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तेल के खेल के लिए जिहाद का समर्थन करता ओआईसी

तेल उत्पादक देशों की संस्था ओआईसी ने रामनवमी पर भारत में हुई हिंसा पर विरोध जताया है और बिहार शरीफ में मदरसे में हुई आगजनी पर पत्र जारी कर के आपत्ती की है। ओआईसी के लोग भारत में लगातार होती आ रही इस्लामिक हिंसा पर सदा मौन रहते हैं,यहाँ तक कि अनेक प्रसंगों पर मुखर समर्थन भी करते रहे हैं, ओआईसी के लोग हिन्दूओं पर कश्मीर में हुए सामूहिक नरसंहार पर मौन रहे, बल्कि आतंकवादियों का समर्थन करते रहे। केरल में, बंगाल में तथा अन्य राज्यों में हो रही जिहादी हिंसा पर भी ये हिंसा करने वाले जिहादियों के ही पक्षधर रहे हैं। बिहार शरीफ में हिन्दुओं की शोभायात्रा पर हमले करने वाले जिहादियों की इनलोगों ने निंदा तक नहीं की,बल्कि हमले की प्रतिक्रिया में जो अप्रिय घटनाएँ घट गई, उसपर ये भारत को बदनाम करने की चेष्टा करने लग गए। इनके दर्द का राज इन हिंसाओं में नहीं छुपा है, बल्कि भारत इनको वरीयता न देते हुए रसिया से अपनी तेल खरीददारी कर रहा है, उससे इनकी इतनी हानि हो रही है कि इन 23 तेल निर्यातक देशों को तेल उत्पादन में कटौती का निर्णय लेना पड़ रहा है, चीन अब इनका एकमात्र बड़ा खरीददार रह गया है, इसीलिए ये चीन के इशारे पर भी नाचने लग गए हैं।

भारत द्वारा अपनी अधिकतम तेल खरीददारी रसिया से किए जाने के कारण अब इनका तेल खरीदना भारत बहुत कम करता जा रहा है, जिससे मात्र तेल के खेल पर जीवित इन देशों की बड़ी हानि हो रही है। भारत केवल रसिया का तेल खरीद ही नहीं रहा है, तो अब अपना वह तेल और गैसोलीन अमेरिका और यूरोप के अनेक देशों को भी बेंच रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद रसिया ने यूरोप को तेल देना बंद कर दिया था, उनकी उर्जा जरुरतों के लिए अब वो भारत पर निर्भर होने लग गए हैं, भारत द्वारा इस तेल व्यापार पर कब्जा करने से भी ओआईसी के देशों की व्यापारिक हानि हो रही है, यह भी उनके पेट में उठ रहे भारत विरोधी दर्द का एक बड़ा कारण है। भारत के पास तेल शोधन की व्यापक अधोसंरचना है, जिसके बलपर रुस से कच्चा तेल खरीदकर भारत अब यूरोप अमेरिका की जरूरतें पूरी करने करने लग गया है। यह पूरा व्यापार पहले इन ओआईसी वालों का ही था। इसीलिए ये भारत में हिंसा को हवा देने का प्रयत्न कर रहे हैं और हिंसा करने वाले जिहादियों का प्रत्यक्ष समर्थन भी करने की चेष्टा कर रहे हैं। यद्यपि भारत सरकार के विदेश विभाग द्वारा ओआईसी देशों द्वारा भारत के अंदरुनी मामलों में दखल देने की इस अनैतिक चेष्टा का पुरजोर विरोध किया है। भारत ने इसे ओआईसी का एंटी इंडिया एजेंडे बताते हुए कहा है कि ओआईसी इस साम्प्रदायिक मानसिकता और हरकतों से अपनी प्रतिष्ठा को ही आहत कर रहा है।

अरब के देशों का तेल का खेल अब बहुत दिनों तक नहीं चलने वाला है, भारत सरकार लम्बे समय से वैकल्पिक उर्जा स्रोतों पर काम कर रही है। अब भारत में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का बाजार बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है, अनेक कम्पनियों ने इस व्यापारिक सम्भावना को समझकर बहुत तेज गति से काम करना आरम्भ कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में लिथियम बैट्री की जरुरत होती है, तो लिथियम का भण्डार बड़े सटीक समय पर कश्मीर में मिल गया, पेरु जैसा देश लिथियम के उत्खनन और प्रसंस्करण में सहयोग के लिए आगे आ रहा है। सोलर और अन्य उर्जा में हम पहले ही आगे बढ़ चुके हैं। ई-वाहनों के पर्याप्त विक्रय लक्ष्य प्राप्त होने तक तेल की जरूरतें रसिया पूरा करने लग गया है, तो ऐसा लगता है कि भारत का साथ ईश्वर ही स्वयं देने लग गया है। इन ओआईसी वालों की जिहादी फंडिंग के लिए उनका तेल का व्यापार अब स्वतः ही कम होता जा रहा है। ऐसे में उनको भारत के अंदरुनी मामलों में झांकने से बचना चाहिए अन्यथा उनका अंजाम अब और भी बुरा हो सकता है।

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