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सनातन बोर्ड क्यों?

Why Sanatan Board?

लंबे अरसे से हिंदू मठ मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण पर सवाल उठते आ रहे हैं !
पूछा जाता है कि सरकार केवल हिंदू मंदिरों पर ही नियंत्रण क्यों करती है , मस्जिदों और चर्च पर क्यों नहीं ?

देश में हिंदू मठ मंदिरों की संख्या अनुमानतः 10 लाख है , जिनमें से 4 लाख 30 हजार मंदिरों का विभिन्न सरकारों ने अधिकरण किया हुआ है !
दूसरी ओर इस्लामिक धर्मस्थलों पर नियंत्रण के लिए मुस्लिम वक्फ बोर्ड बना हुआ है , जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है !
क्रिश्चियन इदारों पर भी बाहरी नियंत्रण की कोई आधिकारिक दखल नहीं है !

कल मध्य प्रदेश की महिला सांसद साध्वी प्रज्ञा ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड की तर्ज पर हिंदू मठ मंदिरों के लिए सनातन बोर्ड की मांग की , जिसकी सारी व्यवस्था मठ मंदिर सनातन बोर्ड द्वारा की जाए , सरकार द्वारा नहीं । लाखों मंदिरों का दान में आया करोड़ों रुपया हर महीने सरकार ले जाती है , मंदिरों का रखरखाव तक नहीं हो पाता । प्रज्ञा का कहना है कि एक तरफ वक्फ बोर्डों के पास देश की एक तिहाई जमीनें इकट्ठा हो गई हैं और दूसरी ओर मंदिरों के पुजारियों के पास वेतन तक पूरा नहीं है । इसके लिए सनातन बोर्ड की स्थापना बहुत जरूरी है ।

वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन धर्मस्थलों के लिए धर्मावलंबियों के बोर्ड के गठन की बाबत कभी सोचा नहीं गया । उल्टे मंदिरों के धन का प्रयोग सरकार ऐसे ऐसे कामों में करती रही जिनका हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है । एक प्रयास तो ऐसा हुआ कि धर्मादा बोर्ड बनाकर तमाम मठ मंदिरों और पुरोहित पुजारियों की तमाम संपत्ति ही सरकार के अंकुश में ले ली जाए ।

तब प्रयोग के तौर पर इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एम चेन्ना रेड्डी के माध्यम से यूपी में हिंदू मठ मंदिर धर्मादा बिल लागू कर दिया । इसका प्रदेश भर में प्रबल विरोध हुआ और पुरोहितों व संतों ने जबरदस्त आंदोलन किए । पुरोहितों का प्रतिनिधिमंडल कनखल निवासी मां आनंदमयी के पास पहुंचा जो इंदिरा जी की गुरु थी । बाद में राज्यपाल को बिल वापस लेना पड़ा ।

मोदी सरकार ने पहले ही इस दिशा में सोचना शुरू किया । ये जो तीर्थों पर एक के बाद एक कारीडोर बन रहे हैं , इसका धन उसी फंड से निकाला जा रहा है , जिसे सरकार मंदिरों से इकट्ठा करती है । फिर भी मंदिरों का सरकारीकरण गलत है । देश दुनिया से आए श्रद्धालु भगवान के प्रति अपनी भावनाएं मंदिरों में चढ़ाते हैं । श्रद्धा की यह रकम सरकार उठाकर ले जाए , यह सरासर गलत है । देश के धर्मस्थलों के लिए सनातन बोर्ड बनाइए और उसका दायित्व भक्तों के पास छोड़िए । आखिर श्रद्धा और ईश्वर के प्रति भक्ति का चढ़ावा कोई सरकार क्यों ले जाए ? यह सीधा सीधा गुनाह है ।

अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश,

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