दोनों आरोपी अन्य बातों के अलावा दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की फर्जी कंपनियों के जीएसटी पंजीकरण प्राप्त कर लेते थे और इसके लिए असंदिग्ध व्यक्तियों के दस्तावेजों का इस्तेमाल करते थे तथा करोल बाग, दिल्ली में एक परिसर से इन कंपनियों के वस्तु रहित चालान और ई-वे बिल तैयार करते थे। प्रारंभिक जांच के बाद पता चला कि अनियमित कंपनियों की आतंरिक और बाहरी आपूर्तियों के बीच कोई संबंध नहीं था। इन कंपनियों ने अनेक खरीदारों को धोखे से आईटीसी दे दिया था, जिन्होंने बाहरी आपूर्ति के लिए अपनी जीएसटी देनदारी पूरा करने के लिए इसका लाभ उठाया।
अत: दोनों आरोपियों ने सीजीएसटी कानून, 2017 के धारा 132(1) (बी) और (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत अपराध किया, जो धारा 132(5) के अंतर्गत संज्ञेय और गैर-जमानती है तथा इस कानून की धारा 132 (1) (आई) के तहत दंडनीय है। इसके अनुसार श्री नवीन मुटरेजा और श्री केशवराम को 14 नवम्बर, 2019 को गिरफ्तार किया गया और 15 नवम्बर, 2019 को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस गिरोह के प्रमुख लाभान्वितों की पहचान करने और जीएसटी की वसूली के लिए जांच चल रही है।