गौतम अदाणी के खिलाफ इस साजिश की शुरुआत अभी हाल के दिनों से नहीं हुई, बल्कि 2016-17 से ही हो गई थी। अदाणी ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया का कारमाइकल कोल माइन का प्रोजेक्ट हासिल किया था।
2017 में अचानक से अदाणी के माइन प्रोजेक्ट के खिलाफ क्लाइमेट चेंज के लिए काम करने का दावा करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका नाम 350.org है। इन लोगों ने एक समूह की शुरुआत की, जिसका नाम स्टॉप अदाणी रखा।
इस संस्थान को टाइड फाउंडेशन नाम की एक दूसरी संस्था फंड करती है। ये फाउंडेशन दुनिया के जाने-माने फंड मैनेजर जॉर्ज सोरोस से जुड़ी है। जॉर्ज वही शख्स हैं, जिनकी वजह से बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ थाईलैंड बर्बाद हो गया था। जॉर्ज अपने भारत विरोधी बयानों के लिए भी जाने जाते हैं।
टाइड फाउंडेशन के पीछे भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो गौतम अदाणी को रोकने के लिए कोशिश कर रहे थे। उनका दावा है कि टाइड फाउंडेशन को जॉर्ज सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार और बिल गेट्स जैसी बड़ी कंपनियां काफी बड़े पैमाने पर फंड उपलब्ध कराती हैं।
भारत में भी कुछ संस्थानों, मीडिया हाउस के जरिए सुनियोजित तरीके से गौतम अदाणी पर हमले किए गए। ये मीडिया हाउसेज और संस्थानों के हित भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार और बिल गेट्स जैसी कंपनियों से जुड़ा हुआ है।
भारत में एक स्वयंसेवी संस्थान है, जिसका नाम नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) है। इसे भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिड्यार, बिल गेट्स, अजीम प्रेमजी की कंपनी फंड करती है। अजीम की कंपनी कुछ अन्य कंपनियों को भी फंड करती है, जो सरकार के खिलाफ सुनियोजित तरीके से अभियान चलाते हैं
नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) में मीडिया फेलोशिप एडवाइजर के तौर पर सीपीआई (एम) के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती काम करती हैं। सीमा द वायर की एडिटर भी हैं, जिनपर पिछले ही साल भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एफआईआर दर्ज करवाई थी।
सीमा कारवान में भी लेख लिखती हैं। इसपर भी भारत सरकार के खिलाफ अभियान चलाने का आरोप लगता है। इन सभी ने मिलकर गौतम अदाणी के खिलाफ प्रोपोगेंडा चलाया। सोशल मीडिया और खबरों के जरिए अदाणी पर निशाना साधे गए। द वायर 2017 में भी अदाणी के खिलाफ ऐसा कर चुका है।
इस साजिश में बड़े पैमाने पर वही लोग शामिल हैं, जो पीएम मोदी के खिलाफ तैयार की गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा थे। विजय कहते हैं, ‘द न्यूज मिनट की को फाउंडर धन्या राजेंद्रन को नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया यानी NFI ने फेलोशिप दिया है।
धन्या की मीडिया हाउस में भी अजीम प्रेमजी की संस्थान IPSMF का पैसा लगा हुआ है। इसके अलावा IPSMF ने कई अन्य मीडिया संस्थानों में पैसा लगाया है, जिनपर सरकार के खिलाफ अभियान चलाने का आरोप लगता रहा है।’
धन्या ने एक वेबसाइट तैयार की है, जिसका नाम डिगीपब है। इसमें मनी लॉड्रिंग केस में फंसे न्यूज क्लिक के प्रबीर पुरकायस्थ वाइस चेयरमैन हैं। प्रबीर को वामपंथी बताया जाता है। इन सभी मीडिया हाउस से जुड़े लोगों ने ही गौतम अदाणी के खिलाफ प्रोपेगेंडा खबरें चलाईं.
विजय ने ऐसे कई वेबसाइट्स और उनके कनेक्शन को लेकर भी खुलासे करने का दावा किया है। इसमें बताया है कि कैसे ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं और लगातार गौतम अदाणी के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। दावा ये भी है कि पीएम मोदी के खिलाफ लॉन्च की गई डॉक्यूमेंट्री भी इसी का एक हिस्सा है।
इस डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत द वायर के पत्रकार आलीशान जाफरी से हुई है। इस पत्रकार को भी नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) का फेलोशिप मिल चुका है। इसमें भी वामदल के नेता सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती का नाम आता है। सीमा द वायर की एडिटर हैं और बीबीसी से 10 साल तक जुड़ी रहीं हैं
विजय का कहना है कि इन लोग जो भी खबरें चलाते हैं या फिर ट्विट करते हैं, उसे स्टॉप अदाणी के लोग आगे बढ़ाते हैं। स्टॉप अदाणी वही समूह है, जिसे ऑस्ट्रेलिया में शुरू किया गया था, ताकि अदाणी का कोल माइन बंद कराया जा सके।
ट्विटर से साभार ।
ReplyForward |