Shadow

दलाई लामा पर चीन की चिढ़न

दलाई लामा की तवांग-यात्रा पर चीन की चिढ़न समझ के परे है। यह उनकी छठी तवांग-यात्रा है। चीन ने पहले भी शोर मचाया है लेकिन इस बार उसकी सरकार तो सरकार, उसके भारत स्थित राजनयिक, उसके प्रोफेसरगण और उसके कई महत्वपूर्ण अखबार मानो एक साथ भारत-विरोधी समूह-गान में जुटे हुए हैं। वे भारत के अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग को ‘दक्षिणी तिब्बत’ कहते हैं और उसे चीन का हिस्सा मानते हैं, क्योंकि तिब्बत चीन का हिस्सा है। तिब्बतियों के लिए तवांग एक तीर्थ की तरह है। तवांग में 1681 में पोटाला महल की तरह एक मठ-धाम बनाया गया था। छठे दलाई लामा यहीं पैदा हुए थे। वर्तमान 14 वें दलाई लामा भी तवांग के गेलुग्पा संप्रदाय के ही हैं। दलाई लामा तवांग जाएं और धार्मिक गतिविधियों में शामिल हों, यह स्वाभाविक ही है लेकिन इसे चीन-विरोधी कार्रवाई क्यों कहा जा रहा है? वह इतना बौखलाया हुआ क्यों है कि उसने पेइचिंग स्थित हमारे राजदूत को बुलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया है? क्या दलाई लामा तवांग जाकर कोई छापामार केंद्र या आतंकवादी अड्डेे या किसी चीन-विरोधी बगावत का उदघाटन कर रहे हैं? उन्होंने तो अपना पुराना कथन फिर दोहराया है कि तिब्बत चीन का हिस्सा है। हम तिब्बत को चीन से अलग नहीं करना चाहते हैं। हम तो सिर्फ स्वायत्तता चाहते हैं। भारत भी यही चाहता है। भारत सरकार ने बहुत पहले ही साफ-साफ शब्दों में तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया है। जहां तक इस चीनी आरोप का सवाल है कि भारत दलाई लामा को चीन के खिलाफ इस्तेमाल करता है, लामाजी ने कहा है कि भारत ने ऐसी कोशिश भी कभी नहीं की। तो फिर चीन की बौखलाहट का कारण क्या है? इसका कारण चीन की गलतफहमी है। चीन को यह गलतफहमी हो गई है कि भारत उससे सख्त नाराज हो गया है। एक तो मसूद अजहर को संयुक्तराष्ट्र संघ में आतंकवादी घोषित करने का विरोध करनेे के कारण, दूसरा भारत को परमाणु सप्लायर्स ग्रुप का सदस्य नहीं बनने देने के कारण और तीसरा, पाकिस्तान के कब्जाए कश्मीर में से सड़क निकालने के कारण। अपनी नाराजी जाहिर करने के लिए भारत ने अब दलाई लामा को उछाला है, ऐसा चीन मानता है। कई चीनी विदेश नीति विशेषज्ञ, जिनके साथ पेइचिंग और शंघाई में मेरी काफी बहस हो चुकी है, उन्होंने बड़े खतरनाक बयान भी दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इस मौके पर चीन सैनिक कार्रवाई तो नहीं करेगा लेकिन वह आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है। इन प्रोफेसरों को पता नहीं है कि महाजन-वृत्ति क्या होती है! चीन एशिया का महाजन है। वह अपना आर्थिक नुकसान किसी कीमत पर नहीं करेगा। कुछ दिनों बाद ज्यों ही चीन की गलतफहमी दूर होगी, ऐसे भारत-विरोधी उटपटांग बयान आने अपने आप बंद हो जाएंगे।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *