रामस्वरूप रावतसरे
जस्थान के बाड़मेर के पचपदरा में 4 साल बाद यानी 2021 में रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी। इस रिफाइनरी की क्षमता 9 मिलियन टन होगी, यानी इतने तेल का उत्पादन सालाना होगा। इसके लिए फि र से राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच एमओयू किया गया है। सरकार और एचपीसीएल के बीच एमओयू के दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सीएम वसुंधरा राजे भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, राजस्थान की 26 फीसदी की भागीदारी इस रिफाइनरी के उत्पादन में रहेगी। यह रिफाइनरी बीएस-6 मानक वाली होगी। एचपीसीएल ने दुनिया की सबसे आधुनिक टैक्नोलॉजी के साथ काम करने का एमओयू किया है। इसकी लागत करीब 43 हजार करोड़ रुपए होगी। केंद्र भी 27 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा। राजस्थान में इतनी बड़ी निवेश पहले कभी नहीं हुआ। एचपीसीएल की भी पूरी अपनी लाइफ में यह सबसे बड़ा निवेश है।आने वाले 3 साल में केयर्न भी निवेश करेगी। यानी करीब 70 हजार करोड़ का निवेश आने वाले चार साल में किए जाएंगे। इसके लगने के साथ ही दुनियाभर के निवेशक राजस्थान आएंगे। ऐसी सम्भावना सरकार की ओर से व्यक्त की जारही है । इससे निकलने वाले अन्य प्रॉडक्ट से अच्छी ञ्चवालिटी की जूते के सोल बनेंगे। प्लास्टिक की पाइप बनेंगे। राज्य सरकार को लगभग 9.5 करोड़ रुपए की टैक्स के मिलते रहेंगे का अनुमान भी लगाया गया है।
सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि हम काम करने में किसी भी सूरत में पीछे नहीं रहते। जो करते हैं वो ठोस करते हैं। यह रिफाइनरी का एमओयू सरकार का ठोस निर्णय है। राजस्थान की रिफाइनरी देश में बीएस -6 मानक और पैट्रो कैमिकल कॉॅम्प्लेक्स के साथ बनने वाली पहली रिफाइनरी होगी। नौ मिलियन टन क्षमता की रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स को बनाने में 43 हजार करोड़ रु. खर्च होंगे। संभावना है कि 2021 में यह रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी। सालाना 2514 करोड़ रुपए कम देनी होगी राशि।
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में रिफाइनरी लगाने के लिए जो एमओयू किया था। उसके अनुसार राज्य सरकार को अगले 15 साल तक सालाना 3637 करोड़ रु. ब्याज मुक्त ऋण देना था। नंगोशिएशन के बाद भाजपा सरकार और एचपीसीएल के बीच डील 1123 करोड़ में ही ब्याज मुक्त लोन देने पर फाइनल हो गई जा रही है। इससे राज्य सरकार की सालाना 2514 करोड़ रु. की बचत होगी। गहलोत सरकार में जहां रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स 37320 करोड़ में बनकर तैयार हो रहे थे, वहीं अब एक प्रोसेसिंग यूनिट एक्स्ट्रा लगाने से इसकी लागत बढ़कर 43 हजार करोड़ रु. हो जाएगी। रिफाइनरी के आसपास बड़े पैमाने पर ग्रीनरी विकसित की जाएगी, जिससे बिल्कुल पर्यावरण का किसी प्रकार क्षति होने पाए। इस रिफाइनरी से बाहर के साथ ही राजस्थान के कच्चे आयल को भी रिफाइंड किया जाएगा।
यह रिफाइनरी बीएस-6 मानकों के तेल का उत्पादन करेगी। यह उच्च गुणवत्ता के साथ सबसे रिफाइंड तेल होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही 2020 से यूरो 6 नॉर्म यानी बीएस-6 लागू करने का आदेश दिया है। इसको ध्यान में रखकर राजस्थान में बीएस 6 मानक की रिफाइनरी लगाई जा रही है। फिलहाल चौपहिया वाहनों पर बीएस-4 मानक लागू है। बीएस-4 ईंधन में 50 पीपीएम (पाट्र्स पर मिलियन) जहरीला सल्फर होता है। बीएस-5 बीएस-6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम ही होती है।
वेस्ट मेटेरियल से 262 मेगावाट बिजली उत्पादन भी करेंगे रिफाइनरी से निकलने वाले पेट काक वेस्ट मेटेरियल से 262 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इसका उपयोग रिफाइनरी चलाने में होगा।रिफाइनरी के लिए जो गैस का इस्तेमाल किया जाता, उससे पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स चलाया जाएगा। ऐसा निर्णय किया गया बताया जा रहा है। पौने चार वर्ष इंतजार के बाद पचपदरा में रिफाइनरी को लेकर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान व मुख्यमंत्री की मौजूदगी में राज्य सरकार व एचपीसीएल के बीच एमओयू हुआ। इसपर शहर व क्षेत्र के लोगों में फिर से उम्मीद तो जगी, लेकिन ज्यादा उत्साह नहीं दिखा। लोगों में अब भी संशय है। उनका कहना है कि काम शुरू होने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। 22 सितम्बर 2013 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पचपदरा में रिफाइनरी का शिलान्यास किया था। जल्द ही चुनाव के चलते कार्य आगे नहीं बढ़ पाया। सत्ता परिवर्तन पर नई भाजपा सरकार ने इसे घाटे का सौदा बताते हुए एमओयू निरस्त कर दिया गया था। हालांकि पूर्व मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच एमओयू को लेकर कई सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे राज्य सरकार को लाभ नहीं हुआ है। श्रेय लेने के लिये राज्य की जनता को गुमराह किया गया है।