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राजस्थान सरकार ने दबाव में ही सही, बिजली की बढ़ी दरें वापस ली

राजस्थान सरकार ने कृषि विद्युत कनैक्शन और अनमीटर्ड विद्युत कनैक्शनों पर बढ़ायी दरों को तत्काल वापस लेने की घोषणा की है। राजस्थान के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले फीड बैक के आधार पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। वहीं विपक्ष का कहना है कि किसानों के उग्र होते जन आन्दोलन के आगे सरकार झुकी है।

ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह के अनुसार इन दरों को वापस लेने से डिस्काम पर प्रतिवर्ष 500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जिसका भुगतान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। नियामक आयोग की सिफारिशों पर राज्य सरकार ने सितम्बर 2016 से कृषि कनैक्शनों पर 25 पैसे प्रति युनिट बढ़ाकर एक रूपया पन्द्रह पैसा कर दिया था। इसी तरह अनमीटर्ड विद्युत कनैक्शनों का चार्ज 85 रूपये से बढ़ाकर 120 रूपये कर दिया गया था। इन दोनों वृद्धि को तत्काल वापस ले लिया गया है। जिन काश्तकारों ने सितम्बर से यह बिल जमा करा दिये हैं उनको अगले बिलों में समायोजित कर दिया जायेगा। राज्य सरकार ने कृषि उपभोक्ताओं के लिए ‘सिविल लाइबिलिटीज’ की अधिकतम राशि चार माह से घटाकर दो माह कर दी है। इसके अलावा समझौता राशि की दर को भी दो हजार रूपये प्रति हार्स पावर से घटाकर एक हजार रूपये प्रति हार्स पावर कर दिया है।

इसी प्रकार राज्य सरकार ने वीसीआर में किसानों की शिकायतों की सुनवाई के लिए जिला स्तर पर वीसीआर मॉनिटरिंग समितियां गठित की है। इन समितियों में वीसीआर जांच के लिए 60 दिन तक शिकायत प्राप्त होने पर 15 दिन में ही निस्तारित किया जायेगा। जिन किसानों के मीटर सही ढंग से चल रहे हैं, ऐसे काश्तकारों के लोड की जांच नहीं की जायेगी। दिसम्बर 2014 के बाद भी किसी कारण मांग राशि जमा नहीं कराने वाले किसानों को एक और अवसर प्रदान किया जायेगा ताकि वह अपने मांगपत्र जमा करा कर कृषि कनैक्शन ले सकें।

किसानों द्वारा डिस्काम के स्तर पर बगैर जांच या बिना आवेदन लोड बढ़ाये जाने की शिकायतों पर राज्य सरकार ने ऐसे समस्त प्रकरणों का निराकरण करने के लिये बढ़ाये गये लोड को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से राज्य के पांच लाख किसान लाभांवित होंगे। उन्होंने विद्युत कनैक्शनों की शिकायतों के संबंध मेें कहा कि विद्युत वितरण कपंनियों द्वारा आगामी माह में पूरे प्रदेश में पंचायत, उपखंड स्तर पर विद्युत संबंधी शिकायतों के निराकरण एवं उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान किये जाने के लिए शिविरों के आयोजन किये जाएंगे। इसी तरह बूंद बूंद फव्वारा, डिग्गी सिंचाई पद्धति आधारित कृषि कनैक्शनों की विद्युत दरें तीन वर्ष बाद सामान्य श्रेणी में परिवर्तित कर दी जायेंगी। इस निर्णय से लगभग 45 हजार कृषक लाभान्वित होंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुसार बिजली नियामक आयोग द्वारा बिजली दरें बढ़ाये पांच महीने हो गये। कांग्रेस द्वारा बिजली दरें कम करने के लिए जिला स्तर पर धरने प्रदर्शन किये गये, तब भी सरकार ने कोई परवाह नहीं की। अब झुंझुनू एवं सीकर में कांग्रेस द्वारा बड़े आंदोलन की तैयारी को देखते हुए आनन-फानन में सरकार ने बढ़ी हुई दरें वापस ले ली। बजट का भी इंतजार नहीं किया। सरकार को जन भावना के सामने झुकना पड़ा तथा मजबूरन आज से नहीं बल्कि सितम्बर 2016 से ही बढ़ी दरों को वापस लेना पड़ा। ये जनता की जीत है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय भी नियामक आयोग द्वारा बिजली दरें बढ़ाई गई थी मगर सरकार ने तत्काल बिजली कम्पनियों को सब्सिडी देकर पांच साल तक किसानों की बिजली दरें नहीं बढऩे दी। इस सरकार को भी समय रहते कदम उठाना था।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री सचिन पायलट ने कहा कि सरकार छीजत व बिजली चोरी को रोक पाने में नाकाम रही है जिसकी भरपाई के लिए उपभोक्ताओं पर विद्युत दरें बढ़ाकर भार डाला गया है। उन्होंने कहा कि कांगे्रस के नेताओं ने पूरे प्रदेश में जाकर किसानों के बीच उनके हालातों का जायजा लेकर सरकार को समय-समय पर सचेत किया था कि सरकार का यह निर्णय आपदाओं की मार झेलने वाले किसानों की कमर तोड़ रहा है। श्री पायलट ने कहा कि भाजपा सरकार विद्युत व्यवस्था के निजीकरण पर आमादा है। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर अजमेर जिले की विद्युत व्यवस्था की कवायद जोरों पर है जिसके विरोध में अजमेर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा जनहित में शहर बंद का आह्वान किया गया था जिसे जनता का पूरा समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा विद्युत इकाइयों का निजीकरण किया जा रहा है तथा कोटा, भरतपुर व बीकानेर की विद्युत व्यवस्था को निजी हाथों में दिया जा चुका है जो जनहित के साथ समझौता है।

राजस्थान में जब से सरकार ने विद्युत दरें बढ़ाई थी उसी के बाद से ही किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा था जो गत कुछ समय से ज्यादा ही उग्र हो गया था। बिजली की बढ़ी दरों का विरोध भाजपा पार्टी पदाधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं ने भी किया लेकिन भाजपा सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अब चूंकि यह किसान आन्दोलन भाजपा के विरूद्ध कांग्रेस की ओर जाता दिखा और भाजपा के जन प्रतिनिधि भी मुखर रूप से सामने आने लगे तब जाकर भाजपा सरकार ने उक्त निर्णय लिया। इस निर्णय से निश्चित ही प्रदेश के किसानों को लाभ होगा। जानकार लोगों का कहना है कि विद्युत विभाग के कर्मचारियों की अकर्मण्यता तथा मिली भगत के कारण ही 25 से 50 प्रतिशत तक की विद्युत चोरी तथा छिजत होती है। यह सब गत वर्ष विद्युत विभाग द्वारा चलाये गये अभियानों में सामने आ चुका है।

 

रामस्वरूप रावतसरे

 

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