मृत्युंजय दीक्षित
गुजरात की जनता ने 2022 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को इतने शानदार ढंग से सत्ता में वापसी कराई है कि आज बड़े बड़े राजनैतिक विश्लेषक भी हैरान हैं, कोई समझ नहीं पा रहा कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के व्यक्तित्व और नेतृत्व में ऐसी क्या विशेषता है कि लगातार सातवीं बार भाजपा को प्रचंड जीत हासिल हो गई है। इससे पूर्व कांग्रेस को राज्य विधानसभा में वर्ष 1985 में 56 प्रतिशत वोटों के साथ 149 सीटें प्राप्त हुई थीं और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने यह रिकार्ड ध्वस्त कर दिया है। राजनैतिक विष्लेषक इस अदभुत और अविश्वसनीय विजय के पीछे के रहस्यों को पता करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी विश्लेषकों का अनुमान है कि इस बार कांग्रेस ने चुनावों के पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया था और रही सही कसर आम आदमी पार्टी और एआईएएम ने पूरी कर दी थी।
किन्तु, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विचार है कि गुजरात माडल विश्वसनीयता, लोकप्रियता और परिश्रम की पराकाष्ठा एक सशक्त उदाहरण बन चुका है। गुजरात में अब एंटी इनकंबेंसी नहीं प्रो इनकबैंसी चुनावी फैक्टर बन गया है।
वास्तव में गुजरात में इस बार भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के लिए कई कारक एक साथ मिल गए हैं । जब से गुजरात चुनावों की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई और राज्य में आम आदमी पार्टी का प्रवेश हुआ तभी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके परिवार के खिलाफ तीखे अपमानजनक शब्दों को बोलना शुरू कर दिया गया ।यहीं नहीं आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल इटालिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बहुत ही अभद्र भाषा में यह कहा था कि यहां पर भाजपा वाले सभी लोग कंस की औलाद हैं और मुझे भगवान श्रीकृष्ण ने इन तथाकथित कंस की औलादों का सर्वनाश करने के लिए यहां पर भेजा है। स्पष्ट था कि अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कंस कह कर संबोधित कर रहे थे। आप नेता गोपाल इटालिया ने प्रधानमंत्री को मूर्ख कहा और उनकी माता का भी अपमान किया और वह यही नहीं रूके उन्होंने कई जनसभाओं तथा टीवी चैनलों की बहसों के दौरान भी अपने बयानों को सही बताने का प्रयास किया था।
गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके कार्यो का मजाक बनाने में व उनको अपमानित करने में कांग्रेस भी पीछे नहीं रही। कांग्रेस अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने प्रधानमंत्री के लिए कहा कि हम उनकी औकात दिखा देंगे। जब चुनाव प्रचार दसरे चरण में पहुंचा तब कांग्रेस के नये नवेले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गांधी परिवार की चापलूसी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण कहकर सारी कसर पूरी कर ली थीं। खड़गे ने पीएम मोदी को रावण कहकर भाजपा को एक बार फिर भावनात्मक मुद्दा दे दिया और इस प्रकार की टिप्पणी के कारण दूसरे चरण में कांग्रेस का बचा खुचा सम्मान भी चला गया। गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गालियां देने की होड़ लगी हुई थी।मतदान के आखिरी दिन सुबह- सुबह एक साक्षात्कार में कांग्रेस नेता शंकर सिंह बाघेला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कह दिया था।
प्रधानमंत्री का अपमान करने वाले यह लोग भूल गए कि नरेंद्र मोदी गुजरात सर्वप्रिय नेता हैं, गुजरात की जनता को अपने नेता पर पूरा भरोसा है वह किसी भी हालत में उनका अपमान नहीं सहन कर सकती है। मोदी जी ने यहाँ तक पहुँचने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठ करी है ।
गुजरात में कांग्रेस की पराजय उसी समय तय हो गई थी जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में नर्मदा बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाली मेधा पाटकर शामिल हो गई थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जनसभाओे में यह अत्यंत भावनात्मक रूप से रखते हुए नर्मदा के विरोधियों से जनता को सावधान किया, गुजरात की जनता ने उनकी बातों को समझकर नर्मदा विरोधियों को लम्बे समय के लिए डुबो दिया।
गुजरात चुनावों में भाजपा की विजय की पृष्ठभूमि उसी दिन बन गई थी जब गोधरा दंगों के बाद हुई हिंसा के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया और उनको बदनाम करने वाली तीस्ता सीतलवाड़ को जेल जाना पड़ा। तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने सहयोगियों व राजनैतिक आकाओं के बल पर मोदी जी का राजनैतिक जीवन बर्बाद करने साजिश रची थी वह सब कुछ बेनकाब हो चुका था।
गुजरात में गोधरा कांड व उसके बाद हुए दंगे अभी भी एक बहुत बड़ा फैक्टर बना हुआ है। विपक्ष का बिलकिस बानो प्रकरण में मुस्लिम तुष्टिकरण करने का नाटक नाकामयाब हो गया। 25 नवंबर 2022 के एक रैली में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2002 में एक बार नरेंद्र मोदी के समय में दंगे करने की कोशिशकी तो ऐसा सबक सिखाया कि 2002 के बाद 2022 आ गया कोई गर्दन नहीं उठाता। दंगे करने वाले गुजरात से बाहर चले गए। इसका मतदाताओं पर सकारत्मक प्रभाव रहा।
भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार कि रणनीति भी बहुत विचार करके बनायी। गोधरा में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रैलियां और रोड शो किये जिसमें उन्होंने गोधरा की जनता को गोधरा कांड की याद तो दिलाई ही साथ ही उन्होंने बताया कि किस प्रकार से अयोध्या से लौट कर आ रहे रामभक्तों को ट्रेन में ही जीवित जला दिया गया था। योगी जी की जनसभाओं में भारी भीड़ आ रही थी योगी जी उनके ह्रदय जीतने में सफल रहे ।
जिस प्रकार से छद्म धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने हर मंच पर बिलकिस बानो मुद्दे को उठाकर आंसू बहाए तथा सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गए उससे मतों का ध्रुवीकरण हुआ हद तो तब हो गई जब सबसे बड़े मुस्लिम नेता बनने का प्रयास कर रहे ओवैसी साहब एक जनसभा में रोने का नाटक करने लग गए। भाजपा ने सोच समझ कर कई ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा जिनके करण मतों का ध्रुवीकरण होना निश्चित था । दूसरी तरफ आप नेताओं ने कई जगह हिंदू देवी- देवताओं व सनातन संस्कृति का भी बहुत ही अभद्र तरीके से अपमान किया था। दीपावली के पावन अवसर पर हिंदू देवी देवताओं का अपमान करने वाले अरविंद केजरीवाल ने नोटो पर गणेश- लक्ष्मी की फोटो प्रकाशित करन की मांग करी वह भी उस दौर में जबकि अब भारत डिजिटल करेंसी के दौर में पहुंच रहा है। इन बातों ने भी हिन्दू मतों का ध्रुवीकरण किया ।
भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले ही राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया और चुनवो के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में मतांतरण को देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए राज्य में एक कड़ा कानून लाने की बात कही जिसका असर भी चुनावों में दिखाई पड़ा है।
सारे कारकों के बाद भी गुजरात में भाजपा की लगातार सातवीं और अब तक की सबसे प्रचंड विजय का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाता है क्योंकि उन्होंने चुनावों से पूर्व ही राज्य के कई तूफानी दौरे किए थे । अंतिम चरण से पूर्व प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में 54 किमी से लम्बा रोड शो करके अपने तमाम विरोधियों की हार सुनिश्चित कर दी थी ।
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित