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खुशियाँ बाँटिए, ख़ुशियाँ मिलेगी

खुशियाँ बाँटिए, ख़ुशियाँ मिलेगी।
■ राजकुमार जैन राजन
आज मनुष्य की कीमत भी दिनों दिन रुपये के अवमूल्यन की तरह घटती जा रही है। उसके मानसिक प्रदूषण में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है। क्या हमने कभी बैठकर विचार किया  है कि ऐसा क्यों है ? अगर नहीं है, तो देर मत कीजिये सुबह का भुला शाम को घर आ जाये तो भुला नहीं कहलाता। हम अपना आत्म विश्लेषण करें और देखें कि क्या कारण है ? जीवन संघर्ष का नाम हैं। जहाँ जीवन है वहीं समस्या है। समस्याओं का चक्र अनवरत गति से चलता रहता है। कभी खुशी कभी गम, कभी सुख कभी दुःख, पर इसे दिल और दिमाग पर हावी न होने दें। खुश रहने के लिए परिस्थितियों के कारण मन को भारी न बनाएं। खुश रहना और अपने आसपास को भी खुशियों से सराबोर रखना एक कला है। यह सबमें नहीं होती, लेकिन जिसमें होती है वह सबका मन जीत लेता है। जो लोग खुश रहना और हंसना -हंसाना जानते हैं, वे अक्सर सकारात्मक रहते हुए ख़ुशियाँ बाँटते रहते हैं। इसलिए ऐसे लोगों के साथ जुड़ने वालों को उनके साथ रहकर बल सा मिलता है। वे लोगों की भवनाओं की कद्र करना भी जानते हैं। उन्हें मालूम होता है कि उनकी ओर से किया गया छोटा सा सहयोग भी किसी के जीवन मे ख़ुशियाँ भर सकता है।
 उदाहरण स्वरूप समझिये की एक बच्चा सड़क पर खेल रहा है और कोई वाहन तेजी से आ रहा है। राह चलते आपकी नजर पड़ी और दौड़कर बच्चे को आपने एक तरफ ले लिया, वह बच्चा कुचल सकता था, पर आपने उसे बचा लिया। एक गरीब व्यक्ति की बच्ची की शादी है और आपने उसको समय पर कुछ राशि भेंट कर दी। आपके बॉस का प्रमोशन होना है पर वह अपना टॉरगेट पूरा नहीं कर पा रहा था, आपने मदद कर उसका टॉरगेट पूरा करवा दिया। एक बालक परीक्षा देने जा रहा था, कि उसकी बाईक पंचर हो गई, आपने तुरन्त अपनी बाईक से उसे परीक्षा केंद्र तक छोड़ दिया। आपका अकेला पडौसी अचानक बीमार हो गया, पता चलते ही आप डॉक्टर को बुला लाये और दवाएं भी लाकर दे दी तथा उसके पूर्ण स्वस्थ होने तक उसकी खैर -खबर लेते रहे। पडौस के बच्चे ने अच्छी श्रेणी से परीक्षा पास की, आपने शुभकामना देते हुए उसे एक गिफ्ट दे दिया … ऐसे ही छोटे छोटे कई कार्य अनायास आपने कर हर व्यक्ति को ख़ुशियाँ प्रदान  की तो निश्चित रूप से आपको भी ख़ुशियाँ ही मिली होंगी, मन पूरी तरह उल्लसित हुआ होगा। कभी कभी वही लोग जिनकी मदद कर आपने उनको खुशियों की सौगातें दीं उनके द्वारा भी आपको ढेर सारी खुशियाँ मिलती है, उनका प्यार मिलता है, स्नेह मिलता है, सहयोग मिलता है
         जीवन को तो जैसा हम समझने में समर्थ हो जाते हैं, वह वैसा ही लगने लगता है। जीवन तो वैसा ही है जैसी हमारे पास देखने की दृष्टि होती है। हमारे मध्य इसी जीवन को जीने वाले वे लोग भी होते हैं जो आनन्द और उल्लास से भरे होते हैं जब हम जीवन में आनन्द को, शुभ को, मंगल को, ज्ञान को, प्रकाश को बाँटना शुरू कर देते हैं तो न केवल हमारा जीवन आनन्द से भर जाता है बल्कि शुभ का, खुशियों का का आना भी निरन्तर जारी रहता हैं। हर इंसान खुशियों की बात जोह रहा है .. सबको लगता है कि उसके जीवन में खुशियां आएगी। समय खुशियों के अवसर सबके लिए लेकर आता है। यदि हम सब ख़ुशियाँ बाँटना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें खुद खुश रहना होगा। अगर हम खुद खुश नहीं रह सकते तो किसी को खुश नहीं कर सकते। यदि हमारे चेहरे पर मुस्कान रहेगी तो दूसरों को मुस्कुराहट बाँट पायेंगे।भागदौड़ भरी जिंदगी में खुशियाँ ही हमें जीने की राह दिखा सकती है। हो सकता है कि हमें अपनी मनचाही मंज़िल अभी तक नहीं मिल पाई हो, पर जो मिला है उसी में आनन्द तलाशें। आनन्दित वह व्यक्ति होता है जो आनन्द प्राप्त करना जानता है। अनुकूल परिस्थितियों में ही नहीं, बल्कि अपने आसपास की वास्तविकताओं के बीच भी जो व्यक्ति इस रहस्य को समझ लेता है वह किसी की भी मदद करने समय की प्रतीक्षा नहीं करेगा, बल्कि यथाशक्ति  लोगों की छोटी छोटी मदद द्वारा उनके जीवन मे खुशियों का संचार करने का प्रयास करेगा।
        गरीब, अमीर, निशक्तजन ही नहीं हम अपने माता-पिता, बच्चों, अपने बॉस, अपने सहकर्मी, अपने मित्र या किसी अजनबी को भी खुशियों की सौगात दे सकते हैं। हम किसी गरीब को रोजगार  का सही तरीका-साधन सूजा सकते हैं। उसकी परेशानियां दूर करने का तरीका बता सकते हैं, उसे किसी खास काम मे दक्ष होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। राह में कोई अजनबी व्यक्ति मदद की गुहार कर रहा हो तो उसकी पूरी बात सुननी चाहिए और यथासम्भव उसकी परेशानी दूर करने में मदद करनी चाहिए। समाज के निशक्तजन को सबसे ज्यादा हमारे सहयोग की जरूरत होती है उसे किसी तरह की दिक्कत हो, दवाओं या सहारे की जरूरत हो तो सारे काम छोड़कर उसकी मदद करें। वह ढेर सारी दुआएं देगा। यही नहीं माता -पिता हमारे जीवन को खुशयों से भरने वाले सम्बल हैं। यदि हम उन्हें ख़ुशियाँ देना चाहते हैं तो उन्हें सम्मान दें। उनको अपमानित करने और उनकी बातों को सिरे से खारिज करने से बचें। अपनी सफलता के लिए उनका मार्गदर्शन लें। उनकी मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहें। उनको प्रसन्नता देंगे तो आपके जीवन में चारों ओर ख़ुशियाँ बिखरी रहेंगी। घर- परिवार व पास -पडौस के बच्चों  का सही मार्गदर्शन करते रहें। उन्हें कुछ दिक्कत हो तो मदद करें। उनके साथ समय बिताएं। उन्हें सही गलत की पहचान करना सिखाएं। अच्छे काम के लिए उन्हें शाबाशी दें। कभी-कभी खिलौने, कहानी-कविता की सुंदर पुस्तकें तो कभी टॉफ़ियाँ  देकर उन्हें खुश करें। हमारे ऑफिस का बॉस भी एक इंसान ही होता है।उसके सामने भी परेशानियाँ आती है, ऐसे में हम उन्हें स्पोर्ट देंगे तो वह खुश होगा। बिना कहे उसकी मदद करेंगे, तो उसके चेहरे की खोई रौनक लौट आएगी। इसी तरह ही हम अपने सहकर्मी की मदद कर उसकी ख़ुशियाँ बढ़ा सकते हैं। ख़ुशियाँ बाँटते रहने के और भी कई तरीके हो सकते हैं।
         खुद हम अपने को सौभाग्यशाली समझें। हमें जो नियामतें मिली है उसके लिये शुक्रिया कहें। चिंतन करें, कितना कुछ है हमारे पास, जिंदगी को भरपूर तरीके से जीने के लिए। हो सकता है कि ये बातें हमें छोटी लगें, पर इन्हीं छोटी- छोटी बातों में वास्तविक खुशियां छिपी हैं। क्यों नहीं हम इन खुशियों का महत्व समझते, क्यों नहीं हम इन चीजों के लिए कुदरत को धन्यवाद देते ? प्रकृति का होना मात्र ही बहुतों के लिए, आनन्द की बात हो सकती है। यह सत्य है कि अगर हम प्रसन्न और संतुष्ट हैं, तो प्रकृति भी हमारे साथ मुस्कराती है। इसलिए हमारे द्वारा किया गया दयालुता का छोटा सा कार्य, थोड़ा शिष्टाचार, मिलनसार स्वभाव, किसी का सहायक बनना, सहानुभूति रखना, निस्वार्थी होना, और यथासम्भव हर प्राणी के जीवन में स्नेह व सहयोग भाव से खुशियाँ बाँटते रहने से निःसन्देह हमें भी भरपूर ख़ुशियाँ मिलेंगीं।हमारा जीवन और भी सहज, सजग, सुंदर बनेगा। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में ख़ुशियाँ ही हमें जिंदगी की राह दिखा सकती है, इस लिए खुशियाँ बाँटिए, ख़ुशियाँ मिलेगी।*
● राजकुमार जैन राजन

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