*रजनीश कपूर
साइबर अपराधों में लिप्त अपराधी हर दिन नये-नये ढंग से अपने शिकारों को फँसाने के तरीक़े खोजते रहते हैं। यदि
आप जागरूक हैं तो आप इनके जाल में फँसने से बच सकते हैं। यदि आप घबराहट में कुछ ऐसा-वैसा कर बैठते हैं तो
आप इनके जाल में आसानी फँस सकते हैं। आज इस कॉलम में एक ऐसे ही शिकार के बारे में बात करेंगे जो इन
साइबर अपराधियों के जाल में फँसते-फँसते बचा।
पिछले सप्ताह मुझे मेरे मित्र विभव का घबराहट में फ़ोन आया। उसकी घबराहट का कारण एक सीबीआई
अधिकारी का उसे फ़ोन पर धमकाना था। उसने मुझे फ़ोन पर अपनी जो परेशानी बताई तो पहले तो मुझे हंसी आई
फिर मैंने ख़ुद को उसकी जगह में सोच कर उसे क़ानून के कुछ अहम पहलू बताए। मेरी सलाह सुन विभव शांत हुआ
और अपने काम में जुट गया। परंतु जो कुछ उसके साथ दो दिनों में हुआ वो आपके साथ साझा करना आवश्यक है ।
उगाही के इस ढंग को यदि आप जान लेंगे तो शायद आप भी इन जालसाज़ों का शिकार होने से बच सकेंगे।
कुछ दिन पहले विभव के पास ह्वाट्सऐप पर एक वीडियो कॉल आई। उस कॉल में एक लड़की पहले तो काफ़ी
मित्रता भरे ढंग से बात करने लगी। फिर कुछ ही क्षण में वो महिला अश्लीलता पर उतर आई। विभव ने तुरंत अपने
फ़ोन की स्क्रीन का रुख़ अपनी पत्नी की और किया जो उस समय उसके साथ में बैठी थी। इसके बाद फ़ोन को काट
कर विभव ने उस नंबर को ब्लॉक कर दिया और इसे भूल गया। परंतु कुछ ही देर में उसके पास किसी दूसरे नंबर से
कुछ संदेश आने लगे जिसमें उसे ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने का प्रयास किया गया। विभव ने इन नंबरों को भी ब्लॉक
कर दिया। दो दिनों तक कुछ नहीं हुआ।
दो दिन के बाद विभव के पास किसी विक्रम गोस्वामी नाम के व्यक्ति का फ़ोन आया। गोस्वामी ने ख़ुद को सीबीआई
का अधिकारी बताया। सीबीआई का नाम सुनते ही विभव ने चौंक कर पूछा कि क्या बात है? विक्रम गोस्वामी ने
विभव को दो दिन पहले आई ह्वाट्सऐप कॉल के अश्लील वीडियो की बात की। विभव पर इस अश्लील वीडियो को
यूट्यूब पर अपलोड करने का आरोप लगा कर एक शिकायत का हवाला देते हुए गोस्वामी ने पहले तो सच्चाई पूछी।
विभव ने उसे सब बात सच-सच बता डाली। जैसे ही गोस्वामी को लगा कि विभव थोड़ा घबराया हुआ है, उसने
विभव को एक नंबर दिया और कहा कि यदि उसने ये वीडियो अपलोड नहीं किया तो इस नंबर पर यूट्यूब वालों
को कह कर वीडियो को डिलीट करवाएँ और उसकी पुष्टि का प्रमाण आधे घंटे में गोस्वामी को दे। ऐसा न करने पर
शाम तक विभव को गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।
विभव के लाख समझाने पर भी वो अधिकारी उसकी किसी बात का यक़ीन नहीं कर रहा था। बल्कि परिवार और
समाज का हवाला देकर उसे और धमकाने लग गया। विभव ने विक्रम गोस्वामी का फ़ोन रखते ही मुझे फ़ोन किया
और पूरा क़िस्सा बयान किया। मैंने विभव को समझाया कि यदि उसने कुछ नहीं किया तो उसे घबराने की बिलकुल
भी ज़रूरत नहीं है। क़ानून का थोड़ा-बहुत ज्ञान होने के चलते मैंने उसे जो-जो बताया वो आप सभी के लिये भी
समझना ज़रूरी है।
पहला, यदि आपने सोशल मीडिया पर कुछ भी आपत्तिजनक अपलोड नहीं किया है तो आपको घबराने की कोई
ज़रूरत नहीं। दूसरा, किसी भी सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर कुछ भी अश्लील या आपत्तिजनक पोस्ट नहीं किया जा
सकता। इस मामले में यूट्यूब की बात करें तो यूट्यूब के नियम इतने सख़्त हैं कि अश्लील वीडियो उस पर नहीं डाले
जा सकते। उन्हें यूट्यूब का एडमिन स्वीकृत नहीं करेगा। तीसरा, यूट्यूब या सोशल मीडिया पर होने वाले अपराध
साइबर अपराध की श्रेणी में आते हैं और इनसे केवल पुलिस का साइबर सेल ही निपटता है। सीबीआई का हस्तक्षेप
संगीन अपराधों में केवल राज्य सरकार के अनुरोध पर ही होता है। इसलिए यदि कोई भी अधिकारी ख़ुद को
सीबीआई का अधिकारी कहता है तो वो झूठ बोल रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पहले उस व्यक्ति का पूरा
परिचय माँग लें। इसके साथ ही अपने जानकार मित्रों की मदद से यदि संभव हो तो उस अधिकारी की पहचान की
पुष्टि करें।
जैसे ही विभव ने ये सब बातें सुनी उसकी घबराहट कम होने लगी। विभव ने मेरे कहने पर सीबीआई अधिकारी,
विक्रम गोस्वामी का नंबर ट्रू-कॉलर नाम की ऐप पर खोजा और उसका स्क्रीनशॉट मुझे भेजा। स्क्रीनशॉट देख वही
हुआ जिसका अंदाज़ा था। विक्रम गोस्वामी ने अपने नाम के साथ दिल्ली पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश
अस्थाना की फ़ोटो लगाई हुई थी। मैंने विभव को कहा कि वो गूगल पर पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को
खोजे और इस अधिकारी की प्रोफ़ाइल पिक्चर को मिला ले तो उसे इस नक़ली सीबीआई अधिकारी की असलियत
पता चल जाएगी।
इसी दौरान मैंने दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ यूनिट पूर्व डीसीपी, केपीएस मल्होत्रा से इस क़िस्से को साझा
किया। उन्होंने ऐसे गोरखधंधों से सभी को सावधान रहने को कहा। डीसीपी मल्होत्रा के अनुसार, कभी भी अनजान
नंबर से आने वाली वीडियो कॉल को न उठाएँ। कॉल करने वाले के लाख कहने पर भी उनकी बातों में न आएँ।
अपने बैंक खाते या अन्य ज़रूरी जानकारी को कभी भी ऐसे जालसाज़ों के साथ शेयर न करें। ऐसे नंबरों को तुरंत
‘रिपोर्ट एंड ब्लॉक’ करें। यदि आप इनके शिकार हो भी जाते हैं तो नज़दीकी पुलिस थाने को इसकी जानकारी तुरंत
दें। आप जानकार रहेंगे तभी तो सुरक्षित रहेंगे।
*लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं।