श्री कृष्ण जन्मोत्सव वास्तव में एक बालक जन्म से कुछ अधिक है, ये पर्व मानव सभ्यता को जीवन मूल्यों के साथ जीवन से जुड़े विभिन्न मनोभावों जैसे प्रेम, विश्वास, क्रोध, अनुराग, घृणा आदि के प्रति जागरूक करता है।
विचारणीय तथ्य है कि समस्त बंधनो में जन्म लेने वाला शिशु किस प्रकार समस्त बंधनों को पार करके एक नए परिवार में प्रवेश पाता है। उसको जन्म देने वाले, पालने वाले सब एक माध्यम है ताकि शिशु अपनी विभिन्न लीलाओं के माध्यम से समाज को जागरूक कर सके।
श्री कृष्ण का जीवन एक प्रतिबिम्ब है जिसमे उनके अनेक रूप जीवन शैली की सकारात्मकता एवम नकारात्मकता को समाविष्ट किये हुए है। कृष्ण एक नटखट बालक है, एक बाँसुरी वादक है, एक भयंकर योद्धा है, एक राजनेता है, एक महायोगी है और एक प्रेमी है। वास्तव में कृष्ण जीवन का एक आचरण है जिसका संबंध पूरे समाज से है। यदि श्री कृष्ण के जीवन का अध्ययन करें तो पाते हैं कि श्री कृष्ण ने अपने प्रत्येक कर्म से कोई न कोई संदेश प्रतिपादित किया, चाहे उनका सुदामा के साथ मित्रता का भाव हो या राधा के साथ प्रेम क्रीड़ाएं, चाहे अर्जुन को महाभारत के युद्ध मे कर्म के लिए प्रोत्साहित करना हो या गांधारी के समक्ष अपना क्षोभ और अपराध भाव प्रकट करना हो।
यही नही श्री कृष्ण गीता में स्पष्ट कहते हैं कि मनुष्य का अधिकार क्षेत्र मात्र कर्म करना है, उस कर्म के कारण-परिणाम उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, अतः उनकी चिंता व्यर्थ है। यदि आप युद्ध करते हो, तो वह आपका कर्म है, अतः उसमे घृणा या क्रोध का समावेश नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार, मोह, काम -क्रोध, भय जैसे तत्वों का त्याग ही समुचित है। क्योंकि ये सब मनोभाव एक दूसरे के साथ कच्चे धागे से बंधे हैं।
इन तत्वों की व्याख्या के लिए श्री कृष्ण स्वयं एक साधारण मनुष्य की भाँति पश्चाताप, ग्लानि और लज्जा की आग में झुलसते है, तो कभी द्रौपदी का चीर बढ़ाकर एक अमूर्त उपस्थिति दिखाते हैं, तो कभी युधिष्ठिर की मूर्खता पर झुंझलाहट दिखाते हैं, तो कभी विस्मयकारी प्रेम क्रीड़ा से राधा रूपी प्रेयसी के साथ रास रचाते हैं, तो कभी बाँसुरी पर अपने होंठों का जादू चला कर संसार की आत्मा को सुरों से ओतप्रोत कर देते हैं।
इन समस्त विशेषताओं के साथ कृष्ण का जन्म मानव सभ्यता के दुर्गुणों, कुरीतियों, अधर्म, अविश्वास, अनास्था जैसे नकारात्मक तत्वों के विरुद्ध सकारत्मक जीवन शैली एवं जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए हुआ ताकि मनुष्य किसी न किसी भंगिमा से जुड़कर एक खूबसूरत जीवन जी सके।
-करिश्मा पाल