नवम्बर 2013 था, हम लोग पुरी की तरफ निकल रहे थे. मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के चुनाव हो चुके थे और AAP की संभावित जीत के चर्चे साहिबाबाद लोकल स्टेशन पर भी थे. हम लोगों को साहिबाबाद से लोकल पकड़ कर निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन जाना था. तो जैसा मेरी आदत है, लोगों के विचार सुनती रही. साहिबाबाद स्टेशन पर कई युवा ऐसे थे, जिनकी आँखों में एक अजीब सा सपना था. वे सभी ऐसे लोग थे, जिन्होनें AAP के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य किया था. बहुत बातें कर रहे थे. हम लोग जब निजामुद्दीन पहुंचे तब तक AAP के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद हो चुकी थी. ट्रेन में हमारे सामने की सीट पर एक लड़का था. वह समय एक परिवर्तन का समय था और इन्टरनेट के समय में चर्चा केवल और केवल अरविन्द और मोदी के करिश्मे पर टिक जाती थी. वह लड़का इंजीनियर था और उसने बहुत ही जल्दी अपने दिल की बात करनी शुरू कर दी. उसने कहा “madam, It is clear that AAP is coming, madam, our country is going through a crucial transformation. Madam, definitely change is certain,and this middle class hero is our hero.” उस समय उसकी आँखों में सपने थे, उसकी आँखों में भ्रष्टाचार से त्रस्त भारत के उबरने का सपना था. खाना खाते समय वह फिर से वाचाल हो गया “मैडम, एक राज़ की बात बताऊँ, मैंने भी खूब गिटार बजाय है इण्डिया अगेंस्ट करप्शन के आन्दोलन में, मैंने कई गाने भी बनाए थे अपने देश के लिए. और आपको पता, मेरे साथ के कई दोस्त थे, उनके कई भाई बहन जो मुखर्जी नगर में कोचिंग ले रहे थे, उन लोगों ने कई कई महीने की कोचिंग फीस AAP को दान दी है. मैडम हम लोग देश के लिए इतना भी नहीं कर सकते. अरविन्द और मोदी जी हमारी उम्मीद हैं.”
हमने कहा “मोदी जी और अरविन्द दोनों?”
वह हँसते हुए बोला था “मैडम, I can like good people across party line. Arvind is youth icon, so is Modi. they both can bring change.”
आज जब मैं अरविन्द केजरीवाल पर इस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप देखती हूँ, और उस पर अरविन्द की चुप्पी, तो इस समय मेरी आँखों के सामने उस इंजीनियर की चमकती आँखें उभर आती हैं, “मैडम, अरविन्द कोई राहुल थोड़े न है, जो उसे प्लैटर मिला है, ही इज द ट्रू हीरो!”
उफ, नायक को चुनने में जनता इतनी बेताब क्यों होती है! अपने सपने, अपनी आकांक्षाएं, सब कुछ एक व्यक्ति के हवाले कर देती है. रुको, आंकों, उसे कसौटी पर परखो तब ही नेता बनाओ!