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जी – 20 विदेश मंत्रियों की बैठक 

जी 20 देशों की बहुत महत्वपूर्ण बैठक आज से दिल्ली में शुरू हो रही है !
अमेरिका , रूस , फ्रांस , ब्रिटेन , जर्मनी और चीन सहित बीस देशों के विदेश मंत्री इस बैठक में भाग ले रहे हैं !
रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने , कईं देशों के बीच सीमा विवाद का अंतहीन तनाव समाप्त कराने के लिए इस बैठक का बहुत महत्व है !

कूटनीति बनाने और चलाने में माहिर भारत के मेधावी विदेशमंत्री एस जयशंकर इस बैठक के शानदार परिणाम लाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं !
यह बैठक अमेरिका , चीन और भारत के त्रिपक्षीय संबंधों को सुधारने की राह में कारगर प्रयास कर सकती है !

सब जानते हैं की जी 20 का अध्यक्ष पद इस वर्ष भारत के पास है । भारत इसे एक मैगा इवेंट के रूप में ले रहा है । खबर है कि अंतरराष्ट्रीय पॉवर ग्रुप जी 20 की अध्यक्षता का वर्ष समाप्त होने तक भारत में जी 20 के अनेक अनुसंगिक संगठनों की करीब 75 बैठकें भारत में हो चुकी होंगी । अब तक आठ दस बैठकें तो भारत के अलग अलग शहरों में आयोजित भी की जा चुकी हैं । जाहिर है हिन्दुस्तान बहुत बड़ा देश है और अलग अलग शहरों की अपनी प्राचीन पहचान है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चूंकि बिग शो मैन हैं अतः जाहिर है कि अलग शहरों में प्रायोजन का उनका उद्देश्य भी बहुत बड़ा है ।

दुनिया में जी 20 जैसे कईं पावर ग्रुप्स मौजूद हैं । चूंकि यह ग्रुप विपरीत विचारधारा वाली महाशक्तियों को एक जगह बैठकर मंथन का अवसर देता है , अतः दिल्ली बैठक का खासा महत्व है । यह अवसर इसलिए भी बड़ा है चूंकि भारत और चीन के बीच गंभीर सीमा विवाद चल रहे हैं । ऐसे में दोनों देशों के विदेशमंत्रियों का अलग से मिलना कईं अर्थ रखता है । चीन और अमेरिका के बीच ताजा विवाद जासूसी गुब्बारे को लेकर है । इस पर भी दोनों देशों के बीच परस्पर वार्ता संभव है । कल शाम जापान के विदेशमंत्री का दौरा अचानक क्यों रद्द हुआ , यह जानना भी जरूरी है ।

अफसोस की बात है कि दुनिया के 193 देशों का सबसे बड़ा प्रतिनिधि संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ अपना अर्थ खो चुका है । यह संगठन दो राष्ट्रों के बीच मतभेदों को सुलझा नहीं पाता , सिर्फ प्रस्ताव पारित कर रह जाता है । चीन को दी गई वीटो पावर सबसे विनाशकारी साबित हुई है । इसी का परिणाम है कि दुनिया में जी 7 , जी 4 और जी 20 जैसे पावर ग्रुप्स बनाने पड़ रहे हैं ।

यूएनओ के होते हुए भी संसार ग्रुप्स में बंट चुका है । रूस और चाइना एक खेमा बन गए हैं । मूलतः दोनों कम्युनिस्ट देश हैं और काफी कट्टर हैं । दोनों के आकाओं जिनपिंग और पुतिन की तानाशाही प्रवृत्ति ने अमेरिकी अगुवाई में नाटो देशों को एक मंच पर ला खड़ा किया है । ऐसे में भारत में जी 20 के विदेश मंत्रियों के मंथन पर दुनियाभर की नजरें लगी हैं जो स्वाभाविक भी है ।
अवधेश प्रताप सिंह

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