मुद्दा सरकार बनाम न्यायपालिका का है न कि लॉकडाउन बनाम कर्फ्यू का है। यह एक दूसरे के अधिकारों के अतिक्रमण का मामला है।
आज इलाहाबाद(प्रयागराज) हाई कोर्ट लॉकडाउन लगाने के आदेश में स्तरीय (निम्न) टिप्पड़ी करते हुए कहा कि “यह शर्म की बात है कि सरकार ने दूसरी लहर के क़हर की जानकारी के बावजूद पहले से कोई तैयारी नहीं की। इस पर केवल हँसा जा सकता है कि हमारे पास चुनावों पर ख़र्च करने के लिए पैसा है लेकिन जन स्वास्थ्य पर ख़र्च के लिए नहीं”।
हाईकोर्ट के इस आदेश पर योगी सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़े है और सख्ती कोरोना के नियंत्रण के लिए आवश्यक है। सरकार ने कई कदम उठाए है, आगे भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जीवन बचाने के साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है। लॉकडाउन अभी नही लगेगा।
वैसे तो कोर्ट की टिप्पणियों संतुलित होती है लेकिन कुछ दिन पहले ही जब न्यायमूर्ति महोदय पंचायत चुनाव हर हाल में कराने के अपने अहंकार पर भी अड़े रहे,अब उन्हें पता नही अपना आदेश याद भी है या नही। जबकि सरकार की मंशा पंचायत चुनाव अभी न कराने की थी लेकिन स्वयं माननीय हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव को जल्द से जल्द निपटाने के लिए कहा और रिपोर्ट देने को कहा था और आज चुनाव का ही उदाहरण दे कर अपनी भद्द ही पिटवा ली। यह वही महान कोर्ट है जिसने चार दिन पहले कोविड 19 के मद्दे नजर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टालने की राज्य सरकार की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी।
◆समझ मे नहीं आता की शासन की जिम्मेदारी सरकार की होती है या न्यायलय की ?
◆अगर न्यायलय को ही तय करना है की शासन कैसे करना है तो फिर चुनी हुई सरकार की क्या जरूरत?
◆संविधान मे क्या कार्य क्षेत्र का निर्धारण नहीं किया गया ?
◆कल को अगर सरकार न्यायिक कार्यों मे हस्तक्षेप करने लगे तो देश कैसे चलेगा?
लाखों केस लंबित पड़े हैं कोर्ट में पर मी लार्ड को कभी इस बात पर शर्म नही आई ??
◆देश मे मीलॉर्ड भी अब आम चुनाव के माध्यम से चुने जाएँगे क्या ?
खैर रुप्पन बाबू कह रहे हैं कि पंचायत चुनाव का भी संज्ञान ले लेते ये वाले मी लॉर्ड, झबरू और जुम्मन का तुरंत परधान और बीडीसी बनना कौन सा ज़रूरी यज्ञ था ई महामारी में ??
बैद्य जी कोरंटिन हुए पड़े थे बाकी प्रत्याशियों को कुछ दिन और भांग घोटने देते। जब उ न घोंटे तो खुदै घोंट के पीने की क्या जरूरत थी कोरट साहेब , दक्खिन लग गए न ??
-शरद सिंह