आर.के. सिन्हा
बिहार के औरंगाबाद शहर में बीते दिनों आयोजित निवेशक सम्मेलन के दौरान जिस तरह की ओछी हरकत हुई उसको जानकार कोई भी बिहारी उदास हो जाएगा। वहां पर एक निवेशक सम्मेलन आयोजित किया गया। उसमें देश भर से निवेशक आमंत्रित किए गए। सम्मेलन का उदघाटन राज्य के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने किया। यहां तक तो सब ठीक रहा। पर बाद में निवेशकों के कथित मनोरंजन के नाम पर बार बालाओं ने अश्लील भोजपुरी गीतों पर ठुमके लगाए। उसमें आर्केस्ट्रा की कर्कश धुन पर बार- बालाओं ने घटिया डांस किया। इस घटना पर जब बवाल हुआ तो बिहार सरकार के बड़े असरदार अफसरों से लेकर मंत्री तक कहने लगे कि यह तो गलत हुआ। यह नहीं होना चाहिए था। अब जांच की बात भी हो रही है। जांच होने से क्या हो जाएगा।
अब क्या बिहार सरकार का कोई जिम्मेदार अफसर या मंत्री यह बताएगा कि निवेशक सम्मेलन में दो कौडी का डांस और म्युजिक का कार्यक्रम रखने की जरूरत ही क्या थी? इसको आयोजित करने से निवेशकों पर कितना नेगेटिव प्रभाव पड़ा होगा। बिहार ज्ञान की धरती है। तब आयोजकों को सिर्फ कामोत्तेजक संगीत कार्यक्रम पेश करने की क्या सूझी।
बेशक, बिहार इस तरह से तो निवेशकों को लुभा नहीं सकता है। कहना पड़ेगा कि बिहार में देश-विदेश के निवेशकों को राज्य में निवेश करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं होती। जब होती है तो अशलील कार्यक्रम तक पेश करा दिए जाते हैं।
बिहाऱ देश का एकमात्र इस तरह का राज्य है जहां पर निवेशकों को लुभाने के लिए कोई व्यापक नीति नहीं बनी। बिहार में देश का कोई भी बड़ा औद्योगिक घराना निवेश करने के लिए आगे नहीं आ रहा है। क्या कभी आपने सुना है कि
टाटा, अँबानी, अडानी, जिंदल, महिन्द्रा ने बिहार में कोई निवेश किया हो। बिहार में नए दौर के उद्यमी जैसे शिव नाडर (एचसीएल), भवेश अग्रवाल (ओला), दीपेन्द्र गोयल (जोमेटो) वगैरह भी निवेश को लेकर उत्साह नहीं दिखाते। जिस बिहार में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है जिसके चलते बिहारी नौजवान देश के सुदूर इलाकों में भी छोटी-मोटी नौकरी करने के लिए विवश हैं, तब बिहार से निवेशकों का दूर रहना चिंताजनक है। बिहार में ले –देकर सिर्फ सरकारी नौकरी बची है। उससे तो बात नहीं बनेगी।
देखिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडू जैसे राज्यों का तगड़ा विकास इसलिए ही हो रहा है, क्योंकि; इनमें हर साल भारी निजी क्षेत्र का निवेश आ रहा है। इन राज्यों से तो बिहार की तुलना करना बेमानी होगा। क्योंकि, ये तो अब बहुत आगे निकल चुके हैं। इनमें ही अनिल अग्रवाल, मुकेश अंबानी, गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों को निवेश करना सही लगता है। पर बिहार तो अपने पड़ोसी उत्तर प्रदेश से भी बहुत पिछड़ गया है। कोरोना काल के बाद जब निवेशक समाज बहुत सोच-समझकर निवेश कर रहा है, तब उत्तर प्रदेश में 80 हजार करोड़ रुपये के निवेश का वादा हो चुका है। यह वादा किया है देश के ही प्रमुख उद्योग समूहों ने। दरअसल निवेशकों को उत्तर प्रदेश में निवेश करना लाभ का सौदा नजर आ रहा है।
याद रख लें कि कोई निवेशक घाटा खाने के लिए तो कभी भी निवेश करेगा नहीं। पिछले कुछ समय पहले लखनऊ में हुए एक निवेशक सम्मेलन में हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाएं धरातल पर उतरीं। निवेशक सम्मेलन में देश के नामी उद्योगपति गौतम अडानी, कुमार मंगलम बिड़ला, निरंजन हीरानंदानी सज्जन जिंदल आदि मौजूद थे। क्या ये उद्योगपति कभी बिहार आते हैं निवेश करने के लिए?
उत्तर प्रदेश अपनी छवि तेजी से बदलता जा रहा है। सारे राज्य में आपको बेहतर सड़कें, साफ सुथरे चमकते बाजार, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल वगैरह देखने को मिलेंगी। क्या ये बातें बिहार के लिए कही जा सकती है। पिछले 30-35 वर्षों के दौरान देश में कई औद्योगिक हब बने। इनमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मानेसर आदि शामिल हैं। इनमें इलेक्ट्रानिक सामान और आटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े सैकड़ों उत्पादों का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा यहाँ सैकड़ों आईटी कंपनियों में लाखों नौजवानों को रोजगार भी मिल रहा है।
हरियाणा का शहर मानेसर एक प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में स्थापित हो चुका है। मानेसर गुड़गांव जिले का एक तेजी से उभरता औद्योगिक शहर है I मानेसर में आटो और आटो पार्ट्स की अनेक इकाइयां खड़ी हो चुकी हैं। इनमें मारुति सुजुकी, होंडा मोटर साइकिल एंड स्कूटर इंडिया लिमिटेड शामिल हैं। मानेसर को आप उत्तर भारत का श्रीपेरम्बदूर मान सकते हैं। तमिलनाडू के श्रीपेरम्बदूर में भी आटो सेक्टर की कम से 12 बड़ी कंपनियां उत्पादन कर रही हैं और इन बड़ी कंपनियों को पार्ट-पुर्जे सप्लाई करने के लिए सैकड़ों सहयोगी उद्धोग भी चल रहे हैं। आपको इस तरह के हब बिहार के अलावा लगभग सब राज्यों में मिलेंगे। बिहार में कोई शहर नोएडा, ग्रेटर नोएडा या मानेसर जैसा क्यों नहीं बना? आपको इस सवाल का जवाब कोई नहीं देगा। अगर बिहार में निजी क्षेत्र का निवेश लाना है तो बड़े स्तर पर और सकारात्मक सोच के साथ पहल करनी होगी। यह भी सोचना होगा कि निवेशक बार बालाओं आ अश्लील नृत्य चाहते हैं ? या बिजली, पानी, सडक, सुरक्षा और कुशल कामगार?
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)