि प्रशासन, जाति व्यवस्था, धार्मिक रीतियों आदि को फिर से परिभाषित करना पड़ेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि दिनभर की चर्चा के बाद एक ‘दुबई उदघोषणा’ जारी की जानी चाहिए,ताकि दोनों देशों के संबंधों में और अधिक सुदृढ़ता और उच्च शिक्षा क्षेत्र को भी एक नयी दिशा मिले।
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डा आर.एन. शाह ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात यदि मिलकर कुछ क्षेत्रों में काम करते हैं तो इससे दोनों ही देशों को लाभ होगा। आज दोनों देशों को मिलकर शोध एवं नवाचार पर काम करने की जरूरत है। आज दुनिया में जितने भी विकसित देश हैं वे सभी शोध एवं नवाचार के दम पर ही इस मुकाम पर पहुंचे हैं। भारतीय युवा प्रतिभाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दुनियाभर के सभी बड़े संस्थान प्रतिभा की खोज में भारत की तरफ मुड़ रहे हैं। यही कारण है कि आज दुनिया के अनेक बड़े संस्थानों का नेतृत्व भारतीय ही कर रहा है। उन्होंने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने की जरूरत पर जोर दिया।
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डा मंडा वेंकटरामन ने जोर देकर कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल शिक्षा में सुधार हेतु अनेक कदम उठाये हैं। आज जो शिक्षा भारतीय मेडिकल कॉलेजों में प्रदान की जा रही है वह गुणवत्ता व सुविधाओं की दृष्टि से विश्वस्तर की है और इस क्षेत्र में अब अच्छी प्रतिभाएं आगे आ रही हैं। इस बदलाव में भारत को करीब दो दशक का समय लगा। इन बदलावों का विद्यार्थियों को बहुत अधिक लाभ होगा और आने वाले समय में हम भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लिए बेहतरीन चिकित्सक तैयार कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि नेशनल एकेडमिक क्रेडिक बैंक का प्रयोग शिक्षा जगत की अनेक समस्याओं के समाधान का एक बेहतर उपाय हो सकता है।
विशेष प्रस्तुतियां
प्रथम परिचर्चा के प्रतिभागियों को सम्मानित करने के बाद शारजहा चैंबर ऑफ कॉमर्स के महानिदेशक श्री अबदेलाजिज मोहम्मद शत्ताफ ने उम्मीद जतायी कि डायलॉग इंडिया एकेडमिया कॉंकलेव के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात को और भी बेहतर एवं प्रशिक्षित मानव संसाधन प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा, ”आप दिनभर जो भी चर्चा करने वाले हैं उसे लेकर मैं बहुत उत्सुक हूं। चर्चा के परिणाम से हम सभी को अवश्य अवगत कराइएगा। आगे बढऩे के लिए चर्चा बहुत जरूरी है। भारत और अमीरात एक दूसरे के साथ बहुत कुछ साझा कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि यह कॉंकलेव दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा।’’
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इसके बाद जी.टी.सी. एस. ग्लोबल के प्रबंध निदेशक श्री राकेश रंजन ने एक विशेष प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात किन-किन क्षेत्रों में मिलकर आगे बढ़ सकते हैं। श्री रंजन ऐसे व्यक्ति हैं जो करीब दो वर्षों से दुबई में रहते हैं और वहां के कई सरकारी विभागों में प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि आज संयुक्त अरब अमीरात में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले अधिकतर बड़े समूह भारत के ही हैं। इसी प्रकार शिक्षा क्षेत्र में भी भारत के अनेक बड़े शिक्षा संस्थानों ने यहां अपने कैम्पस खोल रखे हैं। उन्होंने बताया कि डायलॉग इंडिया एकेडिया कॉंकलेव में ही अमीरात के 21 बड़े शिक्षा संस्थान भाग ले रहे हैं। ऐसे संस्थानों में बिट्स पिलानी जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। जी.टी.सी.एस. ग्लोबल की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कंपनी किसी भी देश से आकर संयुक्त अरब अमीरात में काम करने के इच्छुक लोगों अथवा संस्थानों को एक विशेषज्ञ के तौर पर हर संभव मदद करती है। यहां आकर जो भी व्यक्ति अथवा संस्थान काम करना चाहते हैं अथवा किसी स्थानीय समूह के साथ मिलकर काम करना चाहते हंै उन्हें व्यवसाय विस्तार पर सभी प्रकार की मदद प्रदान की जाती है। इसी प्रकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों व संस्थानों के लिए भी कंसलटेंसी उपलब्ध है।
नवाचार और उद्यमशीलता पर विशेष प्रस्तुति
आई.सी.एफ.ए.आई. के निदेशक ब्रांडिंग श्री सुधाकर राव ने ‘नवाचार, तकनीक और उद्यमशील सोच’ पर अपनी विशेष प्रस्तुति में विस्तार से बताया कि नवाचार किस प्रकार हमारे जीवन में सामने आने वाली समस्याओं के समाधान में लाभदायक है। नवाचार को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि हम बच्चों में लीक से हटकर सोचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दें। यह बढ़ावा कक्षा में भी देने की जरूरत है और कक्षा के बाहर भी। नवचार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने शिक्षा की मूल्यांकन व्यवस्था में भी बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि एक विद्यार्थी लिखित परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने की बजाए किसी समस्या का समाधान नये तरीके से प्रस्तुत करता है तो उसकी उस प्रतिभा का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए। साथ ही बच्चों को अधिक से अधिक सवाल पूछने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। इसके अलावा सभी आयुवर्ग के व्यक्तियों को तकनीक सिखाने के प्रयास भी किये जाने चाहिए।
कौशल विकास पर विशेष प्रस्तुति
कौशल विकास पर केन्द्रित अपनी विशेष प्रस्तुति में जयपुर स्थित भारतीय स्किल डवलेपमेंट यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. अचिन्तय चौधरी ने कहा कि कौशल विकास व्यक्ति की काम करने की क्षमता को बढ़ाता है। इससे काम ही बेहतर व सुगम नहीं होता बल्कि काम तीव्र गति से भी होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिस प्रकार तकनीक तेज गति से बढ़ रही है उसी प्रकार तकनीक को अपनाने के लिए कौशल में नियमित वृद्धि की जानी चाहिए। यह सही है कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा के साथ रोजगार पर जोर नहीं है। इसलिए पूरी शिक्षा व्यवस्था के समक्ष यह चुनौती है कि शिक्षा ग्रहण करने वाली नयी पीढ़ी को रोजगार के लायक कैसे बनाया जाए। यह संतोष की बात है कि भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से कौशल विकास को बहुत बढ़ावा दिया है और अब इसे लेकर देशभर में काफी जागरूकता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के जयपुर में भारतीय स्किल डवलेपमेंट यूनिवर्सिटी की स्थापना कौशल विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ नयी पीढ़ी के कौशल में बेहतरीन तकनीक की मदद से निखार लाने का प्रयास है। यहां एक मशीन पर एक युवा काम सीखता है। इसके लिए स्विटजरलैंड से आधुनिक मशीनें प्राप्त की गयी हैं।
बेहतरीन शिक्षा संस्थानों का सम्मान
उच्च शिक्षा से जुड़ी विशेष प्रस्तुतियों के बाद भारत में वीररस के सुप्रसिद्ध कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को झकझोरा। तत्पश्चात् बेहतरीन शिक्षा संस्थानों को सम्मानित किया गया। जिन संस्थानों को डायलॉग इंडिया एकेडमिया अवार्ड-2019 से सम्मानित किया गया उनमें प्रमुख हैं (सभी अवार्ड कैटगरी के अनुसार हैं):
डीम्ड/प्राइवेट यूनिवर्सिटीज
– एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), भारत की तीसरी बेस्ट प्राइवेट (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी)-2019
– विनायक मिशन्स रिसर्च फाउंडेशन-उच्च गुणवत्तायुक्त सेवाओं के लिए दक्षिण भारत की सबसे प्रगतिशील मेडिकल यूनिवर्सिटी और समूह
– जी.एल.ए. यूनिवर्सिटी, मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत की बेस्ट यूनिवर्सिटी-2019
– जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी, सोलन, हिमाचल प्रदेश-भारत की तीसरी बेस्ट यूनिवर्सिटी-2019
– रेवा यूनिवर्सिटी- दक्षिण भारत की बेस्ट यूनिवर्सिटी-2019
– एमेटी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर-मध्य प्रदेश का बेस्ट मीडिया एंड कम्यूनिकेशन विभाग-2019
– उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी- पूर्वी भारत की बेस्ट यूनिवर्सिटी-2019
– मंगलायतन यूनिवर्सिटी-उत्तर भारत की सबसे प्रगतिशील यूनिवर्सिटी-2019
– एरा यूनिवर्सिटी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश की बेस्ट इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी-2019
– कर्णावती यूनिवर्सिटी-गुजरात की सबसे बेहतर उभरती हुई यूनिवर्सिटी-2019
– विवेकानन्द ग्लोबल यूनिवर्सिटी, जयपुर- राजस्थान की सबसे बेहतर उभरती हुई यूनिवर्सिटी-2019
– भारतीय स्क्लि डवलेपमेंट यूनिवर्सिटी, भारत की बेस्ट स्क्लि यूनिवर्सिटी-2019
मैनेजमेंट कॉलेज/इंडिविजुअल कैटेगरी
– ए.एस.एम. ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज-पश्चिमी भारत का बेस्ट मैनेजमेंट स्कूल-2019
– सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स-पश्चिमी भारत का बेस्ट एजुकेशनल ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूट-2019
– टेलेंट2सर्च-इंडस्ट्री एनोवेशन अवार्ड फॉर मोस्ट प्रोमिजिंग एजुकेशन स्टार्टअप-2019
– ट्रियून कंसल्टेंसी-एक्सीलेंस इन इंटरनलाइजेशन ऑफ इंडियन एजुकेशन-2019
– डा राजेन्द्र कुमार जोशी, संस्थापक एवं अध्यक्ष, भारतीय स्किल डवलेपमेंट यूनिवर्सिटी-एडिटर च्वाइस एजुकेशन एक्सिलेंसी अवार्ड-ग्लोबल इंस्पायरेशनल आइकॉन इन स्किल एजुकेशन-2019
– डा सेंदिलनाथन, विनायक मिशन्स रिसर्च फाउंडेशन-एडिटर च्वाइस एजुकेशन एक्सिलेंसी अवार्ड-एक्सिलेंस इन स्टूडेंट काउंसलिंग एंड प्लेसमेंट-2019
– डा मनप्रीत सिंह मन्ना-एडिटर च्वाइस एजुकेशन एक्सिलेंसी अवार्ड फॉर मेकिंग इंडियन एजुकेश अफोर्डेबल एंड रीचेबल-2019
– एमिटी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर, मध्य प्रदेश-बेस्ट मीडिया एंड कम्यूनिकेशल डिपार्टमेंट इन मध्य प्रदेश-2019
मेडिकल/डेंटल कॉलेज
– एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज, उत्तर प्रदेश का बेस्ट प्राइवेट मेडिकल कॉलेज-2019 तथा उत्तर, पूर्व तथा उत्तर पूर्व का बेस्ट प्राइवेट मेडिकल कॉलेज-2019 (गुणवत्तायुक्त सेवाएं तथा नवाचार एवं शोध)
– कर्णावती स्कूल ऑफ डेंटेस्ट्री, अहमदाबाद, पश्चिम तथा मध्य भारत का बेस्ट प्राइवेट डेंटल कॉलेज-2019
– डी.ए.वी. सेंटेनरी डेंटल कॉलेज, यमुना नगर, हरियाणा-उत्तर भारत का बेस्ट डेंटल कॉलेज-2019
इंजीनियरिंग कॉलेज
– अजय कुमार गर्ग इंजीनियरिंग कॉलेज, गाजियाबाद-उत्तर प्रदेश का बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज-2019 (उत्तर एवं उत्तर पूर्व भारत के पांच शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक)
– के.आई.ई.टी. ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन, गाजियाबाद- उत्तर प्रदेश का बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज-2019 (उत्तर एवं उत्तर पूर्व भारत के पांच शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक)
– डी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश, एडिटर च्वाइस एक्सीलेंसी अवार्ड-2019 (इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त सेवाओं के लिए)
– के.एस.आर. इंजीनियरिंग कॉलेज-एक्सीलेंस अवार्ड फॉर टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग एजुकेशन, तमिलनाडु-2019
– आई.टी.आई. ब्यावर, राजस्थान-स्किल एजुकेशन एंड प्लेसमेंट के लिए पीपीपी मॉडल में बेस्ट आईटीआई-2019
सम्मान समारोह के पश्चात् एरा मेडिकल कॉलेज, लखनऊ की गतिविधियों के संबंध में एक विशेष प्रस्तुति दी गयी। इस कॉलेज को भारत के 11 शीर्ष मेडिकल कॉलेजों की सूची में शामिल किया गया है। अपनी प्रस्तुति में कॉलेज के श्री खान ने विस्तार से बताया कि कॉलेज कैसे अन्य मेडिकल कॉलेजों से भिन्न है और वहां किस प्रकार आधुनिक पद्धति से मेडिकल की शिक्षा प्रदान की जाती है तथा नवोदित डॉक्टरों को अभ्यास के लिए किस प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
द्वितीय पैनल डिस्कशन
द्वितीय पैनल डिस्कश्न में ‘वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारतीय शिक्षा की भूमिका’ विषय पर चर्चा की गयी। चर्चा का संचालन ‘आर्गेनाइजर’ अंग्रेजी साप्ताहिक के प्रमुख समाचार समन्वयक डा प्रमोद कुमार ने किया। चर्चा में सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स (पुणे) के अध्यक्ष डा. संजय चोरडिय़ा, ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्नीकल एजुकेशन के पूर्व निदेशक डा मनप्रीत सिंह मन्ना, नेहरू युवक केन्द्र संगठन के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) श्री दिलावर सिंह, एजु एलाएंस लि. के प्रबंध निदेशक डा सेंथिल नाथन, विनायक मिशन्स एंड रिसर्च फाउंडेशन (सेलम, तमिलनाडु) के डीन डा सेन्दिलकुमार और भारतीय स्किल डवलेपमेंट यूनिवर्सिटी (जयपुर, राजस्थान) के निदेशक डा रवि कुमार गोयल ने भाग लिया।
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चर्चा की शुरूआत करते हुए डा प्रमोद कुमार ने कहा कि अमेरिका और चीन के बाद भारत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व की तीसरी बड़ी शक्ति है। गत पांच वर्षों के दौरान शिक्षा में गुणवत्ता की दृष्टि से इस क्षेत्र में एक नयी क्रांति आयी है। कुछ साल पहले भारत से बड़ी संख्या में विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विश्व के अलग अलग देशों में जाते थे। परन्तु आज जिस प्रकार भारतीय शिक्षा जगत में वैश्विक स्तर का ढांचागत विकसित हुआ है और शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है उसके परिणामस्वरूप विश्व के विभिन्न देशों से करीब 50,000 विदेशी छात्र हर साल विभिन्न भारतीय उच्च संस्थानों में शिक्षा के लिए आते हैं। आज भारत प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ लोगों का कौशल निखार रहा है और उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार, शोध एवं उद्यमशीलता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप भारत में आज नौकरी मांगने वालों की अपेक्षा नौकरी देने वाले युवाओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। ढांचागत विकास और गुणवत्तायुक्त शिक्षा के कारण आज भारतीय संस्थान किसी भी सेवा के मामले में दुनिया के किसी भी देश के संस्थानों से बराबरी के स्तर पर बात करने की स्थिति में हैं। हम अपने विद्यार्थियों के लिए वैश्विक स्तर की फैकल्टी की व्यवस्था करने में सक्षम हैं और हमारे विद्यार्थी विश्व के किसी भी संस्थान में जाकर अनुभव साझा करने की स्थिति में हैं। वर्ष 2014 से पहले हमारे देश के अधिकतर शिक्षा संस्थान विदेशी संस्थानों से तकनीक लेने के लिए समझौता करते थे, परन्तु आज वह स्थिति बदल गयी है।
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डा मनप्रीत सिंह मन्ना ने कहा कि भारतीय शिक्षा संस्थानों को विदेशी रैंकिंग की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे अपने संस्थान स्वयं में एक नाम हैं और पूरी दुनिया में उनका एक नाम है। हमारे संस्थानों की रैंकिंग विदेशी मानकों के आधार पर हो भी नहीं सकती। इसका प्रमुख कारण यह है कि हमारे देश की परिस्थितियां एकदम अलग हैं। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां 22 भाषाओं में पढ़ाई होती है। अमेरिका, इंग्लैंड और चीन की रैंकिंग संस्थाओं ने अपनी जरूरतों के अनुसार रैंकिंग के मानक तय किये हुए हैं और हमारे मानकों के समक्ष वे मानक अभी बहुत बौने हैं। इसलिए हमें विदेशी रैंकिंग में अपने देश के संस्थानों का नाम नहीं ढूंढना चाहिए। वैसे अब कुछ वर्षों से भारत ने भी अपने स्वयं रैंकिंग मानक तय किये हैं और इसके लिए दो संस्थाएं बनायी हैं। इनमें प्रमुुख हैं नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंक फ्रेमवर्क तथा इंस्टीट्यूशनल इन्नोवेशन रैंकिंग फ्रेमवर्क। हमारे व अन्य देशों के ढांचे में अंतर हो सकता है परन्तु प्रतिभा को तराशने में वे किसी भी मायने में दूसरे देशों से कमतर नहीं हैं। इसीलिए विदेशी विद्यार्थियों के लिए भारत उच्च शिक्षा का एक भरोसेमंद केन्द्र है। यह बात सही है कि अभी हमें नवाचार और शोध पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
मेजर जनरल दिलावर सिंह ने जोर देकर कहा कि आने वाले सालों में खेल एक बड़े उद्योग के रूप में उभरने वाला है। इसलिए इस क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश की संभावनाएं हैं। भारत में इस क्षेत्र में अभी 95 प्रतिशत संभावनाओं को हमने तलाशने का प्रयास ही नहीं किया है। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कम से कम 50 से 75 बिलियन डॉलर का निवेश हो सकता है। यह ऐसा क्षेत्र है जो अकेले भारत में करीब 20 लाख रोजगार प्रतिवर्ष उपलब्ध कराएगा।
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डा संजय चोरडिय़ा ने नवाचार तथा युवाओं में लीक से हटकर सोचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में नवाचार पर काफी काम किया गया है और उस काम को देखने के बाद लगता है कि हमारे देश में नये-नये विचारों की कमी नहीं है। यही कारण है कि जैसे ही देश में अनुकूल माहौल बना दुनियाभर के देशों से युवा स्वदेश लौटने लगे हैं। इसके बावजूद हमें स्कूली स्तर पर ही नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारे विद्यार्थी लीक से हटकर सोचें। हम अपने घर में बच्चों को सवाल पूछने से मना करने की बजाए अधिक से अधिक सवाल पूछने के लिए प्रेरित करें।
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डा सेंथिल नाथन ने कहा कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है। हमारे लिए जो अधिक चिंता की बात होनी चाहिए वह यह है कि हमारे बहुत से बच्चे स्कूलों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस संबंध में सभी को विचार करते हुए अपने अपने स्तर पर कुछ न कुछ प्रयास अवश्य करने चाहिए। भारत से बाहर रहने वाले भारतीयों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे प्राथमिक शिक्षा से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा तक की शिक्षा में अपने स्तर पर कुछ न कुछ सहयोग अवश्य करें। इससे उच्च शिक्षा हेतु भी संस्थानों के गुणवत्तायुक्त विद्यार्थी प्राप्त होंगे। हमारे अपने युवाओं को सामान्य जीवन की समस्याओं के समाधान हेतु भी लीक से हटकर सोचने के लिए प्रयास करने चाहिए। यदि हम स्कूली स्तर से ही इस प्रकार लीक से हटकर सोचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दें तो आने वाले दिनों में हम अनेक नवाचार दुनिया को दे पाएंगे।
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डा सेंदिलकुमार ने कहा कि भारतीय चिकित्सा संस्थानों में मौजूद बेहतर शैक्षिक माहौल और ढांचे के कारण विदेशी विद्यार्थी बड़ी संख्या में आने लगे हैं। हमारे संस्थानों ने दुनिया के अनेक बड़े चिकित्सक पैदा किये हैं। पिछले कुछ वर्षों में नीति से लेकर संस्थान स्तर पर जो परिवर्तन हुए हैं उनके कारण विदेशी विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन अवसर उपलब्ध हुए हैं। हालांकि अभी भी कुछ नीतिगत विषय हैं जिनका भारत सरकार को अन्य देशों की संबंधित सरकारों के साथ बात करके समाधान निकालना चाहिए।
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डा रवि कुमार गोयल ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से कौशल विकास को बहुत बल मिला है और प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ लोगों का कौशल निखर रहा है परन्तु इस दिशा में अभी भी बहुत प्रयास करने की जरूरत है। हमें कौशल की गुणवत्ता पर खास ध्यान देने की जरूरत है। हमें वह सिखाना है जो आने वाले सालों में काम आए न कि वह जो प्रचलन से बाहर हो चुका है। इसी जरूरत को ध्यान में रखकर जयपुर में भारतीय स्किल डवलेपमेंट यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी है। इस विश्वविद्यालय में वैश्विक मानकों के अनुसार कौशल विकास किया जा रहा है। यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों का करीब 60 प्रतिशत समय मशीन पर काम करते हुए बीतता है।
फिक्की महानिदेशक श्री दिलीप चिनोय का उद्बोधन
द्वितीय पैनल डिस्कशन के बाद चर्चा में शामिल सभी प्रतिभागियों का अभिनन्दन फिक्की के महानिदेशक श्री दिलीप चिनोय ने किया। इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा ”मैं दुबई बहुत सालों से आ रहा हूं। प्रारंभ में यहां भारतीय समूहों द्वारा संचालित कुछ ही स्कूल थे। उस दौर में भारतीय और अमीरात के बीच होने वाली बातचीत अथवा समझौतों का केन्द्रबिन्दू यहां आकर काम करने वाले लोग रहते थे। उन दिनों में ज्यादातर आईटीआई प्रशिक्षित लोग अमीरात आते थे और उनमें से भी अधिकतर केरल से आते थे। धीरे-धीरे और अनेक भारतीय समूहों ने यहां स्कूल स्थापित करने शुरू किये और आज बहुत से समूहों ने प्राथमिक, माध्यमिक एवं पेशेवर शिक्षा के लिए संस्थान खोले। आज दुबई के सुप्रसिद्ध लोगों में शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की गणना होती है। हाल ही में श्री विपुलजी और मैं ‘आबूधाबी डायलॉग’ में एक साथ थे। अब डाटा नेटवर्क में वृद्धि को लेकर सहमति बनी है। साथ ही 15 ऐसे विषय छांटे गये हैं जिनमें काम करने वाले लोगों के कौशल में निरंतर निखार हेेतु प्रयास किये जाएंगे। इनमें भवन निर्माण एवं ऑटो सेक्टर प्रमुुख हैं। अब जो भी प्रशिक्षित भारतीय काम के लिए अमीरात आना चाहते हैं उन्हें वीजा शुल्क में भी छूट दी जाएगी। आने वाले दिनों में और भी अनेक विषयों पर बातचीत आगे बढ़ेगी। आज ‘डायलॉग इंडिया’ के माध्यम से जो संवाद का सिलसिला प्रारंभ हुआ है वह सिलसिला जारी रहना चाहिए। मैं इस प्रयास हेतुु अपनी शुभकामनाएं प्रदान करता हूं।’’
पूरे कार्यक्रम में एक विशेष चर्चा जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया वह थी भारत के 12 वर्षीय ‘वंडर ब्वाय’ आदित्य पचपंडे के साथ 12 ही साल के सहज अग्रवाल की बातचीत। आदित्य ने 12 साल की आयु में विश्वभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वह सबसे कम उम्र का व्यक्ति है जिसने समर बिजनेस एनकोडिंग एकेडमी में अपनी धाक जमायी है। साथ ही उसने ‘जेन नेक्स्ट इन्नोवेशन लैब’ तैयार की जहां वह युवाओं को लीक से हटकर सोचने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित करेंगे। पांचवे ईटी बिजनेस ग्लोबल समिट में वह सबसे कम उम्र का वक्ता था। सहज अग्रवाल के साथ बातचीत में आदित्य ने बताया कि उसने किस प्रकार लीक से हटकर सोचना शुरू किया और आने वाले दिनों में उसकी क्या योजना है।
तृतीय पैनल डिस्कशन
तीसरे पैनल डिस्कश्न में इस बात पर चर्चा हुई कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच होने वाले शैक्षिक समझौतों से नवाचार तथा उद्यमशीलता को कैसा बल मिल सकता है। इस सत्र का संचालन डिस्कवरी एजुकेशन मीडिया के निदेशक श्री सिद्धार्थ जैन ने किया। इस चर्चा में दिल्ली प्राइवेट स्कूल (दुबई) की प्रधानाचार्या एवं निदेशक श्रीमती रश्मि नन्दकेयलर, काउंसलिंग प्वाइंट ट्रेनिंग एंड डवलेपमेंट की निदेशक सुश्री रीमा मेनन, राज ग्रुप ऑफ कंपनीज (संयुक्त अरब अमीरात) के प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्ष डा मुस्तफा सासा, स्काइलाईन यूनिवर्सिटी कॉलेज (संयुक्त अरब अमीरात) से डा दीपक कालरा, टेलेंट2सर्च के निदेशक श्री विजयकृष्णन पलक्कट और एंपलॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने भाग लिया।
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चर्चा की शुरूआत करते हुए श्री सिद्धार्थ जैन ने कहा कि बदलते दौर की चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिए नवाचार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और इस दिशा में पूरी दुनिया में संयुक्त प्रयास होने चाहिए। मस्तिष्क में कोई नया विचार आना एक बात है परन्तु उस विचार को हकीकत में बदलना अलग बात है। इसलिए नवाचार के लिए जहां युवाओं को तैयार करना जरूरी है वहीं नये आइडियाज़ को हकीकत में बदलने के लिए निवेशकों एवं उद्यमियों को तैयार करना भी आवश्यक है। चूंकि इस समय भारत और संयुक्त अरब अमीरात दोनों में ही वैश्विक स्तर का ढांचा है इसलिए नवाचार व शोध को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए।
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सुश्री रीमा मेनन ने नवाचार हेतु अलग-अलग स्तरों पर समझौते करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चूंकि वह बिट्स पिलानी में अक्सर जाती हैं वहां वे देखती है कि विभिन्न समझौतों के कारण एक दूसरे संस्थानों एवं देशों के विद्यार्थी नये-नये प्रयोगों को समझने और अपना अनुभव साझा करने के लिए वहां निरंतर आते हैं और वहां के विद्यार्थी दुनिया के अन्य देशों में जाते हैं। यह सही है कि हमें भारत में अपनी बहुत सी नीतियों में अभी भी बदलाव करने की जरूरत है लेकिन इसके बावजूद भारत ने काफी तरक्की की है। अब नवाचार और शोध पर सब तरफ आग्रह बढ़ रहा है।
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श्री विजयकृष्णन पलक्कट ने कहा कि शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत और संयुक्त अरब अमीरात को मिलकर ‘सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस’ खड़े करने चाहिए। वैश्विक कंपनियां भी इस प्रकार